Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/524/2018

ARTI DEVI - Complainant(s)

Versus

O.I.C - Opp.Party(s)

AJEET KUMAR

13 Apr 2021

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/524/2018
( Date of Filing : 27 Nov 2018 )
 
1. ARTI DEVI
TERAJKET CHIBRAMAU
KANNOJ
...........Complainant(s)
Versus
1. O.I.C
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Apr 2021
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या-524/2018    

   उपस्थित:-श्री अरविन्‍द कुमार, अध्‍यक्ष।   

          श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।                                          

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-27.11.2018

   परिवाद के निर्णय की तारीख:-13.04.2021

1-श्रीमती आरती देवी आयु लगभग 40 वर्ष पत्‍नी श्री प्रवीनचन्‍द्र।

2-श्री प्रवीनचन्‍द्र आयु लगभग 49 वर्ष पुत्र श्री जगतनारायन, परिवादीगण, निवासी-ग्राम-तेराजकेट,  तहसील-छिबरामऊ,  जिला-कन्‍नौज (उ0प्र0) ।

                                          ..............परिवादीगण।

                           बनाम        

1-ओरियन्‍टल इन्‍श्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लि0 द्वारा वरिष्‍ठ मण्‍डलीय प्रबन्‍धक,   विकासदीप बिल्डिंग, नवीं मंजिल,  22 स्‍टेशन रोड लखनऊ-226001 ।

2-उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा महानिदेशक,  संस्‍थगत वित्‍त, बीमा एवं वाह्य सहायतित,  परियोजना महानिदेशालय,  उ0प्र0 लखनऊ ।

3-श्रीमान जिलाधिकारी, जनपद-कन्‍नौज उ0प्र0।          ...........विपक्षीगण।                                                

            

 आदेश द्वारा- श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।

                           निर्णय                                          

     परिवादीगण ने प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षी संख्‍या 01 से उ0प्र0 शासन द्वारा जारी शासनादेश के तहत वांछित सम्‍पूर्ण बीमा धनराशि 5,00,000.00 रूपये मय अर्थदण्‍ड,  एवं वाद व्‍यय 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।  

      संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि मृतक स्‍व0 विकास उर्फ शिलू आयु लगभग 22 वर्ष (मृत्‍यु के समय) पुत्र श्री प्रवीनचन्‍द्र निवासी-ग्राम-तेराजकेट, तहसील-छिबरामऊ, जिला-कन्‍नौज उ0प्र0 के माता-पिता विधिक उत्‍तराधिकारी हैं। मृतक स्‍व0 विकास उर्फ शिलू आयु लगभग 22 वर्ष अपने परिवार का रोटी अर्जक था तथा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम में विहित प्राविधानों के तहत विपक्षी संख्‍या 01 का विधिक उपभोक्‍ता रहा है। दिनॉंक 08.03.2017 को मार्ग दुर्घटना के कारण मृतक स्‍व0 विकास उर्फ शिलू की  आकस्मिक मृत्‍यु हो गयी थी। मृतक स्‍व0 विकास उर्फ शिलू अपने परिवार का रोटी अर्जक था। परिवादीगणों की पारिवारिक आय 75,000.00 रूपये वार्षिक से कम है, अत: मृतक उ0प्र0 सरकार द्वारा विपक्षी संख्‍या 01 के माध्‍यम से संचालित मुख्‍यमंत्री किसान एवं सर्वहित दुर्घटना बीमा योजना के अन्‍तर्गत विपक्षी संख्‍या 01 से बीमित था। उ0प्र0 सरकार द्वारा उ0प्र0 के समस्‍त किसानों (असीमित आय सीमा),  भूमिहीन कृषक,  कृषि से संबंधित क्रियाकलाप करने वाले,  (मत्‍स्‍य पालक,  दुग्‍ध उत्‍पादक,  सुवर पालक,  बकरी पालक,  मधुमक्‍खी पालक इत्‍यादि) घूमन्‍तू परिवार,  व्‍यापारी (जो किसी शासन योजना से आच्‍छादित नहीं हैं) वन श्रमिक,  दुकानदार,  फुटकर कार्य करने वाले,  रिक्‍शा चालक,  कुली एवं अन्‍य कार्य करने वाले, ग्रामीण क्षेत्रों अथवा शहरी क्षेत्रों के निवासी जिनकी पारिवारिक आय 75000.00 रूपये प्रतिवर्ष से कम हो एवं जिनकी आयु 18 वर्ष से 70 वर्ष के मध्‍य है, के हित में विपक्षी संख्‍या 02 ने विपक्षी संख्‍या 01 से एक सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना का अनुबन्‍ध किया था। अनुबन्‍ध के अनुसार 5,00,000.00 रूपये का दुर्घटना बीमा किया गया था, यह पालिसी दिनॉंक 14.09.2016 से चली आ रही है,  और वर्तमान में लागू है।         परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ आवश्‍यक प्रपत्र प्रथम सूचना रिपोर्ट,  पंचनामा, पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट,  मृत्‍यु प्रमाण पत्र,  परिवार रजिस्‍टर, आय प्रमाण पत्र,  की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है।

                  

    विपक्षी संख्‍या 02 व 03 के विरूद्ध वाद की कार्यवाही एकपक्षीय चल रही है।

      विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद के अधिकांश कथनों से इनकार किया तथा अतिरिक्‍त कथन किया कि समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अन्‍तर्गत परिवार के मुखिया या रोटी अर्जक को आच्‍छादित किया गया है, और परिवार के एक व्‍यक्ति को ही इस स्‍कीम में दुर्घटना से मृत्‍यु के अन्‍तर्गत इस योजना का लाभ प्रदान किया गया है। मृतक श्री विकास दुबे न तो परिवार के मुखिया थे और न ही परिवार के रोटी अर्जक थे। परिवार का मुखिया अभी भी जीवित है। मृतक अविवाहित 22 वर्ष का एक इन्‍टरमीडिएट क्‍लास का छात्र है और न ही वह एक किसान है और न ही उसने आय के स्रोत के संबंध में अवगत कराया है। परिवादी मृतक पर आश्रित नहीं है इसलिये वह दावा का हकदार नहीं है। विपक्षी संख्‍या 01 का यह भी कथन है कि परिवादी/दावाकर्ता जिला कन्‍नौज का निवासी है और अस्‍वीकार पत्र (Repudiation Letter)  भी जिला कन्‍नौज को प्रेषित किया गया है इसलिए यह परिवाद इस आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर है। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है और दावाकर्ता को सहमति ज्ञापन (एम0ओ0यू0) की शर्तों के अन्‍तर्गत दावा का भुगतान किया जाता। अत: यह परिवाद पोषणीय नहीं है और खारिज होने योग्‍य है।

