Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/1567

Ansal Housing - Complainant(s)

Versus

O P Kohli - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

18 Sep 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/1567
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Ansal Housing
15. U. G. F. Indraprakash 21. Barakhamba Road New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. O P Kohli
16_B, Block D Chiranjiv Vihar Ghaziabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Sep 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-१५६७/१९९८

 

(जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-७६९/१९९७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक ०४-०५-१९९८ के विरूद्ध)

 

अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लि0, १५, यू0जी0एफ0 इन्‍द्रप्रकाश, २१, बाराखम्‍भा रोड, नई दिल्‍ली-११० ००१ द्वारा डायरेक्‍टर।

                                     ...................                अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम

ओ0पी0 कोहली पुत्र स्‍व0 श्री एस0डी0 कोहली निवासी १६-बी, ब्‍लॉक डी, चिरंजीव विहार, गाजियाबाद।                           ....................                प्रत्‍यर्थी/परिवादी।  

 

समक्ष:-

१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य ।

२.मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित   :- श्री वी0एस0 बिसारिया विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     :- कोई नहीं।  

 

दिनांक : २७-०९-२०१७.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-७६९/१९९७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक ०४-०५-१९९८ के विरूद्ध योजित की गयी है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपीलार्थी की योजना के अन्‍तर्गत चिरंजीव विहार गाजियाबाद में मकान हेतु आवेदन नवम्‍बर, १९९१ में किया था। परिवादी को चिरंजीव विहार गाजियाबाद में आकांक्षा हाउस, १६ बी, ब्‍लॉक डी आबंटित किया गया। इस मकान का सम्‍पूर्ण मूल्‍य परिवादी द्वारा अदा किया गया तथा मकान का कब्‍जा दिनांक ०४-०८-१९९५ को प्राप्‍त कराया गया किन्‍तु कब्‍जा प्राप्‍त कराते समय अनेक निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटियॉं मकान में थीं जिनकी ओर परिवादी ने अपीलार्थी के अधिकारियों का ध्‍यान आकर्षित कराया तथा इस बारे में कई शिकायतें कीं, किन्‍तु कमियॉं दूर नहीं की गईं। परिवादी का यह भी कथन है कि आबंटित मकान का परिवादी से ४०,३६५.४० रू० अधिक भुगतान प्राप्‍त

 

-२-

किया गया। परिवादी ने यह धनराशि वापस मांगी किन्‍तु वापस नहीं की गई। परिवादी का यह भी कथन है कि उक्‍त योजना में जिन लोगों को वर्ष १९९१ में मकान आबंटित किए गये थे उन्‍हें उद्घाटन राशि ०४ प्रतिशत छूट योजना के अन्‍तर्गत गई थी किन्‍तु परिवादी को यह छूट नहीं दी गई। अत: ४०,३६५/- रू० अधिक बसूली की धनराशि की वापसी, ०४ प्रतिशत उद्घाटन राशि की वापसी एवं मकान की त्रुटियों के निवारण की धनराशि अदा किए जाने हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया।

      अपीलार्थी के कथनानुसार परिवादी के पुत्र ने भी अपीलार्थी की इस योजना में एक भवन आबंटन हेतु आवेदन किया था। मु0 ३३,४६५/- रू० परिवादी से अधिक प्राप्‍त किए गये किन्‍तु परिवादी के पुत्र को आबंटित मकान की बाबत् ३६,५३४/- रू० परिवादी पुत्र द्वारा कम जमा किया गया। अत: अपीलार्थी एवं परिवादी तथा उसके पुत्र के मध्‍य हुई मौखिक सहमति के आधार पर परिवादी से ज्‍यादा बसूल किया गया ३३,४६५/- रू० परिवादी के पुत्र के ऊपर बकाया धनराशि में समायोजित किया गया। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि परिवादी ने त्रुटि रहित मकान का कब्‍जा प्राप्‍त किया था और कब्‍जा प्राप्‍त करते समय कोई आपत्ति नहीं की थी। कब्‍जा प्राप्‍त करके ०२ वर्ष के उपरान्‍त मकान में कमियॉं बताते हुए परिवाद योजित किया गया। ०४ प्रतिशत उद्घाटन राशि का अधिकारी भी परिवादी को नहीं माना गया।

      विद्वान जिला मंच ने परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी को निर्देशित किया कि वह निर्णय के पश्‍चात् ०२ माह के भीतर परिवादी से अधिक बसूली गई राशि ३३,४६५/- रू० उसे लौटाए। इसी अवधि में भवन में कमियों को दूर करने के लिए १२,०००/- रू० अपीलार्थी, परिवादी को अदा करे तथा ०४ प्रतिशत उद्घाटन राशि भी परिवादी को अदा करे। साथ ही उक्‍त अवधि में परिवादी को मानसिक उत्‍पीड़न व वाद खर्चा के लिए १,०००/- रू० मुआवजा अदा करे।

      इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।

      हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 बिसारिया के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गई। नोटिस लेफ्ट के पृष्‍ठांकन के साथ वापस प्राप्‍त हुई। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी      तथा उसके पुत्र श्री पवन कोहली ने अपीलार्थी की प्रश्‍नगत योजना में ०२ प्‍लाट १६ बी/डी एवं १६

 

-३-

सी/डी बुक कराए थे। परिवादी ने अपने फ्लैट का ३३,४६५/- रू० अधिक अदा किया था किन्‍तु परिवादी के पुत्र के फ्लैट का ३६,५३४/- रू० कम अदा किया गया। अत: परिवादी के पुत्र के खाते में ३३,४६५/- रू० पक्षकारों के मध्‍य हुए मौखिक त्रिपक्षीय अनुबन्‍ध के आधार पर हस्‍तान्‍तरित किया गया। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा बिना किसी आपत्ति के प्राप्‍त किया गया। कब्‍जा प्राप्‍त करते समय प्रश्‍नगत फ्लैट में कोई त्रुटि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं बताई गई। कब्‍जा प्राप्‍त करने के ०२ वर्ष बाद परिवाद असत्‍य कथनों के आधार पर योजित किया गया।

      जहॉं तक परिवादी को आबंटित फ्लैट में त्रुटियों का प्रश्‍न है परिवाद के अभिकथनों में कब्‍जा दिनांक ०४-०८-१९९५ को प्राप्‍त किया जाना दर्शित है। परिवाद जिला मंच के समक्ष वर्ष १९९७ में योजित किया गया। जिला मंच के समक्ष ऐसी कोई साक्ष्‍य प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रेषित नहीं की गई जिससे यह विदित हो कि कब्‍जा प्राप्‍त करते समय प्रश्‍नगत मकान को त्रुटिपूर्ण स्थिति में पाया गया। ऐसी परिस्‍िथति में प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह क‍थन स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं माना जा सकता कि मकान का कब्‍जा त्रुटिपूर्ण स्‍ि‍थति में प्राप्‍त किया गया। स्‍वयं अपीलार्थी यह स्‍वीकार करते हैं कि प्रश्‍नगत मकान के सन्‍दर्भ में ३३,४६५/- रू० प्रत्‍यर्थी/परिवादी से अधिक प्राप्‍त किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार परिवादी के पुत्र ने भी अपीलार्थी की योजना में एक फ्लैट बुक कराया था। परिवादी के पुत्र द्वारा ३६,५३४/- रू० कम जमा किया गया। अत: पक्षकारों के मध्‍य हुए मौखिक त्रिपक्षीय अनुबन्‍ध के आलोक में परिवादी से अधिक बसूलीगई उपरोक्‍त धनराशि का समायोजन परिवादी के पुत्र पर बकाया धनराशि की बसूली में किया गया। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि ऐसे त्रिपक्षीय मौखिक अनुबन्‍ध को अपीलार्थी ने अपने प्रतिवाद पत्र में उल्लिखित किया है जिसका कोई खण्‍डन परिवादी द्वारा नहीं किया गया।

      उल्‍लेखनीय है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद के अभिकथनों में अधिक जमा की गई धनराशि की बसूली चाही है। यदि ऐसा कोई कथित मौखिक अनुबन्‍ध प्रत्‍यर्थी/परिवादी, उसके पुत्र एवं अपीलार्थी के मध्‍य हुआ होता तो स्‍वाभाविक रूप से इसका उल्‍लेख परिवाद के अभिकथनों में भी किया जाता। परिवादी के पुत्र पर कथित बकाया धनराशि की बसूली हेतु बिना किसी लिखित अनुबन्‍ध के अथवा परिवादी की मौखिक सहमति के बिना, परिवादी की बकाया धनराशि

 

-४-

को समायोजित किए जाने का कोई आ‍ैचित्‍य नहीं होगा। अपीलार्थी ऐसी कथित बकाया धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पुत्र से बसूल करने के लिए स्‍वतन्‍त्र होगा। 

      जहॉं तक ०४ प्रतिशत उद्घाटन राशि का प्रश्‍न है, इस सम्‍बन्‍ध में परिवाद में उल्लिखित परिवादी के अभिकथन से अपीलार्थी ने अपने प्रतिवाद पत्र में इन्‍कार नहीं किया है और न ही अपील के आधारों में इससे इन्‍कार किया है, अत: इस सम्‍बन्‍ध भी जिला मंच द्वारा पारित निष्‍कर्ष में हस्‍तक्षेप करने का कोई औचित्‍य नहीं होगा। अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।             

आदेश

            अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-७६९/१९९७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक ०४-०५-१९९८ के अन्‍तर्गत कमियों को दूर करने के सन्‍दर्भ में अपीलार्थी द्वारा परिवादी को १२,०००/- रू० अदा किए जाने के सन्‍दर्भ में पारित आदेश अपास्‍त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।

इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।

पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

                                                                                                                 

                                                 (बाल कुमारी)

                                                    सदस्‍य

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-२.

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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