Uttar Pradesh

StateCommission

A/1082/2018

Ex. Engg. Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Om Prakash - Opp.Party(s)

Isar Husain

23 Nov 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1082/2018
( Date of Filing : 06 Jun 2018 )
(Arisen out of Order Dated 07/05/2018 in Case No. C/84/2017 of District Kanshiram Nagar)
 
1. Ex. Engg. Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd
E.D.D. (Rural) Kasganj Distt. Kasganj
...........Appellant(s)
Versus
1. Om Prakash
S/O Sri Ram Nath Debey R/O Vill. Vakraiee Thana and Tahsil Patiyali Distt. Kasganj
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Nov 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1082/2018

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कासगंज द्धारा परिवाद सं0-84/2017 में पारित आदेश दिनांक 07.5.2018 के विरूद्ध)

एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन (रूरल) जिला-कासगंज।

........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

ओम प्रकाश पुत्र राम नाथ दूबे, निवासी ग्राम वकराई थाना व तहसील पटियाली जनपद-कासगंज।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष         

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता      :- श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता        :- श्री विशाल चौधरी

दिनांक :-23.11.2021

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

        प्रस्‍तुत अपील अंतर्गत धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला फोरम, कासगंज द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.5.2018 के विरूद्ध अधिशासी अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा योजित की गयी।

        उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को सुना।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा एक घरेलू बिजली कनेक्‍शन अपीलार्थी/विपक्षी से लिया गया था। विद्युत कनेक्‍शन प्राप्‍त करने के समय अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्युत उपभोक्‍ता को यह बताया गया था कि शीघ्र ही लाइन खींचकर सप्‍लाई दे दी जायेगी, लेकिन अभी तक न

-2-

ही लाइन खींची गई तथा न ही विद्युत सप्‍लाई चालू की गयी, जबकि विभाग द्वारा रू0 19,969/- का बिल गलत रूप से भेज दिया गया है।

        उपरोक्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद सं0 84/2017 विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग, कासगंज के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया। परिवाद में परिवादी द्वारा यह प्रार्थना की गयी कि उसके द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार किया जाये। अपीलार्थी बिजली कम्‍पनी का कथन है कि सरकारी योजना के अनुसार संयोजन स्‍वीकृत किया गया था तथा गांव का विद्युतीकरण पूरा किया जा चुका है। चेकिंग में पाया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी गांव में लघु ट्रान्‍सफार्मर में से केबिल डालकर विद्युत का प्रयोग कर रहे हैं। कटिया कनेक्‍शन के अन्‍तर्गत सप्‍लाई के बिल निर्गत किये गये हैं, जिसे जमा न करने के इरादे से यह दावा किया गया है। ग्रामीण विद्युत सप्‍लाई के आधार पर विद्युत नियमावली के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी/परिवादी को विद्युत बिल जारी किया गया है।

        विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा यह कथन किया गया है कि अपीलार्थी बिजली कम्‍पनी द्वारा उसके विरूद्ध जो देय धनराशि का बकाया बतायी जा रही है वह पूर्णता अनुचित है तथा यह कि प्रत्‍यर्थी बिजली कम्‍पनी द्वारा जो झूठे तथ्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किये उसके संबंध में न तो कोई साक्ष्‍य ही प्रस्‍तुत किया और न ही समुचित तथ्‍यपूर्ण विवेचना ही की गयी।

        विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्षों के विद्धान अधिवक्‍ता एवं पक्षकारों के सुनने के उपरान्‍त निम्‍न निष्‍कर्ष निकालते हुए आदेश पारित किया गया:-     

       

-3-

अभिवचनों के संदर्भ में उभय पक्ष द्वारा प्रस्‍तुत किये गये साक्ष्‍य का जहां तक प्रश्‍न है ? विभाग द्वारा अभिकथित तथ्‍य के अनुसार गॉव वकरई में विद्युतीकरण कार्य आर0जी0जी0वी0वाई0 के तह‍त किया जा चुका है। विद्युतीकरण कार्य कब किया गया तथा विद्युत सप्‍लाई सुनिश्चित की गयी या नहीं ? उसका स्‍पष्‍ट उत्‍तर विभाग द्वारा प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवाद के संदर्भ में स्‍पष्‍ट उत्‍तर न देकर मात्र खानापूर्ति की गई है, जिससे याची कथनों को बल मिलता है।

        याची की तरफ से दिनांक 29.5.2015 को जन सूचना अधिकार के तहत सूचना मॉगी गई कि वकरई में आज तक कोई विद्युत खम्‍भा व बिजली की सप्‍लाई नहीं दी गई है, फिर भी बिल किस आधार पर भेजा गया है उसकी सूचना दी जाय जिसके परिपेक्ष्‍य में विभाग द्वारा स्‍पष्‍ट उत्‍तर नहीं दिया गया तथा दिनांक 03.6.2015 को यह उत्‍तर प्रदत्‍त हुआ कि कार्यदायी संस्‍था द्वारा शीघ्र ही पूरा कार्य कर दिया जायेगा अर्थात दिनांक 03.6.2015 तक गॉव वकरई में विद्युत आपूर्ति से सम्‍बन्धित कार्य पूर्ण नहीं था। उसके बाद ग्राम वकरई की ही तरफ से याची द्वारा दिनांक 17.3.2016 को तथा ग्राम वासी अतर सिंह द्वारा पुन: सूचना मांगी गई लेकिन कोई संतोषजनक उत्‍तर विभाग द्वारा नहीं दिया गया बल्कि जो सूचना दी गयी उसके अनुसार ग्राम वकरई में विद्युतीकरण  आर0जी0जी0वी0वाई0 के तहत किया गया है तथा एन0ओ0सी0 मिलते ही विद्युत आपूर्ति प्रारम्‍भ कर दी जायेगी तथा सभी से बिल मान्‍य होगा। अवर अभियंता द्वारा उपलब्‍ध कराई गई उस सूचना के अनुसार विद्युत आपूर्ति दिनांक 25.3.2016 तक प्रारम्‍भ नहीं की गई थी जबकि विभाग द्वारा विद्युत बिल दिनांक 13.9.2017 को व 06.3.2018 को जारी किया गया है।

