राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-941/2017
कमला गैस सर्विस, सिराथू रोड, कस्बा व थाना मंझनपुर जनपद कौशाम्बी, जरिए प्रोपराइटर देव कुमार सोनकर पुत्र सुन्दर लाल सोनकर।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
शाखा प्रबंधक, दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, शाखा कार्यालय, 14/18 शास्त्री मार्ग इलाहाबाद।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री कुमार सम्भव
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री आलोक कुमार सिंह
दिनांक :- 25.4.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कौशाम्बी द्वारा परिवाद सं0-167/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.4.2027 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी कमला गैस सर्विस, सिराथू रोड कस्बा व थाना मंझनपुर, जनपद कौशाम्बी का प्रोप्राइटर व वितरक है एवं अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अपने गोदाम में रखे सिलेण्डरों व अन्य उपकरणों का बीमा प्रत्यर्थी/विपक्षी दि ओरिएण्टल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, शाखा कार्यालय 14/18 शास्त्री मार्ग, इलाहाबाद से कराया था। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी के कार्यालय की पालिसी
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कवर नोट संख्या-911055 के तहत दिनांक 14.5.2008 को प्रथम श्रेणी जोखिम का बीमा करा कर रू0 8519/- के प्रीमियम का भुगतान किया था तथा इस पालिसी की बीमित अवधि दिनांक 14.5.2008 से दिनांक 13.5.2009 तक वैध थी।
दिनांक 28.4.2009 की शाम जब अपीलार्थी/परिवादी अपने गैस सर्विस के शोरूम व गोदाम का ताला बंद करके अपने आवास पर चला गया और दूसरे दिन सुबह जब अपीलार्थी/परिवादी ने गोदाम का ताला खोल कर देखा, तो अंदर कमरे का ताला टूटा पड़ा मिला और वहाँ पर रखे 688 गैस सिलेण्डर गायब मिले। यह भी कथन किया गया कि गैस सर्विस के गोदाम की दक्षिणी दीवार में सेंध काट कर गोदाम का ताला तोडकर चोरी की गई, जिसकी सूचना थाना मंझनपुर में दी गई और धारा-457/380 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज हुआ। यह भी कथन किया गया कि 14.2 किलोग्राम के 688 गैस सिलेण्डर अज्ञात चोरों द्वारा घटना की रात गोदाम की चहार दीवारी में सेंध काटकर, गोदाम का ताला तोड़कर चोरी कर ले गये थे।
अपीलार्थी/परिवादी द्वारा उपरोक्त घटना के संबंध में सूचना वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक हिन्दुस्तान पेट्रोलियम गोमती नगर लखनऊ तथा प्रत्यर्थी/विपक्षी दि ओरिएन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी को भेजी थी। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी को एक प्रार्थना पत्र जरिये रजिस्टर्ड डाक दिनांक 03.7.2010 को भेजकर चोरी गये गैस सिलेण्डरों की क्षतिपूर्ति दिलाये जाने के लिए अनुरोध किया गया, जिस पर प्रत्यर्थी/विपक्षी कार्यवाही करने के बाद क्षतिपूर्ति करने का आश्वासन देकर अपीलार्थी/परिवादी को टालते रहे, जिससे अपीलार्थी/परिवादी को भारी मानसिक व आर्थिक संकट का सामना
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करना पड़ा। यह भी कथन किया गया कि बीमा पालिसी के अनुसार पालिसी की अवधि के मध्य होने वाली क्षति के लिए प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी उत्तरदायी है अत्एव क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने गैस गोदाम का बीमा प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से करवाया था, परन्तु प्रत्यर्थी/विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र में उल्लेख किया है कि दिनांक 28.4.2009 की रात्रि में 688 गैस सिलेण्डरों की चोरी अपीलार्थी/परिवादी के गोदाम में नहीं हुई थी। यह भी कथन किया गया कि यदि कोई ऐसी घटना घटित होती तो अपीलार्थी/परिवादी तत्काल ही संबंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट अवश्य दर्ज करवाता तथा प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय में अविलंब सूचना देता, परन्तु अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कंपनी को सिलेण्डरों की कथित चोरी की घटना की सूचना दिनांक 02.7.2010 को लगभग 01 साल 02 महीनों के बाद द्वारा रजिस्टर्ड डाक द्वारा दी गयी थी।
प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी का कथन है कि सूचना प्राप्त होने के उपरांत प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा घटना के सत्यापन व पूर्ण जानकारी हेतु सर्वेयर को नियुक्त किया गया तथा सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट दिये जाने के बाद चोरी की घटना सत्य न पाये जाने के आधार पर प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के क्लेम को दिनांक 25.11.2010 को खारिज कर दिया गया।
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यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा फर्जी क्लेम लेने की नियत से गैस गोदाम में चोरी की घटना की सूचना का प्रसार किया गया, जबकि वास्तव में ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई थी। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा घटना की तिथि पर एजेंसी से सम्बन्धित प्रपत्र जैसे कि स्टाक रजिस्टर, पेट्रोलियम संरक्षक विभाग द्वारा उन्हें कितने सिलेण्डरों का लाइसेन्स दिया गया था, प्रतिदिन उन्हें कितने सिलेण्डरों की सप्लाई होती थी, घटना वाले रोज कितने सिलेण्डर सप्लाई हुई थी, कितने भरे थे व कितने खाली थे, से सम्बन्धित कोई भी दस्तावेज बतौर सबूत परिवाद पत्र के साथ दाखिल नहीं किये गये हैं।
यहॉ यह भी एक यक्ष प्रश्न है कि इतनी अधिक संख्या अर्थात 688 गैस के सिलेण्डर को रात्रि में अप्रैल माह में यदि चोरी की घटना कारित करते हुए चोरी की जाती है तो यह तथ्य कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता कि किसी को उक्त घटना की जानकारी, आवाज व क्रम का पता नहीं चलता।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को खारिज कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
प्रस्तुत अपील विगत 07 वर्षों से लम्बित है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर अधिवक्तागण की अनुपस्थिति के कारण स्थगित की जाती रही है। आज मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
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मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रस्तुत मामले में दिनांक 28.4.2009 की रात में अपीलार्थी/परिवादी के गैस गोदाम में हुई सिलेण्डरों की चोरी की घटना का प्रथम दृष्टया साबित होना नहीं पाया जाता है एवं अपीलार्थी/परिवादी भी उपरोक्त घटना के तथ्य को साबित करने में असफल भी रहा है। इस संबंध में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता अपीलीय स्तर पर प्रतीत नहीं हो रही है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश विधि के सम्मत है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1