( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :712/2012
अरविन्द सिंह पुत्र श्री विजय प्रताप सिंह
बनाम्
दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व एक अन्य
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
दिनांक : 17-09-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील अत्यन्त पुरानी है और वर्ष 2012 से सुनवाई हेतु लम्बित है। अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता अनुपस्थित है जब कि प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार सिंह उपस्थित आए अत: प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनकर अपील का निस्तारण आज ही गुणदोष के आधार पर किया जा रहा है।
परिवाद संख्या-132/2009 अरविन्द सिंह बनाम शाखा प्रबन्धक दी ओरियण्टल इं0कं0लि0 व एक अन्य में जिला आयोग, महराजगंज द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 10-02-2010 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद निस्तारित करते हुए निम्नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया है:-
‘’उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए न्याय के हित में पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर परिवादी का परिवादी विरूद्ध विपक्षीगण इस आशय के साथ निस्तारित किया जाता है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण के यहॉं उनके द्वारा मांगे गये दस्तावेजों को दाखिल करता है तो उसके 60 दिन के अंदर परिवादी के क्षतिपूर्ति दावे को निर्णीत करने के लिए विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है। यदि विपक्षीगण समय सीमा के अंदर परिवादी के क्षतिपूर्ति दावा का निस्तारण नहीं करेंगे तो विपक्षीगण परिवादी को 3,50,000/-रू0 की धनराशि अदा करेंगे।
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जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त में सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी सड़क निर्माण का अधिकृत ठेकेदार है तथा रोड निर्माण आदि का कार्य करता है जिस कारण परिवादी को रोड़ निर्माण के संबंध में गोपालनगर सिसवा बाजार से बाहर लखनऊ, दिल्ली तथा अन्य जगहों पर आना-जाना पड़ता है जिस कारण परिवादी ने महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा कम्पनी की स्कापियों गाड़ी दिनांक 29-04-2008 को क्रय किया और जिसका बीमा, बीमा धनराशि अदा करके कराया।
अक्टूबर माह के द्धितीय सप्ताह में जब परिवादी अपनी गाड़ी से जा रहा था तभी उसकी गाड़ी सीतापुर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गयी जिसकी सूचना विपक्षीगण को दी गयी जिस पर विपक्षीगण द्वारा दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे किया गया और विपक्षीगण की देख-रेख में निकटतम वर्कशाप जुगलकिशोर मोटर लखनऊ में गाड़ी टोचन कराकर पहुँचायी गयी, जिस पर वर्कशाप द्वारा 2,22,839.44 पैसे का स्टीमेट वाहन मरम्मत के मद में दिया गया साथ ही वाहन को ठीक करते समय इंजन खोले जाने पर द्धितीय पूरक स्टीमेट दिनांक 25-02-2008 को 94,291/-रू0 का दिया गया।
वर्कशाप द्वारा वाहन का इंजन बनाने के पश्चात जब इंजन को चालू किया गया तो उसमें अनेकों प्रकार की दिक्कत उत्पन्न हुई जिसे दूर करने हेतु तीसरा स्टीमेट दिनांक 17-12-2008 को 1,33,823/-रू0 का दिया गया, किन्तु फिर भी इंजन की कमियॉं दूर नहीं हुई जिस पर कम्पनी के इंजीनियर श्री गुरूकृपाल अरोरा द्वारा बताया गया कि दुर्घटना के कारण इंजन काफी क्षतिग्रस्त हो गया है और इंजन बदलना होगा तदोपरान्त चौथा स्टीमेट 3,,52,400/-रू0 का दिया गया और साथ ही गाड़ी का इंजन बदल दिया गया और वाहन दिनांक 16-01-2009 को बनकर तैयार हो गया जिस पर वर्कशाप द्वारा धनराशि की मांग की गयी जिसकी देनदारी विपक्षीगण की थी परन्तु विपक्षीगण ने आज दिन तक उपरोक्त धनराशि अदा नहीं की जिस कारण परिवादी वर्कशाप से वाहन नहीं ला सका और वाहन आज भी वर्कशाप में खड़ा है और वर्कशाप द्वारा प्रतिदिन मु0 150/-रू0 की मांग की जा रही है जिसकी देनदारी भी विपक्षीगण की है। जो कि विपक्षीगण की सेवा में कमी है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के सम्मुख योजित किया है।
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विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए कथन किया गया कि वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना परिवादी द्वारा तत्काल बीमा कम्पनी को नहीं दी गयी जिस कारण घटना का स्थल निरीक्षण संभव नहीं हो सका। सर्वेयर द्वारा वाहन का निरीक्षण करने के बाद वाहन में हुए नुकसान के स्टीमेंट का निरीक्षण करके रिपोर्ट बीमा कम्पनी को प्रेषित की गयी। परिवादी द्वारा मांग के प्रपत्रों को उपलब्ध नहीं कराया गया उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है।
जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को सुनने तथा पत्रावली का परिशीलन एवं परीक्षण करने के पश्चात परिवाद निस्तारित करते हुए परिवादी द्वारा विपक्षीगण के यहॉ उनके द्वारा मांग गये दस्तावेजों को दाखिल करने हेतु निर्देशित किया गया साथ ही विपक्षीगण द्वारा दावे को निर्णीत करने हेतु भी निर्देशित किया गया है।
मेरे द्वारा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुना गया एवं विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुनने एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है साथ ही परिवादी को दिये गये निर्देशों पर अपेक्षित कार्यवाही करने हेतु विपक्षी को स्पष्ट निर्देश भी प्रदान किये गये हैं। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 45 दिन की अवधि में सुनिश्चित किया जावे।
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अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1