Uttar Pradesh

StateCommission

A/1768/2017

Manager Kumar Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Om Veer Singh - Opp.Party(s)

V P Sharma

22 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1768/2017
( Date of Filing : 28 Sep 2017 )
(Arisen out of Order Dated 22/08/2017 in Case No. C/160/2012 of District Bulandshahr)
 
1. Manager Kumar Cold Storage
Jahangirabad Kasba Jahangirabad Distt. Bulandshahr
...........Appellant(s)
Versus
1. Om Veer Singh
S/O Sri Sardar Singh R/O Vill. Khadana P.O. Khaas Distt. Bulandshahr
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Aug 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                   अपील सं0 :- 1768/2017

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद सं0- 160/2012 में     पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22/08/2017 के विरूद्ध)

 

Manager Kumar Cold Storage, Jahangirabad, Kasba-Jahangirabad, District-Bulandshahr.

  •  
  •  

Omveer Singh Son of Sri Sardar Singh, Resident of Village-Khadana, P.O. Khaas, District-Bulandshahr.

                                                                         ……………Respondent  

समक्ष

  1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना,  सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-श्री वी0पी0 शर्मा

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री आर0के0 गुप्‍ता

दिनांक:-13.09.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

 

  1.                जिला उपभोक्‍ता आयोग, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद सं0- 160/2012 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22/08/2017 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  2.                            परिवादी के कथनानुसार उसने अपीलार्थी कोल्‍ड स्‍टोरेज में मार्च 2012 में 218 बोरी आलू बीज रखा था। दिनांक 16.10.2012 को जब वह अपना आलू लेने गया तो उसका आलू सड़ चुका था जिसमें से बदबू आ रही थी। उस समय उसकी कीमत 600/- रू0 प्रति बोरी थी। आलू बोने के लिए उसकी 50 बीघा जमीन तैयार थी लेकिन बीज खराब होने के कारण उसमें फसल नहीं उगा सका। जिसमें उसका 1,30,000/- रू0 खर्च हुआ था। विपक्षी की लापरवाही के कारण परिवादी को 2,60,800/- रू0 का नुकसान हुआ। इस संबंध में परिवादी ने 30.10.2012 को नोटिस भी भेजी, किन्‍तु विपक्षी ने इसका कोई उत्‍तर नहीं दिया और न ही क्षतिपूर्ति की राशि अदा की। तब विवश होकर परिवाद दायर किया गया।
  3.           विपक्षी ने जिला मंच के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया, जिसमें परिवाद पत्र के कथनों को अस्‍वीकार करते हुए कहा कि परिवाद चलने योग्‍य नहीं है क्‍योंकि परिवादी उपभोक्‍ता की परिभाषा में नहीं आता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कोई आलू विपक्षी के यहां भण्‍डारित नहीं किया था बल्कि आलू अजब सिंह ने भण्‍डारित किया था जिसे वह कई तिथियों में विपक्षी के गेट पास के द्वारा हस्‍ताक्षर करके ले गया। परिवादी का कोई नोटिस विपक्षी को प्राप्‍त नहीं हुआ। परिवादी का आलू सड़ गया था तो उसे वापस क्‍यों लिया और उसकी जिला कृषि अधिकारी से शिकायत क्‍यों नहीं की और उसका परीक्षण क्‍यों नहीं कराया। परिवाद सव्‍यय खण्डित होने योग्‍य है।
  4.           दोनों पक्षों की बहस सुनने एवं साक्ष्‍यों का अवलोकन करने के उपरान्‍त जिला मंच ने निम्‍नि‍लखित आदेश पारित किया:-

          ‘’परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह 45 दिन के अंदर परिवादी को उसके आलू की कीमत के मद में 1,09,000/- रू0 अदा करे अन्‍यथा विपक्षी उक्‍त धनराशि पर परिवाद दायर करने की तिथि से तारीख भुगतान तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी परिवादी को अदा करने के लिए उत्‍तरदायी होगा। परिवादी विपक्षी से मु0 2,000/- रू0 मानसिक क्षतिपूर्ति ओर 1,000/- रू0 वाद व्‍यय भी पाने का अधिकारी होगा।‘’  