           पत्रावली में उपलब्‍ध तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों के अवलोकन से प्रतीत होता है कि परिवादिनी के पुत्र स्‍व0 विकास उर्फ शीलू की मृत्‍यु हुई है जिसके लिये किसान बीमा दुर्घटना योजना के अन्‍तर्गत बीमा दावा प्रस्‍तुत किया गया। यह बीमा ग्रामीण अथवा शहरी क्षेत्र के किसानों को जिनकी पारिवारिक आय 75,000.00 रूपये प्रतिवर्ष से कम है तथा जिनकी आयु 18 से 70 वर्ष के मध्‍य हो के लिये उत्‍तर प्रदेश सरकार बीमा कम्‍पनी से अनुबन्‍ध कर किसानों को बीमा का लाभ दिया जाता है। विपक्षी संख्‍या 01 के द्वारा प्रथम आपत्ति यह प्रस्‍तुत की गयी है कि परिवादिनी/दावाकर्ता जिला कन्‍नौज की निवासी है और अस्‍वीकार पत्र भी जिला कन्‍नौज को प्रस्‍तुत किया गया है, इसलिये यह परिवाद इस आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर है। परिवादिनी के परिवाद पत्र के अवलोकन से विपक्षी संख्‍या 01 व 02 का कार्यालय जिला लखनऊ में है तथा इस संदर्भ में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने पटेल रोडवेज लिमि0 बाम्‍बे बनाम प्रसाद ट्रेडिंग कम्‍पनी में स्‍पष्‍ट रूप से यह आदेश पारित किया है कि यदि पक्षकारों का प्रधान कार्यालय जनपद में स्थित है तो  “Cause of action ” जनपद में बनता है। फलस्‍वरूप इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार उपरोक्‍त आदेश के क्रम में इस फोरम/आयोग को होता है। द्वितीय विपक्षी संख्‍या 01 का स्‍वयं का कथन है कि इस बीमा योजना के अन्‍तर्गत परिवार के एक व्‍यक्ति को ही इस स्‍कीम में दुर्घटना से मृत्‍यु के अन्‍तर्गत इस योजना का लाभ प्रदान किया गया है। यह स्‍पष्‍ट है कि इस मामले में परिवार का मुखिया अभी जीवित है, परन्‍तु उसकी आयु लगभग 50 वर्ष है और परिवार का अन्‍य कोई जीविका का साधन नहीं है और पुत्र यदि 22 वर्ष का ही है फिर भी अपने माता-पिता का निश्चित रूप से अपना रोटी अर्जन में किसानी का काम करता होगा और उसमें सहयोग करता होगा मृतक के माता-पिता काफी बृद्ध हैं और किसानी के कार्य में उन्‍हें दिक्‍कत महसूस होती होगी और पुत्र जो युवा था ऐसे हालात में निश्चित रूप से पिता का सहयोग रोटी अर्जन के कार्य में करता होगा। किसानी का कार्य परिवार का सामूहिक कार्य होता है और सभी मिलकर ही इस कार्य को सम्‍पन्‍न करते होंगे। एक वृद्ध व्‍यक्ति किसानी से जुटे कार्य को अकेले नहीं कर सकता होगा, क्‍योंकि इसमें खेत की जुताई, बुआई और समय-समय पर खाद बीज डालने तथा सिंचाई जैसे कार्य सम्मिलित होते हैं। समय-समय पर कीटनाशक दवाईयॉं आदि भी डालनी होती है जो एक वृद्ध व्‍यक्ति के लिये शारीरिक रूप से संभव नहीं हेता है और पुत्र होने के नाते स्‍वाभाविक रूप से जीविका के साधन में तथा रोटी अर्जन में प्रबल/परस्‍पर सहयोग प्रदान करता होगा। इसलिये उसका रोटी अर्जन में योगदान और भूमिका परिलक्षित होती है।  इसलिये यह दावा भी विपक्षी संख्‍या 01 का बलहीन प्रतीत होता है।  माननीय उच्‍च न्‍यायालय ने वाद संख्‍या 7981/2019 में अपने निर्णय के द्वारा टिप्‍पणी की है जो निम्‍न प्रकार है-Learned counsel appearing for the Insurance Company submits that the coverage under the Insurance was only of one member of the family and not of all and that too only of the head of family. In the instant case, head of the family still survives yet the claim has been accepted by the review committee, it is by treating deceased to be the bread earner of the family though no proof of earning of the deceased was produced.

          उपरोक्‍त निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि मुखिया/रोटी अर्जक के जीवित रहते हुए भी परिवार के एक सदस्‍य को जिसकी मृत्‍यु हो गयी हो तथा परिवार का कोई अन्‍य जीविका का साधन नहीं है, उसे बीमा दावा का लाभ दिया जाए। इस मामले में इंश्‍योरेंस कम्‍पनी का दृष्टिकोण सकारात्‍मक न होकर नकारात्‍मक प्रतीत होता है जो परिवादीगण को थका देने वाला प्रतीत होता है। इंश्‍योरेंस कम्‍पनी को सकारात्‍मक भूमिका निभाते हुए उनका यह दायित्‍व बनता है कि परिवादिनी के पुत्र की मृत्‍यु के फलस्‍वरूप इस बीमा योजना के अन्‍तर्गत बीमा राशि उपलब्‍ध कराना सुनिश्चित करें। ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी का दावा उचित प्रतीत होता है। फलस्‍वरूप दावा आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                           आदेश

      परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्‍या 01 को निर्देश दिया जाता है कि वे शासनादेश के तहत वांछित सम्‍पूर्ण बीमा धनराशि मुबलिग 5,00,000.00 (पॉंच लाख रूपया मात्र) इस वाद में निर्णय के 45 दिन के अन्‍दर 09 वार्षिक ब्‍याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करेंगे। इसके अतिरिक्‍त अर्थदण्‍ड एवं वाद व्‍यय के रूप में मुबलिग-20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि उक्‍त अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

 

 

    (अशोक कुमार सिंह)                                             (अरविन्‍द कुमार)      

         सदस्‍य                                                                            अध्‍यक्ष              

                                                                              जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                                                                  लखनऊ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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