न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 67 सन् 2010ई0
विरेन्द्र कुमार सिंह पुत्र स्व0 ब्रम्हदेव सिंह निवासी मकान नं0 14/2 मानस नगर कालोनी मुगलसराय जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
1-दि ओरियण्टल इश्योरेंस कम्पनी लि0 बजरिये मण्डलीय प्रबन्धक दि ओरियण्टल इश्योरेंस कम्पनी लि0 मण्डलीय कार्यालय द्वितीय तल हथुआ मार्केट लहुराबीर वाराणसी।
2-प्रबन्धक पुनीत आटो मोबाइल्स क0 लि0 जी0टी0रोड मढिया पडाव जिला चन्दौली।
.............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप, सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी से प्रश्नगत वाहन की बीमित राशि रू0 304000/-,मानसिक क्षति,व्यापार में हुए क्षति एवं वाद व्यय व भागदौड में हुए खर्च हेतु 1,50000/- कुल रू0 454000/- बतौर क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया है कि परिवादी ने अपने जीविकोपार्जन हेतु विपक्षी संख्या 1 के माध्यम से ऋण लेकर एक पिकप क्रय किया था जिसका बीमा विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से विपक्षी संख्या 1 से कराया था। प्रश्नगत वाहन का रजिस्ट्रेशन संख्या यू0पी067सी/6014 था। परिवादी ने दिनांक 9-7-08 को उपरोक्त वाहन को वाहन चालक रविकुमार को देकर बिहार भेजा था कि परिवादी का उक्त वाहन बिहार राज्य के रास्ते में जी0टी0रोड कर्मनाशा के आगे बौद्ध मन्दिर के पास पहुंचा तो विपरीत दिशा से आ रही ट्रक जिसका नम्बर एम0पी020एच वी/0887 था के चालक ने तेजी व लापरवाही पूर्वक चलाते हुए गलत साइड में आकर जोरदार धक्का मार दिया जिससे परिवादी का वाहन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया।तत्पश्चात परिवादी क्षतिग्रस्त वाहन को खिचवाकर विपक्षी संख्या 2 के यहॉं बनवाने के लिए लाया। परिवादी ने अपने क्षतिग्रस्त वाहन की सूचना विपक्षी संख्या 2 द्वारा विपक्षी संख्या 1 को दिया। विपक्षी संख्या 1 के कार्यालय से जांच करने के लिए सर्वेयर आये और विपक्षी संख्या 1 ने स्टीमेट बनाने एवं वाहन के आवश्यक कागजात उपलब्ध कराने के लिए कहा। परिवादी ने प्रश्नगत वाहन का आर0सी0,डी0एल0बीमा,परमिट एवं दिनांक 20-10-2008 को रू0 762935/-का स्टीमेट बनवाकर विपक्षी संख्या 1 को दे दिया। परिवादी के दावे के भुगतान हेतु विपक्षी संख्या 1 ने कई बार अपने कार्यालय दौडाया और आश्वासन देते रहे कि जल्द ही आपके दावे का भुगतान कर दिया जायेगा। दिनांक 22-5-2009 को विपक्षी संख्या 1 के सर्वेयर श्री एस0पी0 सिंह का रजिस्टर्ड पत्र प्राप्त हुआ जिसमे वाहन के सम्बन्ध में चालक रविकुमार का डी0एल0
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,आर0सी0, फिटनेस बीमा पालिसी,प्रथम सूचना रिर्पोट,रिलीज आर्डर,पोस्टमार्टम रिर्पोट,इन्जरी रिर्पोट की मांग किया गया।जिसे परिवादी ने उपलब्ध करा दिया। परिवादी के वाहन की बीमा धनराशि रू0 304000/-है और इसी धनराशि पर टोटल प्रीमियम रू0 11890/- लिया गया था। परिवादी के क्लेम का भुगतान न होने पर उसने दिनांक 5-4-2010 को विपक्षी संख्या 1 को रजिस्टर्ड नोटिस दिया कि क्षतिग्रस्त वाहन को बनवाकर दे देवे, या पूर्ण रूप से क्षति मानकर बीमित धनराशि रू0 304000/- वापस किया जाय। जिसके जबाब में विपक्षी संख्या 1 का रजिस्टर्ड पत्र दिनांकित 8-4-2010 को प्राप्त हुआ जिसमे परिवादी से उपरोक्त कागजात मांग किये जिसके जबाब में परिवादी ने दिनांक 28-4-2010 को पुनः रजिस्टर्ड डाक द्वारा पत्र लिखकर एवं साथ में मांग किये गये समस्त कागजात को भेज दिया। किन्तु विपक्षी संख्या 1 को रजिस्टर्ड डाक से प्रार्थना पत्र एवं कागजात भेजने के बावजूद दावा का भुगतान नहीं किया गया तब परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया।
3- विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी को परेशान करने की गरज से दाखिल किया है जिसमे कोई सच्चाई नहीं है और परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है। बीमा संविदा एक सद्भाव व विश्वास का संविदा है जिसमे बीमाधारक को बीमा पालिसी की शर्तो का ईमानदारी पूर्वक पालन करना होता है। बीमा अधिनियम का सर्वमान्य सिद्धान्त है कि क्षतिपूर्ति की प्राप्ति के लिए बीमाधारक को ऐसा कृत्य नहीं करना चाहिए जिससे बीमा की मूल शर्तो का उल्लंघन हो अन्यथा बीमाधारक को किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति देय नहीं होती।परिवादी का वाहन एक भारवाहक वाहन था जिसका उद्देश्य भार ढोने का था इस वाहन में सवारी नहीं बैठायी जा सकती और न तो वाहन का प्रयोग सवारी गाडी के रूप में किया जा सकता है। दिनांक 9-7-2008 को परिवादी अपने वाहन में मुगलसराय से एक दर्जन लोगों (कैटरिंग का काम करने वाले मजदूर) को बैठाकर बिहार ले जा रहा था और रास्ते में कर्मनाशा (बिहार) के पास परिवादी के वाहन की टक्कर ट्रक से हो गयी। परिवादी के भार वाहन में बैठे घायल हुए सभी व्यक्ति मुगलसराय चन्दौली के थे और ये लोग बिहार जा रहे थे इससे स्पष्ट है कि परिवादी अपने भारवाहक वाहन का प्रयोग सवारी वाहन के रूप में कर रहा था। परिवादी के परिवाद एवं पुलिस प्रपत्र तथा अन्य साक्ष्यों से स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा अपने वाहन को बीमा शर्तो का उल्लंघन करते हुए चलाया जा रहा था।बीमा पालिसी की मूल भूत शर्तो की उल्लंघन की दशा में बीमा लाभ परिवादी नहीं प्राप्त कर सकता है। बीमा कम्पनी द्वारा अपने पंजीकृत पत्र दिनांकित 25-9-2009 द्वारा परिवादी को सूचित किया था कि उसका वाहन क्षति दावा बीमा की शर्तो का उल्लंघन करने के कारण नो क्लेम कर दिया गया है जिसकी जानकारी परिवादी को बखूबी है। इस आधार पर परिवादी के परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गयी है।
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4-विपक्षी संख्या 2 पर सम्मन का तामिला पर्याप्त रूप से होने के बावजूद समय से कोई आपत्ति/जबाबदावा दाखिल नहीं की गयी है। अतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यू इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम हिली मल्टीपरपच कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0 में प्रतिपादित सिद्धान्त के अनुसार उसके जबाबदावा का अवसर समाप्त किया गया है।
5-परिवादी की ओर से परिवादी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में ओरियेण्टल इश्योरेंस कम्पनी का मूल पत्र,रजिस्ट्री रसीदें 2 अदद्,सर्वेयर के पत्र की छायाप्रति,2 अदद्,राजस्व संग्रह केन्द्र मोहनियॉं में वाहन के जुर्माना जमा करने की रसीद की छायाप्रति,पुनीत आटो मोबाइल्स द्वारा परिवादी के गाडी में लगे समान के स्टीमेट का पर्चा 2 अदद्,परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रेषित प्रार्थना पत्र की छायाप्रति,गाडी के आर0सी0 की छायाप्रति,कराधान अधिकारी चन्दौली के पर्चा की छायाप्रति,बीमा पालिसी की छायाप्रति,प्रथम सूचना रिर्पोट थाना मोहनियॉ की छायाप्रतियॉं,विधिक नोटिस की कार्बन प्रति,एवं फेहरिस्त के साथ डी0एल0 की छायाप्रति व बिल बाउचर की छायाप्रति,दाखिल की गयी है। विपक्षी संख्या1 की ओर से जगमोहन सिंह गौर(मण्डल प्रबन्धक) का शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में समाचार पत्र की छायाप्रति तथा बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 25-9-2009 की छायाप्रति दाखिल की गयी है।
6- परिवादी तथा विपक्षी संख्या 1 की अेर से लिखित बहस दाखिल है एवं उनके अधिवक्तागण की मौखिक बहस सुनी गयी। पत्रावली का पूर्ण रूपेण परिशीलन किया गया।
7- परिवादी की ओर से यह तर्क दिया गया है कि उसने वाहन संख्या यू0पी067सी./6014 का बीमा विपक्षी संख्या 1 से करवाया था और दिनांक 9-7-2008 को उक्त वाहन को लेकर चालक रविकुमार बिहार गया था और जब वह जी0टी0 रोड पर कर्मनाशा के आगे बौद्ध मन्दिर के पास पहुंचा तो विपरीत दिशा से ट्रक जिसका नम्बर एम.पी.20एच.वी/0887 था के चालक ने तेजी व लापरवाही से वाहन चलाते हुए गलत साइड में आकर परिवादी के पिकप में जोरदार धक्का मार दिया जिससे पिकपट पूरीतरह से क्षतिग्रस्त हो गयी। परिवादी अपने वाहन को खिचवाकर विपक्षी संख्या 2 पुनीत आटो मोबाइल कम्पनी लि0 पडाव जिला चन्दौली में बनवाने के लिए ले गया। विपक्षी संख्या 2 द्वारा वाहन के क्षतिग्रस्त होने की सूचना विपक्षी संख्या 1 के कार्यालय को दी गयी। विपक्षी संख्या 2 को स्टीमेट बनाने के लिए कहा गया तो उन्होंने रू0 762035/- का स्टीमेट बनाकर दिनांक 20-10-2008 को दिया। परिवादी की ओर से उक्त स्टीमेट तथा गाडी के सम्पूर्ण कागजात विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराये गये। परिवादी को विपक्षी संख्या 1 कई बार दौडाये पुनः उनके सर्वेयर ने पंजीकृत डाक से परिवादी को दिनांक 22-5-2009 को एक पत्र भेजा और परिवादी के वाहन के चालक रविकुमार के डी0एल0 तथा बीमा पालिसी एवं गाडी के कागजात पोस्टमार्टम रिर्पोट आदि की मांग किया जिसे परिवादी ने उपलब्ध कराया इसके बावजूद
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बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के क्लेम का पैसा नहीं दिया गया तब परिवादी की ओर से विपक्षी संख्या 1 को कानूनी नोटिस भी दी गयी इसके बाद विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी से पुनः कागजात की मांग किया और परिवाद ने मांगे गये कागजात भी पुनः उपलब्ध करा दिये इसके बावजूद काफी समय बीत जाने पर भी विपक्षी ने परिवादी के दावा का भुगतान नहीं किया तब यह परिवाद दाखिल किया गया है। परिवादी के अधिवक्ता का तर्क है कि जिस समय दुर्घटना हुई उस समय परिवादी का वाहन विपक्षी संख्या1 द्वारा पूर्ण रूप से रू0 304000/- हेतु बीमित था और बीमा प्रभावी था। अतः परिवादी विपक्षी से बीमा की धनराशि रू0 304000/- तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षति के क्षतिपूर्ति,वाद व्यय,भागदौड का खर्च व व्यापार में हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है और उसका परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
8- विपक्षी संख्या 1 की ओर से मुख्य रूप से यह कहा गया है कि परिवादी का वाहन यू0पी067सी/6014 एक भार वाहन है जो सामान ढोने के लिए मान्य है और उसके बीमा पालिसी में किसी व्यक्ति का बीमा नहीं किया गया है और न ही परिवादी की ओर से ऐसा कोई प्रीमियम अदा किया गया है चूंकि जब परिवादी अपने वाहन में एक दर्जन व्यक्तियों को बैठाकर ले जा रहा था उसी समय यह दुर्घटना घटित हुई। अतः वाहन का चालन बीमा की शर्तो का उल्लंघन करते हुए किया गया है ऐसी स्थिति में बीमा कम्पनी किसी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं है और इसीलिए परिवादी का क्लेम खारिज किया गया है और तद्नुसार परिवादी का परिवाद भी निरस्त किये जाने योग्य है।
