Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/779

Maruti Udhyog Ltd - Complainant(s)

Versus

Om Prakash - Opp.Party(s)

Anil Kumar

11 Oct 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/779
( Date of Filing : 28 Mar 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Maruti Udhyog Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Om Prakash
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Oct 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-७७९/२००६

(जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली परिवाद सं0-३१४/२००० में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २२-०२-२००६ के विरूद्ध)

मै0 मारूति उद्योग लिमिटेड, ग्‍यारहवॉं तल, जीवन प्रकाश, २५, कस्‍तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्‍ली-११०००१.                                             ...........अपीलार्थी/विपक्षी।  

बनाम

१. श्री ओम प्रकाश पुत्र श्री ठाकुर सिंह निवासी २५११/१, पी0डब्‍ल्‍यू0डी0 कालोनी, राजेन्‍द्र नगर, बरेली (यू0पी0)।                                              ...........प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

२. मै0 विकास मोटर्स लि0, १३०६-ए, बवेरली पार्क-२, डी0एल0एफ0, फेस-२, गुड़गॉंव।

३. यूको बैंक, नेनीताल रोड, थाना कोतवाली, जिला बरेली द्वारा सीनियर मैनेजर।

                                                     ...........प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

२-  मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री अंकित श्रीवास्‍तव विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-१ की ओर से उपस्थित : श्री ओ0पी0 दुवेल विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-२ व ३ की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक :- २७-१०-२०२१.

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्‍तर्गत जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली परिवाद सं0-३१४/२००० में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २२-०२-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि अपीलार्थी मारूति वाहनों का निर्माण करती है और यह वाहन अपने अधिकृत डीलर के माध्‍यम से बेचती है। अपीलार्थी और प्रत्‍यर्थी सं0-२ का सम्‍बन्‍ध प्रिंसिपल से प्रिंसिपल है। अपीलार्थी वाहनों को बेचती है और उस पर सी0एस0टी0 शुल्‍क तथा अन्‍य लागू शुल्‍क लेती है। अपीलार्थी और डीलर के बीच का सम्‍बन्‍ध पूरा हो जाता है जब वाहन डीलर के ट्रान्‍सपोर्टर को दे दिया जाता है और फिर डीलर इसे अपने ग्राहकों को वांछित शुल्‍क लेकर विक्रय करता है और डीलर अपना इन्‍वॉइस तथा सेल्‍स सर्टिफिकेट ग्राहकों को देता है।

 

-२-

प्रत्‍यर्थी सं0-१ ने परिवाद सं0-३१४/२००० विद्वान जिला फोरम (द्वितीय), बरेली के यहॉं प्रस्‍तुत किया। परिवादी का संक्षेप में कथन है, ‘’ परिवादी ने यूको बैंक से ऋण लेकर टैक्‍सी कोटे में अपना निजी उपयोग हेतु अंकन 1,16,872/- रूपये में स्‍थानीय डीलर विकास मोटर्स लि0 1306-ए 9 बरेली पार्क 11 डीएलएफ फेज ।।, गुड़गांव से खरीदी थी विपक्षी नं0 2 इसकी निर्माता कम्‍पनी है तथा विपक्षी नं0 3 वित्‍त पोषक बैंक है। नियमानुसार अंकन 14442.50 रूपये की धनराशि एक्‍साइज ड्यूटी के संदर्भ में उक्‍त क्रय धान में से परिवादी को विपक्षी नं0 1 व 2 द्वारा वापिस कर देनी चाहिए थी लेकिन यह धनराशि वापिस नहीं की जिसकी प्राप्ति हेतु पत्राचार किया तथा नोटिस दिया लेकिन प्रयास प्रभावहीन रहे। परिवादी विपक्षीगण 1 व 2 के आश्‍वासन व पत्राचार पर विश्‍वास करता रहा परन्‍तु दि0 02.12.2004 को अंतिम रूप से मना करने पर देर क्षमा का प्रार्थनापत्र सहित परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

      विपक्षी नं0 2 मारूति उद्योग लि0 की ओर से उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया गया, परिवादी को उक्‍त वाहन टैक्‍सी कोटे में बेचा जाना स्‍वीकार है, प्रस्‍तुत प्रकरण में एक्‍साइज डियूटी रिफंड की संस्‍तुति विपक्षी सं0 2 ने आबकारी विभाग से की थी परन्‍तु उन्‍होंने परिवादी का दावा खारिज कर दिया तो विपक्षी उत्‍तरदाता ने अपनी ओर से रिट याचिका प्रस्‍तुत कर रखी है जो लम्बित है। चूंकि एक्‍साइज डियूटी की धनराशि विपक्षी उत्‍तरदाता को आबकारी विभाग से रिफंड नहीं हुई इसलिए उसने परिवादी को भुगतान की जिम्‍मेदारी उत्‍तरदाता विपक्षी सं0 2 की नहीं है। इसके अतिरिक्‍त परिवादी उपभोक्‍ता नहीं है। परिवाद कालबाधित है। परिवाद में कुसंयोजन और असंयोजन का दोष है, विवाद इस फोरम के क्षेत्राधिकार में भी नहीं है।

      शेष विपक्षीगण द्वारा कोई उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया। उनके विरूद्ध सुनवाई एक पक्षीय पूर्ण की गयी। ‘’ 

परिवादी ने मारूति वैन टैक्‍सी में प्रयोग करने के लिए खरीदी थी इसलिए वह एक्‍साइज डयूटी वापस पाने का अधिकारी है। वाहन दिल्‍ली से खरीदा गया था। एक्‍साइज डयूटी भारत सरकार द्वारा ली जाती है और कमिश्‍नर सेण्‍ट्रल एक्‍साइज आवश्‍यक पक्षकार है। यदि परिवादी को एक्‍साइज डयूटी वापस लेनी थी तो उन्‍हें पक्षकार बनाना चाहिए था। मामला भारत सरकार के एक्‍साइज विभाग से सम्‍बन्धित है और उसके लिए अपीलार्थी को दोषी नहीं ठहराया जा

 

-३-

सकता। विद्वान जिला फोरम का निर्णय विधि विरूद्ध और क्षेत्राधिकार से परे है। अत: निवेदन है कि प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त करते हुए वर्तमान अपील स्‍वीकार की जाए।

हमने उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया।

हमने प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया। विद्वान जिला फोरम ने प्रश्‍नगत आदेश में लिखा है, ‘’ परिवादी विपक्षी नं0-3 यूको बैंक के विरूद्ध खारिज किया जाता है परन्तु परिवादी विपक्षी सं0-1 विकास मोटर लि0 तथा विपक्षी नं0-2 मारूति उद्योग लि‍0 के विरूद्ध डिग्री किया जाता है। इन दोनों विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि प्रश्‍नगत एक्‍साइज ड्यूटी की धनराशि अंकन 14,342.50 रूपये का भुगतान आज से एक माह में कर दें जिस पर परिवाद की तिथि 10.12.2004 से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत की वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देय होगा। परिवादी उक्‍त दोनों विपक्षीगण 1 व 2 से प्रत्‍येक से 5000-5000/- रूपये की धनराशि क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय में भी वसूल करने का अधिकारी होगा। ‘’

विद्वान जिला फोरम ने विपक्षी सं0-१ विकास मोटर्स तथा विपक्षी सं0-२ मारूति उद्योग लि0 को एक्‍साइज डयूटी १४,४४२.५० रू० वापस करने का आदेश दिया है। एक्‍साइज डयूटी वापस लेने के लिए परिवादी को चाहिए कि वह वांछित प्रपत्र भर कर दे। इन अभिलेखों को सेण्‍ट्रल एक्‍साइज डिपार्टमेण्‍ट भारत सरकार के यहॉं दिया जाता है। परिवादी के मामले में भी उन्‍हें वांछित प्रपत्र भेजे गए थे, जिन्‍होंने एक्‍साइज डयूटी वापस दिए जाने वाले प्रार्थना पत्र को निरस्‍त कर दिया। तब अपीलार्थी/विपक्षी ने मा0 उच्‍च न्‍यायाल दिल्‍ली के समक्ष एक याचिका प्रस्‍तुत की जो सुनवाई के लिए लम्बित है।

यहॉं पर यह प्रश्‍न उठता है कि जब अपीलार्थी ने एक्‍साइज डयूटी वापस लेने वाले वांछित प्रपत्र एक्‍साइज विभाग को भेज दिए और उन्‍होंने उसे खारिज कर दिया तब विपक्षी सं0-१ व २ किस आधार पर एक्‍साइज डयूटी वापस करेंगे। अपीलार्थी ने उसके विरूद्ध दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय में याचिका कर रखी है।

विपक्षी सं0-१ व २ एक्‍साइज डयूटी ले कर सम्‍बन्धित बैंक के खाते में जमा करने के उत्‍तरदायी नहीं हैं, जब तक एक्‍साइज विभाग अधिकृत न करे या एक्‍साइज डयूटी वाले वापस करने के लिए आवश्‍यक अधिकार पत्र जारी न करें या फण्‍ड विपक्षी के खाते में वापस न करे

 

-४-

तब विपक्षी इस धनराशि को किस प्रकार वापस करेंगे। चूँकि इस मामले में मा0 उच्‍च न्‍यायाल दिल्‍ली में मामला विचाराधीन है, अत: अपीलार्थी के विरूद्ध पारित आदेश विधि सम्‍मत नहीं है, क्‍योंकि कोई भी सरकारी टैक्‍स वापस तभी किया जाता सकता है जब सरकार उस सम्‍बन्‍ध में कोई आदेश जारी करे और सम्‍बन्धित विभाग उस पर अमल करे। वर्तमान मामले में एक्‍साइज विभाग ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया तब वह आदेश मा0 उच्‍च न्‍यायालय के अधीन हो गया है। ऐसी स्थिति में वर्तमान अपील स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २२-०२-२००६ अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

वर्तमान अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली परिवाद सं0-३१४/२००० में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २२-०२-२००६ अपास्‍त किया जाता है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                   (राजेन्‍द्र सिंह)                (सुशील कुमार)

                     सदस्‍य                         सदस्‍य               

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

                   (राजेन्‍द्र सिंह)               (सुशील कुमार)

                     सदस्‍य                          सदस्‍य                    

प्रमोद कुमार,  

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.    

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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