जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-1050/2010
उपस्थिति:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-30/11/2010
परिवाद के निर्णय की तारीख:-18/03/2020
लल्ला आयु लगभग 40 वर्ष पुत्र स्व0 रामदेव, निवासी-ग्राम-कल्ली पश्चिम, थाना-मोहनलालगंज, तहसील सदर, जिला लखनऊ।
................परिवादी।
बनाम
1-दि ओरिएण्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 नवा तल विकास दीप बिल्डिंग, 22 स्टेशन रोड, लखनऊ।
2-श्रीमान् जिलाधिकारी, लखनऊ।
3-श्रीमान तहसीलदार, तहसील सदर जिला-लखनऊ।
......................विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण से उ0प्र0 शासन द्वारा जारी शासनादेश के तहत वांछित सम्पूर्ण बीमा धनराशि 1,00,000/-रूपये का भुगतान करने, 5,000/-रूपये वाद व्यय एवं दावे की क्षतिपूर्ति धनराशि पर 12% वार्षिक की दर से ब्याज भुगतान की तिथि तक दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि दिनॉंक-16/04/2010 को परिवादी के भाई स्व0 नन्हकऊ उर्फ लोदे की एक मोटर दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी। उ0प्र0 सरकार द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार उ0प्र0 के समस्त किसानों (जिनकी आयु 12 वर्ष् से 70 वर्ष की हो) का एक वर्ष तक के लिये व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत विपक्षी संख्या-01 से बीमा किया गया और बीमे के प्रीमियम की धनराशि उ0प्र0 सरकार द्वारा अदा कर दी गयी थी। परिवादी के भाई स्व0 नन्हकऊ उर्फ लोदे की आकस्मिक मृत्यु हो जाने पर बीमा धनराशि प्राप्त करने के लिये समय सीमा के अन्दर विपक्षी संख्या-02 के माध्यम से विपक्षी संख्या-01 के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया किन्तु आज तक परिवादी को बीमा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया, जो कि विपक्षी की उपभोक्ता सेवाओं में घोर लापरवाही प्रदर्शित करता है। परिवादी द्वारा बराबर विपक्षीगण के कार्यालय के चक्कर लगाये गये किन्तु विपक्षीगण द्वारा बिना किसी कारण के बीमा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया।
विपक्षी संख्या-01 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के कथनों से इनकार किया, परन्तु स्पष्ट कारण अंकित नहीं किया है।
वाद की कार्यवाही विपक्षी संख्या-02 एवं 03 के विरूद्ध एकपक्षीय चल रही है।
परिवादी एवं विपक्षी संख्या-01 ने शपथ पर अपना साक्ष्य दाखिल किया है।
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे प्रतीत होता है कि विपक्षी ने परिवादी के कथनों को अपने उत्तर पत्र में अस्वीकार किया है, परन्तु उन्होनें यह कही भी अंकित नहीं किया है कि किस आधार पर परिवादी का दावा विपक्षीगण ने अस्वीकार किया है। बहस के दौरान यद्यपि दावा नो क्लेम करने का आदेश दिनाँक-11/08/2010 दाखिल किया है, जिसमें यह अंकित है कि परिवार रजिस्टर तथा राशन कार्ड नहीं होने के कारण वास्तविक स्थिति का पता नहीं चल सका। अत: सक्षम अधिकारी द्वारा विधिक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी होना आवश्यक है। परिवादी की ओर से खतौनी, आयु प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति दाखिल किया है। उपरोक्त कागजातों को परिवादी ने जिलाधिकारी के कार्यालय में भी जमा किया था। परिवादी की ओर से कहा गया कि बहुत व्यक्तियों के पास राशनकार्ड नहीं होता है। परिवार रजिस्टर बनाने का कार्य शासन द्वारा किया जाता है, उसमें किसी व्यक्ति विशेष की जिम्मेदारी नहीं है। यद्पि परिवादी ने परिवार रजिस्टर की छायाप्रति जो सचिव ग्राम पंचायत द्वारा निर्गत किया गया है, को अभिलेख पर दाखिल किया गया है। अत: उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी कराने का कोई प्रश्न नहीं है। मृतक कृषक की उम्र 70 वर्ष से कम थी। अत: परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्या-01 के विरूद्ध स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी संख्या-01 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 को निर्देश दिया जाता है कि परिवादी को किसान बीमा दुर्घटना धनराशि मुबलिग:-1,00,000/-(एक लाख रूपया मात्र) 09% वार्षिक ब्याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करेंगे, तथा वाद व्यय मुबलिग-5,000/-(पॉंच हजार रूपया मात्र) 45 दिनों के अन्दर अदा करेंगें। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है, तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम,
लखनऊ।