(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-514/2009
बृज बिहारी उदेनिया पुत्र स्व0 श्री बाबू लाल उदेनिया बनाम डिविजनल मैनेजर, दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 05.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-100/2006, बृज बिहारी उदेनिया बनाम मण्डलीय प्रबंधक दि ओरियण्टल इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, झांसी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.2.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वासुदेव मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि पेट्रोल पम्प से घर ले जाने वाली नकद धनराशि बीमा पालिसी के अंतर्गत सुरक्षित नहीं है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा कैश ट्रांजिट एवं स्टॉक का बीमा वर्ष 1992 में एक करोड़ रूपये की राशि एवं वर्ष 1997 में दो करोड़ रूपये की राशि का कराया गया था। बीमा की शर्तों के अनुसार पेट्रोल पम्प से परिवादी के निवास स्थान तथा निवास स्थान से बैंक तक कैश ले जाने का रिस्क कवर किया गया है, जिसमें अंकन 50,000/-रू0 सेफ के अंदर, अंकन 50,000/-रू0 कैश काउंटर की रिस्क एवं सिंगल लिमिट कैश ट्रांजिट एक लाख पचास हजार रूपये तक सुरक्षित है। दिनांक 24.4.2004 को सांय 7.30 बजे जब परिवादी पेट्रोल पम्प से अपने निवास सुनील
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इन्क्लेव ग्वालियर रोड, झांसी अंकन 86,000/-रू0 लेकर आ रहा था तभी सुनील इन्क्लेव ग्वालियर रोड के गेट पर अज्ञात अभियुक्तों द्वारा राशी लूट ली गई, इस घटना की सूचना दिनांक 24.4.2004 को ही थाने पर दी गई तथा विपक्षी बीमा कंपनी को भी सूचना दी गई, जिनके द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर को सभी दस्तावेज मांग के अनुसार उपलब्ध कराए गए। विपक्षी केवल अंतिम रिपोर्ट की मांग करते रहे, इसके बाद दिनांक 31.3.2005 को दावा नो क्लेम कर दिया गया।
4. विद्वान जिला आयोग ने भी इसी तर्क को स्वीकार किया है कि बीमा पालिसी के अंतर्गत पेट्रोल पम्प से घर ले जाने वाली धनराशि पालिसी के अंतर्गत सुरक्षित नहीं है। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया।
5. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्यों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि परिवादी द्वारा निरंतरता में पालिसी प्राप्त की गई है। प्रथम पालिसी में पेट्रोल पम्स से आवास तथा आवास से बैंक तक एक निश्चित सीमा तक नकद धनराशि बीमा पालिसी के अंतर्गत सुरक्षित है। नवीनीकरण के पश्चात पूर्व शर्तें ही अंकित की गई हैं। पूर्व पालिसी में इस प्रकार की सुरक्षा मौजूद थी। नवीनीकरण के समय भी यह सुरक्षा मौजूद रहनी चाहिए।
6. परिवादी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट त्वरित रूप से दर्ज कराई गई है, जिसकी प्रति पत्रावली पर दस्तावेज सं0-30 पर मौजूद है। पुलिस द्वारा भी इसी तिथि को मुकदमा पंजीकृत किया गया है तथा इसके पश्चात अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, जिसमें लूट के तथ्य से इंकार नहीं किया गया है। बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्लेम इस आधार पर निरस्त किया गया है कि बीमा पालिसी के अंतर्गत पेट्रोल पम्प से नकद धनराशि ले जाने को कोई कवर प्राप्त नहीं है, जबकि बीमा पालिसी के अवलोकन से ज्ञात होता है कि मूल रूप से जब पालिसी प्राप्त की गई थी, उसमें पेट्रोल पम्प से आवास
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तक तथा आवास से बैंक तक नकद धनराशि ले जाने के लिए सुरक्षा प्रदान की गई है। बीमा पालिसी दस्तावेज सं0-67 पर मौजूद है, जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि पेट्रोल पम्प से आवास तथा आवास से बैंक तक ले जाने वाली नकद धनराशि अंकन 2 लाख सिंगल लिमिट, सुरक्षित है। प्रस्तुत केस में अंकन 86,000/-रू0 की लूट अंकित है, इसलिए इस पालिसी के अंतर्गत सुरक्षा प्राप्त है। परिवादी अंकन 86,000/-रू0 की राशित बतौर क्षतिपूर्ति बीमा कंपनी से प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को अंकन 86,000/-रू0 की राशि बतौर क्षतिपूर्ति देय होगी तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज भी देय होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2