जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
अमित गांधी पुत्र श्री सूर्यप्रकाष गांधी, निवासी- रामनगर स्कूल के सामने, गली नं.6, रामनगर, अजमेर -305004
- प्रार्थी
बनाम
’’ओला केब्स’’काॅपारेट कार्यालय ।छप् टेक्नोलोजिस प्राईवेट लिमिटेड, रिजेन्ट इन्सिगनीया , 414, 3तक फलोर , 4जी फलोर 17जी मेन, 100 फीट रोड, कोरमंगला, बैंगलोर- 560034
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 366/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-20.07.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि
अप्रार्थी कम्पनी देष के विभिन्न षहरों में किराए पर कार, फोन, वेबसाईट और कम्पनी के ।च्च् द्वारा बुक करते हुए अपनी सेवाएं उपलब्ध कराती है । इसी क्रम में परिवादी ने दिनंाक 20.4.2015 को कम्पनी के ।च्च् पर दोपहर 12.04 बजे उसी दिन राईड नाउ आॅप्षन द्वारा सिडान टैक्सी बुक कराई और उक्त टैक्सी उसे दोपहर 12.07 बजे उपलब्ध हुई । जिससे वह सेषन कोर्ट से जयपुर रोड स्थित हुण्डई सर्विस सेन्टर तक गया जिसकी दूरी 3.46 कि.मी थी । तत्पष्चात् अप्रार्थी कम्पनी की ओर से उसके मोबाईल पर टैक्सी षुल्क के रू 99/- भुगतान करने का मैसेज आया । जबकि अप्रार्थी कम्पनी के ।च्च् के फेयर चार्ट के अनुसार 2 कि.मी तक रू. 49/- नेट तथा उसके बाद रू. 14/- प्रति कि.मी. की दर से किराया भाड़ा बनता था । प्रार्थी ने अधिक राषि लिए जाने की षिकायत टैक्सी चालक से की तो उसने इस संबंध में असमर्थता व्यक्त करते हुए राषि रू. 99/- चुकाने को कहा । प्रार्थी को मजबूरी में उक्त राषि अदा करनी पड़ी । तत्पष्चात् 24.4.2015 को ई - मेल भेजकर किराया सूची की मांग किए जाने पर अप्रार्थी की सलाहनुसार उसने अप्रार्थी की वेबसाईट पर फेयर चार्ट को चैक किया तो यह पाया कि न्यूनतम किराया 2 कि.मी के 49/- व आगे के 14/- प्रति कि.मी. अंकित थे । इस प्रकार अप्रार्थी ने अंकित दर से अधिक राषि वसूल की है । अप्रार्थी से विभिन्न दिनांकों को ई-मेल से पत्राचार किए जाने के बाद अप्रार्थी ने बताया कि किराया सूची में दिनांक 25.4.2015 को संषोधन कर दिया गया है । अन्त में प्रार्थी ने दिनांक 4.6.2015 को ई-मेल भिजवाते हुए उससे अवैध रूप से वसूल की गई राषि लौटाए जाने का निवेदन किया । किन्तु अप्रार्थी ने राषि नहीं लौटाई । प्रार्थी ने अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी के विरूद्व दिनांक 22.6.2016 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
3. प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि दिनांक 20.4.2015 को अप्रार्थी कम्पनी के ।च्च् पर किराया सूची के अनुसार 2 कि.मी. तक 49/-एवं उसके बाद रू. 14/- प्रति कि.मी की दर से चार्ज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसके द्वारा 20.4.2015 को टैक्सी बुक करवाई गई थी । सैंषन कोर्ट से जयपुर रोड स्थित हुंडई सर्विस सेन्टर पर 3.46 कि.मी. की यात्रा के लिए दिए गए रू. 99/- पर वाहन चालक सेे आपत्ति की गई थी । तत्पष्चात् अप्रार्थी से ई-मेल द्वारा पत्र व्यवहार किया गया व नोटिस दिए जाने के बावजूद भी अप्रार्थी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है । तयषुदा किराए की दरों से अधिक किराया प्राप्त कर अप्रार्थी द्वारा अनुचित व्यापार व्यवहार का परिचय दिया गया है । परिवाद स्वीकार कर वांछित अनुतोष दिया जाना चाहिए । समर्थन में प्रार्थी ने विनिष्चय 2015;4द्धब्च्त् 20 ;छब्द्ध श्रंहतनज छंहतपा - ।दत टे ैमबतमजंतल ए डपदपेजतल व िब्पअपस ।अपंजपवद - व्तेण्ए 1;2011द्ध ब्च्श्र 13;छब्द्ध भ्वजमस छंलंल डंदकपत टे प्ेीूंत स्ंस श्रपदंइींप क्मेंप ए प्प्;2014द्ध ब्च्श्र 493;छब्द्ध क्ण्ज्ञण् ब्ीवचतं टे ैदंबा ठ।त् पर अवलम्ब लिया है।
4. हमने प्रस्तुत तर्क एवं विनिष्चयों में प्रतिपादित सिद्वान्तों के साथ साथ पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन कर लिया है ।
