राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-993/2018
(जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-396/2017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 19-01-2018 के विरूद्ध)
1. एक्जक्यूटिव इंजीनियर, विद्युत वितरण खण्ड, औरैया।
2. तहसीलदार औरैया।
3. कलैक्शन अमीन सम्बद्ध मोहल्ला बघा कटरा, शहर औरैया।
4. स्टेट आफ यू0पी0 द्वारा जिला मैजिस्ट्रेट औरैया।
...........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
ओमजी दीक्षित पुत्र श्री दीन दयाल, निवासी मोहल्ला बघा कटरा, शहर, औरैया।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 31-07-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-396/2017 ओमजी दीक्षित बनाम अधिशासी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व तीन अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 19-01-2018 के विरूद्ध योजित अपील पर बल देने के लिए कोई उपस्थित नहीं है।
विद्वान जिला आयोग द्वारा निम्नलिखित आदेश पारित किया गया :-
'' परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। उन्हें आदेशित किया जाता है कि 68,350/- रू0 विद्युत बिल न तो कभी परिवादी से वसूलें और न
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वसूली करायें, विपक्षी संख्या एक को आदेशित किया जाता है कि मीटर रीडिंग अथवा वास्तविक उपभोग अथवा शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम मासिक विद्युत दरों पर विद्युत बिल की गणना करते हुए बिना किसी दण्ड ब्याज अधिभार और विलम्ब शुल्क के निर्णय के एक माह में संशोधित विद्युत बिल जारी करें तथा 2000/- रू0 मानसिक कष्ट और 1,000/- रू0 खर्चा मुकदामा परिवादी के पक्ष में समायोजित करें। ''
पीठ द्वारा स्वयं पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र के तथ्यों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी, विपक्षी विद्युत विभाग का उपभोक्ता है। विपक्षी विद्युत विभाग के विरूद्ध केवल यह आरोप लगाया गया है कि नियमित रूप से विद्युत बिल जारी नहीं किए गए, जबकि विपक्षी विद्युत विभाग 30 दिन की निर्धारित अवधि में समयबद्ध रीति से मीटर रीडिंग लेकर उसके आधार पर बिल जारी करने हेतु उत्तरदायी है।
विद्वान जिला आयोग ने यह पाते हुए कि एक साथ लम्बी अवधि का विद्युत बिल जारी होने से उसमें सरचार्ज, अधिभार, दण्ड ब्याज व विलम्ब शुल्क का सम्मिलित होना स्वाभाविक है, जिसके भुगतान के लिए परिवादी उत्तरदायी नहीं है। इसी आधार पर विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया।
शासन के निर्देशानुसार प्रतिमाह बिल उपलब्ध क्यों नहीं कराये गये, इसका कोई उत्तर विपक्षी विद्युत विभाग ने नहीं दिया, इसलिए विद्वान जिला आयोग ने दण्ड ब्याज, अधिभार और विलम्ब शुल्क को काटते हुए नया बिल जारी करने का आदेश पारित किया है। विद्वान जिला आयोग के इस आदेश में किसी प्रकार की अवैधानिकता नहीं है, क्योंकि विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा समय पर विद्युत बिल जारी नहीं किये गये।
अत: उपरोक्त समस्त तथ्य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश में किसी प्रकार
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के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और वर्तमान अपील तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-396/2017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 19-01-2018 की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित कर दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 31-07-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-3.