(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1629/2010
(जिला उपभोक्ता आयोग, उन्नाव द्वारा परिवाद संख्या-89/2008 में पारित निणय/आदेश दिनांक 13.08.2010 के विरूद्ध)
योगेश पुत्र श्री शिव राम, ग्राम खरगौरा, पोस्ट लगलेसरा, परगना व तहसील सफीपुर, उन्नाव।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0, 249/ए/1, सिविल लाइन्स, उन्नाव, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
2. आर्यवर्त ग्रामीण बैंक, ब्रांच देवगांव, परगना व तहसील सफीपुर, जिला उन्नाव द्वारा ब्रांच मैनेजर।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री एच.के. श्रीवास्तव।
दिनांक: 02.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-89/2008, योगेश बनाम दि ओरियण्टल इं0कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, उन्नाव द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 13.08.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से ऋण प्राप्त कर भैंस क्रय की थी, जिसका बीमा विपक्षी सं0-1 से कराया था। बीमित भैंस का टैग गिरने के कारण नया टैग लगवाया गया, जिसका नम्बर एनआईए 42200/351 था। इस भैंस की दिनांक 11.7.2007 को रात्रि 11.00 बजे मृत्यु हो गई। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा क्लेम नकार दिया गया।
3. विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी के कथन को स्वीकार किया गया, परन्तु विपक्षी सं0-1 द्वारा यह कथन किया गया कि बीमित भैंस की मृत्यु संदिग्ध है। बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। धोखाधड़ी की नियत से बीमा राशि हड़पने का प्रयास किया जा रहा है।
4. विद्वान जिला आयोग द्वारा साक्ष्यों की व्याख्या करने के पश्चात यह निष्कर्ष दिया गया कि बीमित भैंस की मृत्यु होने का तथ्य साबित नहीं है, इसलिए बीमा क्लेम नकारने का निष्कर्ष विधिसम्मत है। तदनुसार प्रश्नगत परिवाद खारिज कर दिया गया।
5. इस निर्णय/आदेश को परिवादी द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला पशु चिकित्साधिकारी द्वारा पोस्ट मार्टम करते समय मृतक भैंस के कान में टैग पाया गया था। प्रत्यर्थी सं0-1 द्वारा टैग विद्वान जिला आयोग के समक्ष पेश नहीं किया गया, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा भैंस की मृत्यु के संबंध में दिया गया निष्कर्ष विधि विरूद्ध है।
6. बीमित भैंस का बीमा प्रत्यर्थी सं0-1 द्वारा किया गया है। अत: बीमा पालिसी के बिन्दु पर अतिरिक्त विचार की आवश्यकता नहीं है। इस अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह बनता है है कि क्या बीमित भैंस की मृत्यु कारित हुई है और तदुनसार बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए परिवादी अधिकृत है ?
7. स्वंय परिवादी ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि जिस भैंस का बीमा कराया गया था, उसका छल्ला निकल गया था और दूसरा छल्ला लगवाया गया था। दूसरा छल्ला लगाए जाने की स्थिति में छल्ला लगाने पर घाव का बनना आवश्यक है। बीमा कंपनी की ओर से डा0 ओम प्रकाश कटियार को स्थलीय निरीक्षण के लिए नियुक्त किया गया था, जो सेवानिवृत्त मुख्य चिकित्साधिकारी हैं, उनके द्वारा मौके पर जांच करने पर पाया गया, जैसा कि सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में अंकित किया है कि कान में टैग लगाने के कारण छेद के चारो ओर कोई निशान नहीं है। मृतक भैंस के कान के टुकड़े में टैग भैंस की मृत्यु के बाद लगाया गया और कान में जो सुराग किया गया, वह मानव निर्मित है। स्थलीय निरीक्षण के समय पाया गया कि कान टैग से चपका हुआ था, जबकि दिनांक 4.5.2007 को कान में टैग लगाए जाने के कारण कान की स्थिति ढीली होनी चाहिए थी। मौके पर एक अन्य भैंस मौजूद थी, जिसके कान में कोई छल्ला नहीं पाया गया। विद्वान जिला आयोग ने सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर अपना निर्णय/ओदश पारित किया है, इस निर्णय/आदेश में दिए गए निष्कर्ष को परिवर्तित करने का कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है, इसलिए यह अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक 02.07.2024
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2