Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/106

Jitendra Pandey - Complainant(s)

Versus

Omaxe Ltd - Opp.Party(s)

Vijay Pratap Singh Chauhan

23 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/106
( Date of Filing : 04 Sep 2012 )
 
1. Jitendra Pandey
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Omaxe Ltd
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Jul 2024
Final Order / Judgement

                                               (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-106/2012

जितेन्‍द्र पाण्‍डेय पुत्र विश्‍वनाथ पाण्‍डेय, निवासी ए-108 केशव विहार कल्‍याणपुर लखनऊ, एड्रेस फॉर करेस्‍पांडेंस 1/95 विजय खण्‍ड गोमती नगर, लखनऊ।

                   परिवादी

बनाम

ओमेक्‍स लिमिटेड, रजिस्‍टर्ड आफिस एट 7 लोकल शॉपिंग सेन्‍टर कलकाजी न्‍यू दिल्‍ली 110019 एवं रिजनल आफिस सत्‍य बिजनेस पार्क, द्वितीय तल, 1 नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ।

        विपक्षी

समक्ष:-                         

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित             : कनिष्‍ठ अधिवक्‍ता श्री

                                                        परवेज अहमद।

विपक्षी की ओर से उपस्थित          : श्री सर्वेश कुमार गुप्‍ता।

दिनांक:  23.07.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.        यह परिवाद, विपक्षी भवन निर्माता कंपनी के विरूद्ध फ्लैट संख्‍या-904 सनसाइन-ए टावर के आवंटन के निरस्‍तीकरण को आधार भूत कीमत अंकन 23,56,250/-रू0 पर बहाल करने, अंकन 9,87,896/-रू0 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित वापस करने, अंकन 5,00,000/-रू0 मानसिक प्रताड़ना की मद में प्राप्‍त करने और परिवाद व्‍यय प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.        परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी भारत से बाहर रहता है, इसलिए यह परिवाद अपने स्‍वसुर श्री राधे श्‍याम मिश्रा के माध्‍यम से प्रस्‍तुत किया जा रहा है। विपक्षी द्वारा गोमती नगर एक्‍सटेंशन में ओमेक्‍स रेजीडेंसी की योजना प्रारम्‍भ की गई और परिवादी को वर्ष 2010 में फ्लैट संख्‍या-904 सनसाइन-ए टावर में आवंटित किया गया। आवंटन पत्र अनेक्‍जर सं0-3 है। परिवादी द्वारा इंस्‍टालमेंट वाली योजना को ग्रहण किया गया और सभी भुगतान नियमित रूप से किए गए और चूंकि परिवादी मसकट में रहता है, इसलिए विपक्षी से ई-मेल के माध्‍यम से सूचना देने का अनुरोध किया गया। परिवादी को कभी भी कोई नकारात्‍मक सूचना प्राप्‍त नहीं हुई। दिनांक 10.02.2012 को श्री मनीश के. राय का ई-मेल प्राप्‍त हुआ, जिसमें अंकन 9,54,729/-रू0 की मांग की गई। परिवादी को जुलाई माह में लखनऊ आना था, इसलिए जुलाई माह तक के समय की मांग की गई और एक्सिस बैंक से लोन के लिए आवेदन प्रस्‍तुत किया, जो दिनांक 6.5.2012 को स्‍वीकृत हुआ और पक्षकारों के मध्‍य त्रिपक्षीय करार निष्‍पादित हुआ, इसके बाद जब परिवादी जुलाई माह में विपक्षी के कार्यालय में गया तब ज्ञात हुआ कि उसका आवंटन निरस्‍त कर दिया गया है। आवंटन को पुन: बहाल करने के लिए अंकन 5,00,000/-रू0 की मांग की गई, जबकि मौके पर कोई भवन तैयार नहीं हैं और विपक्षी कब्‍जा प्रदान करने की स्थिति में नहीं है। विपक्षी द्वारा अपने स्‍तर से देरी की गई है, इसलिए उन्‍हें आवंटन रद्द करने का अधिकार नहीं है।

3.        परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों को शपथ पत्र द्वारा साबित किया गया है तथा अनेक्‍जर 1 लगायत 6 दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में प्रस्‍तुत किए गए हैं।

4.        विपक्षी की ओर से यह आपत्ति की गई है कि शिकायतकर्ता द्वारा अंकन 9,87,896/-रू0 का भुगतान किया गया है और उसके बाद भुगतान नहीं किया गया है, इसलिए मजबूरीवश आवंटन रद्द किया गया। यह भी कथन किया गया कि मात्र 9,87,896/-रू0 का विवाद है, इसलिए इस आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। इस फ्लैट का आधार मूल्‍य अंकन 23,56,250/-रू0 था, जबकि परिवादी द्वारा केवल 9,87,896/-रू0 का भुगतान किया गया है। चूंकि शिकायतकर्ता ने स्‍वंय ही भुगतान नहीं किया है, इसलिए वह वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है।

5.        लिखित कथन के तथ्‍यों को शपथ पत्र द्वारा साबित किया गया है तथा आवंटन पत्र, निरस्‍तीकरण पत्र एवं भुगतान योजना दर्शित करने वाले पत्र की प्रति प्रस्‍तुत की गई है।

