राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-123/2003
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिकसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन
2 उ0प्र0 स्टेट इलेक्ट्रिकसिटी बोर्ड, लाल डिग्गी अलीगढ़।
.....अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
ओम प्रकाश पुत्र श्री रतनलाल निवासी हसौना जगमोहनपुर ब्लाक
अकरावाद तहसील कोल, पी.एस. गंगीरी जिला अलीगढ़।
.......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 14.02.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 34/2001 ओमप्रकाश बनाम अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 30.07.2002 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। परिवाद स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा निर्देशित किया गया है कि परिवादी द्वारा जमा की गई राशि रू. 9335/- का भुगतान 30 दिन के अंदर किया जाए। इसके पश्चात इस राशि पर 8 प्रतिशत वार्षिक दण्डनीय ब्याज देय होगा। मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन रू. 50000/- अदा करने का भी आदेश दिया गया है, जिसमें अंकन रू. 25000/- भूपसिंह बघेल जूनियर इंजीनियर के वेतन से तथा शेष राशि तत्कालीन अभियंता व एस.डी.ओ. के वेतन से संभाग में काटने का आदेश दिया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने आटा चक्की चलाने के लिए कनेक्शन लेने हेतु कुल रू. 9335/- जमा किया, परन्तु
-2-
कनेक्शन जारी नहीं किया गया, लाइन नहीं खींची गई, जिसके कारण आर्थिक स्थिति खराब हो गई। परिवादी द्वारा जमा राशि भी वापस नहीं लौटाई गई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. लिखित कथन में उल्लेख किया गया है कि विद्युत विभाग ने रिफंड का आदेश दि. 05.04.99 को कर दिया है। परिवादी फार्म नं0 28 भरकर औपचारिकताएं पूरी कर सकते हैं और भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। परिवादी ने अनावश्यक रूप से परिवाद प्रस्तुत किया है।
4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि विद्युत विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण परिवादी के विद्युत कनेक्शन की लाइन नहीं खींची गई, जिसके कारण उसे मानसिक/आर्थिक कष्ट उठाना पड़ा तथा उसके द्वारा जमा राशि वापस नहीं की गई। इस आधार पर भी आर्थिक क्षति कारित हुई। तदनुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय व आदेश पारित किया गया।
5. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने अवैध, अनुचित, मनमाना निष्कर्ष विहीन निर्णय पारित किया है। स्वयं परिवादी ने विद्युत कनेक्शन को रद्द करने का अनुरोध किया था। उसने सितम्बर 1996 में यह आवेदन दिया। आवेदन की प्रति एनेक्सर 02 के रूप में संलग्न की गई है, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच ने गलत साक्ष्य पर निर्णय आधारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है।
6. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क के पश्चात यह स्थिति स्पष्ट होती है कि परिवादी द्वारा अंकन रू. 9335/- जमा किए गए और परिवाद
-3-
प्रस्तुत करने की तिथि तक भी यह राशि परिवादी को वापस नहीं लौटाई गई, साथ ही एनेक्सर- 2 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी ने एक पत्र अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड अलीगढ़ को प्रस्तुत किया है, जिसमें उसके द्वारा जमा राशि की वापसी की मांग की गई है, इसलिए आर्थिक एवं मानसिक प्रताड़ना के मद में क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश देना विधिसम्मत नहीं है, परन्तु चूंकि परिवादी द्वारा जमा राशि वापस नहीं कराई गई है, अत: इस राशि के संबंध में पारित निर्णय विधिसम्मत है।
आदेश
8. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन रू. 50000/- हेतु पारित आदेश अपास्त किया जाता है तथा शेष निर्णय पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2