(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1282/2007
Amarnath Tiwari S/O Late Sri Ranjeet Tiwari
Versus
Om Prakash Singh & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 गुप्ता, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक :21.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-3/1996, ओम प्रकाश सिंह बनाम वरिष्ठ शाखा प्रबंधक जीवन बीमा निगम व अन्य में विद्वान जिला आयोग, मीरजापुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 17.05.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। नोटिस पते पर भेजी गयी थी। नोटिस के बावजूद प्रत्यर्थीगण उपस्थित नहीं है। तामीला पर्याप्त माना जाता है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने अपीलार्थी तथा एक अन्य व्यक्ति सुरेन्द्र कुमार तिवारी जो अभिकर्ता थे, के विरूद्ध क्षतिपूर्ति अंकन 5000-5000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश इस आधार पर पारित किया गया है कि इस तथ्य को जानते हुए भी कि उनके द्वारा बीमाधारक बीमारी से ग्रसित है। बीमा पॉलिसी लेने के लिए दबाव बनाया और बीमा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर प्राप्त किया। यथार्थ में जिला उपभोक्ता आयोग का मुख्य निष्कर्ष यह है कि बीमा पॉलिसी बीमाधारक द्वारा बीमारी के तथ्य को छिपाते हुए प्राप्त की गयी। इस निष्कर्ष को कोई चुनौती बीमाधारक के नॉमिनी या उत्तराधिकारी द्वारा नहीं दी गयी। जब एक बार यह निष्कर्ष दे दिया गया कि बीमा पॉलिसी बीमारी के तथ्य को छिपाकर प्राप्त की गयी है तब अपीलार्थी तथा एक अन्य व्यक्ति जो एजेण्ट है, के विरूद्ध अंकन 5000/-रू0 एवं 5000/-रू0 कुल 10,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश देने का कोई औचित्य नहीं था क्योंकि विधि के अंतर्गत कोई भी एजेण्ट बीमाधारक का एजेण्ट माना जाता है इसलिए यदि एजेण्ट के स्तर से लापरवाही एवं बीमाधारक की लापरवाही है और बीमाधारक द्वारा कोई तथ्य छिपाया गया तो एजेण्ट द्वारा छिपाया गया, इसलिए दोनों व्यक्तियों में एक ही व्यक्ति का गुण निहित है, इसलिए एजेण्ट के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का आदेश पारित नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार बीमा कम्पनी के विकास अधिकारी के विरूद्ध भी कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3