Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

cc/120/2012

Anoop Kumar GAud - Complainant(s)

Versus

Northern Moters - Opp.Party(s)

10 Feb 2017

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. cc/120/2012
 
1. Anoop Kumar GAud
11C Shivkatra lal banglaw kanpur nagar
...........Complainant(s)
Versus
1. Northern Moters
The Mall Kanpur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 10 Feb 2017
Final Order / Judgement


                                                 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
                        पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
                        श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या    
                
    

उपभोक्ता वाद संख्या-120/2012
अनूप कुमार गौड़ पुत्र स्व0 रामकृश्ण गौड़ निवासी मकान नं0-11 सी0 षिवकटरा, लाल बंगला, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1.    हीरो हाण्डा मोटर्स लि0 द्वारा प्रबन्ध निदेषक रजिस्टर्ड हेड आफिस-34 कम्युनिटी सेंटर, बसन्त लोक, बसन्त बिहार नई दिल्ली-110057
2.    मेसर्स नारर्दन मोटर्स द्वारा प्रोपराईटर-127 दिमाल कानपुर नगर-208001
3.    मेसर्स एक्सीलेन्ट बाईक्स द्वारा प्रोपराईटर, 1-ए षिवकटरा जी.टी. रोड, कानपुर नगर-208007
                           ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 24.02.2012
निर्णय तिथिः 17.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण को गाड़ी वापस लेकर परिवादी को विक्रय मूल्य रू0 40,043.00 व रजिस्ट्रेषन, बीमा आदि में खर्च रू0 5000.00 मय 18 प्रतिषत ब्याज तारीख क्रय से अदायगी तक दिलाया जाये, परिवादी के पेट्रोल में हुआ अतिरिक्त व्यय रू0 20,000.00 व क्षतिपूर्ति रू0 10,000.00 तथा परिवाद व्यय रू0 5000.00 दिलाय जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी कानपुर के0एम0ई0एस0 में जनरल आर्डर सप्लायर का कार्य करता है। परिवादी की पुत्री डी0जी0 कॉलेज में बॉयोटेक की विद्यार्थी है। इस प्रकार परिवादी को षहर में भ्रमण तथा पुत्री को कॉलेज छोड़ना व लाना होता है व परिवादी को प्रतिदिन 50-60 किलोमीटर यात्रा करनी होती            है। परिवादी ने अपने कार्य को सुगमता से करने की दृश्टि से तथा विपक्षी 
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कंपनी की गुडविल पर विष्वास करके एक मोटर साइकिल हीरो हाण्डा भ्।प्व्म्।।भ्ठ72380 चेचिस नं0-डठस्भ्।प्व्म्श्र।भ्ठ22658 दिनांक 04.03.10 को रू0 40,043.00 व रू0 5000.00 रजिस्ट्रेषन व इंष्योरेन्स षुल्क देकर विपक्षी सं0-2 से जो कि विपक्षी सं0-1 का अधिकृत डीलर व वारंटी सर्विस प्रोवाईडर है, से क्रय की। जिसका रजिस्ट्रेषन नं0-यू0पी0-78 बी0जेड0-3467 है। विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा उक्त मोटर साइकिल का माइलेज सामान्य दषा में 80 किलोमीटर प्रति लीटर बताया गया था और विक्रय के पष्चात अच्छी सर्विस देने का वायदा भी किया गया था। वाहन क्रय करने के पष्चात सर्वप्रथम उसमें माइलेज में कमी तथा स्टार्ट करने में कठिनाई तथा हैंडिल के बैलेंस की समस्या सामने आयी, जिसकी षिकायत करने  पर प्रथम सर्विस के समय दूर हो जाने की बात कर कर टाल दिया। परिवादी ने प्रथम सर्विस के समय दिनांक 27.03.10 को विपक्षी सं0-2 के सर्विस सेंटर में उक्त षिकायतें जॉबकार्ड पर नोट करवाया। किन्तु गाड़ी चलाने पर उक्त त्रुटि स्टार्टिंग ट्रबुल व माइलेज की समस्या यथावत् बनी रहीं। इसके पष्चात कई बार षिकायत करने पर भी समस्या का समाधान नहीं किया गया। कर्मचारियों के अषोभनीय व आपत्ति जनक व्यवहार के कारण आगे से सर्विस विपक्षी सं0-3 से करानी षुरू कर दी। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-3 के यहां प्रष्नगत अपनी मोटर साइकिल की वारंटी सर्विस में दिनांक 18.07.10, 27.10.10, 20.02.11, 24.02.11 व 28.02.11 को करायी और उस दौरान इंजन की खराबी जिसमें स्टार्ट करने पर दिक्कत होना, मिस फायर करना, गाडी चलते-चलते बंद हो जाना, थोड़ा चलने के बाद इंजन बंद हो जाना, गाड़ी का माइलेज 20-25 किलोमीटर प्रति लीटर होना इत्यादि बराबर सर्विस कराने के समय विपक्षी सं0-3 के सर्विस कार्ड पर लिखाया व आज तक पूर्णतः असंतुश्ट लिख कर हस्ताक्षर बनाये जो उसके पास मौजूद है। यह किसी भी सर्विस के बाद उक्त कमियां दूर नहीं हुई। सर्विस सेंटर वाले उसकी कमी को छिपाते हुए रेस बढाते चले गये। फलस्वरूप इंजन के नट बोल्ट गति बढ़ाने           से वह खुलकर गिर भी चुके थे। इस प्रकार विपक्षी ने सेवा में कमी की हैं 
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परिवादी की गाड़ी का इंजन षुरू से ही डिफेक्टिव तथा षुरू से ही निर्माणी दोश है। विपक्षीगण ने पूरा मूल्य प्राप्त कर परिवादी को डिफेक्टिव उत्पाद विक्रय किया है। जिसकी वजह से परिवादी को कुल 13000 किलोमीटर चलाने पर ईंधन का अतिरिक्त व्यय लगभग रू0 20000.00 करना पड़ा तथा गाढ़ी कमाई का कोई लाभ नहीं मिल सका। परिवादी द्वारा अलग से किराया भाड़ा व्यय करना पड़ रहा है, जिससे अभी तक रू0 10000.00 का खर्च का चुका है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षी सं0-1 व 3 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी के कथन से ही स्पश्ट है कि परिवादी अपनी मोटर साइकिल को अपने व्यापार के लिए और व्यापारिक प्रयोग के लिए खूब चलाता है। जिसके कारण वाहन में टूट- फूट आना स्वाभाविक है। उक्त टूट-फूट के लिए परिवादी को सावधानी बरतने की आवष्यकता है तथा समय-समय पर इंजन ऑयल चिकना करने वाले पदार्थ और मरम्मत कराने की आवष्यकता होती है। निर्माता कंपनी दो वर्श की वारंटी अवधि अथवा 30000 किलोमीटर का उत्तरदायित्व 6 मुफ्त सेवाओं व 9 सषुल्क सेवा की जिम्मेदारी लेती है। उपरोक्त में से जो भी कम हो। वारंटी अवधि में दी गयी सेवाओं के लिए 20 महत्वपूर्ण आपरेषन/कार्य वाहन में चेक किये जाते हैं। परिवादी का यह कथन असत्य है कि विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा प्रेरित करने के कारण उसके द्वारा प्रष्नगत मोटर साइकिल विपक्षी के यहां से क्रय की गयी है। वास्तव में दो पहिया वाहन जिसके चार पहिया वाहन मार्केट में बहुत लंबी रेंज है, प्रत्येक क्रेता अपनी पसन्द का वाहन क्रय करते हैं। विपक्षी उत्पाद की गुणवत्ता, अच्छी सेवाओं और वारंटी षर्तों को पूर्ण करने के लिए सदैव तत्पर रहता है और वारंटी अवधि में कतिपय पार्टस को निःषुल्क बदले भी जाते हैं। किन्तु कोई भी कंपनी वाहन को बदलने की गारंटी नहीं देती है। पहली सर्विस के दौरान परिवादी के द्वारा प्रष्नगत वाहन की मिस हैण्डलिंग 