5. परिवाद के समर्थन में प्रस्तुत इन्वाईस दिनंाक 20.4.16 से यह प्रकट होता है कि प्रार्थी ने दिनांक 20.4.2015 को 12.04 पी.एम. पर ओला कैब सिडान बुक कराई । उसे दिनांक 20.4.2015 को 12.07 बजे पिकअप किया गया । गन्तव्य स्थान पर छोड़ने का 3.46 कि.मी का कुल किराया 99/- चार्ज किया गया जो न्यनूतम 5 कि.मी. के बेस पर रू. 99/- के हिसाब से ज्यादा चार्ज किया गया है। प्रार्थी ने यह किराया अण्डरप्रोटेस्ट अदा किया है। हालांकि इन्वाईस में नीचे प्रथम 5 कि.मी तक न्यूनतम रू. 99/- का व प्रति कि.मी. रू 15/- उसके बाद चार्जेज किया जाना बताया गया है ।
6. प्रष्न यह है कि 3.4 कि.मी. की यात्रा का किराया रू. 99/- है या प्रथम 2 कि.मी. के रू. 49/- के साथ साथ आगे रू. 14/- प्रति कि.मी के हिसाब से देय होगें । नेट के माध्यम से पक्षकारांे के मध्य ई-मेल पत्र व्यवहार से यह स्पष्ट है कि प्रार्थी ने दिनांक 20.4..2015 को यात्रा की थी । प्रार्थी ने अप्रार्थी से लिए गए किराये की जानकारी चाही है, तो उसे यह भी बताया है कि प्रथम 2 कि.मी. की यात्रा पर 49/- किराया व आगे के प्रति कि.मी यात्रा पर रू. 14/- देय होगें । अप्रार्थी के जवाब ई-मेल दिनंाक 4.5.2015 के अनुसार 25.4.2015 से दरों में परिवर्तन किया गया है तथा प्रार्थी से पुरानी दर के आधार पर ही किराया लिया गया है, ऐसा प्रकट होता है । इस प्रकार यहां तक स्थिति यूं तो स्पष्ट है कि प्रार्थी से दिनंाक 20.4.2015 को प्रचलित दरों के हिसाब से किराया चार्ज किया गया है । प्रार्थी द्वारा उपलब्ध करवाई गई इन्वाईस दिनंाक 17.2.2015 के अनुसार बेस फेयर प्रथम 2 कि.मी के लिए 49/- बताया गया है । इसी प्रकार दिनंाक 4.3.2015 के लिए भी यहीं किराया राषि निर्धारित की गई है । स्पष्ट है कि दिनंाक 20.4.2015 को बेस फेयर प्रथम 2 कि.मी पर रू. 49/- देय था । इस बात की पुष्टि अप्रार्थी के वाहन से यात्रा किए जाने से पूर्व की गई इन्क्वायरी के अनुसार प्राप्त तयषुदा किराया सूची से भी होती है । जिसके तहत इकोनोमी सिडान के लिए प्रथम 2 कि.मी पर रू. 49/- न्यूनतम राषि निर्धारित करते हुए अगले प्रत्येक कि.मी के हिसाब से रू. 14/- किराया तय किया गया है । इस प्रकार उक्त दिनंाक 20.4.2015 को प्रार्थी द्वारा की गई यात्रा के फलस्वरूप उसे न्यूनतम राषि रू. 99/- के स्थान पर रू. 49/- प्रथम 2 कि.मी. के हिसाब से बिल दिया जाकर किराया राषि वसूल की जानी थी। किन्तु अप्रार्थी द्वारा न्यूनतम रू. 49/- राषि प्राप्त नहीं कर मनमाने व अवैध रूप से तय राषि से अधिक राषि रू. 99/- वसूल करते हुए अनुचित व्यापार व्यवहार का परिचय दिया है ।
7. यहां यह उल्लेखनीय है कि ओला कैब्स वर्तमान में भारत वर्ष के अनेकांे ष्षहरों में आमजन के आवागमन हेतु टैक्सी की सुविधा उपलब्ध कराता है । उसके द्वारा यात्रा करने वालो से इस प्रकार का व्यवहार न सिर्फ अनुचित है, अपितु उनकी कार्य क्षमता पर प्रष्नचिन्ह लगाता है । इस प्रकार की प्रवृत्ति को न सिर्फ रोका जाना चाहिए अपितु उनके इस अनुचित व्यापार व्यवहार को रोकने के लिए उनके विरूद्व उदाहरणार्थ च्मदंस कार्यवाही भी अपेक्षित है , ताकि भविष्य में वह इस प्रकार की पुनरावृत्ति नहीं करें । जो विनिष्चय प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत किए गए है, में माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने इस प्रकार की प्रवृत्तियों को अनुचित पाते हुए न्यायोचित क्षतिपूर्ति दिलवाए जाने के आदेष देते हुए दिषा निर्देष भी पारित किए है । अतः उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) अप्रार्थी प्रार्थी को मानसिक एवं आर्थिक क्षति पहुंचाएं जाने की स्थिति में रू. 10,000/- अदा किए जाने का दायी है ।
(2) प्रार्थी, अप्रार्थी से परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
(3) अप्रार्थी उक्त की जाने वाली राषि का भुगतान प्रार्थी को नहीं कर रू. 10,000/- राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष, जयपुर को अदा करें और इस राषि का राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष, जयपुर को देय डिमाण्ड ड्राफट इस निर्णय की दिनांक से दो माह के अन्दर इस मंच में जमा करावें ।
आदेष दिनांक 20.07.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष