Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/386/12

DR. DK TIWARI - Complainant(s)

Versus

OIC - Opp.Party(s)

AJAY NIGAM

14 Nov 2014

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/386/12
 
1. DR. DK TIWARI
PANDU NAGAR
...........Complainant(s)
Versus
1. OIC
PANDU NAGAR KANPUR NAGAR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 14 Nov 2014
Final Order / Judgement

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    सुधा यादव.....................................................सदस्या
    

उपभोक्ता वाद संख्या-386/2012
1.    डा0 डी0के0 तिवारी उम्र 67 वर्श पुत्र स्व0 के0आर0 तिवारी निवासी मकान नं0-117/एच-1/529 पाण्डुनगर, कानपुर नगर।
2.    श्रीमती ब्रिज तिवारी पत्नी डा0 डी0के0 तिवारी निवासिनी मकान नं0-117/एच-1/529 पाण्डुनगर, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादीगण
बनाम
1.    ओरियन्टल इष्ंयोरेन्स कंपनी लि0, 16/98 जीवन विकास भवन तृतीय तल, एम0जी0 रोड, दि माल, कानपुर नगर द्वारा ब्रांच मैनेजर।
2.    रीजनल मैनेजर, ओरियन्टल इष्ंयोरेन्स कंपनी लि0, स्थित रीजनल आफिस तृतीय तल 43 एल0आई0सी0 बिल्डिंग, लखनऊ
3.    पंजाब नेषनल बैंक षाखा माल रोड, कानपुर नगर द्वारा षाखा प्रबन्धक
                             ...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 02.07.2012
परिवाद निर्णय की तिथिः 16.08.2016

डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादीगण की विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 13.04.12 को निरस्त की गयी मेडीक्लेम पॉलिसी सं0-222104/48/2012/2304, उसी तारीख से नवीनीकृत करने का आदेष पारित किया जाये और दिनांक 09.03.12 एवं 08.03.13 के बीच जो भी क्लेम हो, उसका भुगतान विपक्षी सं0-1 से दिलाया जाये तथा मुकद्मे का खर्च रू0 50000.00 विपक्षी सं0-1 व 2 से दिलाया जाये। 
2.     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का संक्षेप में यह कथन है कि परिवादीगण की मेडीक्लेम पॉलिसी सन् 1995 से लगातार चली आ    रही है।  विपक्षीगण के अधिकारियों द्वारा सन् 2007-08 में प्री एक्जिस्टिंग 
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डिजीस लिखकर पालिसी दी, जिसे विपक्षीगण के उच्चाधिकारियों से षिकायत करने पर प्री एक्जिस्टिंग डिजीस को हाथ से लिखकर डिलीट किया गया था। सन् 2008 में विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण द्वारा दी गयी गयी चेकों को वापस करके पॉलिसी को नवीनीकृत करने से इंकार कर दिया गया। तब परिवादी ने मा0 न्यायालय के समक्ष मुकद्मा सं0-291/08 दाखिल किया गया, जो कि विचाराधीन है। मा0 न्यायालय द्वारा मुकद्मा सं0-291/08 में दिनांक 26.04.08 को आदेष पारित किया गया कि विपक्षीगण ने पॉलिसी में जमा चेक को लेकर तत्काल प्रभाव से नवीनीकृत करे। लेकिन विपक्षीगण ने कंप्यूटर का बहाना लेकर उक्त पॉलिसी को नवीनीकरण की तिथि से नवीनीकृत न करके, उसी दिन नवीनीकृत किया, जिस दिन चेक भुगतान हेतु प्रदान की। इस प्रकार सन् 2010-11 व 2011-12 में भी पॉलिसी पुनः नवीनीकृत हुई। विपक्षीगण के यहां कार्यरत सहायक षाखा प्रबन्धक परिवादीगण से रंजिष मानते थे, क्योंकि जो उन्होंने पूर्व में गलत कार्य किया था, उन्हें न्यायालय ने दुरूस्त किया था, जिससे वह अपने सम्मान को ठेंस पहुॅचाना मानने लगे। अतः विपक्षीगण ने परिवादीगण को परेषान करने के लिए एक नई चाल चली। परिवादीगण द्वारा विपक्षी सं0-3 के यहां पंजाब नेषनल बैंक षाखा गुमटी नं0-5 कानपुर की एक चेक सं0-383694 दिनांकित 03.03.12, बावत रू0 50,067.00 जो कि परिवादीगण को दिनांक 05.03.12 को नई पालिसी मय रसीद के दे दी गयी। चेक को अपने पास एक माह तक रखे रहे और एक माह बाद दिनांक 11.04.12 को विपक्षी सं0-1 ने उक्त चेक को भुगतान हेतु पंजाब नेषनल बैंक षाखा माल रोड कानपुर में लगाया। उक्त चेक में बड़ी मोहर की जगह छोटी मोहर लग जाने के कारण उक्त चेक का भुगतान नहीं हुआ और उक्त चेक दिनांक 12.04.12 को विपक्षी सं0-1 को विपक्षी सं0-3 द्वारा वापस कर दी गयी। विपक्षी सं0-1 के कर्मचारियों ने दिनांक 12.04.12 की षाम को फोन किया कि आपकी चेक डिसआनर हो गयी है, इसलिए परिवादीगण दिनांक 13.04.12 को सुबह 11 बजे नकद धन लेकर विपक्षी सं0-1 के कार्यालय पहुॅचे और नगद पैसा जमा करने के लिए कहा,
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तो विपक्षी सं0-1 ने कहा कि आपकी पॉलिसी आज सुबह 10 बजे ही निरस्त कर दी गयी है और उन्होंने पॉलिसी निरस्त का पत्र दिनांक 13.04.12 दे दिया। दिनांक 13.04.12 को परिवादी ने चेक मेमो रसीद के फोटोकापी की मांगी तो दिनांक 13.04.12 को दिन भर परिवादीगण को आष्वासन देकर बिठाये रहे और अंत में फोटोकापी देने से मना कर दिया। दिनांक 14.04.12 एवं 15.04.12 को क्रमषः द्वितीय षनिवार एवं रविवार का अवकाष होने की दषा में परिवादीगण द्वारा दिनांक 16.04.12 को विपक्षी सं0-1 को पत्र भेजा गया, जिसका जवाब विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 16.04.12 को ही भेजा गया और चेक रिटर्न मेमो व चेक जमा करने की रसीद की फोटोकापी दी। चेक व जमा करने की रसीद की फोटोकापी देखकर परिवादी हतप्रभ हो गया, क्योंकि उक्त रसीद में दिनांक 06.03.12 पड़ी थी और जो बैंक की मोहर लगी थी उस पर चेक प्राप्त की कोई तारीख अंकित नहीं थी। विपक्षी सं0-1 ने यह चालाकी की कि चेक जमा करने की रसीद पर तारीख 06.03.12 डाली और उसे बैंक में परिवादीगण को क्षति पहुॅचाने के लिए 1 माह 5 दिन बाद दिनांक 11.04.12 को जमा की। बैंक में चेक जमा करने की यह प्रक्रिया है कि आप चेक बाक्स में डाल दीजिये और काउन्टर स्लिप पर मोहर लगा लीजिये। विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादीगण के प्रार्थनापत्र दिनांकित 16.04.12 का जवाब दिनांक 19.04.12 को भेजते हुए उक्त पत्र में स्वीकार किया गया कि पॉलिसी बिना 30 दिन की नोटिस दिये बिना निरस्त नहीं की जा सकती है, लेकिन विपक्षी सं0-1 ने अपने वचनों, कानून और प्राकृतिक न्याय का कोई पालन नहीं किया। क्योंकि अगर दिनांक 12.04.12 को उक्त चेक कैष नहीं हुई थी, तो विपक्षी सं0-1 को अपने ही कथनों के अनुसार 30 दिन बाद नोटिस देकर पुनः धन जमा करने को लिखना चाहिए था। विपक्षी सं0-1 ने यह झूठ बोला कि उन्होंने परिवादीगण की चेक दिनांक 06.03.12 को बैंक में लगायी थी और उक्त बैंक से दिनांक 12.04.12 को रिटर्न होकर वापस हुई। विपक्षी सं0-1 द्वारा दूसरा गलत कार्य यह किया कि दिनांक 12.04.12 को चेक लौटने पर 30 दिन की नोटिस  बिना दिये हुए दूसरे  दिन सुबह  10 बजे