9- उभय पक्ष को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि दुर्घटना के समय परिवादी का प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी द्वारा रू0 304000/- के लिए बीमित था और दुर्घटना के समय परिवादी का बीमा वैध एवं प्रभावी था।परिवादी ने वाहन की क्षति का जो स्टीमेट दाखिल किया है वह रू0 762935/- का है किन्तु उसने क्षतिपूर्ति के रूप में बीमित धनराशि रू0 304000/- की ही मांग की है। प्रस्तुत मामले में विपक्षी संख्या 1 की ओर से यह कहा गया है कि जिस समय दुर्घटना हुई उस समय परिवादी के उपरोक्त वाहन में करीब 1दर्जन व्यक्ति बैठकर यात्रा कर रहे थे। जबकि परिवादी का वाहन एक माल वाहन है और इसी रूप में उसका बीमा किया गया था, वाहन में यात्रियों को बैठाकर परिवादी ने खुद बीमा की शर्तो का उल्लंघन किया है इसलिए परिवादी बीमा कम्पनी से कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से समाचार पत्र की छायाप्रति दाखिल की गयी है जिसमे प्रस्तुत मुकदमे में जिस दुर्घअना का जिक्र किया गया है उसके सम्बन्ध में समाचार प्रकाशित है जिसमे यह कहा गया है कि दुर्घटना के समय वाहन संख्या यू0पी067सी./5014 में शादी के समारोह में कैटरिंग का काम करने के लिए मुगलसराय से 9 लोगों का दल सासाराम जा रहा था और उसी समय ट्रक संख्या एम0पी020एच.वी./0887 से टक्कर होने के कारण पिकप वैन के परखच्चे उड गये थे और 2 लोगों की मृत्यु
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मौके पर ही हो गयी और एक व्यक्ति की उपचार के लिए वाराणसी ले जाते समय रास्ते में मृत्यु हो गयी तथा 6 लोगों को विभिन्न अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया गया तथा ड्राइवर घटना स्थल से फरार हो गया। इस प्रकार इस समाचार के मुताबिक दुर्घटना के समय परिवादी के वाहन में ड्राइवर सहित कुल 10 लोग सवार थे। प्रस्तुत मामले में स्वयं परिवादी की ओर से दुर्घटना के बाद दर्ज हुई प्रथम सूचना रिर्पोट की छायाप्रति दाखिल की गयी है और इसमे भी इस बात का उल्लेख है कि दुर्घटना के बाद 2 व्यक्तियों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गयी तथा पिकप में सवार 7 लोगों को इलाज हेतु कर्मनाशा के क्लिनिक में तथा दुर्गावती के अस्पताल में भेजा गया इसके अतिरिक्त कुछ व्यक्तियों को उच्चतर इलाज के लिए वाराणसी रेफर किया गया। इस प्रकार प्रथम सूचना रिर्पोट के अवलोकन से भी यह स्पष्ट है कि दुर्घटना के समय परिवादी के वाहन में चालक सहित लगभग 10 लोग सवार थे। प्रस्तुत मामले में जो बीमा दाखिल है उसमे ड्राइवर सहित कुल 3 व्यक्तियों के बैठने का प्राविधान है इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह सिद्ध है कि दुर्घटना के समय परिवादी के प्रश्नगत वाहन में सीमा से काफी अधिक लोग बैठकर यात्रा कर रहे थे। इस प्रकार वाहन का संचालन बीमा की शर्तो का उल्लंघन करते हुए किया जा रहा था।
10- अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि क्या बीमा की शर्तो का उल्लंघन करते हुए वाहन चालन किये जाने के फलस्वरूप परिवादी को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति से वंचित कर दिया जायेगा या फिर उसे कानूनी रूप से क्षतिपूर्ति प्राप्त हो सकती है ?
