Uttar Pradesh

StateCommission

A/1201/2017

HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Om Pal Singh - Opp.Party(s)

T J S Makkar

15 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1201/2017
( Date of Filing : 04 Jul 2017 )
(Arisen out of Order Dated 23/05/2017 in Case No. C/86/2015 of District Bareilly-I)
 
1. HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd
Bareilly
...........Appellant(s)
Versus
1. Om Pal Singh
Bareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 15 Dec 2022
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1201/2017

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या-86/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.05.2017 के विरूद्ध)

                                    

एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0, ब्रांच आफिस आईसीआईसीआई बैंक निकट सर्किट हाउस क्रासिंग, सिविल लाइन्‍स, बरेली द्वारा असिस्‍टण्‍ट मैनेजर, सास्‍वत बनर्जी, पोस्‍टेड आफिस एट द्वितीय तल, पी255बी, सीआईटी स्‍कीम-वीआईएम, कंकुरगची, कोलकाता।

अपीलार्थी/विपक्षी

                                               बनाम        

श्री ओम पाल सिंह पुत्र श्री हरद्वारी लाल, निवासी ग्राम सतुईया पट्टी, थाना फतेहगंज, (डब्‍ल्‍यू) तहसील मीरगंज, जिला बरेली।

       प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        : श्री टीजेएस मक्‍कड़, विद्वान

                                                        अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित          : श्री अरूण टण्‍डन, विद्वान

       अधिवक्‍ता।

दिनांक: 05.01.2023   

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          परिवाद संख्‍या-86/2015, ओमपाल सिंह बनाम एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम बरेली द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.05.2017 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए बीमा कंपनी को निर्देशित किया है कि बीमा क्‍लेम के रूप में अंकन 4,46,148/- रूपये तथा मानसिक पीड़ा एवं वाद व्‍यय के रूप में अंकन 50 हजार रूपये का भुगतान एक माह में करें अन्‍यथा 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ यह राशि देय होगी।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने वाहन आयशर कैण्‍टर संख्‍या-यू.पी. 25 ए.टी. 3247 का बीमा विपक्षी बीमा कंपनी से कराया था, जो दिनांक 31.05.2014 से दिनांक 30.05.2015 तक के लिए वैध था। बीमित राशि अंकन 4,95,720/- रूपये थी। यह वाहन जीविकोपार्जन के लिए क्रय किया गया था, जो दिनांक 8/9.01.2015 की रात्रि में लगभग 3.00 बजे गाजियाबाद जाते समय थाना मझोला, मुरादाबाद की सीमा के अन्‍तर्गत दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया, जिसमें वाहन के चालक हुकुम सिंह की मृत्‍यु हो गई और वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्‍त हो गया। वाहन की मरम्‍मत में अंकन 6,35,924/- रूपये का खर्च होना बताया गया। विपक्षी द्वारा सर्वेयर नियुक्‍त किया गया, परन्‍तु बीमा क्‍लेम यह कहते हुए निरस्‍त कर दिया गया कि दुर्घटना के समय वाहन को हेत राम चला रहा था, जबकि यथार्थ में हुकुम सिंह वाहन को चला रहा था, जो इस वाहन का विगत काफी समय से चालक था।

3.         विपक्षी का कथन है कि परिवादी ने बीमा पालिसी की शर्तों का अनुपालन नहीं किया। दुर्घटना के पश्‍चात बीमा क्‍लेम प्राप्‍त होने पर सर्वेयर नियुक्‍त किया गया था। जांच के दौरान पाया गया कि वाहन बाईं साइड की ओर क्षतिग्रस्‍त हुआ था, जहां पर क्‍लीनर बैठता है, इसलिए क्‍लीनर को गंभीर चोटें आना स्‍वाभाविक है, जबकि इस केस में वाहन के क्‍लीनर को कोई चोट नहीं आयी और हुकुम सिंह की मृत्‍यु हो गई, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि हुकुम सिंह बाईं तरफ की सीट पर बैठा हुआ था, इसी आधार पर बीमा क्‍लेम नकार दिया गया।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि बीमा कंपनी बीमा क्‍लेम अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है। तत्‍समय दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन को मृतक हुकुम सिंह चला रहा था।

5.         इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने तथ्‍य एवं साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है और जांच रिपोर्ट को अस्‍वीकार कर वैधानिक त्रुटि कारित की है। वाहन को मृतक हुकुम सिंह नहीं चला रहा था, इसलिए वाहन चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। 09 प्रतिशत ब्‍याज की दर से अंकन 4,46,148/- रूपये बीमित राशि तथा अंकन 50 हजार रूपये मानसिक पीड़ा एवं वाद व्‍यय की मद में अदा करने का आदेश दिया है, जो अनुचित है।

6.         अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि जांच के दौरान यह पाया गया कि वाहन बाईं तरफ से क्षतिग्रस्‍त हुआ है, इसलिए बाईं तरफ बैठे व्‍यक्ति को अधिक चोटे आनी चाहिए, यह तर्क केवल कल्‍पना पर आधारित है। किसी वाहन में दुर्घटना होने के पश्‍चात यथार्थ में वाहन के अन्‍दर बैठे हुए किसी व्‍यक्ति को चोट पहुँच सकती है, इसकी कोई कल्‍पना नहीं की जा सकती और न ही अनुमान लगाया जा सकता है। परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि मृतक हुकुम सिंह ही वाहन को चला रहा था और उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा वाहन चलाने के संबंध में दिया गया निष्‍कर्ष परिवर्तित होने योग्‍य नहीं है।

8.         कुल बीमित मूल्‍य अंकन 4,95,720/- रूपये है। 10 प्रतिशत की कटौती कर अंकन 4,46,148/- रूपये का क्‍लेम निर्धारित किया गया है, इस निष्‍कर्ष में भी कोई हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है, परन्‍तु बीमित राशि पर 09 प्रतिशत की दर से ब्‍याज अदा करने का आदेश अनुचित है, ब्‍याज दर 06 प्रतिशत सुनिश्‍चित की जानी चाहिए। इसी प्रकार मानसिक पीड़ा एवं वाद व्‍यय की मद में अंकन 50 हजार रूपये भी अत्‍यधिक उच्‍च दर से दिलाया गया है, यह राशि अंकन 10 हजार रूपये किया जाना उचित है। प्रस्‍तुत अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

9.         प्रस्‍तुत अपील आ‍ंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.05.2017 इस प्रकार परिवर्तित किया जता है कि परिवादी को देय बीमित राशि अंकन 4,46,148/- रूपये पर केवल 06 प्रतिशत की दर से ब्‍याज देय होगा तथा मानसिक पीड़ा एवं परिवाद व्‍यय की मद में केवल 10 हजार रूपये देय होगा। इस राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा। शेष निर्णय एवं आदेश पुष्‍ट किया जाता है।

           उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्‍तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार एक माह में संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

   (विकास सक्‍सेना)                          (सुशील कुमार)

     सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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