Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2269

Magma Leasing Finance - Complainant(s)

Versus

Om Narain - Opp.Party(s)

R K Gupta

03 Sep 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/2269
( Date of Filing : 04 Oct 2013 )
(Arisen out of Order Dated 18/07/2013 in Case No. C/2007/153 of District Fatehpur)
 
1. Magma Leasing Finance
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Om Narain
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Sep 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-2269/2013

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, फतेहपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-153/2007 में पारित निर्णय दिनांक 18.07.2013 के विरूद्ध)

मैग्‍मा लीजिंग लि0 अब मैग्‍मा फिनक्राप लि0, नया पता 9/46ए,

बेना जबर रोड, आर्य नगर, कानपुर द्वारा मैनेजर।   ......अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम

1.ओम नारायण पुत्र श्री रामस्‍वरूप निवासी साईं चौडगरा जिला

फतेहपुर।

2.आशीष श्रीवास्‍तव तिरूपति मार्केटिंग, डायरेक्‍टर एसोसिएट, मैग्‍मा

लीजिंग लि0, शॉप नं0 123 विजय नगर शापिंग काम्‍पलेक्‍स,

कानपुर नगर।                                .....प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री आर0के0 गुप्‍ता, विद्वान

                            अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री उमेश कुमार शर्मा, विद्वान

                            अधिवक्‍ता।

दिनांक 06.10.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 153/07 ओम नारायण बनाम श्री राजीव सेठ प्रबंधक मैग्‍मा लीजिंग लि0 तथा एक अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दि. 18.07.2013 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया गया कि परिवादी को 30 दिन के अंदर अनादेय प्रमाणपत्र जारी किया जाए तथा अंकन रू. 25000/- बतौर क्षतिपूर्ति अदा की जाए। विलम्‍ब शुल्‍क के रूप में रू. 2000/- और वाद व्‍यय के रूप में रू. 5000/- का भी आदेश दिया गया है।

2.   परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि विपक्षी संख्‍या 2 विपक्षी संख्‍या 1 का अभिकर्ता है। विपक्षी संख्‍या 1 हायर एवं परचेज लीजिंग की

-2-

सेवाएं प्रदान करता है, जिसके लिए विपक्षी संख्‍या 1 प्रोत्‍साहित करता है। वादी को ट्रैक्‍टर क्रय करने की आवश्‍यकता थी। विपक्षी संख्‍या 2 ने वित्‍तीय सहायता प्रदान कराने का आश्‍वासन दिया। दस्‍तावेज प्राप्‍त कर विपक्षी संख्‍या 1 के पास ले गया। अंकन रू. 185000/- के ऋण के पुनर्भुगतान की 21 किश्‍त रू. 9832/- की तैयार की गई, अवधि 23 महीने रखी गई। प्रथम किश्‍त दिनांक 01.07.05 तथा अंतिम किश्‍त 01.03.2007 निर्धारित की गई। किश्‍तें समय पर अदा न करने पर 9.90 रूपये प्रतिदिन अतिरिक्‍त  भुगतान की व्‍यवस्‍था की गई। वादी ने दिनांक 18.08.2006 को चौथी किश्‍त के रूप में रू. 10000/- जमा किया, इसमें रू. 500/- देरी से भुगतान की राशि भी शामिल थी। दिनांक 31.10.06 को रू. 58530/- का भुगतान किया। इस राशि में अंकन रू. 10000/- रेपो तथा रू. 4778/- डीपीसी का था। दिनांक 11.12.06 तक पूरा भुगतान कर दिया गया। इस भुगतान का पूरा विवरण परिवाद पत्र की धारा 8 में वर्णित किया गया है। परिवाद पत्र में उल्‍लेख है कि डीपीस की धनराशि मनमाने रूप से काटी गई और वादी को मानसिक प्रताड़ना दी गई। बीमे की किश्‍त का भुगतान वादी से करवाया, जिसकी कीमत रू. 25000/- होती है। इस धन का समायोजन किया जाना चाहिए था, परन्‍तु नहीं किया गया। भुगतान के बावजूद अनादेय प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया। अभिकृता के माध्‍यम से नोटिस भिजवाया गया, परन्‍तु उसका भी जवाब नहीं दिया गया।

3.   विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी द्वारा लिए गए ऋण अंकन रू. 185000/- की वापसी ब्‍याज सहित अंकन रू. 226136/- की होनी चाहिए थी। कुछ किश्‍तें समय पर जमा न करने के कारण विलम्‍ब शुल्‍क लगाया गया, जो रू. 2607.91 पैसे है। वादी ने कुल रू. 226126/- का भुगतान

