(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1292/2008
देवेन्द्री देवी पत्नी स्व0 जय नारायण शर्मा बनाम मण्डलीय प्रबंधक दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 18.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-284/2006, देवेन्द्री देवी बनाम मण्डलीय प्रबंधक दि ओरियण्टल इं0कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.4.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री ओ.पी. दुवेल तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमाधारक की मृत्यु होना प्रमाणित नहीं है, इसलिए दुर्घटना हित लाभ देय नहीं है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति जय नारायण शर्मा का 50,000/-रू0 का बीमा किसान क्रेडिट कार्ड धारक के नाते हुआ था। दिनांक 18.4.2006 को कुएं में गिरने के कारण उनकी मृत्यु हो गई, परन्तु बीमा राशि प्राप्त नहीं हुई।
4. बीमा कंपनी का कथन है कि जय नारायण शर्मा की मृत्यु के संबंध में कोई एफआईआर, शव विच्छेदन, पंचनामा नहीं कराया गया, इसलिए पालिसी की शर्तों का उल्लंघन हुआ है। परिवादिनी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। बीमा कंपनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
5. विद्वान जिला आयोग ने भी बीमा कंपनी के तर्क को स्वीकार करते हुए परिवाद खारिज किया है।
6. अपील के ज्ञापन तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से की गई मौखिक बहस का सार यह है कि जय नारायण शर्मा एक शादी कराने के लिए गए थे, वहां रात्रि में शौच के मकसद से कुएं की तरफ चले गए और कुएं में गिरकर उनकी मृत्यु हो गई, परन्तु परिवाद पत्र में इस
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प्रकार के किसी तथ्य का उल्लेख नहीं है। परिवाद पत्र के पैरा सं0-3 में उल्लेख है कि दिनांक 18.4.2006 को अबूनासिखुर निकट पाली तहसील अतरौली में कुएं में गिरने से मृत्यु हो गई। यहां पर वह बारात में गए हुए थे। यह भी उल्लेख है कि दाह संस्कार भी ग्राम उत्तरा में हुआ था। यदि कोई व्यक्ति बारात में जाता है तब बारातियों में से किसी बाराती के गायब होने का तात्पर्य यह है कि बारात के सभी व्यक्तियों को इस तथ्य की जानकारी होनी चाहिए और जिस बारात में वह गए थे, उस परिवार के सदस्यों द्वारा अपने बाराती की खोच की जानी चाहिए। यदि बाराती का शव कुएं में मिला था तब जिस बारात में वह गए थे, उस परिवार के सदस्य की साक्ष्य प्रस्तुत की जानी चाहिए थी। यह सही है कि कुएं में गिरने का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है, परन्तु कुएं में गिरे हुए व्यक्ति को निकालने की साक्ष्य अवश्य मौजूद हो सकती थी। ऐसे किसी भी व्यक्ति को साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं किया गया, जो यह साबित कर सके कि मृतक की लाश को ग्राम अबूनासिखुर निकट पाली तहसील अतरौली के किसी कुएं से निकाला गया था। प्रस्तुत केस में हर परिस्थिति संदिग्ध है, क्योंकि इस प्रकार की दुर्घटना की एफआईआर, पंचनामा तथा पोस्ट मार्टम कराना आवश्यक था तथा जिन व्यक्तियों द्वारा मृतक की लाश को कुएं से निकाला गया, उनका शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया जाना आवश्यक था, परन्तु विद्वान जिला आयोग या इस पीठ के समक्ष ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद खारिज कर दिया गया, जिसमें कोई अवैधानिकता नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील भी निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2