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के कारण प्रष्नगत मोटर साइकिल का हैण्डिल सही किया गया, औसत चेक किया गया और परिवादी को गाड़ी को ठीक प्रकार से चलाने के कुछ सूझाव दिये गये। कम औसत स्टार्ट की समस्या, मिस फायर और अचानक रूक जाने का कोई सम्बन्ध इंजन की कमी से नहीं है। उपरोक्त सभी समस्यायें त्रुटियुक्त ड्राईविंग, मिलावटी पेट्रोल और मिलावटी ल्यूब्रीकेन्टस से सम्बन्धित है, जो कि उपभोक्ता अपनी बचत के कारण करता है। किन्तु उक्त बचत से वाहन का औसत माइलेज कम हो जाता है। परिवादी का यह कथन गलत है कि विपक्षी द्वारा प्रत्येक षिकायत करने पर रेस बढायी जाती रही है और जिसके कारण मोटर साइकिल के नट बोल्ट ढीले हो गये। परिवादी के इस कथन से तो यही सिद्ध होता है कि परिवादी द्वारा तो किसी रोड साइड में स्थित अनभिग्य मैकेनिक द्वारा अनुचित यंत्रों से गाड़ी के खोलने, बंद करने व ठीक करने से हुई त्रुटि के कारण नट बोल्ट ढीले हुए। प्रष्नगत वाहन में कोई निर्माणी त्रुटि नहीं है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद दुर्भावनाग्रस्त मंषा से प्रस्तुत किया गया है। परिवादी द्वारा बताने के अनुसार उपरोक्त दो वर्श की अवधि में लगभग 40000 किलोमीटर से गाड़ी चला चुका होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि कोई भी वाहन जिसके इंजन में निर्माणी त्रुटि होगी, वह दो वर्श तक हजारो किलोमीटर नहीं चल सकता है। जबकि स्वयं परिवादी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि दो वर्श में उसने 13000 किलोमीटर प्रष्नगत मोटर साइकिल चलायी है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह कहा गया है कि वह प्रत्येक दिन 50-60 किलोमीटर गाडी चलाता है, लेकिन 13000 किलोमीटर दो वर्श का औसत निकालने से मात्र 18 किलोमीटर प्रतिदिन होती है, तो पारिवादी के ही बताने के अनुसार आपस में विरोधाभाश है। परिवादी के उपरोक्त विरोधाभाशी बयान से परिवादी की दूशित मंषा स्पश्ट होती है। परिवादी स्वच्छ हाथों से फोरम के समक्ष नहीं आया है। परिवादी द्वारा वारंटी अवधि समाप्त होने के कुछ ही दिन पहले परिवाद दाखिल कर दिया गया है। परिवादी द्वारा सोच-विचार कर अवैधानिक धन प्राप्त करने की मंषा से जाबकार्ड में अपना असंतोश व्यक्त किया गया है।  यदि अभिकथित कमियां
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थी, तो एक सामान्य प्रज्ञा का व्यक्ति 2010 तक प्रष्नगत वाहन के क्रय होने तक दो वर्श व्यतीत होने तक मुकदमा फाइल करने के लिए इंतजार नहीं करेगा। जब इतनी अधिक समस्यायें प्रष्नगत वाहन में थीं, तो ऐसी स्थिति में सामान्य प्रज्ञा का व्यक्ति पहले ही मुकद्मा दाखिल कर देता। परिवादी की ओर से किये गये विरोधाभाशी बयान से स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद झूठे, मनगढंत व असत्य कथनों पर दूशित मंषा से अवैधानिक धन प्राप्त करने की मंषा से योजित किया गया है। अतः परिवाद सव्यय खारिज किया जाये। 
4.    विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन विपक्षी सं0-2 से दिनांक 04.03.10 को क्रय किया गया। परिवादी ने प्रष्नगत वाहन प्राप्त करने से पूर्व हर तरफ से अपने को संतुश्ट कर लिया था। परिवादी द्वारा वारंटी के अंतर्गत प्रथम निःषुल्क सेवा दिनांक 27.03.10 को ली गयी है तथा पूर्ण संतुश्टि व्यक्त करते हुए सेवा के उपरान्त अपना वाहन वापस लिया गया। उपरोक्त प्रथम निःषुल्क सेवा प्राप्त करने के बाद परिवादी के अनुसार उसके द्वारा आगे की सेवायें विपक्षी सं0-3 मेसर्स एक्सीलेंट बाइक्स से ली गयी हैं। इसलिए विपक्षी उत्तरदाता की कोई जिम्मेदारी परिवादी के प्रति नहीं बनती है। विपक्षी सं0-2 उत्तरदाता के द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। इस प्रकार परिवादी को कोई वाद कारण विपक्षी सं0-2 उत्तरदाता के विरूद्ध नहीं बनता है। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन में कोई निर्माणी त्रुटि साबित नहीं की जा सकी है। मात्र परिवादी के द्वारा निर्माणी त्रुटि कह देने से प्रष्नगत वाहन में निर्माणी त्रुटि नहीं मानी जायेगी। परिवादी द्वारा जानबूझकर वारंटी अवधि के लगभग समाप्ति के समय झूठे व असत्य कथनों एवं दूशित मंषा से व अवैधानिक धन प्राप्त करने की मंषा से प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। परिवाद रू0 10000.00 हर्जे पर खारिज किया जाये।