-3-

किया है और अंकन रू. 2607.91 पैसे का भुगतान नहीं किया है, इसलिए अनादेय प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है। विलम्‍ब शुल्‍क प्राप्‍त होते ही अनादेय प्रमाणपत्र जारी करने के लिए तत्‍पर है।

4.   जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय के अनुसार वादी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथपत्र प्रस्‍तुत किया, परन्‍तु विपक्षीगण की ओर से कोई शपथपत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया, इसलिए परिवादी के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है। स्‍वयं परिवादी ने समय पर किश्‍तों का भुगतान नहीं किया। देरी से जमा करने के कारण रू. 2607.91 पैसे परिवादी पर बकाया है। अपील के ज्ञापन में यह भी उल्‍लेख है कि जिला उपभोक्‍ता मंच फतेहपुर को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है, क्‍योंकि समस्‍त संव्‍यवहार कानपुर नगर में हुआ है। बीमा तथा अधिक राशि के रूप में क्रमश: रू. 25000/- एवं रू. 2000/- के बिन्‍दु पर अवैध रूप से निष्‍कर्ष दिया गया। दिनांक 26.09.13 की गणना के अनुसार परिवादी द्वारा रू. 49253.13 पैसे अदा करने हैं।

6.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.   अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का प्रथम तर्क यह है कि जिला उपभोक्‍ता मंच फतेहपुर को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है, क्‍योंकि समस्‍त संव्‍यवहार कानपुर नगर में संपादित हुआ है। क्षेत्राधिकार का निर्धारण परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों के आधार पर किया जाता है। परिवादी ने परिवाद पत्र में उल्‍लेख किया गया है कि विपक्षी संख्‍या 2 स्‍वयं उसके

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पास आया था और उसने प्रोत्‍साहित किया था कि वह ऋण प्राप्‍त कराएगा। वहीं पर पत्रावली तैयार की और इसके पश्‍चात विपक्षी संख्‍या 1 के पास लेकर गया, अत: यथार्थ में परिवादी तथा विपक्षी संख्‍या 2 के मध्‍य जो कि विपक्षी संख्‍या 1 का अभिकर्ता है, के मध्‍य संविदा फतहपुर में निष्‍पादित हुआ है। यद्यपि शेष औपचारिकताएं कानपुर में निष्‍पादित हुई हैं, इसलिए कानपुर जिला उपभोक्‍ता मंच के साथ-साथ फतेहपुर जिला उपभोक्‍ता मंच को भी सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है, अत: अपीलार्थी द्वारा की गई आपत्ति तदनुसार निस्‍तारित की जाती है।

8.   अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि स्‍वयं परिवादी पर अंकन रू. 49253.13 पैसे देय हैं, इसलिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है। इस बकाया के संबंध में एक चार्ट भी प्रस्‍तुत किया गया है। इस चार्ट के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी पर ब्‍याज सहित रू. 236966/- देय था। यही राशि परिवादी से प्राप्‍त कर ली गई है, लेकिन देरी से प्राप्‍त करने के दिनों की संख्‍या 2956 तदनुसार अनुपातिक दिन 59.17 दर्शाए गए हैं, परन्‍तु किस तिथि को किश्‍त जमा न करने के कारण कितने दिन की देरी की गई, इसका स्‍पष्‍ट विवरण इस तालिका में मौजूद नहीं है। अपील के ज्ञापन में जिन धनराशियों का उल्‍लेख किया गया है तथा जिनका विवरण पृष्‍ठ संख्‍या 27 पर मौजूद है, के संबंध में लिखित कथन में कोई उल्‍लेख नहीं है। इस लिखित कथन में केवल यह उल्‍लेख है कि रू. 2607.91 पैसे बकाया हैं, उस राशि का कोई विवरण नहीं दिया गया जो अपील के ज्ञापन में अंकित है, अत: अपील के ज्ञापन में वर्णित देयों के संबंध में कोई विचार नहीं किया जा सकता और लिखित कथन में जिस राशि का उल्‍लेख है उसके बकाया होने के तथ्‍यों को शपथपत्र द्वारा जिला

-5-

उपभोक्‍ता मंच के समक्ष साबित नहीं किया गया है, इसलिए यह तथ्‍य भी साबित नहीं है कि परिवादी पर कुछ राशि बकाया है, अत: जिला उपभोक्‍ता  मंच द्वारा पारित निर्णय में किसी प्रकार का हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है, तदनुसार अपील खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

     अपील खारिज की जाती है।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

 वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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