राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या– 77/2010 सुरक्षित
M/S O.P. Chains Limited, having its registered office at 8/16 A. Seth Gali, Agra through its Director Shri Ashok Kumar Glyal.
-परिवादी
- Oriental Bank of commerce, a body corporate constituted under the Banking Companies ( Acquisition & Transfer of Undertaking Act, 1970 having its Head office at Harsha Bhawan, Connaught Place, New Delhi and amongst others a Branch office at E-15-B, Prince Tower, Sanjay Place, Agra (U.P)_ 282 002, Notice be served through the Managing Director, Oriental Bank of Commerce, Harsha Bhawan, Connaught Place, New Delhi, as also through the senior Manager, Oriental Bank of Commerce, E- 15- B, Prince Tower, Sanjay Place, Agra (UP)- 282002
- The Handi Crafts & Handloom Export Corporation of India Limited a Government of India undertaking (Ministry of Textiled, having its registered office at Jawahar Vyapar Bhawan, Annexe-1 Tolstoy Marg New Noida, Gautam Budh Nagar, U.P. – 201 301 , Notice be served through its General Manager at Noida Complex.
... विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थिति : श्री ए0के0 सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0-1 की ओर से उपस्थिति : श्री सुभाष गोस्वामी, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री अमृता स्वरूप, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक- 12-02-2016
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उद्घोषित
निर्णय
मौजूदा परिवाद के कथन संक्षेप में इस प्रकार से है कि परिवादी की लिमिटेड कम्पनी है, जिसका रजिस्ट्रर्ड आफिस 8/16 ए, सेठ गली, आगरा है। परिवादी का अपना सोना-चॉदी का ट्रेडिंग बिजनेस है। प्रतिवादी सं0-1 फारेन इक्सचेंज का अधिकृत डीलर है। प्रतिवादी सं0-2 हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम उत्पादन व ज्वेलरी वगैरह का आयात करता है और भारत-सरकार द्वारा गोल्ड, सिल्वर, प्लेटिनम फारेन ट्रेड पालिसी के अर्न्तगत उसको एजेंसी प्राप्त है। प्रतिवादी सं0-2 सामान्यत: व्यवसाय में विदेशी उपभोक्ताओं से परिवादी के तरफ से सामान खरीदता है और इस प्रकार से खरीदे गये सामानों का कीमत परिवादी द्वारा प्रतिवादी सं0-2 को दिया जाता है। परिवादी इस प्रकार के खरीदें गये सामान जो प्रतिवादी सं0-2 के मार्फत करता है, उसकी अदायगी भारतीय करेन्सी में प्रतिवादी सं0-2 को देता है और प्रतिवादी सं0-2 उक्त् रूपये जो परिवादी से प्राप्त करता है, जो कि सामान की कीमत होती है, वह प्रतिवादी सं0-1 से फारेन
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करेन्सी वादी के तरफ से बुक करता है, जिससे प्रतिवादी सं0-2 प्रतिवादी सं0-1 से फारेन करेन्सी प्राप्त करने के बाद विपक्षी विक्रेता को कीमत अदा कर सकें। सामान्य व्यवसाय की प्रक्रिया में प्रतिवादी सं0-2 के निर्देश पर जो कि वादी के तरफ दिया जाता है। प्रतिवादी सं0-1 लेटर आफ क्रेडिट प्रतिवादी सं0-2 को जारी करता है, जिससे कि पूर्ण अदायगी मेच्योरिटी दिनांक पर सुरक्षित रह सके। मौजूदा प्रकरण में प्रतिवादी सं0-2 ने एक एल0 सी0 नं0- 08420000130108 दिनांकित 12-06-2008 यू0एस0 डी0 2890300 नब्बे दिन के लिए सिपमेन्ट की तिथि से प्रतिवादी सं0-1 के जरिए खोला और रूपया 12,02,00,000-00 प्रतिवादी सं0-1 ने यू0एस0 डालर बुक किया, जिसका निम्न प्रकार विवरण है:-