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याची का स्‍पष्‍ट कथन है कि दिनांक 08.9.2017 तक लाइन नहीं खींची गयी है और न ही विद्युत सप्‍लाई सुनिश्चित की गई है। विद्युत सप्‍लाई सुनिश्चित कर दी गई है उससे सम्‍बन्धित कोई सबूत विभाग की तरफ से प्रस्‍तुत नहीं किये गये हैं, जिससे यह ध्‍वनित होता है कि विद्युत सप्‍लाई किये बगैर बिल जारी कर दिया गया है। दिनांक 11.8.2017 से संदर्भित जन सूचना अधिकार से सम्‍बन्धित अपील के समय वर्णित कथन से भी ध्‍वनित होता है कि उक्‍त तिथि तक एन0ओ0सी0 प्राप्‍त नहीं कराई गई थी तथा गॉव की लाइन जो ठेके पर हो रही थी हैण्‍ड ओवर कब कराई गई यह तथ्‍य भी विभाग द्वारा स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। याची द्वारा प्रस्‍तुत सबूतो से स्‍पष्‍ट है कि गॉव में विद्युत सप्‍लाई व बिल जारी होने के सम्‍बन्‍ध में क्रमश: सूचना मॉगी गयी तथा शिकायत दूर करने के लिए विभाग से याचना की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई, जो सेवा में कमी का द्योतक है तथा विपक्षी के इस कृत्‍य से याची को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक कष्‍ट पहुंचा है जिसके लिए विपक्षी उत्‍तरदायी पाये जाते हैं। 

     उपरोक्‍त विवेचना के उपरांत मंच इस निष्‍कर्ष पर पहुंचा है कि प्रस्‍तुत वाद वादी सव्‍यय आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

        उपरोक्‍त निष्‍कर्ष को दृष्टिगत रखते हुए विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद सव्‍यय आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी बिजली कम्‍पनी द्वारा जारी बिल के विरूद्ध परिवाद निरस्‍त किया गया था। अपीलार्थी विद्युत कम्‍पनी को यह निर्देशित किया गया कि वे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक व वाद व्‍यय के एवज में रू0 3,000/- दो माह की अवधि में अदा करे।

       

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मेरे सम्‍मुख अपीलार्थी विद्युत विभाग के विद्धान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन द्वारा परिवाद पत्र/अपील में पूर्णता तथ्‍य को उदधृत किया। विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा लिये गये निर्णय को यह कहते हुए गलत बताया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो यह निष्‍कर्ष दिया गया है प्रत्‍यर्थी अर्थात विद्युत कम्‍पनी द्वारा सेवा में कमी की गयी है वह पूर्णता गलत है तथा इस तथ्‍य पर बल दिया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी बिजली कम्‍पनी को जो यह निर्देश दिया गया है कि मानसिक, शारीरिक, आर्थिक व वाद व्‍यय के एवज में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को रूपये 3,000/- की धनराशि अदा की जाये, वह पूर्णता गलत है अतएव अपील स्‍वीकार करने हेतु प्रार्थना की।

        इस न्‍यायालय द्वारा उपरोक्‍त अपील दिनांक 08.6.2018 को सुनी गयी। तदोपरांत अपीलार्थी/विद्युत कम्‍पनी को जिला फोरम द्वारा आदेशित देय धनराशि का 50 प्रतिशत धनराशि जमा करने हेतु आदेशित किया गया है। उक्‍त दशा में अपीलार्थी बिजली कम्‍पनी के विरूद्ध उत्‍पीड़नात्‍मक कार्यवाही स्‍थगित की गयी।

प्रस्‍तुत अपील में तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता को सुनने के उपरान्‍त मैं इस निष्‍कर्ष पर पहुंचता हॅू कि अपीलार्थी की ओर से ऐसा कोई तथ्‍य इंगित नहीं किया गया, जिससे यह स्‍पष्‍ट हो सके कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में कोई कमी है, परन्‍तु जहां तक जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा मानसिक, शारीरिक, आर्थिक व वाद व्‍यय के एवज में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कुल रूपये 3,000/- की धनराशि अदा किये जाने का प्रश्‍न है। उक्‍त आदेश सुसंगत

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प्रतीत नहीं होता है, चूंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उक्‍त के संबंध में कोई पक्ष भी प्रस्‍तुत नहीं किया गया। अतएव प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त धनराशि रूपये 3,000/- की देयता समाप्‍त की जाती है तथा यह आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थी, जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अनुपालन 90 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

        अपील में उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। 

 

 

                              (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                                      अध्‍यक्ष             

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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