न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 44 सन् 2013ई0
कन्हैया पुत्र श्रीराम निवासी ग्राम व पो0 शिकारगंज तह0चकिया जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
1-मण्डलीय प्रबन्धक दि ओरियेन्टल इश्योरेंस कम्पनी लि0 मण्डलीय कार्यालय प्रथम तल हथुआ मार्केट चेतगंज जिला वाराणसी।
2-शाखा प्रबन्धक,उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 शाखा चकिया जिला चन्दौली।
.............................विपक्षी
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण से भैस की मृत्यु दावा से सम्बन्धित रू0 30000/- मय व्याज तथा दवा इलाज का खर्च,मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति,वाद व्यय तथा भैस से होने वाली आय की क्षतिपूर्ति हेतु दाखिल किया है।
2- संक्षेप में परिवादी की ओर से अभिकथन किया गया है कि उसने सघन मिनी डेयरी योजना के अर्न्तगत विपक्षी संख्या 2 से ऋण लेकर भैस खरीदा था जिससे उसका जीविकोपार्जन होता था। भैस क्रय करने के बाद एच0पी0सी0डी0एफ0 के पशुचिकित्साधिकारी से भैसों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया और स्वास्थ्य परीक्षण के उपरान्त पशुचिकित्साधिकारी द्वारा भैसों को छल्ला पहनाया गया। भैसों का बीमा विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से विपक्षी संख्या 1 द्वारा किया गया था। दिनांक 8-11-2011 को परिवादी की एक भैस जिसका छल्ला क्रमांक 90906 था बीमार हुई और इलाज के दौरान ही उसी दिन लगभग 2 बजे भैस की मृत्यु हो गयी जिसका शव परीक्षण पशुचिकित्साधिकारी द्वारा किया गया। भैस की मृत्यु की सूचना दिनांक 9-11-2011 को विपक्षीगण को दी गयी और उनकी ओर से मांगे गये सम्पूर्ण कागजात व छल्ला सहित कान भी विपक्षी संख्या 1 को उपलब्ध करा दिया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी को आश्वासन दिया जाता रहा कि जल्द ही दावा का भुगतान कर दिया जायेगा लेकिन परिवादी को बार-बार दौडाने के बाद दिनांक 22-2-2013 को विपक्षी संख्या 1 का एक पत्र परिवादी को प्राप्त हुआ जिसमे यह बताया गया कि विपक्षी के कार्यालय द्वारा जारी बीमा की अवधि दिनांक 19-1-2012 से दिनांक 18-1-2015 ई0 तक है जिसके अनुसार दावा बीमा की परिधी में नहीं आता है और इसी आधार पर परिवादी का दावा खारिज कर दिया गया। परिवादी का अभिकथन है कि भैस के बीमा की पालिसी अवधि दिनांक 26-6-2011 से 24-6-2014 तक वैध एवं प्रभावी रहा जिसके सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 1 द्वारा जारी बीमा प्रमाण पत्र दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या 1 ने कपटपूर्ण नियत के कारण परिवादी के दावे का भुगतान नहीं किया है जिसके कारण परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है।
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3- विपक्षी संख्या 1 की ओर से जबाबादावा दाखिल किया गया है। जिसमे उसने परिवादी के अधिकांश अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए संक्षेप में यह अभिकथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी को परेशान करने की गरज से परिवाद दाखिल किया है। परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है। अतः उसे विपक्षी के विरूद्ध परिवाद दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं है और इस आधार पर उसका परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है। कथित मृत भैस का प्रीमियम बीमा कम्पनी ने सहकारी ग्राम विकास बैंक से प्राप्त किया था। इस प्रकार बीमा कम्पनी का उपभोक्ता बैंक है न कि परिवादी। विपक्षी का यह भी अभिकथन है कि भैस के बीमा की अवधि दिनांक 19-1-2012 से दिनांक 18-1-2015 तक की है जबकि परिवादी के भैस की मृत्यु दिनांक 8-11-2011 को हुई है जो बीमा से पूर्व की है। परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है। अतः परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
4- विपक्षी संख्या 2 पर नोटिस का तामिला पर्याप्त रूप से हुआ किन्तु विपक्षी की ओर से न तो कोई उपस्थित हुआ और न ही कोई जबाबदावा दाखिल किया गया। अतः मुकदमा विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से चल रहा है।
