समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-73/2013 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
मे0 अम्बे उधोग महोबा द्वारा प्रो0 रश्मि पुरवार पत्नी श्री विनोद पुरवार निवासी रामकथा मार्ग नारूपुरा महेाबा तहसील व जिला महोबा ....परिवादिनी
बनाम
दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कं0लि0 द्वारा शाखा प्रबन्धक दि ओरियण्टल इं0क0लि0 शाखा कार्यालय गुरूद्वारा के पास गांधीनगर महोबा तहसील व जनपद महोबा .....विपक्षी
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादिनी श्रीमती रश्मि पुरवार ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षी दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कं0लि0 बाबत दिलाये जाने 320 कुन्टल मसूर की बीमित धनराशि मु0 11,03,501/- रूपये व अन्य अनुतोष हेतु प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवादिनी का कथन इस प्रकार है कि परिवादिनी मे0 अम्बे उधोग नारूपुरा महोबा में प्रोपराईटर है और उक्त फर्म के माध्यम से विभिन्न प्रकारो की दालो का निर्माण करके धोक में सप्लाई का कार्य सम्पूर्ण भारत में करती है। परिवादिनी की फर्म से निर्मित दालें सडक मार्ग के माध्यम से सम्पूर्ण भारत में आपूति की जाती है, इसलिये माल को भेजने में होने वाले जोखिम की सुरक्षा के उददेश्य से परिवादिनी ने विपक्षी के यहॉ से एक मैरीन कार्गो ओपन पोलिसी सं0-223307/21/2012/3 बीमा आच्छादन अवधि 19-05-2011 से 18-05-2012 तक क्रय की थी, जिसका प्रीमियम 20,131/- रू0 भुगतान किया गया था और बीमा कम्पनी ने परिवादिनी के फर्म के अनाज दाना इत्यादि, दाले व तिलहन के सडक या रेल मार्ग से इन्स्टीटयूट ट्राजिंट पर व इनलैण्ड ट्राजिंट पर तथा महोबा से सम्पूर्ण भारत वर्ष में भेजे गये फर्म के माल की यथास्थान डिलेवरी न होने पर प्रत्येक तीनो आधारो हेतु एक वर्ष की अवधि हेतु 5-5 करोड का रिश्क कवर प्रदान किया गया था तथा सम्पूण् भारत वर्ष में सडक मार्ग द्वारा भेजे गये माल पर एक बार में केवल 15 लाख रू0 तक की सीमा तक बीमा आच्छादन स्वीकृत किया गया था । परिवादिनी की फर्म मे0 अम्बे उधोग,महोबा से मे0 बृजमोहन एण्ड कंपनी पोस्ता बाजार कोलकता व वासुकी इण्टर प्राइजेज 282 रवीन्द्र साहनी रोड कोलकता पं0बंगाल को क्रमश: सेल इनवाइस सं0490दि0 22.02.2012 को 160 कुंतल मसूर दाल कीमती मु0 5,53,627/- रू0 व दूसरे सेल इनवाइस सं0491दि0 22.02.2012 को 160 कुंतल मसूर दाल कीमती मु0 5,49,874/- रू0 कुल 320 कुंतल मसूर दाल कीमत मु011,03,501/-रू0 ए0के0रोड लाइन्स दामोदर नगर बाईपास रोड,कानपुर के ट्रक सं0यू0पी078 बी टी 4043 से सडक मार्ग से भेजा था । साथ ही उक्त दोनों फर्मों को कोलकता भेजी जा रही दाल के संबंध में समस्त कागजातों की सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को उपलब्ध करा दी गई थी और विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा इसकी स्वीकृति अपने घोषणा पत्र सं0346 व 347 दि0 22.02.2012 के माध्यम से प्रदान की थी,जिसमें उपरोक्त वाहन ट्रक के चैचिस संख्या 426623 सी क्यू जेड 002991 की छाप भी अंकित है । इसके बाद जब उक्त ट्रक मसूर की दाल की बोरियों सहित दि0 29.09.2012 को समय 1:00 बजे पालसेत टोल प्लाजा हाइवे पर थाना-जमालपुर जिला-वर्धमान में जा रहा था तभी एक दस टायरा खाली ट्रक ने अबुजाहट ब्रिज के पास परिवादिनी के माल के ट्रक को रोक लिया तथा उसमें सवार तीन अज्ञात क्रिमनल द्वारा परिवादिनी के माल लदे ट्रक के ड्राइवर मुन्ना सिंह निवासी-क्वेटरा थाना-जहानाबाद जिला-फतेहपुर को घायल करके ट्रक से फेंक