6.        उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।

7.        पक्षकारों के अभिवचनों के अवलोकन के पश्‍चात यह स्थिति स्‍पष्‍ट हो जाती है कि परिवादी द्वारा फ्लैट का मूल्‍य किस्‍त योजना के अनुसार समय पर अदा नहीं किया गया। परिवादी द्वारा प्रथम फ्लोर की कास्टिंग तक भुगतान किया गया, इस तिथि तक भी परिवादी पर अंकन 42,509/-रू0 योजना के अनुसार बकाया थे, जैसा कि संलग्‍न दस्‍तावेजों के अवलोकन से जाहिर होता है। इस राशि का भुगतान सितम्‍बर 2011 तक किया गया है। सितम्‍बर 2011 के पश्‍चात अवशेष राशि का भुगतान नहीं किया गया। दिनांक 3.4.2012 को इस तिथि तक देय राशि 86,824/-रू0 की वसूली का पत्र लिखा गया, इसके पश्‍चात दिनांक 16.5.2012 को यह उल्‍लेख किया गया कि आपके द्वारा केवल रू0 9,87,896.41 पैसे का भुगतान किया गया है और आपने निर्माण युक्‍त योजना का चयन किया है। दूरभाष पर की गई वार्ता तथा पत्राचार के बावजूद कोई धनराशि प्राप्‍त नहीं हुई है, इस पत्र में यह उल्‍लेख नहीं है कि भवन निर्माता द्वारा किस फ्लोर तक फ्लैट का निर्माण करा दिया गया है। परिवादी द्वारा रू0 1,34,208.91 पैसे दिनांक 25.09.2011 तक जमा कराए गए हैं और निर्माण की विस्‍तृत सूचना न दिए जाने के बावजूद दिनांक 16.9.2012 को आवंटन रद्द करने का आदेश अवैध है। इस पत्र में दूरभाष पर वार्ता करने तथा पत्राचार करने का कथन है, परन्‍तु किसी भी दूरभाष नम्‍बर का उल्‍लेख नहीं किया है कि किस पर वार्ता की गई है और न ही ऐसे किसी पत्राचार की प्रति लगायी है, जो परिवादी को प्रेषित की गई है और न डाक रसीद की प्रति लगायी गयी है, इसलिए केवल उल्‍लेख करने मात्र से आवंटन को रद्द करने का आधार पर्याप्‍त नहीं है। आवंटन को रद्द करने से पूर्व वैधानिक सूचना दिया जाना आज्ञात्‍मक है। सूचना के अभाव में आवंटन रद्द करना भवन निर्माता कंपनी के मनमाने आचरण को जाहिर करता है, इसलिए परिवादी इस अनुतोष को प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है कि उसके पक्ष में जो फ्लैट आंवटित किया गया है, उसे बहाल किया जाए।

8.        विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से बहस की गई है कि इस आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है, परन्‍तु चूंकि भवन का आधार भूत मूल्‍य अंकन 23 लाख रूपये अधिक है, इसलिए तत्‍समय इस आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त था। परिवादी द्वारा जमा की गई राशि पर नहीं, अपितु भवन के मूल्‍य के आधार पर क्षेत्राधिकार सुनिश्चित किया जाता है। अत: क्षेत्राधिकार संबंधी आपत्ति निरस्‍त की जाती है।

9.        परिवादी की ओर से मानसिक प्रताड़ना की मद में भी अंकन 5,00,000/-रू0 की मांग की गई है, परन्‍तु इस मद में कोई राशि देने का कोई औचित्‍य नहीं बनता। अत: परिवादी इस मद में किसी प्रकार की राशि प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है। इस अवसर पर यह उल्‍लेख भी समीचीन होगा कि चूंकि भवन निर्माता कंपनी द्वारा निर्माण से संबंधी सूचना उपलब्‍ध नहीं कराई गई है, इसलिए परिवादी को निर्माण संबंधी सूचना उपलब्‍ध कराते हुए विपक्षी द्वारा एक नयी धनराशि जमा योजना का पत्र तैयार किया जा कर परिवादी को उपलब्‍ध कराया जाएगा तथा इसी प्रकार ओ.सी. एवं सी.सी. भी उपलब्‍ध कराया जाएगा। यह दोनों प्रमाण पत्र प्राप्‍त होने पर परिवादी द्वारा समस्‍त अवशेष राशि का भुगतान पत्र प्रा‍प्‍त होने के तीन माह के अन्‍दर किया जाएगा और यदि निर्माण के अनुसार देय राशि बकाया हो चुकी है तब इस राशि पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज की दर से ब्‍याज भी भवन निर्माता कंपनी को दिया जाएगा। तदनुसार प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

10.(क)    प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी के पक्ष में आवंटित फ्लैट संख्‍या-904 का आवंटन पुन: बहाल करे तथा परिवादी को ओ.सी. एवं सी.सी. प्रमाण पत्र के साथ समस्‍त बकाया राशि की वसूली का पत्र उपरोक्‍त निर्णय/आदेश के अनुसार प्रेषित किया जाए।

(ख)       अवशेष राशि की अदायगी का पत्र प्राप्‍त होने के पश्‍चात परिवादी द्वारा तीन माह के अन्‍दर समस्‍त राशि की अदायगी की जाएगी तथा निर्माण योजना के अनुसार निर्माण की अवधि पूरी होने तक जो किस्‍तें बकाया हैं, उस पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज भी भवन निर्माता कंपनी को अदा किया जाएगा।

(ग)       पक्षकार अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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