11- परिवादी की ओर से ।(2014)सीपीजे,252(हिमांचल प्रदेश)अंग्रेज सिंह बनाम बजाज एलियांज जनरल इश्योरेंस कम्पनी लि0 तथा अन्य के विधि व्यवस्था का हवाला दिया गया है जिसमे माननीय हिमाचल प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद आयोग द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि जहॉं बीमा की शर्तो का उल्लंघन करते हुए ड्राइवर के अतिरिक्त 4 व्यक्ति वाहन पर यात्रा कर रहे हो तब भी नान स्टैर्ड्ड बेसिस पर परिवादी बीमित धनराशि का 75 प्रतिशत क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त कर सकता है।
परिवादी की ओर से 2011 (2)सीपीआर,175(राष्ट्रीय आयोग) नेशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम मे0 ट्रैक व सिक्योरिटी एण्ड फाइनेंस प्रा0लि0 की विधि व्यवस्था का भी हवाला दिया गया है जिसमे माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि यदि दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन का चालन बीमा शर्तो का उल्लंघन करते हुए किया जा रहा हो तब भी परिवादी का क्लेम पूरी तरह निरस्त नहीं किया जाना चाहिए और उक्त मामले में राज्य आयोग द्वारा वाहन की कीमत का 75 प्रतिशत बतौर क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का जो आदेश पारित किया गया था उसे माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उचित ठहराया है।
परिवादी की ओर से 2010(2)ए.सी.सी.डी.,601(सुप्रीम कोर्ट)अमलेन्दु साहू बनाम ओरियेण्टल इश्योरेंस कम्पनी लि0 की विधि व्यवस्था का भी हवाला दिया गया
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है जिसमे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि जहॉं कार का बीमा प्राइवेट कार के रूप में हुआ था और दुर्घटना के समय परिवादी ने अपनी कार किराये पर दूसरे को दिया था तब भी परिवादी को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति से वंचित नहीं किया जायेगा बल्कि क्लेम का निस्तारण नान स्टैर्ण्ड्ड बेसिस(मानक विहीन आधार) पर किया जायेगा, और इस विधि व्यवस्था में नेशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम नितिन खण्डेलवाल की विधि व्यवस्था का भी हवाला दिया गया है और यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि नान स्टैर्ड्ड बेसिस पर बीमा के 75 प्रतिशत धनराशि तक की क्षतिपूर्ति दिलायी जा सकती है।
इसी प्रकार परिवादी की ओर से 2016(2)टी.ए.सी.,731(सुप्रीम कोर्ट)लखमीचन्द बनाम रिलायंस जनरल इश्योरेंस कम्पनी की विधि व्यवस्था का भी हवाला दिया गया है इस मामले में भी दुर्घटना के समय माल वाहन पर कैपसिटी से अधिक यात्री यात्रा कर रहे थे इसके बावजूद परिवादी को नान स्टैण्डर्ड बेसिस पर क्षति का 75 प्रतिशत क्षतिपूर्ति के रूप में दिया गया जिसको माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वैध पाया गया।
12- उपरोक्त विधि व्यवस्थाओं के जबाब में विपक्षी पक्ष की ओर से कोई विधि व्यवस्था दाखिल नहीं की गयी है।
अतः उपरोक्त उदृत विधि व्यवस्थाओं में माननीय राष्ट्रीय आयोग तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों के प्रकाश में प्रस्तुत मुकदमें के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में परिवादी को बीमा धनराशि का 75 प्रतिशत भाग नान स्टैण्डर्ड बेसिस पर क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है और परिवादी का परिवाद तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है। चूंकि बीमा रू0 304000/- का है अतः परिवादी के वाहन के दुर्घटना में हुई क्षति के क्षतिपूर्ति के रूप में बीमा धनराशि का 75 प्रतिशत अर्थात रू0 228000/-दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। इसीप्रकार परिवादी को जो शारीरिक व मानसिक क्षति कारित हुई है उसके मद में रू0 5000/- तथा वाद व्यय एवं भागदौड के रूप में रू0 1,000/- दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 दि ओरियेण्टल इश्योरेंस कम्पनी लि0 को आदेशित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के अन्दर परिवादी को उसके वाहन में पहुंची क्षति के क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 2,28000/-(दो लाख अठ्ठाइस हजार) तथा परिवादी को हुई शारीरिक एवं मानसिक क्षति के क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5000/-(पांच हजार)तथा वाद व्यय एवं भागदौड के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) अर्थात कुल रू0 234000/-(दो लाख चौतीस हजार) अदा करें। यदि विपक्षी उक्त अवधि में उपरोक्त धनराशि अदा नहीं करता है तो उसे आज अर्थात निर्णय की तिथि से पैसा अदा करने की तिथि तक उपरोक्त धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज अदा करना होगा।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक-28-2-2017