दिया तथा सारा लोड माल व ट्रक व उसमें मौजूद खलासी सहित लूट कर ले गये,जिसकी सूचना तत्काल उपरोक्त दिनांक को ही ट्रक चालक मुन्ना सिंह ने थाना-जमालपुर को दी थी,जिसका मु0अ0सं0 35/2012 धारा-394 आई0पी0सी0 थाना-जमालपुर में उक्त संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित की गई और उक्त अपराध की विवेचना के उपरांत थाना-जमालपुर पुलिस द्वारा लूटा गया माल मय ट्रक व खलासी काफी प्रयास के बाद रिकवर न होने संबंधी अंतिम आख्या मा0 न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट,वर्धमान को प्रस्तुत की,जिसकी एफ0आर0 सं0 24/12 दि024.08.2012 है । इस प्रकार परिवादिनी की फर्म द्वारा भेजी गई मसूर दाल उक्त फर्मो को आपूर्ति नहीं हो सकी,जिसके कारण परिवादिनी को उक्त माल की कोई कीमत प्राप्त नहीं हो सकी । परिवादिनी ने इसकी सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को दी तथा संपूर्ण राशि का क्लेम दावा दि006.03.2012 को विपक्षी बीमा कंपनी में प्रस्तुत किया,जिसकी जांच उनके द्वारा फेयरवे सर्विस ट्रेशर/इंवेस्टीगेटर से कराई,जिसकी आख्या दि0 08.02.2013 को विपक्षी बीमा कंपनी को प्राप्त कराकर नान डिलेवरी क्लेम सत्य व सही पाया गया और परिवादिनी से कुछ प्रपत्र प्राप्त कर उसके क्लेम को निस्तारित करने की राय दी गई थी लेकिन विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा इंवेस्टीगेटर की राय के विपरीत परिवादिनी का दावा नो क्लेम कर दिया गया,जिससे परिवादिनी को मानसिक व आर्थिक परेशानी का सामना करना पड रहा है । विपक्षी बीमा कंपनी का यह कृत्य घोर सेवा में त्रुटि तथा व्यापारिक कदाचरण की श्रेणी में आता है । ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध इस फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
विपक्षी बीमा ने अपना जबाबदावा प्रस्तुत किया है,जिसमें उन्होंने प्रस्तरवार जबाब व प्रारंभिक आपत्तियां प्रस्तुत की हैं । संक्षेप में विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा यह कहा गया है कि परिवादिनी ने गलत व असत्य आधार पर यह परिवाद प्रस्तुत किया है । परिवादिनी को परिवाद दायर करने का कोई अधिकार नहीं है । उन्होंने परिवादिनी द्वारा बीमा पालिसी को लिया जाना आंशिक रूप से स्वीकार किया है लेकिन यह कहा गया कि उनके द्वारा बीमा शर्तों का उल्लंघन किया गया है । ऐसी परिस्थिति में विपक्षी बीमा कंपनी का कोई दायित्व क्षतिपूर्ति का नहीं बनता है । चँकि परिवादिनी ने जिस ट्रक में माल भेजा था उसकी लदान क्षमता 16010 किलोग्राम है । जबकि उनके द्वारा भेजे गये माल का वज़न 32000 किलोग्राम था जो कि वाहन की लदान क्षमता से लगभग दो गुना था । इस प्रकार उनके द्वारा ओवरलोडिंग की गई और यह बीमा शर्तों का उल्लंघन है । इस कारण विपक्षी बीमा कंपनी को किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति देने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता । विपक्षी बीमा कंपनी की और से यह भी कहा गया है कि परिवादिनी द्वारा ट्रक नं0 यू0पी078 बी टी 4043 के स्वामी ट्रांसपोर्टर ए0के0 रोडलाइन्स, दामोदर नगर,21/डब्लू 2 जे0एस0कांप्लेक्स वाईपास रोड,कानपुर को पक्षकार मुकदमा नहीं बनाया गया है,जिसके कारण परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है । इसके अलावा विपक्षी बीमा कंपनी की और से यह भी कहा गया है कि इस प्रकरण को विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा पंजीकृत डाक से दिनांक:26.04.2013 मे0अम्बे उधोग,रामकथा मार्ग,नारूपुरा महोबा को पत्र प्रेषित किया गया था और उनको दावे के संबंध में निम्नलिखित कागजात प्रस्तुत करने हेतु कहा गया था -
क-दावा राशि हेतु पंजीकृत डाक द्वारा कैरियर/ट्रांसपोर्टर को दी गई नोटिस की प्रति तथा डाक विभाग की रसीद ।
ख-कैरियर/ट्रांसपोर्टर से प्राप्त नान डिलेवरी प्रमाण पत्र की मूल प्रति ।
ग-संलग्न दावा फार्म जो पूर्णरूप से भरा हुआ हो ।
लेकिन परिवादिनी द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई । ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी का क्लेम नौ क्लेम करते हुये खारिज कर दिया गया है । विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा कोई सेवा में त्रुटि नहीं की गई है । तदनुसार उन्होंने परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की है ।
परिवादिनी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र कागज सं0-4ग व 20ग/1 लगायत 20ग/4 प्रस्तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में छायाप्रति बीमा पालिसी मे0अंबे उधोग 6ग/1 लगायत 6ग/3,छायाप्रति नौ क्लेम पत्र की दिनांक:12.07.2013 व छायाप्रति पत्र दिनांक: 26.04.2013 कागज सं0 7ग व 8ग/1 व 8ग/2,छायाप्रति क्लेम दावा 22ग/1 व 22ग/2,छायाप्रति पत्र दि0 06.03.2012 कागज सं0 22ग/3 ,छायाप्रति बिल मसूरदाल अंबे उधोग 22ग/4 व 22ग/5,छायाप्रति घोषणा पत्र कागज सं022ग/6 व 22ग/7,छायाप्रति भाडा बिल ए0के0रोड लाइन्स 22ग/8 व 22ग/9,छायाप्रति प्रथम सूचना रिपोर्ट 22ग/10 व 22ग/11, छायाप्रति पंजीयन प्रमाण पत्र 22ग/12,छायाप्रति वीमा कवरनोट ट्रक उपरोक्त 22ग/13,छायाप्रति फेयरवे सर्विसिज की इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट कागज सं022ग/14 लगायत 22ग/22 छायाप्रति बीमा पालिसी 25ग/7 लगायत 25ग/9, परिवादिनी की छायाप्रति नान डिलेवरी प्रमाण पत्र,सक्षम न्यायालय द्वारा स्वीकृत अंतिम रिपोर्ट आदि दाखिल किये हैं ।
विपक्षी बीमा कंपनी की और से शपथ पत्र द्वारा श्री मनोरंजन द्विवेदी मंडलीय प्रबन्धक कागज सं0 19ग/1 व 19ग/2 दाखिल किया गया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में विपक्षी की और से फेहरिस्त 24ग से 13 अभिलेखों की छायाप्रति दाखिल की गई है,जिसमें इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट, गेटपास,रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र,प्रथम सूचना रिपोर्ट,अंतिम रिपोर्ट व बीमा पालिसी अभिलेख शामिल है ।
फोरम द्वारा परिवादिनी तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
दौरान बहस उभयपक्ष को यह स्वीकार है कि परिवादिनी तथा विपक्षी के मध्य बीमा पालिसी निष्पादित हुई थी,जिसकी अवधि दिनांक:19.05.2011 से 18.05.2012 के मध्य थी । इस पालिसी का नाम मैरीन कारगो ओपन पालिसी थी,जिसमें पाँच करोड का जोखिम पूरे वर्ष के लिये तय हुआ था तथा एक बार में दुर्घटना में 15 लाख रू0 की बीमा धनराशि देने का प्राविधान किया गया था । वर्तमान केस में दाल जो कि ट्रक से भेजी जा रही थी उसकी लूट से संबंधित है । दाल ट्रक से लूटी गई और उसका कोई आज तक पता नहीं चला,यह तथ्य भी उभय पक्ष को स्वीकार है तथा अभिलेख कागज सं0 22ग/6 व 22ग/7 से यह स्पष्ट है कि ट्रक सं0 यू0पी078 बी टी 4043 के माध्यम से 320 बोरी मसूर दाल दिनांक: 22.10.2012 को भेजी गई थी अर्थात 32 टन माल परिवादिनी ने उपरोक्त ट्रक से दो विभिन्न फर्मो को भेजा गया था जिसे रास्ते में अज्ञात लोगों द्वारा लूट लिया गया । विवाद मात्र इतना है कि विपक्षी बीमा कंपनी मात्र इस बात पर क्लेम देने से मना कर रही है कि उपरोक्त ट्रक में कुल मिलाकर 32 टन माल लदा हुआ था जबकि ट्रक की लदान क्षमता केवल 16 टन थी । ऐसी परिस्थिति में