(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2060/2007
(जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-680/1996 में पारित निणय/आदेश दिनांक 8.8.2007 के विरूद्ध)
मैसर्स एच.के.एस. इलेक्ट्रिकल्स, शॉप नं0-5, डी.डी.ए. मार्केट जनता फ्लैट पॉकेट-2, पश्चिमपुरी, नई दिल्ली वर्तमान पता 8ए, मुखर्जी मार्ग, नई दिल्ली।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
ब्रांच मैनेजर, ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0, 50, नवयुग मार्केट, गाजियाबाद, जिला गाजियाबाद।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री बी.पी. दुबे।
दिनांक: 14.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-680/1996, मैसर्स एच.के.एस. इलेक्ट्रिकल्स बनाम शाखा प्रबंधक ओरियण्टल इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 08.08.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ठेकेदारी का काम करते हैं तथा कुशल एवं अकुशल कारीगरों की व्यवस्था करके उन्हें ठेके पर देते हैं तथा उनका दुर्घटना बीमा कराया जाता है। परिवादी ने विजेन्द्र सिंह तथा चार व्यक्तियों का बीमा दिनांक 7.7.1994 से दिनांक 6.1.1995 की अवधि के लिए कराया था। दिनांक 10.12.1994 को रात्री 10:00 बजे विजेन्द्र सिंह को ड्यूटी पर चोट लग गई, जिसको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया।
3. बीमा कंपनी का कथन है कि टैरिफ के अनुसार 20 प्रतिशत अतिरिक्त बीमा राशि उपचार के खर्च के लिए दी गई थी, केवल 400/-रू0 मुआवजा उपचार के लिए देय है। परिवाद चलने योग्य नहीं है, यह कालबाधित है तथा बीमा क्लेम समयावधि से बाधित है।
4. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि बीमा वर्कमेन कंपनशेसन एक्ट के तहत लिया गया था, जिसका मुकदमा सुनने का अधिकार कर्मचारी प्रतिकर आयुक्त को ही है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद इसी आधार पर खारिज कर दिया गया।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी बीमा पालिसी प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, परन्तु यह तर्क विधिसम्मत नहीं कहा जा सकता, क्योंकि बीमा के प्रीमियम का भुगतान चाहे अपीलार्थी ने किया हो, परन्तु इस बीमा पालिसी के तहत इलाज के दौरान खर्च राशि को प्राप्त करने के लिए बीमाधारक ही अधिकृत है। फिर यह भी कि चूंकि बीमा पालिसी शर्त के तहत ली गई है और बीमा कंपनी उसी शर्त के अनुसार भुगतान करने के लिए अधिकृत नहीं है और लिखित कथन के अनुसार उपचार का खर्च बीमा राशि का 20 प्रतिशत अतिरिक्त बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किया गया है, इसलिए अतिरिक्त क्लेम देय नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2