(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1047/2010
श्रीमती निसतार कौर तथा दो अन्य बनाम दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्य
दिनांक : 25.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-39/2007 के पुनर्स्थापन के लिए प्रस्तुत किए गए आवेदन को खारिज करने के आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री बी.पी. दुबे तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री पंकज कुमार श्रीवास्तव को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवाद संख्या-39/2007 अपीलार्थी सं0-1 के पति द्वारा प्रस्तुत किया गया था, वह इस केस में स्वंय पैरवी करते थे, उनकी मृत्यु के पश्चात उपस्थित न होने के कारण परिवाद खारिज कर दिया गया, इसके बाद एक प्रकीर्ण वाद पुनर्स्थापन के लिए प्रस्तुत किया गया, यह प्रकीर्ण वाद भी अदम पैरवी में खारिज कर दिया गया, तत्पश्चात प्रश्नगत आवेदन प्रस्तुत किया गया, जो इस आधार पर खारिज किया गया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई विधि व्यवस्था के अनुसार (स्टेट बैंक आफ इंडिया बनाम एग्रीकल्चर इण्डस्ट्रीज) देरी का उचित कारण नहीं दर्शाया गया है। प्रस्तुत केस में अपीलार्थी द्वारा देरी का कारण दर्शित किया गया है, प्रश्नगत परिवाद के संबंध में उनके पति द्वारा उन्हें अवगत नहीं कराया गया। अपीलार्थी स्वंय एक महिला है। अत: यह स्पष्टीकरण पर्याप्त स्पष्टीकरण है कि उनके पति द्वारा परिवाद के संबंध में अवगत नहीं कराया गया, जहां तक अदम पैरवी में खारिज होने वाले एक अन्य आवेदन का संबंध है, उसका निस्तारण गुणदोष पर नहीं हुआ है। अत: इस आवेदन के खारिज होने का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। इस केस की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए परिवाद का गुणदोष पर निस्तारण किया जाना विधिसम्मत प्रतीत होता है। अत: अपीलीय पीठ में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए परिवाद संख्या-39/2007 को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित किया जाता है और इस परिवाद को गुणदोष पर निस्तारित करने हेतु प्रकरण प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
3. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.04.2009 अपास्त किया जाता है तथा यह प्रकरण विद्वान जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि वह इस परिवाद को मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित करते हुए इसका गुणदोष पर निस्तारण उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए अधिकतम 03 माह में करना सुनिश्चित करे।
उभय पक्ष विद्वान जिला आयोग के समक्ष दिनांक 25.11.2024 को उपस्थित हों।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2