Contract N0. | 21-106354 | 21-106355 |
USS | 25,00,000 | 3,52,000 |
Date of Booking | 02.06.2008 | 02.06.2008 |
Exchange Rate (USD/INR) | 42.4400 | 42.4650 |
Delivery Due Date | 29.08.2008 | 29.08.2008 |
परिवादी ने उक्त कन्साइनमेंट को प्राप्त करने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरा कर लिया और उसकी अदायगी भी कर दिया। विपक्षी विक्रेता कन्साइनमेंट की अदायगी प्रतिवादी सं0-1 द्वारा जारी किये गये लेटर आफ क्रेडिट जिस विदेशी बैंक के नाम जारी किये जाते है उसी लेटर आफ क्रेडिट के द्वारा अदायगी पाता है। यू0एस0 डालर दिनांक 29-08-2008 के अवधि के लिए बुक हुआ था और प्रतिवादी सं0-1 इस बात के लिए बाध्य था कि वह एल0सी0 का भुगतान 29-08-2008 तक करता और प्रतिवादी सं0-1 को दें, चूक करने पर यू0एस0 डालर की अदायगी को 15-09-2008 तक एल0सी0 की मूल मेच्योरिटी डेट को बढ़ाना चाहिए था, लेकिन प्रतिवादी सं0-1 ने ऐसा करने से चूक कर दिया। प्रतिवादी सं0-1 के कर्मचारी उक्त गलती को 04-09-2008 को महसूस करने पर उक्त बुकिंग उपरोक्त दिनांक 02-06-2008 को निरस्त कर दिया और पुन: यू0एस0 डालर दिनांक 04-09-2008 को उक्त तिथि के रेट पर बुक कर दिया। यू0एस0 डालर के कीमत का अन्तर 02-06-2008 और रीबुकिंग की तिथि 04-09-2008 का कुल रूपया 55,81,120-00 आता है और बैंक के कर्मचारियों द्वारा रीबुकिंग करते समय उक्त रूपया 55,81,120-00 प्रतिवादी सं;0-1 से वसूल कर ली और यह महसूस कर लिया कि उक्त रकम उनके द्वारा प्रतिवादी सं0-2 को एक महीने के अन्दर वापस किया जायेगा, जब उन्हें डिलेविंग आफिस आई.डी.बी. नई दिल्ली से फारेन कन्साइनमेंट प्राप्त होगा। प्रतिवादी सं0-1 उक्त रकम वादी से वसूल कर लिया। इस प्रकार से वादी प्रतिवादी सं0-2 से रिफन्ड पाने का हकदार है। ट्रॉक्जक्शन प्राप्त होने पर प्रतिवादी सं0-2 और वादी लिखा-पढ़ी प्रतिवादी सं0-1 के पास उक्त् रकम 55,81,120-00 रूपये के रिफन्ड के बावत किये, जो कि वादी से प्रतिवादीसं0-2 के माध्यम से वसूल किया जा चुका था, जो कि यू0एस0 डालर के दामों में अन्दर था, लेकिन इसके बावजूद भी प्रतिवादी सं0-1 के कर्मचारी लिखित आश्वासन के बाद भी भुगतान प्रतिवादी सं-2 को नहीं दिये। प्रतिवादी सं0-एक 55,81,120-00 रूपये की अदायगी वादी को जरिए प्रतिवादी सं0-2 नहीं कर रहा है और उनका यह व्यवहार अवैध है और बैंकिंग प्रैक्टि्स के
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विरूद्ध है और मौजूदा केस में वादी ने यह प्रार्थना किया है कि प्रतिवादी सं0-1 को निर्देशित किया जाय कि वह 69,(67,881-00 रूपये जिसका विवरण वाद पत्र के पैरा सं0-23 व 24 में दिया गया है, उसको अदा करें और प्रतिवादी सं0-1 को यह निर्देश दिया जाय कि वह वाद दौरान व उसकी अदायगी तक 12 प्रतिशत तिमाही रेस्ट उक्त् रकम 69,67,881-00 पर भी दें।