5- परिवादी ने अपने अभिकथनों के समर्थन में स्वयं अपना शपथ पत्र दाखिल किया है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी द्वारा भैस के मृत्यु के सम्बन्ध में दिनांक 9-11-2011 को विपक्षी संख्या 1 को दी गयी सूचना की छायाप्रति,विपक्षी संख्या 2 उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक चकिया द्वारा विपक्षी संख्या 1 को प्रेषित पत्र की छायाप्रति,भैस के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र/बीमा प्रमाण पत्र की छायाप्रति,परिवादी द्वारा शाखा प्रबन्धक ओरियेण्टल इश्योरेंस कम्पनी लि0 को प्रेषित पत्र की छायाप्रति,पोस्टमार्टम रिर्पोट की छायाप्रति,पशु दावा एवं मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति,पंचानामा की छायाप्रति,तथा ओरियेण्टल इश्योरेंस कम्पनी के मण्डलीय प्रबन्धक द्वारा प्रेषित पत्र की छायाप्रति दाखिल की गयी है। विपक्षी की ओर से वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक राकेश चन्द्र पाण्डेय का शपथ पत्र दाखिल किया गया है,तथा बीमा पालिसी का शिड्यूल दाखिल किया गया है।
6- उभय पक्ष की बहस सुनी गयी तथा उनके द्वारा दाखिल लिखित तर्क एवं पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
7- उभय पक्ष के अधिवक्तागण के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मुकदमें में पक्षकारों के बीच मुख्य विवाद यही है कि क्या जिस दिन परिवादी के भैस की मृत्यु हुई उस दिन उक्त भैस का बीमा प्रभावी था? इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से यह तर्क दिया गया है कि परिवादी के भैस का बीमा दिनांक 25-6-2011 से दिनांक 24-6-2014 तक के लिए वैध था और इस प्रकार भैस की मृत्यु के दिनांक अर्थात 8-11-2011 को उक्त बीमा वैध एवं प्रभावी था इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से कागज संख्या 4/3 दाखिल किया गया है जो स्वास्थ्य प्रमाण पत्र/बीमा प्रमाण पत्र की छायाप्रति है जिसमे बीमा की अवधि
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दिनांक 25-6-2011 से 24-6-2014 दिखाई गयी है यह प्रमाण पत्र पर डाक्टर बी0के0मौर्य तथा मिनी डेयरी परियोजना के प्रभारी का हस्ताक्षर है।
8- इसके विवरीत विपक्षी संख्या 1 का यह अभिकथन है कि दिनांक 8-11-2011 अर्थात जिस दिन परिवादी के भैस की मृत्यु होना कहा जाता है को भैस का कोई बीमा नहीं था बल्कि परिवादी के भैसों का जो बीमा हुआ है वह दिनांक 19-1-2012 से 18-1-2015 के लिए हुआ है इस प्रकार जिस दिन परिवादी की भैस की मृत्यु होना कहा जाता है उस दिन भैस का कोई बीमा नहीं था इसलिए विपक्षी संख्या 1 परिवादी को कोई क्लेम देने के लिए उत्तरदायी नहीं है अपने अभिकथनों के समर्थन में विपक्षी की ओर से कागज संख्या 6/1 जो बीमा की पालिसी के शिड्यूल की छायाप्रति है इसमे परिवादी कन्हैया की भैस जिसका छल्ला क्रमांक 90906 है का बीमा दिनांक 19-1-2012 से दिनांक 18-1-2015 तक होना प्रदर्शित है यह अभिलेख बीमा कम्पनी के पालिसी शिड्यूल की कम्प्यूटरीकृत कापी की छायाप्रति है और इसमे परिवादी के भैस सहित कुल 55 भैसों के बीमा का विवरण दर्ज है जिस पर अर्थराइज्ड सिग्नेटरी के हस्ताक्षर भी है। फोरम की राय में परिवादी द्वारा दाखिल अभिलेख की तुलना में यह अभिलेख अधिक विश्वसनीय प्रतीत होता है क्योंकि परिवादी ने स्वास्थ्य प्रमाण पत्र/बीमा प्रमाण पत्र की छायाप्रति के रूप में जो अभिलेख कागज संख्या 4/3 दाखिल किया है उस पर बीमा कम्पनी के किसी अधिकृत व्यक्ति का कोई हस्ताक्षर नहीं है बल्कि इस पर डाक्टर बी0के0 मौर्य(पशु चिकित्सक) तथा मिनी डेयरी परियोजना के प्रभारी का हस्ताक्षर है और इसमे छपे-छपाये प्रोफार्मा पर स्याही से बीमा की अवधि दिनांक 25-6-2011 से 24-6-2014 होना लिखा गया है चूंकि यह प्रमाण पत्र पशु चिकित्सक एवं डेयरी परियोजना के प्रभारी द्वारा निर्गत किया गया है, न कि बीमा कम्पनी द्वारा,फोरम की राय में इसे विश्वसनीय नहीं माना जा सकता जबकि विपक्षी की ओर से जो अभिलेख कागज संख्या 6/1 दाखिल किया गया है वह बीमा कम्पनी के पालिसी की पूरी शिड्यूल की कम्प्यूटरीकृत कापी है जो अधिक विश्वसनीय पायी जाती है। इसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी कन्हैया की भैस जिसका छल्ला क्रमांक 90906 है और जिसकी मृत्यु के सम्बन्ध में यह प्रति दाखिल की गयी है का बीमा दिनांक 19-1-2012 से 18-1-2015 तक के लिए रहा है इसप्रकार दिनांक 8-11-2011 जिस दिन परिवादी ने अपनी भैस की मृत्यु होना कहा है उस दिन परिवादी के भैस का कोई बीमा वैध एवं प्रभावी होना नहीं पाया जाता है ऐसी स्थिति में परिवादी को विपक्षी से कोई क्षतिपूर्ति या वाद व्यय आदि दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है। मुकदमें के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेगे।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः13-11-2017