राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-587/2004
(जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-130/1995 में पारित निर्णय दिनांक 06.02.2004 के विरूद्ध)
मै0 टुन्डला गैस एजेन्सी, टुन्डला चौराहा, जीवन बीमा कंपनी
आफिस, टुन्डला जिला फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश।
........अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
ब्रांच मैनेजर दि ओरियंटल इं0कं0लि0 जैन ट्रस्ट छदामी लाल
जैन मंदिर, फिरोजाबाद व दो अन्य। ..........प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 शर्मा, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वकार हाशिम, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक 24.05.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 130/1995 मैसर्स टुन्डला गैस एजेन्सी बनाम शाखा प्रबंधक दि ओरियंटल इं0कं0लि0 व दो अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 06.02.2004 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा इस आधार पर परिवाद खारिज कर दिया गया कि प्रश्नगत गैस गोदाम साधारण चोरी के लिए बीमित नहीं था, इसलिए परिवादी चोरी के आधार पर बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने अवैध निर्णय मात्र कल्पना और संभावना पर
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आधारित किया है। बीमित अवधि 10.06.91 से 09.06.92 के दौरान दि. 29/30.01.1992 की रात्रि में 350 गैस सिलेन्डर बल प्रयोग से चोरी हुए हैं, जिसकी सूचना बीमा कंपनी को 30.01.92 को दे दी गई तथा प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करायी गई थी। इस आधार पर बीमा क्लेम नकारना अनुचित था कि गोदाम की दीवारे टूटी नहीं पाई गई तथा बल का प्रयोग नहीं था। बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्लेम सेटेल करने में अनावश्यक देरी की गई है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा इस तथ्य को भी विचार में नहीं लिया गया।
3. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उसके गोदाम से गैस सिलेन्डर की चोरी हुई है, जो बीमा पालिसी के अंतर्गत संरक्षित है, जबकि बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि पालिसी बरगलरी के लिए जारी की गई थी, गोदाम में बलपूर्वक चोरों को घुसने निकलने का कोई सबूत नहीं पाया गया, इसलिए बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं है। बरगलरी पालिसी में चोरी शब्द स्वयं में समाहित रहता है। यदि ऐसी पालिसी प्राप्त की जाती जिसमें केवल चोरी से संरक्षा अंकित की गई होती तब यह पालिसी बरगलरी के लिए भी उपयुक्त मानी जाती। किसी संपत्ति की चोरी करने में चोरी शब्द के अंतर्गत जितने शब्द प्रयुक्त हो सकते हैं, जैसाकि बरगलरी, रौबरी यहां तक कि डकैती सब शामिल होते हैं, इसलिए यदि पालिसी में बरगलरी से सुरक्षा लिखा जाता है तब इसका तात्पर्य यह नहीं है कि चोरी से सुरक्षा प्राप्त नहीं है, इसलिए जिला
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उपभोक्ता मंच द्वारा इस बिन्दु पर दिया गया निष्कर्ष अपास्त होने योग्य है। अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि परिवादी को किस सीमा तक क्षतिपूर्ति का आदेश प्रदान किया जाए। परिवाद पत्र में यह कथन है कि परिवादी के गोदाम से 350 सिलेनडर चोरी हुए हैं, इस तथ्य को शपथ पत्र द्वारा साबित किया गया है कि चोरी गए सिलन्डरों का मूल्य अंकन 550 प्रति सिलेन्डर बताया गया है। इस प्रकार 350 सिलेन्डर का मूल्य रू. 192500/- बनता है। तदनुसार अपील इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. अपील स्वीकार की जाती है। बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को अंकन रू. 192500/- की क्षतिपूर्ति प्रदान की जाए तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज भी अदा किया जाए।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3