जवाब विपक्षी सं0-2 के तरफ से दाखिल किया गया है, जिसमें कहा गया है कि विपक्षी सं0-2 (Government of India Undertaking) है, जिसकी रजिस्टर्ड आफिस जवाहर व्यापार भवन एनेक्सी-1 टोलस्टाव मार्ग नई दिल्ली है और इसका नोयडा काम्पलेक्स ए-2 सेक्टर2 उद्योग मार्ग गौतम बुद्ध नगर यू0पी0। विपक्षी सं0-2 हैण्डलूम, हैण्डीक्राफ्ट एवं ज्वेलरी आदि का उत्पाद इम्पोर्ट करता है और भारत सकरार द्वारा गोल्ड, सिल्वर, प्लेटिनम को आयात करने हेतु एजेंसी प्राप्त है। परिवादी ने दिनांक 02-06-2009,29-08-2009 के लिए फारेन लेटर आफ क्रेडिट नं0-08420000130108 के लिए बुकिंग किया था। फारेन बैंक की देरी की वजह से मेच्योरिटी पर विपक्षी से एफ0एल0सी0 देरी से खुला और इसलिए एफ0एल0सी0 का भुगतान ड्यू डेट 15-09-2008 हुआ। ड्यू डेट पर विपक्षी सं0-1 उसको याद रखना भूल गया और इस कारण से डालर निरस्त कर दिया गया और दिनांक 04-09-2008 को पुन: बुक कर दिया गया। परिवादीगण ने अन्तर की धनराशिएफ0एल0सी0 को अदायगी के लिए जैसा कि बुकिंग दिनांक 04-09-2008 के लिए किया गया था, उसके लिए जमा कर दिया गया। विपक्षी सं0-2 आज की तिथि तक क्रेडिट प्राप्त नहीं किया। विपक्षी सं0-1 आगरा ब्रान्च ने अपने हेड आफिस को लिखा था, जैसा कि पत्र दिनांक 15-01-2009 से स्पष्ट है। काम के दबाव व स्टाफ की कमी के कारण और आईबीडी विभाग के द्वारा याद न दिलाये जाने और परिवादी द्वारा याद न दिलाये जाने से उन्होंने चूक किया और अपने हेड आफिस को विपक्षी सं0-2 के एकाउन्ट में रकम को क्रेडिट करने के बारे में कहा, जिस पर यह एफएलसी/डालर विपक्षी सं;0-2 के नाम से था, इसलिए परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से कहा है कि वह लीगल केस विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध करें। विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध रकम का 55,81,120-00-00 रूपये के लिए केस दायर करें और इस सम्बन्ध में परिवादी ने एक अण्डर टेकिंग 03-03-2010 दिया कि उन्हें विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध कोई क्लेम करने का अधिकार नही है। क्योंकि फारवर्ड कवर्स उनके द्वारा किया जा रहा है। वादी विपक्षी सं0-2 उनके सभी कर्मचारियों से हर्जाने से बचने के लिए इंडिमनीफाईड कर रखा था, कि यदि कोई केस विपक्षी सं0-1 के तरफ से दायर होता है इसके बाद विपक्षी सं0-2 ने पत्र दिनांक 29-06-2010, 13-07-2010 के द्वारा परिवादी अधिवक्ता के द्वारा सलाह लेकर परिवाद दायर करने के लिए विपक्षी सं0-1 को कहा और उसकी कापी विपक्षी सं0-1 को भेजा। परिवादी ने कोई ड्रा्फ्ट विपक्षी सं0-1 के पास नहीं भेजा। परिवादी ने मौजूदा केस विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध दायर किया है। विपक्षी सं0-2 को प्रोफार्मा पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी सं0-1 के तरफ से अन्य जो जवाब में उन्होंने कहा है उनका जवाब देने की आवश्यकता नहीं है और पेपर उनके पास है, उनको इंकार नहीं किया जाता है।
विपक्षी सं0-1 ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स के तरफ से कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल नहीं किया गया, लेकिन काउन्टर शपथ पत्र दाखिल किया गया है, जो कि दिनंकित 18-01-2012 का
