(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-348/2007
मुखत्यार सिंह पुत्र श्री जवाहर सिंह, निवासी ग्राम नगला परमल, अकोला, आगरा
बनाम
दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लि0, डिवीजनल आफिस-I, 13 एम.जी. रोड, आगरा
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आशुतोष कुमार सिंह।
दिनांक : 12.04.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-619/2000, मुखत्यार सिंह बनाम दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.01.2007 के विरूद्ध स्वंय परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गयी अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आशुतोष कुमार सिंह को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवादी द्वारा अपनी जीप यू.पी. 80 पी. 6301 का बीमा दिनांक 7.10.1998 से दिनांक 6.10.1999 तक की अवधि के
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लिए अंकन 3.20 लाख में कराया गया था। बीमा अवधि के दौरान दिनांक 13.3.1999 को परिवादी का एजेंट/ड्राइवर सुनील कुमार जबरदस्ती गाड़ी छीन कर ले गया। परिवादी ने बीमा क्लेम प्रस्तुत किया, जिसे विपक्षी बीमा कंपनी ने खारिज कर दिया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. स्वंय परिवाद पत्र के तथ्यों से जाहिर होता है कि परिवादी की गाड़ी ड्राइवर/एजेंट सुनील कुमार द्वारा बलपूर्वक ले जायी गयी है। इस प्रकार परिवादी के लिए आवश्यक था कि ड्राइवर/एजेंट सुनील कुमार के विरूद्ध जीप को बलपूर्वक ले जाने के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी जाती और सुनील कुमार के कब्जे से यह जीप बरामद की जाती, परन्तु इस संबंध में परिवाद पत्र में कोई उल्लेख नहीं किया गया कि सुनील कुमार के विरूद्ध परिवादी द्वारा क्या कार्यवाही की गयी। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का भी कोई उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं है। सुनील कुमार द्वारा वाहन ले जाने के पश्चात सीधे बीमा क्लेम प्रस्तुत कर दिया गया, परन्तु सुनील कुमार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया। अत: स्पष्ट है कि स्वंय परिवादी ने बीमा पालिसी का उल्लंघन किया गया है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद को खारिज करने का निर्णय/आदेश विधिसम्मत है, इसमें कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि
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जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2