  1.           अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिया गया है कि विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने मनमाने तौर पर परिकल्‍पना के आधार पर परिवाद आज्ञप्‍त किया है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने विपक्षी अपीलकर्ता के द्वारा प्रस्‍तुत वादोत्‍तर को अपने निष्‍कर्ष में नहीं लिया है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि प्रत्‍यर्थी व अपीलकर्ता में सेवा प्रदाता एवं उपभोक्‍ता का संबंध नहीं है क्‍योंकि प्रश्‍नगत आलु अजब सिंह नामक व्‍यक्ति द्वारा रखे गये थे और ले जाये गये थे क्‍योंकि प्रस्‍तुत की गयी रसीदों पर अजब सिंह के जो हस्‍ताक्षर हैं इस आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत होना चाहिए था। अपीलकर्ता द्वारा प्रस्‍तुत किये गये शपथ पत्र से स्‍पष्‍ट होता है कि प्रश्‍नगत आलू अजब सिंह ने ही कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे थे। अभिलेख पर इस प्रकार का कोई साक्ष्‍य नहीं है कि परिवादी की ओर से जो आलू रखे गये थे। वह सड़ गये थे, इसके अतिरिक्‍त आलुओं का दाम जो विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने 500 रूपये प्रति बोरा निर्धारित किया है व भी बिना किसी साक्ष्‍य के विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने यह बिन्‍दु भी निर्धारित नहीं किया है जो आलू अजब सिंह ने रखे थे, उनको रखने का किराया भी अदा किया जाना था। इन आधारों पर अपील स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
  2.           अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री वी0पी0 शर्मा एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री आर0के0गुप्‍ता को विस्‍तृत रूप से सुना गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त साक्ष्‍य का अवलोकन किया गया। तत्‍पश्‍चात पीठ के निष्‍कर्ष निम्‍नलिखित प्रकार से हैं:-
  3.                         अपीलकर्ता का कथन है कि परिवाद की प्रक्रिया के दौरान वादोत्‍तर में तथा मेमो ऑफ अपील में यह आया है कि अपीलकर्ता के कोल्‍ड स्‍टोरेज में आलू का भण्‍डारण परिवादी ओमवीर सिंह ने न करके एक व्‍यक्ति अजब सिंह ने किया था और उक्‍त अजब सिंह ने ही आलू की निकासी कर ली थी, जिसके संबंध में गेट पास अपीलार्थी की ओर से दाखिल किये गये हैं। इस संबंध में विद्धान जिला फोरम का यह निर्णय आया है कि परिवादी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में जिनकी आमद में आलू का भण्‍डारण संबंधित रजिस्‍टर्ड की प्रतियां प्रस्‍तुत की गयी हैं, उनमें भण्‍डारण करने वाले किसान/व्‍यक्ति का नाम ओमवीर सिंह दर्ज है, जिसमें विभिन्‍न तिथियों पर ओमवीर सिंह पुत्र सरदार सिंह द्वारा आलू का निस्‍तारण किये जाना का अंकन है।
  4.         विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने संबंधित गेट पास का विवेचन करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया है कि इन गेट पासों के अवलोकन से       स्‍पष्‍ट होता है कि इन गेट पासों को अजब सिंह के शपथ पत्र प्रस्‍तुत करने के बाद तैयार किया गया है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम के अनुसार अजब सिंह परिवादी के पक्ष में अपना शपथ पत्र दिया है तथा विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने यह पाया कि गेट पास सं0 1843 दिनांक 11.11.2012 की है जबकि इसके पूर्व की सं0 1797 का गेट पास से दिनांक 22.11.2012 की है, जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि गेट पास बाद मे तैयार किया गया है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने गेट पासों को पोषणीय नहीं माना। दूसरी ओर विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा यह भी निष्‍कर्ष दिया गया है कि विपक्षी ने यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि कितने कट्टे अजब