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है, जिसमें कहा गया है कि परिवाद पोषणीय नही है व फर्जी कानून के विरूद्ध और बिना किसी वाद कारण के है और परिवादी को कोई वाद का कारण हासिल नहीं है और परिवादी उपभोक्ता नहीं है। विपक्षी सं0-1 व वादी के बीच कोई संविदा नहीं हुई थी और परिवादी को कोई अधिकार नहीं था कि वह केस दायर करता। विपक्षी सं0-1 के तरफ से कोई सेवाओं में कमी नहीं है और वादी का वाद पोषणीय नहीं है और मौजूदा केस में कामर्शियल ट्रॉक्जक्शन है, जिसमें आयोग को कोई क्षेत्राधिकार परिवाद को सुनने का नही है और मौजूदा केस तकनीकी प्रश्नों साक्ष्यों व एकाउन्ट तथा फारेन एक्सचेंज तथा एफईडीएआई रूल्स को विस्तृत में देखने की आवश्यकता है, इसलिए आयोग का कोई क्षेत्राधिकार नही है और दीवानी न्यायालय को इस केस में सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार है और मौजदा परिवाद फर्जी है, खारिज किया जाय। विपक्षी सं0-2 विपक्षी सं0-1 के साथ वादी के तरफ से काम नहीं करता है। परिवादी और विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध कोई सीधा सम्पर्क नहीं है। विपक्षी सं0-2 विपक्षी सं0-1 के साथ की हैसियत से कार्य करता है, वह वादी के एजेंट के रूप में कार्य नहीं करता है। परिवादी द्वारा स्वीकार किया जा चुका है कि फारेन एक्सचेंज के सम्बन्ध में कॉन्टेक्ट विपक्षी सं0-2 के द्वारा विपक्षी सं0-1 के साथ बुक किया था और वह वादी के तरफ से नहीं बुक किया गया था, इसलिए वादी को कोई वाद का कारण नहीं हासिल है। वाद पत्र के अन्य सारे कथनों को इंकार किया गया है और कहा गया है कि वाद कथन भ्रमित करने के लिए है। कॉन्ट्रेक्ट के कैसिंलेशन के सम्बन्ध में उपभोक्ता के द्वारा लिखित में मैच्योरिटी डेट से पहले ही कैंसिल करने के लिए कहा जायेगा और अधिकृत डीलर रिकवर करेगा। कॉन्ट्रेक्ट डेट और जिस दिन कॉन्ट्रेक्ट कैंसिल किया गया उसके अन्तर के बारे में और यदि कॉन्ट्रेक्ट ड्यू डेट से पहले निरस्त किया गया तो कस्टमर एक्सचेंज के अन्तर का पाने का हकदार नहीं है। परिवादी का केस चलने योग्य नहीं है और बैंक ने एफईडीएआई रूल्स के अनुसार ही कार्य किया है और वादी यह साबित नहीं कर सकता है कि विपक्षी बैंक ने कोई सेवाओं में कमी किया है, इसके विपरीत विपक्षी सं0-2 ने अपनी गलती को स्वीकार किया है, जिसके कारण कॉन्ट्रेक्ट को रद्द किया गया है।
मौजूदा केस में परिवादी के तरफ से काउन्टर शपथ पत्र श्री अशोक कुमार गोयल दिनांकित 03-02-2014 और साथ में संलग्नक-ए पत्र दिनांकित 15-01-2009 जो जनरल मैनेजर नई दिल्ली को ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स के तरफ से भेजा गया है, उसको दाखिल किया गया है। संलग्नक-बी ओ0पी0 चेंस लि0 के डायरेक्टर के द्वारा मैनेजर, ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स संजय पैलेस, आगरा को भेजे गये पत्र की कापी है। संलग्नक-सी स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट है जो एकाउन्ट नं0’08425011000504 दिनांक 12-06-2008 के सम्बन्ध में और यह ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स के खातों के सम्बन्ध में है। वादी के तरफ से अपना शपथ पत्र दिनांक 03-02-2014 के साथ ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स में सीनियर मैनेजर के द्वारा डिप्टी जनरल मैनेजर (ट्रेजरी) हेड आफिस कनाट पैलेस नई दिल्ली को पत्र लिखा है, उसकी कापी दाखिल की गई है और संलग्नक-ए है। इस पत्र को परिवाद के साथ् भी संलग्नक-2 के रूप में लगाया गया है। यह पत्र बहुत महत्वपूर्ण है और इसी पत्र के माध्यम से परिवादी द्वारा यह दिखाने की कोशिश की गई है कि बैंक द्वारा स्वयं स्वीकार किया गया है कि उनके तरफ से
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काम की अधिकता व स्टाफ की कमी और किसी के द्वारा उन्हें ड्यू डेट (नियत तिथि) के बारे में न बताने के कारण चूक हुई है, उक्त पत्र के कुछ लाइन निम्न प्रकार से उदद्धत किया जा रहा है:-
However in the present case we missedthe due date due to pressure of work and shortage of staff and neither IBD nor the party could remind us regarding the due date. Further when we came to know about the mistake on 04/09/2008 we cancelled the forward contract and rebooked it for deliver on 15/09/2008 and on on 15/09/2008 proper delivery was made. As such it is quite evident that the lapse has occurred due to pressure of work and the party did not gain anything out of it and if the difference is not refunded to the party it will loose substantial amount, whereas if the Bank refunds the amount it is not going to loose anything as the amount which bank wil fefund has accumulated to the bank due to this party. Further as already apprehended that if the bank does not refunds the difference amount then we may loose futurebusiness from the party and the quantum of business from this party has already been informed in our earlier letters.
विपक्षी सं0-1 के तरफ से काउन्टर शपथ पत्र दिनांकित 18-01-2012 प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी बैंक के तरफ साक्ष्य के तौर पर शपथ पत्र दिनांकित 22-12-2014 पेश किया गया है, जो कि सुनील सिंह का शपथ पत्र है, जिसमें काउन्टर शपथ पत्र दिनांकित 18-01-2012 का समर्थन किया गया है।
विपक्षी सं0-2 के तरफ से प्रतिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र श्री उज्जलदत्त दिनांकित 29-02-2012 पेश किया गया है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 सिंह एवं विपक्षी सं0-1 के तरफ से विद्वान अधिवक्ता श्री सुभाष गोस्वामी तथा विपक्षी सं0-2 के तरफ से विद्वान अधिवक्ता अमृता स्वरूप की बहस को सुना गया। पत्रावली का भलीभॉति अवलोकन किया गया तथा पक्षकारों के तरफ से दाखिल किये गये लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया।
परिवादी के तरफ से निम्न रूलिंग दाखिल की गई है:-
- iv(20015) CPJ 241 (NC) Deluxe Laminates PVT LT
D 2100 Chah Indara Bhagirath Place New Delhi- 110048 Versus U.P. Financial Corporation Head office at 14/88, Civil Lines, Kanpur. - 1(2007) CPJ 91 (NC) Bihar State Sugar Corp. Ltd. Versus State Bank of India & Ors.
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- 1(2007) CPJ 60 (NC) Allahabad Bank Vs. Ravindra Flour Mills Pvt. Ltd.