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परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 16.02.12 एवं 26.11.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1/1 व 1/2 के साथ संलग्न कागज सं0-1 लगायत् 9 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में किरन कुमार, एरिया सर्विस मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 25.10.12 व 28.11.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में संलग्नक कागज सं0-17 लगायत् 22 दाखिल किया है।
निष्कर्श
7.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या प्रष्नगत वाहन में प्रारम्भ से ही वाहन में निर्माणी त्रुटि होने के कारण प्रष्नगत कमियां थीं। यदि हां तो प्रभाव?
    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि प्रष्नगत मोटर साइकिल में प्रारम्भ से ही विभिन्न कमियां जैसे, स्टार्ट करने में दिक्कत, मिस फायर करना, गाड़ी चलते- चलते बन्द हो जाना, थोड़ा चलने के बाद इंजन बंद हो जाना, गाड़ी का माइलेज 20-25 किलोमीटर प्रति लीटर थीं। परिवादी का इंजन षुरू से ही डिफेक्टिव तथा निर्माणी दोशयुक्त है। परिवादी को डिफेक्टिव उत्पाद विक्रय किया गया है। जिससे परिवादी को कुल 13000 किलोमीटर चलाने पर ईंधन का कुल व्यय लगभग रू0 20,000.00 वहन करना पड़ा। जबकि इस सम्बन्ध में विपक्षीगण का कथन यह है कि प्रष्नगत वाहन में कोई निर्माणी त्रुटि नहीं है। परिवादी प्रष्नगत वाहन में निर्माणी त्रुटि साबित नहीं कर सका है।  प्रथम निःषुल्क सेवा परिवादी द्वारा दिनांक 27.03.10 को ली 
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गयी है। जिसमें उसने सेवा में पूर्ण संतुश्टि व्यक्त की है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण से अवैधानिक धन प्राप्त करने की मंषा से परिवाद योजित किया गया है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
    उपरोक्तानुसार उपरोक्त विचारणीय बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि उभयपक्षों द्वारा अपने- अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र प्रस्तुत किये गये है। ऐसी दषा में यह देखना है कि क्या परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन में निर्माणी त्रुटि के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये समस्त प्रलेखीय साक्ष्यो के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी किसी इंजीनियर/विषेशज्ञ की कोई राय प्रस्तुत नहीं की गयी है। जबकि इस सम्बन्ध में मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा विधि निर्णय 2012 ;95द्ध ।स्त् 829 कुमारी नम्रता सिंह बनाम इण्डस में यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि निर्माणी त्रुटि सिद्ध करने के लिए उपभोक्ता को किसी तकनीकी विषेशज्ञ की राय प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
    अतः उपरोक्त, तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःआदेषःःः
8.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।
 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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