सिंह ने उसके कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे थे और कितने कट्टों की निकासी की है। अत: इन परिस्थितियों में अपीलकर्ता का पक्ष पोषणीय प्रतीत नहीं होता है, जबकि स्‍वयं विपक्षी के दस्‍तावेजों से जिन्‍हें परिवादी ने विचारण के दौरान प्रस्‍तुत किया है उनके अवलोकन से पुत्र सरदार सिंह द्वारा अपीलकर्ता को कोल्‍ड स्‍टोरेज, जहांगीराबाद बुलंदशहर में आलू के भण्‍डारण किया जाना पुष्‍ट होता है। इसके अतिरिक्‍त परिवादी द्वारा आलू की निकासी को भी अपीलकर्ता द्वारा पुष्‍ट नहीं किया गया है। अत: परिवादी का यह अभिकथन साबित मानना उचित है कि परिवादी द्वारा 218 बोरे आलू रखा गया है।
  5.          इस चरण पर अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा इस तथ्‍य को सिद्ध किया गया है कि उसने 218 आलू के कट्टे विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे थे। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह भी कथन है कि आलू प्रति कट्टा 50 किलोग्राम था। इस संबंध में वेबसाइट bis.gov.in जो कि भारतीय मानक ब्‍यूरो की वेबसाइट है, में यह प्रदान किया गया है कि सामान्‍य तौर पर अनाज एवं आलू के बोरे 50 किलो धारण करने की क्षमता रखते हैं। इसी प्रकार वेबसाइट Wikipedia.org में अंकित है कि ‘’ A grain sack holds approximately 50 kg of potatoes’’ इस प्रकार उक्‍त पुन: वेबसाइट में यह प्रदान किया गया है कि साधारणत: बोरे की धारण क्षमता 50 किलो ही है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह तर्क उचित है कि प्रत्‍येक बोरे 50 किलो का था।
  6.            उभय पक्ष के मध्‍य वर्ष 2012 में आलूओं के दर के संबंध में भी विवाद है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने वर्ष 2012 में आलू की कीमत 600 रूपये प्रति बोरा दर्शाया है और 1,30,800/- की मांग की। यद्यपि परिवादी की ओर से आलू की दर के संबंध में कोई साक्ष्‍य नहीं दिया गया है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने स्‍वयं के विवेचनाधिकार से एक अनुमानित मूल्‍य रूपये 500 प्रति बोरी मानकर के वाद आज्ञप्‍त किया है, किन्‍तु इस संबंध में वेबसाइट Times of India. Indiatimes.com/Articleshow के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि वर्ष 2012 में समाचार पत्र Times of India के वेबसाइट पर वर्ष 2012 में आलू का मूल्‍य रूपये 10.25 से लेकर 12 रूपये प्रति किलो दर्शाया है, जो आलू की गुणवत्‍ता के ऊपर आधारित होगा। इस प्रकार आलू की कीमत 512/- रू0 प्रति बोरी होना परिलक्षित होता है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने रूपये 500/- प्रति बोरी ही आलू का दाम वर्ष 2012 में दर्शाया है, जो उचित प्रतीत होता है। अत: निर्णय में उक्‍त धनराशि भी उचित दिलवायी गयी है, क्षतिपूर्ति भी उचित है। अत: सम्‍पूर्ण निर्णय न्‍यायपूर्ण एवं उचित प्रतीत होता है, इसमें अपील के स्‍तर पर हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

                                  आदेश

              अपील निरस्‍त की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।

               धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मु0 25,000/- रू0 मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।                

                   उभय पक्ष वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

                            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

  

(विकास सक्‍सेना)(राजेन्‍द्र सिंह)

  •  

 

 निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया।    

 

     (विकास सक्‍सेना)                         (राजेन्‍द्र सिंह)

  •  

 

      संदीप आशु0 कोर्ट नं0 2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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