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आफिस खोलते ही पहले परिवादीगण की पॉलिसी निरस्त की और जब परिवादीगण ने उसी दिन सुबह 11 बजे धन जमा करने को कहा तो विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 13.04.12 को ही पॉलिसी निरस्त करने का पत्र दे दिया। विपक्षी सं0-1 का यह कार्य परिवादीगण ने मुकद्मा सं0-291/08 में तरमीम करवाया कि परिवादी की उक्त पॉलिसी रिन्यू की जाये। परिवादीगण ने पंजाब नेषनल बैंक षाखा माल रोड कानपुर को एक प्रार्थनापत्र दिनांक 27.04.12 देकर यह पूछा कि आप यह बताये कि परिवादीगण की उपरोक्त चेक आपके बैंक में किस तारीख को प्राप्त हुई और किस तारीख को उपरोक्त चेक मेमो के साथ वापस की गयी। इस प्रकार विपक्षी सं0-3 द्वारा एक पत्र दिनांकित 23.05.12 के द्वारा अवगत कराया गया कि परिवादीगण की चेक ओरियन्टल इष्ंयोरेन्स कंपनी लि0 में दिनांक 11.04.12 को जमा किया था जो कि उसी दिन उसे भुगतान हेतु लगाया गया लेकिन उचित मोहर न होने के कारण उसे दिनांक 12.04.12 को ही विपक्षी सं0-1 को वापस कर दिया गया था। परिवादीगण की पॉलिसी रू0 10,00,000.00 की है। विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा परविदीगण की पॉलिसी रिन्यू न करके सेवा में कमी की गयी है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में अंकित अंतरवस्तु का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा दी गयी चेक सं0-383694 दिनांकित 03.03.12 के आधार पर दिनांक 05.03.12 को पॉलिसी काट दी गयी और चेक भुगतान के लिए पंजाब नेषनल बैंक, विपक्षी सं0-1 को दिनांक 06.03.12 को भेज दी गयी, जो कि परिवादी व विपक्षी सं0-1 की बैंक विपक्षी सं0-3 द्वारा दिनांक 12.04.12 को डिसआनर कर दी गयी और जिसकी सूचना विपक्षी सं0-1 को दिनांक 12.04.12 को प्राप्त हुई। विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में चेक के डिसआनर होने पर ही दिनांक 12.04.12 को चेक डिसआनर की         सूचना परिवादी को दे दी। दिनांक 13.04.12 को परिवादी की पॉलिसी चेक 
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डिसआनर होने व पॉलिसी का प्रीमियम न मिल पाने पर कंपनी द्वारा नियमानुसार पॉलिसी निरस्त कर दी गयी और सूचना परिवादी को दे दी गयी। परिवादी द्वारा दी गयी चेक विपक्षी सं0-3 बैंक द्वारा अनादरित कर देने के कारण दिनांक 13.04.12 को परिवादी की पॉलिसी प्रीमियम न मिलने के कारण निरस्त कर दी गयी है। विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में जो भी चेक अनादरित हो जाती है, तो पॉलिसी को कंपनी के नियमानुसार निरस्त कर दिया जाता है-परिवादी का यह कथन असत्य है। विपक्षी ने जानबूझकर पॉलिसी निरस्त की है। विपक्षी के कार्यालय में यह कंपनी के नियमानुसार रोटीन प्रोसेस है। विपक्षी के यहां से जारी पॉलिसी इंष्योरेन्स एक्ट 1938 की धारा-64 वी.बी. का अनुपालन न होने पर अर्थात पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान न होने के कारण निरस्त कर दी जाती है। विपक्षी के कार्यालय के काफी मात्रा में चेकें बैंक को भेजी जाती है और बैंक द्वारा चेक कैष न होने पर पॉलिसी कैंसिल कर दी जाती है। विपक्षी सं0-1 के कार्यालय द्वारा कंपनी के नियमानुसार कार्यवाही की गयी है। विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 12.04.12 को ही परिवादी को सूचित किया कि उसकी चेक अनादरित हो गयी है और परिवादी पुनः प्रीमियम देकर नयी पॉलिसी ले सकता है। परिवादी के द्वारा निरंतर विपक्षी के कार्यालय पर श्रीमान जी द्वारा पूर्व में पारित आदेष की आंड में दबाव बनाने का प्रयास किया गया और पॉलिसी पिछली तिथि से रिन्यू कर देने को कहा जो कि गलत है। विपक्षी के कार्यालय द्वारा परिवादी से नियमानुसार प्रीमियम देने की तिथि से नई पॉलिसी देने की बात कही गयी, जिससे परिवादीगण द्वारा निरंतर इंकार किया गया। परिवादीगण के स्वयं के द्वारा की गयी गलती का दुरूस्तीकरण मा0 फोरम के आदेष से नहीं कर सकता है और इस प्रकार नियमानुसार पिछली तिथि से पॉलिसी रिन्यू नहीं करा सकता। जहां तक 30 दिन की नेटिस देकर पॉलिसी निरस्त करने का प्रष्न है, उस स्थिति में है, जब परिवादी की चेक कैष हो जाये और पॉलिसी चल रही हो तब 30 दिन की नोटिस देकर पॉलिसी कैंसिल करने का प्राविधान है। 30 दिन बाद या 30 दिन की नोटिस पर ही  पॉलिसी कैंसिल हो  सकती है, ऐसा 
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कंपनी का कोई नियम नहीं है। विपक्षीगण के द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
4.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
5.    परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-3 को जरिये रजिस्टर्ड डाक नोटिस भेजी गयी, किन्तु विपक्षी सं0-3 बावजूद विधिक नोटिस फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा दिनांक  20.10.12 को विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय चलाये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    परिवादीगण ने अपने कथन के समर्थन में डा0 डी0के0 तिवारी का षपथपत्र दिनांकित 25.06.12, 17.12.12, 22.04.14 व 23.04.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ सलंग्न कागज सं0-1 लगायत् 10 व कागज सं0-2/1 लगायत 2/11 एवं कागज सं0-3 दाखिल किया है।
7.    विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में एस0आर0 त्रिपाठी मण्डलीय प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 17.04.13 व 14.11.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-2/1 लगायत् 2/13 व कागज सं0-4/1 लगायत् 4/15 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
8.    फोरम द्वारा परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
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डिसआनर होने व पॉलिसी का प्रीमियम न मिल पाने पर कंपनी द्वारा नियमानुसार पॉलिसी निरस्त कर दी गयी और सूचना परिवादी को दे दी गयी। परिवादी द्वारा दी गयी चेक विपक्षी सं0-3 बैंक द्वारा अनादरित कर देने के कारण दिनांक 13.04.12 को परिवादी की पॉलिसी प्रीमियम न मिलने के कारण निरस्त कर दी गयी है। विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में जो भी चेक अनादरित हो जाती है, तो पॉलिसी को कंपनी के नियमानुसार निरस्त कर दिया जाता है-परिवादी का यह कथन असत्य है। विपक्षी ने जानबूझकर पॉलिसी निरस्त की है। विपक्षी के कार्यालय में यह कंपनी के नियमानुसार रोटीन प्रोसेस है। विपक्षी के यहां से जारी पॉलिसी इंष्योरेन्स एक्ट 1938 की धारा-64 वी.बी. का अनुपालन न होने पर अर्थात पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान न होने के कारण निरस्त कर दी जाती है। विपक्षी के कार्यालय के काफी मात्रा में चेकें बैंक को भेजी जाती है और बैंक द्वारा चेक कैष न होने पर पॉलिसी कैंसिल कर दी जाती है। विपक्षी सं0-1 के कार्यालय द्वारा कंपनी के नियमानुसार कार्यवाही की गयी है। विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 12.04.12 को ही परिवादी को सूचित किया कि उसकी चेक अनादरित हो गयी है और परिवादी पुनः प्रीमियम देकर नयी पॉलिसी ले सकता है। परिवादी के द्वारा निरंतर विपक्षी के कार्यालय पर श्रीमान जी द्वारा पूर्व में पारित आदेष की आंड में दबाव बनाने का प्रयास किया गया और पॉलिसी पिछली तिथि से रिन्यू कर देने को कहा जो कि गलत है। विपक्षी के कार्यालय द्वारा परिवादी से नियमानुसार प्रीमियम देने की तिथि से नई पॉलिसी देने की बात कही गयी, जिससे परिवादीगण द्वारा निरंतर इंकार किया गया। परिवादीगण के स्वयं के द्वारा की गयी गलती का दुरूस्तीकरण मा0 फोरम के आदेष से नहीं कर सकता है और इस प्रकार नियमानुसार पिछली तिथि से पॉलिसी रिन्यू नहीं करा सकता। जहां तक 30 दिन की नेटिस देकर पॉलिसी निरस्त करने का प्रष्न है, उस स्थिति में है, जब परिवादी की चेक कैष हो जाये और पॉलिसी चल रही हो तब 30 दिन की नोटिस देकर पॉलिसी कैंसिल करने का प्राविधान है। 30 दिन बाद या 30 दिन की नोटिस पर ही  पॉलिसी कैंसिल  हो सकती है,  ऐसा 
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कंपनी का कोई नियम नहीं है। विपक्षीगण के द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
4.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
5.    परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-3 को जरिये रजिस्टर्ड डाक नोटिस भेजी गयी, किन्तु विपक्षी सं0-3 बावजूद विधिक नोटिस फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा दिनांक  20.10.12 को विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय चलाये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    परिवादीगण ने अपने कथन के समर्थन में डा0 डी0के0 तिवारी का षपथपत्र दिनांकित 25.06.12, 17.12.12, 22.04.14 व 23.04.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-5/1 के साथ सलंग्न कागज सं0-5/2 लगायत् 5/15 व कागज सं0-2/1 लगायत 2/11 एवं कागज सं0-3 दाखिल किया है।
7.    विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में एस0आर0 त्रिपाठी मण्डलीय प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 17.04.13 व 14.11.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-2/1 लगायत् 2/13 व कागज सं0-4/1 लगायत् 4/15 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
8.    फोरम द्वारा परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
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    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि क्या परिवादीगण प्रष्नगत बीमा पॉलिसी को दिनांक  13.04.12 से लगातार व अद्यतन पॉलिसी की पूर्व षर्तों के अनुसार रिन्यू कराने का तथा उक्त पॉलिसी के अंतर्गत लम्बित क्लेम व याचित अन्य उपषम प्राप्त करने के अधिकारी हैं?
    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में परिवादीगण का कथन यह है कि उनके द्वारा उपरोक्त बीमा पॉलिसी को रिन्यू कराने के लिए दिनांक 03.03.12 को चेक सं0-383693 विपक्षी बीमा कंपनी को दी गयी, किन्तु विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा उक्त चेक को कैष कराने हेतु दिनांक 11.04.12 को एक माह बाद विपक्षी सं0-3 पंजाब नेषनल बैंक में लगायी गयी। उक्त चेक में बड़ी मोहर की जगह छोटी मोहर लग जाने के कारण उक्त चेक का भुगतान नहीं हुआ और दिनांक 12.04.12 की षाम को फोन करके परिवादीगण को बताया गया कि परिवादीगण की चेक डिसआनर हो गयी है। परिवादीगण दिनांक 13.04.12 को सुबह 11 बजे नगद पैसा लेकर विपक्षी सं0-1 के कार्यालय पहुॅचे। किन्तु विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 13.04.12 को प्रातः 10 बजे ही पॉलिसी निरस्तीकरण का पत्र दे दिया। इस सम्बन्ध में परिवादीगण की ओर से आगे यह कथन किया गया है कि विपक्षीगण की ही गलती के कारण परिवादीगण का प्रीमियम समय से नहीं जमा किया जा सका। विपक्षी सं0-1 के द्वारा जानबूझकर प्रष्नगत चेक को एक माह विलम्ब से कैष होने हेतु ही लगाया गया। क्योंकि उन्होंने पूर्व में गलत कार्य किया था, जो कि न्यायालय के आदेष से दुरूस्त किया गया था, जिससे परिवादीगण से रंजिष मानने लगे, जो परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत चेक से सत्यापित होता है। क्योंकि विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत की गयी लिखित बहस में यह कहा गया है कि परिवादीगण के द्वारा पॉलिसी में लोडिंग न लगाने के लिए कहा गया। इसलिए सर्वप्रथम विपक्षी द्वारा परिवादीगण की पॉलिसी आगे जारी करने से इंकार किया गया। परिवादीगण द्वारा अधिक क्लेम लेने के लिए विपक्षी नियमानुसार प्रीमियम पर लोडिंग लगा रहे थें।  डा0 डी0के0 तिवारी का क्लेम का 277 प्रतिषत 
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व डा0 विक्रांत त्रिपाठी का 1769 प्रतिषत का था। परिवादीगण का क्लेम उनके स्वयं के प्रषान्त नर्सिंगहोम के हैं, इसलिए परिवादीगण द्वारा लिये गये क्लेमू में संषय उत्पन्न हो रहा है। परिवादीगण द्वारा क्लेम बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दाखिल किया गया है। विपक्षीगण के द्वारा यह नहीं बताया। जैसाकि परिवादीगण का क्लेम बीमा अधिनियम के किस प्राविधान के विपरीत है। विपक्षीगण ने मात्र संषय के आधार पर परिवादीगण की पॉलिसी निरंतरता कायम न चलने देना स्वयमेव स्वीकार किया गया है। परिवादीगण द्वारा अपने कथन के समर्थन में चेक सं0-383693 दिनांकित 03.03.12 प्रस्तुत की गयी है। चेक रिटर्न मेमो प्रस्तुत किया गया है, जिससे परिवादीगण के कथन को बल प्राप्त होता है। विपक्षीगण की ओर यह कथन किया गया है कि परिवादीगण द्वारा दी गयी चेक सं0-383693 दिनांकित 03.03.12 के आधार पर दिनांक 05.03.12 को पॉलिसी काट दी गयी और चेक भुगतान के लिए पंजाब नेषनल बैंक के अनुसार दिनांक 06.03.12 को भेज दी गयी, जो कि विपक्षी सं0-1 की बैंक, विपक्षी सं0-3 बैंक द्वारा दिनांक 12.04.12 को चेक डिसआनर कर दी गयी, जिसकी सूचना विपक्षी सं0-1 को दिनांक 12.04.12 को प्राप्त हुई। विपक्षी को सूचना प्राप्त होने पर ही दिनांक 12.04.12 को ही परिवादीगण को सूचना दे दी गयी। दिनांक 13.04.12 को परिवादीगण की पॉलिसी प्रीमियम न मिलने के कारण निरस्त की गयी। विपक्षीगण द्वारा प्रष्नगत चेक को दिनांक 06.03.12 को विपक्षी सं0-3 पंजाब नेषनल बैंक के यहां जमा करने का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। दिनांक 13.04.12 को ही पॉलिसी निरस्त करने के सम्बन्ध में परिवादीगण की ओर यह तर्क किया गया है कि विपक्षीगण को बीमा पॉलिसी के नियमों के अनुसार एक माह की नोटिस देने की उपरान्त ही डिफाल्टर/उपभोक्ता की पॉलिसी निरस्त करने का अधिकार है, इसके पूर्व नहीं। विपक्षीगण के द्वारा दाखिल की गयी लिखित बहस के प्रस्तर-15 में पॉलिसी निरस्त करने के पूर्व 30 दिन की नोटिस देने की बात कंपनी के मैनुअल में होना स्वीकार किया गया है। किन्तु यह कहा गया है कि इस सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 की ओर से परिवादीगण को प्रेशित पत्र दिनांकित 19.04.12 के सम्बन्ध में परिवादीगण द्वारा गलत व्याख्या  की गयी है।  नियमानुसार सामान्य रूप से चल  रही
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पॉलिसी को बीमा पॉलिसी कैंसिल कर सकती हैं उस पर चेक डिसआनर होने की बात पॉलिसी में कहीं नहीं लिखा है। विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत एकाउन्ट मैनुअल के परिषीलन से विदित होता है कि उक्त मैनुअल के दो प्रश्टों की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है। उनमें 30 दिन की नोटिस का उल्लेख नहीं है। प्रस्तुत मामले में चूॅकि स्वयं विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण की चेक को समय से न लगाये जाने के कारण तथा परिवादीगण से उनके स्वयं के नर्सिंगहोम के क्लेम बिल होने के आधार पर तथा अभिकथित बढ़ाकर प्रस्तुत किये गये क्लेम के कारण विपक्षी सं0-1 के सहायक प्रबन्धक परिवादीगण से प्रथम दृश्टया रंजिष मानना सिद्ध होता है। इसलिए प्रस्तुत मामले में यह अवधारणा बनती है कि विपक्षीगण के सहायक प्रबन्धक द्वारा उक्त रजिंष के तहत परिवादीगण को कोई अवसर, यहां तक कि न्यायिक प्राविधान के अंतर्गत भी नहीं देने के लिए तत्पर था। इसलिए जानबूझकर उपरोक्त कार्यवाही करते हुए दिनांक 13.04.12 को परिवादीगण की पॉलिसी निरस्त की गयी है। विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी की कोटि में आता है। बीमा का कार्य भी उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए एक कल्याणकारी अधिनियम के अंतर्गत किया जाता है। इसलिए विपक्षीगण का यह उत्तरदायित्व था कि वह दिनांक 13.04.12 को परिवादीगण की पॉलिसी निरस्त करने से पूर्व उसकी ओर से जमा की जा रही नगर धनराषि को स्वीकार करते हुए उनकी बीमा पॉलिसी जारी करें। विपक्षीगण की ओर से अपने कथन के समर्थन में विधि निर्णय 2004 ;1द्ध ज्ण्।ण्ब्ण् 781 ;व्तपेंद्ध डिवीजनल मैनेजर नेषनल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 बनाम तसरी प्रधान एवं अन्य, विधि निर्णय 2004 ;1द्ध ज्ण्।ण्ब्ण् 784 ;त्ंरेंजींदद्ध ओरियन्टल इष्ंयोरेन्स कंपनी लि0 बनाम सफी मोहम्मद अलीज मोहम्मद सफी एवं अन्य एवं विधि निर्णय 2013 ;1द्ध ज्ण्।ण्ब्ण् 49 ;ठवउइंलद्ध न्यू इण्डिया इष्ंयोरेन्स कंपनी लि0 बनाम काषीनाथ एवं अन्य की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। मा0 न्यायालय का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त अधिनियम में मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत पारित किये गये हैं। उपरोक्त विधि निर्णय प्रस्तुत मामले के तथ्यों, परिस्थितियों से भिन्न होने के कारण उपरोक्त विधि निर्णयों में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले में लागू नहीं होता है। 
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अतः उक्त विधि निर्णयों में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत का लाभ विपक्षीगण को प्राप्त नहीं होता है।
    उपरोक्त प्रस्तर में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस निश्कर्श पर पहुॅचती है कि परिवादीगण का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादीगण की प्रष्नगत पॉलिसी को पूर्व से अद्यतन नवीनीकृत करने हेतु तथा परिवाद व्यय अदा करने हेतु तथा दौरान वाद परिवादीगण के लम्बित क्लेम के सम्बन्ध में नियमानुसार विपक्षीगण विचार करने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादीगण की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादीगण द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादीगण द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
9.     उपरोक्त कारणों से परिवादीगण का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादीगण की प्रष्नगत पॉलिसी सं0-222104/48/2012/2305 दिनांक 13.04.12 से अद्यतन परिवादीगण से, नियमानुसार नवीनीकरण का षुल्क प्राप्त करके अद्यतन नवीनीकृत करें, परिवाद लम्बित रहने के दौरान यदि परिवादीगण का कोई क्लेम हो तो उस पर नियमानुसार विपक्षीगण द्वारा विचारोपरान्त पारित किया जाये तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा किया जाये।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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