जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-47/2006
विद्यावती राजभर पत्नी स्व0 श्री चिन्ताराम राजभर निवासी अम्बेडकरनगर अकबरपुर वर्तमान निवासी सहादतगंज नीयर रेजीडेन्स आॅफ लल्लू सिंह एक्स इलेक्ट्रिीसिटी मिनिस्टर, सलारपुर फैजाबाद आॅन बिहाफ आफ श्री शिवा कान्त त्रिपाठी पुत्र श्री राम दुलारे त्रिपाठी कादीपुर सुल्तानपुर उ0प्र0 .................परिवादिनी
बनाम
1- दि चेयरपरसन आफ दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड हैविंग इट्स रीजनल आफिस ऐट 43, हजरतगंज लखनऊ-226001
2- दि चेयरपरसन आफ दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड हैविंग इट्स रजिस्टर्ड आफिस, ओरियन्टल हाउस ए-25/27, असफअली रोड, न्यू देलही-110002
3- मैनेजर/चेयरपरसन आफ मोटो सेल्स लिमिटेड इलाहाबाद-वाराणसी रोड फाफामऊ इलाहाबाद।
4- चेयरमैन/मैनेजर/ चेयरपरसन टाटा मोटर्स लिमिटेड इलाहाबाद थ्रू मोटर सेल्स लिमिटेड इलाहाबाद-वाराणसी रोड फाफामऊ इलाहाबाद।
5- श्री अनूप मालवीय डिवीजनल आफिस-2 दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, 53, लीडर रोड, यूनाइटेड टावर इलाहाबाद-211003
...............विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 20.08.2015
निर्णय
उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध वाहन सं0-यू0पी0 44 एच 9484 के दुर्घटनाग्रस्त होने के सम्बन्ध में क्लेम धनराशि दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
( 2 )
संक्षेप में परिवादिनी का परिवाद इस प्रकार है, कि परिवादिनी विद्यावती श्री शिवाकान्त त्रिपाठी की एटार्नी है। वाहन सं0-यू0पी0 44 एच 9484 जिसका चेसिस नं0-446321बी.वी.जेड. 907288, इंजन नं0-483 डी.एल.47बी.वी.जेड.70499, को परिवादिनी एटार्नी होल्डर ने श्री शिवाकान्त के नाम क्रय किया, जिसका बंधक टाटा मोटर लिमिटेड विपक्षी सं0-1,2,5 के यहाॅं है। वाहन सं0-यू0पी0 44 एच 9484 दुर्घटनाग्रस्त हुई। इस सम्बन्ध में विपक्षी से मिले और उक्त वाहन को विपक्षी सं0-3 के यहाॅं मरम्मत हेतु दि0 20.10.2005 को दिया तथा विपक्षी सं0-1,2,5 को इस दुर्घटना के सम्बन्ध में और क्षति के सम्बन्ध में सूचित किया। विपक्षी सं0-1,2,3 तथा 5 इस वाहन को अपने पास रखा तथा इसके मरम्मत के लिए कोई अच्छा प्रयास नहीं किया। विपक्षी सं0-3 ने मरम्मत में मु0 84,126.66 पै0 खर्चा बताया। यह वाहन पूर्ण रूप से बीमित था। विपक्षी सं0-3 विपक्षी सं0-1 व 2 आपस में साज किये थे। विपक्षी सं0-3 ने वाहन के इंजन के मरम्मत से इन्कार किया जबकि वाहन विपक्षी सं0-1 व 2 के यहाॅं बीमित था और बीमित धनराशि देने से इन्कार किया तथा विपक्षी सं0-3 के यहाॅं वाहन तीन माह गलत तरीके से रहा और सर्विस चार्ज भी लिया। विपक्षी सं0-1,2,3 ने यह गलत कृत्य किया है। इस प्रकार विपक्षी सं0-1,2,3,4,5 की सेवा में कमी आयी है और परिवादिनी को मु0 4,00,000=00 का नुकसान हुआ।
विपक्षी सं0-1, 2 तथा 5 ने अपना जवाबदावा प्रेषित किया। अपने जवाबदावे में विपक्षीगण ने कहा है कि वाहन सं0-यू0पी0 44 एच 9484 टाटा सूमो विक्टा दुर्घटनाग्रस्त हुई है और क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण जो क्षति हुई है, उससे सम्बन्धित प्रमाणिक साक्ष्य नहीं दिया गया। इस आधार पर विपक्षी की जिम्मेदारी क्षतिपूर्ति के लिए नहीं बनती है। दुर्घटना की तिथि को वाहन चालक के पास वैध एवं कारगर लाइसेन्स होना चाहिए। लाइसेन्स के साथ बीमा कवर नोट, आर.सी. व गाड़ी का स्टीमेट आदि परिवादी से माॅंगा गया था, परन्तु परिवादी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया और न ही कम्पनी कार्यालय में उपस्थित आया। समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए परिवादी अपना क्लेम जो भी नियमानुसार सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बनता हो आकर कम्पनी कार्यालय से ले जाय, परन्तु इसके बावजूद परिवादी स्वयं नहीं आया और न ही कोई जवाब उक्त सम्बन्ध में दिया। इससे यही प्रतीत होता है कि परिवादी अपने क्लेम का निस्तारण नहीं कराना चाहता था।
मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। वाहन सं0-यू0पी0 44 एच 9484 सूमो विक्टा का मालिक श्री शिवाकान्त है। परिवादिनी विद्यावती श्री शिवाकान्त
( 3 )
की एटार्नी है। सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया है, कि वादी का स्थान एटार्नी नहीं ले सकता है। एटार्नी केवल मुकदमें की पैरवी कर सकता है तथा गवाही भी वादी के स्थान पर नहीं दे सकता। अतिरिक्त गवाह के रूप में गवाही दे सकता है। इस प्रकार परिवादिनी विद्यावती को यह परिवाद योजित करने का अधिकार नहीं है। दूसरा बिन्दु यह है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-11 (1) (क) के अनुसार परिवादी अपना परिवाद उसी जिले के उपभोक्ता फोरम के न्यायालय में कर सकता है जहाॅं पर विपक्षीगण का निवास हो। जनपद फैजाबाद में विपक्षीगण 1 लगायत 5 जो इस परिवाद में ह,ै उनका निवास नहीं है। इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद संधारण योग्य नहीं है और परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 20.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष