जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-311/2006
मेसर्स ज्योती कैप्सूल, स्थित कार्यालय-123/37, सरेष बाग फैक्ट्री एरिया कानपुर-208012 द्वारा अधिकृत प्रतिनिधि श्री अभय चतुर्वेदी।
................परिवादी
बनाम
दि न्यू इण्डिया इंष्योरेन्स कंपनी लि0 द्वारा डिवीजनल मैनेजर, डिवीजनल आॅफिस-प्ट 133ध्242ए ट्रांसपोर्ट नगर, कानपुर।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 15.04.2006
निर्णय की तिथिः 18.04.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी कंपनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी की मषीन मुम्बई से कानपुर के मध्य ले जाने के दौरान हुई क्षति के लिए रू0 6,40,000.00 क्षतिपूर्ति के रूप में, उपरोक्त धनराषि पर 19 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से जून, 2004 से मार्च, 2006 तक रू0 95,130.00 ब्याज के रूप में, रू0 5,00,000.00 परिवादी के क्षतिपूर्ति दावे को लम्बित रखने के लिए व रू0 7,50,000.00 उपरोक्त कार्यवाही से परिवादी को हुई क्षति के लिए तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 21,000.00 कुल रू0 19,70,130.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी कंपनी के द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी से एक बीमा पाॅलिसी मैरिन कवरनोट नं0-के-014388 दिनांक 28.01.03 जिसका प्रीमियम रू0 2206.00 था, परिवादी की इनकैप्सुलेषन मषीन को ओवरहालिंग के लिए ले जाने के दौरान क्षतिपूर्ति के लिए ली गयी थी। परिवादी द्वारा अपनी इनकैप्सुलेषन मषीन मेसर्स आबर्स टूल प्रा0लि0 घाटकोपर मुम्बई को ओवरहालिंग के लिए भेजी गयी थी। विपक्षी बीमा कंपनी की प्रष्नगत
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मषीन को भेजने से पूर्व की षर्त के अनुसार अधिकृत सर्वेयर मेसर्स गोन्डालिया एसोसिएट स्थित रीना काम्पलेक्स प्रथम तल कक्ष सं0-117 रामदेव नगर रोड नाथनी स्टील विद्या विहार पष्चिमी मुम्बई-400086 से मषीन भेजने से पूर्व सर्वे करा लिया गया था और उक्त सर्वे रिपोर्ट दिनांक 30.01.03 को उपलब्ध करा दी गयी थी। प्रष्नगत मषीन के ओवर हीलिंग एवं भेजने से पूर्व निरीक्षण कराने के पष्चात मेसर्स आबर्स टूल प्रा0 लि0 के द्वारा दिनांक 29.01.03 को मुम्बई से कानपुर भेजी गयी। प्रष्नगत मषीन 10 बाक्स में पैक की गयी थी। उक्त 10 पैक किये गये बाक्स कानपुर में दिनांक 05.02.03 को प्राप्त किये गये। किन्तु उक्त प्राप्त बाक्स जिसमें प्रष्नगत मषीन के मुख्य एवं कीमती हिस्से थे। टूटे हुए/क्षतिग्रस्त स्थिति में पाये गये। उक्त क्षति सभी संभव सावधानियाॅ लेने के बावजूद मुम्बई से कानपुर लाने के दौरान कारित हो गयी। उपरोक्त क्षति की सूचना तत्काल विपक्षी को पत्र दिनांकित 09.02.03 के द्वारा देते हुए यह निवेदन किया गया कि विपक्षी बीमा कंपनी उपरोक्त क्षति के आकलन हेतु अपना सर्वेयर नियुक्त करे। उपरोक्त पत्र के आलोक में सर्वेयर की नियुक्ति की गयी। सर्वेयर द्वारा यह बताया गया कि प्रष्नगत क्षति के सम्बन्ध में विषिश्ट सर्वेयर जो कि प्रष्नगत मषीन का तकनीकी ज्ञान रखता हो, वह रिपोर्ट दे सकता है। इसके पष्चात विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा लंबे समय के पष्चात परिवादी को यह राय दी गयी कि परिवादी प्रष्नगत मषीन का निरीक्षण आबर्स टूल प्रा0लि0 जिसके द्वारा प्रष्नगत मषीन ओवरहीलिंग की गयी थी-से करवाये। मेसर्स आबर्स टूल कंपनी के द्वारा अपने पत्र दिनांकित 31.03.04 के माध्यम से परिवादी से प्रष्नगत मषीन का निरीक्षण करने के लिए वायु मार्ग का किराया, यात्री से सम्बन्धित अन्य सुविधायें एवं आवास इत्यादि की मांग की गयी। इसके पष्चात परिवादी के पत्र/अनुस्मारक पत्र दिनांक 05.04.04, 19.05.04 एवं 25.06.04 के बावजूद बिना किसी कारण के लंबा समय लिया गया। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा इस प्रकार परिवादी के साथ सेवा में कमी की गयी और उपरोक्त परिस्थितियों में यह आभास हुआ कि विपक्षी बीमा कंपनी परिवादी के बीमा
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दावे को तय करने की कोई मंषा नहीं रखता है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके यह कहा है कि परिवादी मेसर्स ज्योती कैप्सूल कंपनी, अधिकृत कंपनी नहीं है। बीमा का विशय सदैव बीमा अधिनियम की धारा-64 ;टद्ध ठ के अंतर्गत सत्यापन के अधीन होता है। परिवादी के द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह कहा गया है कि प्रष्नगत मषीन ओवरहीलिंग के लिए मुम्बई लायी गयी थी। जबकि परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखों से स्पश्ट होता है कि प्रष्नगत मषीन मरम्मत के उद्देष्य से मुम्बई लायी गयी थी। इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में अथवा किसी अन्य अभिलेखय साक्ष्य के द्वारा यह नहीं स्पश्ट किया गया है कि प्रष्नगत मषीन किस पार्ट की मरम्मत के लिए लायी गयी थी। परिवादी की ओर से ऐसा कोई इनवायस अथवा पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है कि प्रष्नगत मषीन किस तारीख को मुम्बई भेजी गयी थी और न ही ऐसा कोई बिल प्रस्तुत किया गया है। प्रष्नगत मषीन के किस हिस्से को बदला गया अथवा मरम्मत की गयी और मरम्मत में कितना व्यय हुआ। परिवादी द्वारा डिस्पैच करने की निरीक्षण रिपोर्ट विपक्षी को कभी नहीं दी गयी। परिवादी द्वारा कोई पैकिंग सूची प्रस्तुत नहीं की गयी। परिवादी द्वारा प्रष्नगत मषीन भेजने से पूर्व की निरीक्षण से सम्बन्धित कोई सीरियल नम्बर अथवा माॅडल इत्यादि का उल्लेख नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध हो कि मषीन का, मुम्बई भेजने से पूर्व निरीक्षण किया गया था। प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट में भी कोई पैकिंग विवरण का उल्लेख नहीं किया गया है। इसलिए यह सुनिष्चित नहीं किया जा सकता कि प्रष्नगत मषीन का मुवायना पैकिंग से पूर्व अथवा पैकिंग के बाद किया गया था। परिवादी द्वारा अब तक मषीन भेजने से पूर्व के निरीक्षण से सम्बन्धित कोई फोटोग्राफ प्रस्तुत नहीं की गयी है। जिससे यह स्पश्ट होता है कि सर्वे से पूर्व प्रष्नगत मषीन की पैकिंग की गयी है। अतः प्रस्तुत की गयी पूर्व निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर यह विष्वास नहीं किया जा सकता है कि प्रष्नगत मषीन मुम्बई से
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कानपुर भेजने के पहले सही हालत में थी। मात्र टूटी हुई पैकिंग से यह नहीं अवधारणा बनायी जा सकती कि प्रष्नगत मषीन टूटी हुई थी। इसके अतिरिक्त यदि प्रष्नगत मषीन से सम्बन्धित बक्सों की बाहर से क्षति हुई थी, तो परिवादी का यह उत्तरदायित्व था कि परिवादी विपक्षी बीमा कंपनी को प्रष्नगत मषीन से सम्बन्धित बक्सों को खोलने से पूर्व विपक्षी बीमा कंपनी को सूचना देता, जिससे विपक्षी बीमा कंपनी यह सुनिष्चित कर सके कि वास्तव में क्षति कारित हुई या नहीं और यदि क्षति कारित हुई है, तो कितनी क्षति कारित हुई है। यदि प्रष्नगत मषीन की किसी प्रकार की क्षति बाहर से हुई थी, तो बीमित का यह बाध्यकारी दायित्व है कि वह बीमित जी0आर0 के पीछे उक्त ट्रांसपोर्ट कंपनी जिसके ड्राईवर द्वारा प्रष्नगत मषीन कानपुर लायी गयी थी से बक्सों की क्षति की टिप्पणी अंकित करवाता। किन्तु उक्त कार्यवाही परिवादी/बीमित द्वारा नहीं की गयी, जिससे यह तात्पर्य निकलता है कि अभिकथित कोई क्षति कारित नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त परिवादी ट्रांसपोर्टर/कैरियर के द्वारा अभिकथित बक्सों में हुई क्षति की पुश्टि से सम्बन्धित कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा धारा-10 कैरियर अधिनियम के अंतर्गत ट्रांसपोर्टर कंपनी के विरूद्ध क्लेम अथवा गणना से सम्बन्धित भी कोई विवरण दाखिल नहीं किया गया है। उपरोक्त कैरियर के विरूद्ध योजित क्लेम से सम्बन्धित कोई प्रमाण पत्र दाखिल किया गया। अतः अभिकथित क्षति सिद्ध नहीं होती है। विपक्षी बीमा कंपनी के पास उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार विपक्षी का यह कहना है कि विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा कोई अभिकथित सर्वेयर की नियुक्ति नहीं की गयी है और न ही तो अभिकथित बीमा कंपनी द्वारा परिवादी कंपनी को यह बताया गया कि अभिकथित निरीक्षण अमुक सर्वेयर द्वारा कराया जाये। परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है।
उपरोक्त के अतिरिक्त विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी निम्नलिखित अभिलेख न तो विपक्षी बीमा कंपनी को उपलब्ध कराये और न ही तो फोरम के समक्ष प्रस्तुत किये गयेः-
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1. विपक्षी बीमा कंपनी को क्षति से सम्बन्धित सूचना (अभिलेखी साक्ष्य)
2. प्रष्नगत मषीन को मुम्बई भेजने से सम्बन्धित इनवायस की कापी मय ट्रांसपोर्टेषन के प्रमाण के (जी0आर0 कापी)।
3. प्रष्नगत मषीन के मुम्बई भेजने के समय खराब होने का विवरण (जी0आर0 कापी इत्यादि)।
4. प्रष्नगत मषीन को मुम्बई भेजने के समय इंष्योरेन्स कंपनी प्राप्त न करने के कारण प्रष्नगत मषीन को मुम्बई से कानपुर भेजने से सम्बन्धित जी0आर0 कापी व इनवायस की कापी।
5. प्रष्नगत मषीन को कानपुर से मुम्बई तथा मुम्बई से कानपुर भेजने से सम्बन्धित ट्रांसपोर्टर को दिये गये किराये से सम्बन्धित प्रमाण पत्र।
6. प्रष्नगत मषीन से सम्बन्धित बक्सों के क्षतिग्रस्त होने से सम्बन्धित ट्रांसपोर्टर के ड्राईवर से जी0आर0 के पिछले पृश्ठ पर प्राप्त प्रमाण पत्र की प्रति।?
7. कैरियर अधिनियम की धारा-10 के अंतर्गत ट्रांसपोर्टर के विरूद्ध कोई क्लेम न करने से सम्बन्धित प्रमाण पत्र।
8. प्रष्नगत मषीन का कौन सा हिस्सा मषीन को लाने-ले-जाने के दौरान क्षतिग्रस्त हुआ। उक्त हिस्से के पार्ट की मरम्मत की क्षनिराषि से सम्बन्धित प्रमाण पत्र।
9. प्रष्नगत मषीन के प्रष्नगत हिस्से के बदलने अथवा मरम्मत करने से सम्बन्धित विवरण तथा प्रष्नगत पार्ट बदला गया तो नया पार्ट खरीदने का प्रमाण पत्र, कैसमेमो अथवा भुगतान से सम्बन्धित प्रमाण पत्र।
10. प्रष्नगत पार्ट विवरण तथा प्रष्नगत मषीन का पूर्व विवरण।
11. चूॅकि प्रष्नगत मषीन पुरानी थी, इसलिए प्रष्नगत मषीन का फनवजम
12. क्षतिग्रस्त पार्ट अथवा मषीन की निरीक्षण रिपार्ट।
13. इस आषय का प्रमाण पत्र कि मषीन की मरम्मत हुई अथवा मषीन बदली गयी है।
14. प्रष्नगत मषीन की मरम्मत की कीमत अदायगी से सम्बन्धित चेक नम्बर, दिनंाक, धनराषि और तत्सम्बन्धी कैसमेमो अथवा इनवायस।
15. क्लेम बिल।
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16. प्रष्नगत मषीन के मरम्मत कर्ता द्वारा स्टैण्डर्ड पैकिंग प्रमाण पत्र और पैकिंग सूची की प्रति द्वारा मरम्मतकर्ता।
17. मरम्मतकर्ता द्वारा मरम्मत से सम्बन्धित प्राप्त की गयी धनराषि का प्रमाण पत्र।
वास्तव में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी के यहां केाई क्लेम प्रस्तुत ही नहीं किया गया और यह स्पश्ट हेाता है कि परिवादी द्वारा मनगढ़ंत कहानी के आधार पर प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। अतः उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 12.04.06, 04.10.11 एवं रमेष चन्द्र गुलाटी मैनेजिंग डायरेक्टर का षपथपत्र दिनांकित 11.11.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1/1 लगातय् 1/9 तथा कागज सं0-2/1 लगायत् 2/5 दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में राजेष दीक्षित डिवीजनल मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 27.12.12 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
6. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी बीमा कंपनी का परिवादी के परिवाद के विरूद्ध प्रमुख तर्क यह है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी के यहां कोई अभिकथित दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा प्रष्नगत मषीन
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को मुम्बई से कानपुर लाने के दौरान बताई गयी अभिकथित क्षति के संबंधमें कोई तकनीकी विषेशज्ञ की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयी है। ऐसा कोई इनवायस अथवा प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह स्पश्ट हो कि प्रष्नगत मषीन किस तारीख को मुम्बई भेजी गयी थी। प्रष्नगत मषीन से सम्बन्धित बक्सों के क्षतिग्रस्त होने से सम्बन्धित ट्रांसपोर्टर के ड्राईवर से जी0आर0 के पिछले पृश्ठ पर प्राप्त किये जाने वाले प्रमाण पत्र की प्रति, प्रष्नगत मषीन का कौन सा हिस्सा मषीन को मुम्बई से कानपुर लाने के दौरान क्षतिग्रस्त हुआ-का प्रमाण पत्र, प्रष्नगत मषीन के अभिकथित हिस्से के बदलने अथवा विवरण अथवा कौन सा पार्ट बदला गया, को खरीदने से सम्बन्धित प्रमाण पत्र व उसमें हुए व्यय से सम्बन्धित अदायगी का प्रमाण पत्र- नहीं प्रस्तुत किये गये हैं। विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से उपरोक्त उठाये गये महत्वपूर्ण प्रष्न है। उक्त प्रष्नों का संदर्भ रखते हुए पत्रावली का सम्यक परिषीलन किया गया, जिससे यह विदित होता है कि उभयपक्षों की ओर से अपने-अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र प्रस्तुत किये गये हैं। परिवादी की ओर से षपथपत्र के अतिरिक्त प्रस्तुत किये गये अन्य अभिलेखीय साक्ष्य कागज सं0-1/1 लगायत् 1/9 तथा कागज सं0-2/1 लगायत् 2/5 दाखिल किये गये हैं। किन्तु उपरोक्त अभिलेखीय साक्ष्यों में विपक्षी की ओर से उल्लिखित उपरोक्त कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। विधि का यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि जिन तथ्यों को अन्य अभिलेखीय साक्ष्यों से प्रमाणित किया जा सकता है, उन तथ्यों को षपथपत्र से साबित किया जाना नहीं माना जायेगा।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद को साबित करने के लिए उपरोक्त आवष्यक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। अतः पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
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ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।