पालिसी की कंडीशन का उल्लंघन हुआ है । विपक्षी बीमा कंपनी मात्र 16 टन के भार की क्षतिपूर्ति के लिये जिम्मेदार ठहराई जा सकती है । इसी आधार पर विपक्षी बीमा कंपनी ने 7ग पत्र नौ क्लेम जारी किया है । इस संबंध में परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता ने यह कहा है कि बीमा पालिसी कागज सं025ग/33 लगायत 25ग/39 में इस तरह की किसी शर्त का उल्लेख नहीं है । इसके अलावा कागज सं022ग/6 व 22ग/7 बीमा कंपनी द्वारा जारी किया गया अभिलेख है,जिसमें उक्त ट्रक द्वारा कुल 32 टन माल भेजने की घोषणा सं0346 व 347 में की गई है । इसके अलावा विपक्षी बीमा कंपनी के सर्वेयर द्वारा जो सर्वे रिपोर्ट दाखिल की गई है व पृष्ठ सं07 में सर्वेयर द्वारा स्पष्ट रूप से यह मत व्यक्त किया गया है कि परिवादिनी द्वारा मांगी गई बीमा क्लेम की धनराशि पूरी तरह युक्तियुक्त जेन्यून है और इसमें किसी भी तरह की दुरभि संधि परिवादिनी तथा कैरियर के मध्य नहीं हुई है और इस क्लेम का निस्तारण परिवादिनी से वांछित अभिलेख लेकर किया जा सकता है । परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता ने दौरान बहस नई मरीन कारगो ओपन पालिसी दाखिल की है,जो कि उन्हीं पक्षकारों के मध्य है । यह पालिसी पूर्व की पालिसी के बाद के वर्ष की है । इसमें रिमार्क कालम में वाहन की वज़न क्षमता का प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन परिवादिनी द्वारा जो पालिसी इस मामले में लगाई है उसमें इस तरह की कोई शर्त नहीं लगाई गयी है । ऐसी परिस्थिति में यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि विपक्षी द्वारा परिवादिनी का क्लेम नौ क्लेम बिना किसी उचित आधार के की गर्इ है । परिवादिनी को ट्रांसपोर्टर को न तो पक्षकार बनाये जाने की आवश्यकता है और न ही उसका क्लेम ओवर लोडिंग के आधार पर निरस्त किया जा सकता है । यदि कोई ओवर लोडिंग हुई है तो उसमें बीमा कंपनी स्वयं शामिल है क्योंकि लदान के संबंध में जो भी घोषणा पत्र जारी किया गया है । वह उनके द्वारा स्वयं ही जारी किया गया है । ओवर लोडिंग के लिये यदि किसी को दण्ड दिया जा सकता है तो वह वाहन स्वामी को,उसके लिये मोटर वाहन अधिनियम में प्राविधान दिया गया है लेकिन इसके लिये माल स्वामी/परिवादिनी को दण्डित नहीं किया जा सकता है । परिवादिनी विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा मांगे गये समस्त कागजात उपलब्ध करा दिये गये है । ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी विपक्षी से बीमित धनराशि प्राप्त करने की अधिकारिणी है ।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। परिवादिनी विपक्षी बीमा कंपनी से बतौर बीमित धनराशि 11,03,501/-रू0 पाने की हकदार है। इसके अलावा वह बीमा क्लेम आवेदन प्रस्तुत किये जाने की तिथि दिनांक:06.03.2012 से अंतिम अदायगी तक उपरोक्त धनराशि पर सात प्रतिशत वार्षिक दर ब्याज भी पाने की अधिकारिणी है । इसके अलावा परिवादिनी विपक्षी बीमा कंपनी से मानसिक क्षतिपूर्ति के एवज में 20,000/- एंव वाद व्यय के एवज में मु0 2,500/- रूपये पाने की हकदार है। विपक्षी बीमा कंपनी केा आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को इस समस्त धनराशि का भुगतान इस निर्णय के अन्दर एक माह अदा करें, अन्यथा परिवादिनी विपक्षी बीमा कंपनी से निर्णय की तिथि से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज भी पाने की अधिकारिणी होगी।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (बाबूलाल यादव)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
21.12.2015 21.12.2015 21.12.2015