Uttar Pradesh

StateCommission

A/1205/2017

Balwant Singh - Complainant(s)

Versus

Northern Railway - Opp.Party(s)

Self

03 May 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1205/2017
( Date of Filing : 06 Jul 2017 )
(Arisen out of Order Dated 27/05/2017 in Case No. C/275/2012 of District Varanasi)
 
1. Balwant Singh
S/O Sri Rajendra Prasad Singh S-25/265 A-P Gautam Vihar Cocony Meerapur Basahi Varanasi
...........Appellant(s)
Versus
1. Northern Railway
Cant Station Englishiya Line Varanasi 221002
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 03 May 2019
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या :1205/2017

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या-275/2012 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27-05-2017 के विरूद्ध)

बलवन्‍त सिंह सुपुत्र श्री राजेन्‍द्र प्रसाद सिंह, एस-25/265 ए-पी, गौतम विहार कालोनी, मीरापुर बसही, वाराणसी।

                                         .....अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

  मुख्‍य वाणिज्‍य प्रबन्‍धक, उत्‍तर रेलवे कैण्‍ट स्‍टेशन, इग्लिशिया लाईन, वाराणसी-221002

                                                ……...प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष  :-

1- मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,  अध्‍यक्ष ।

उपस्थिति :

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-   श्री बलवंत सिंह (स्‍वयं)।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-      श्री वैभव राज।

दिनांक :    14 -06-2019

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय

        परिवाद संख्‍या-275/2012 बलवन्‍त सिंह बनाम् मुख्‍य वाणिज्‍य प्रबन्‍धक, उत्‍तर रेलवे में जिला उपभोक्‍ता फोरम, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 27-05-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

2

        आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद क्षेत्राधिकार का अभाव मानते हुए निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी बलवन्‍त सिंह  ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

        अपीलार्थी व्‍यक्तिगत रूप से उपस्थित हुआ है। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री वैभव राज उपस्थित आए है।

        मैंने उभयपक्ष के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

        अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने अपनी टी0वी0एस0 मोटर साईकिल नम्‍बर-यू0पी0-65-ए.सी.-3815 को अम्‍बाला कैण्‍ट, रेलवे स्‍टेशन से वाराणसी कैण्‍ट स्‍टेशन भेजने के लिए रेलवे बुकिंग काउण्‍टर से दिनांक 10-01-2011 को रू0 1050/- का भुगतान करके बुक कराया। जो दिनांक 08-04-2011 को तीन माह बाद दयनीय स्थिति में टूट-फूट के साथ उसके सुपुर्द की गयी। मोटर साईकिल उसकी सुपुर्दगी में देने से पहले विपक्षी ने पत्र दिनांक 09-03-2012 के द्वारा सूचित किया कि उसके माल की जॉंच करायी जा रही है। अभी गाड़ी कैण्‍ट रेलवे स्‍टेशन पर नहीं आयी है। उसके बाद दिनांक 06-04-2011 को उसे सूचित किया गया कि रेलवे नियम के अनुसार रू0 14,900/- रेलवे कार्यालय में जमा करके अपनी गाड़ी ले जाये। तब अपीलार्थी/परिवादी ने उक्‍त धनराशि जमा करने की माफी के लिए आवेदन पत्र दिनांक 13-04-2011 को वरिष्‍ठ मण्‍डल वाणिज्‍य प्रबन्‍धक को प्रेषित किया और मुख्‍य पार्सल पर्वेक्षक ने वरिष्‍ठ मण्‍डल वाणिज्‍य प्रबन्‍धक, उ0रे0, लखनऊ को धनराशि माफी के लिए सूचित किया। तब रेलवे द्वारा उसे बताया गया कि यदि 14,900/-रू0 वह जमा नहीं करता है तो रू0 10/- प्रतिधण्‍टा यानि रू0 240/- प्रतिदिन के हिसाब से धनराशि बढ़ती जायेगी और इसे जमा करने पर ही गाड़ी मिल सकती है।

 

3

   परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि मोटर साईकिल न होने से उसे काफी मानसिक व शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए रू0 14,900/- जमा कर उसने मोटर साईकिल की डिलीवरी दिनांक 08-04-2012 को ले ली और वारफेज माफ  करने के लिए दिनांक 13-04-2011 को वरिष्‍ठ मण्‍डल वाणिज्‍य प्रबन्‍धक को आवेदन पत्र दिया। परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि अम्‍बाला कैण्‍ट स्‍टेशन से बुक करायी गयी गाड़ी कैण्‍ट स्‍टेशन वाराणसी से अधिकतम पॉच दिन के अंदर मिल जानी चाहिए थी लेकिन वह 90 दिन के बाद मिली है और गाड़ी 60 प्रतिशत डैमेज के साथ मिली है। जो कि विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में कमी है। अत: क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम, वाराणसी के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

        प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया और कथन किया कि रेलवे  दावा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा-13 (ए)(i) में यह स्‍पष्‍ट रूप से उल्लिखित है कि किसी भी बुकिंग किये गये माल के नुकसान व कमी का दावा को सुनने का अधिकार केवल रेल दावा प्राधिकरण को है। उपभोक्‍ता फोरम को उपरोक्‍त वाद को सुनने की अधिकार नहीं है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।

        जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार किया है।

        जिला फोरम ने यह माना है कि परिवाद की सुनवाई का अधिकार जिला फोरम को प्राप्‍त नहीं है। अत: जिला फोरम ने परिवाद क्षेत्राधिकार के अभाव में खारिज कर दिया है।

        अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अर्न्‍तगत ग्राह्य है।

 

 

4

        प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय उचित और विधि सम्‍मत है और इसमें हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है।

        मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

         2013(4)सी.पी.आर.54 (एन.सी.) यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैनेजर, वेस्‍ट, सेन्‍ट्रल रेलवे एवं अन्‍य बनाम यश इण्‍डस्‍ट्रीज आदि और पुनरीक्षण याचिका संख्‍या-450/2016 डिवीजनल रेलवे मैनेजर एवं अन्‍य बनाम् भूपेन्‍द्र पटेल में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णयों में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर जिला फोरम ने रेलवे दावा प्राधिकरण अधिनियम-1987 की धारा-13 और 15 के प्राविधान के आधार पर माना है कि परिवाद की सुनवाई का अधिकार जिला फोरम को नहीं है।

        माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने सेक्रेटरी थीरूमुरूगन कोआपरेटिव बनाम् एम0 ललिया (2004) I S.C.C  305 के निर्णय में कहा है कि “section 3 of Consumer Protection Act seeks to provide remedy under the Act in addition to other remedies unless there is a clear bar.”

        रेलवे दावा प्राधिकरण अधिनियम-1987 के अन्‍तर्गत रेलवे प्राधिकरण को जिस विवाद की सुनवाई का अधिकार है उसकी सुनवाई हेतु अन्‍य न्‍यायालय या अन्‍य प्राधिकरण के अधिकार को धारा-15 रेलवे दावा प्राधिकरण अधिनियम-1987 स्‍पष्‍ट रूप से वंचित करती है। अत: धारा-15 रेलवे दावा प्राधिकरण अधिनियम-1987 के प्राविधान एवं माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय और माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के उपरोक्‍त निर्णयों को दृष्टिगत रखते हुए मैं इस मत का हूँकि वर्तमान परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है। जिला फोरम का निर्णय सही है।

 

5

        उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील निरस्‍त की जाती है।

        उभयपक्ष अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

       

   (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

अध्‍यक्ष

कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0

 

    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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