वादी के तरफ से यह भी बहस में कहा गया है कि विपक्षी सं0-1 के बीच प्रिंसिपल टू प्रिंसिपल का सम्बन्ध है जो विपक्षी सं0-1 के तरफ से कहा गया है उस सम्बन्ध में मौजूदा केस मे परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 की सेवाएं विपक्षी सं0-2 के द्वारा जो ली गई है, उसमें वादी (Beneficiary) है और वह उपभोक्ता है और अपने पीड़ा को आयोग के समक्ष कह सकता है।
विपक्षी सं0- 1 के तरफ से लिखित बहस दाखिल किया गया है और जिसमें पत्र दिनांकित 19-11-2008 जो कि ब्रान्च मैनेजर ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स संजय पैलेस, आगरा यू0पी0 को हरीश कुमार द्वारा लिखा गया है, उसी का उघरण दिया गया है, जिसमें लिखा गया है कि:-
On the delivery dates. It was neither informed to us that the forward covers are due for payment nor you had made remittance under the FLC by availing overdraft against FDRs. It was also unfortunate that due to oversight, we too did not inform you/give instructions to you for utilization of the forward covers. However, on 04/09/2008 the forward covers for USD 2.852,000/- were cancelled at Rs 44.40 and rebooked at Rs 44.4650 thereby incurring loss of Rs. 0.0650 per USD. We have observed that the difference in the forward cover buy rate as on 21/06/2008 and sell rate as on 04/09/2008 has not been credited to our account till date. Hence we request you to kindly credit the difference. Needless to mention, we have done substantial business with your bank and shall continue to do so in future.
विपक्षी सं0-1 के तरफ से निम्न रूलिंग दाखिल की गई:-
- 2388 (एन.एस.) National Commission & SC on Consumer cases 1986-96 House of Dubary versus Punjab National Bank.
- 2222 (NS) National Commission & SC on Consumer cases 1986-96 R. Sethuraman versus The Manager, Indian Overseas Bank and anpther.
उक्त् रूलिंग का अवलोकन किया गया।
विपक्षी सं0-2 के तरफ से भी लिखित बहस दाखिल किया गया है, जिसमें कहा गया है कि नियत तिथि पर विपक्षी सं0-1 ने भूल किया है और डालर कैंसिल हो गया, जिसको पुन: दिनांक 04-09-2008 को बुक कराना पड़ा और परिवादी ने अन्तर के रकम को एफ एल सी में जमा करने के लिए जैसा कि दिनांक 04-09-2008 को बुकिंग था, उसको देना पड़ा। विपक्षी सं0-2 ने अभी तक क्रेडिट नहीं पाया है यहॉ तक कि विपक्षी सं0-1 आगरा ब्रान्च ने अपने हेड आफिस को पत्र दिनांकित 15-01-2009 लिखा, जिसमें कहा है कि काम की अधिकता और स्टाफ की कमी के कारण और आई बी डी के रिमाण्डर न दिये
-
जाने के कारण और परिवादी द्वारा याद न दिलाये जाने के कारण उससे चूक हुई है और अपने हेड आफिस को प्रार्थना किया है कि विपक्षी सं0-2 के एकाउन्ट में रकम क्रेडिट करें, चूंकि एफ एल सी और डालर विपक्षी सं0-2 के नाम से था और इसलिए वादी ने विपक्षी सं0-2 से यह निवेदन किया है कि वह केस विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध अन्तर की रकम 55,81,120-00 के लिए दायर करें।
परिवादी ने भी अपना लिखित बहस दाखिल किया है और अपने केस का समर्थन भी किया है।
केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम यह पाते हैं कि विपक्षी सं0-2 बैंक के तरफ से चूक हुई है जैसा कि उक्त पत्र में स्वयं स्वीकार किया गया है, जिसका जिक्र उपरोक्त किया जा चुका है। इस हालात में हम यह पाते हैं कि प्रतिवादी सं0-1 द्वारा सेवा में कमी की गई है। हम यह भी पातें हैं कि परिवादी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है और परिवादी डालर के मद में रकम की अदायगी जो परिवादी को देना पड़ा, वह 55,81,120-00-00 था, इसलिए परिवादी उक्त रकम पर उक्त दिनांक 15-09-2008 से 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से अदायगी की तिथि तक ब्याज भी पाने का हकदार है।
परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 परिवादी को मु0 55,81,120-00 रूपये (पचपन लाख इक्यासी हजार एक सौ बीस) रूपये तथा उक्त रकम कटौती किये जाने की तिथि 15-09-2008 से उसकी अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दो माह के अन्दर अदा करें।
उभय पक्ष वाद व्यय अपना-अपना स्वयं वहन करेंगें।
(आर0सी0 चौधरी) ( संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य,
आर.सी.वर्मा, आशु
कोर्ट नं 5