जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
उम्मेदमल जैन पुत्र श्री पन्नालाल जी सिंघी,आयु - 80 वर्ष, निवासी- ढढ्ड़ा हवेली, कडक्का चैक, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
मण्डल रेल प्रबन्धक, उत्तर पष्चिम रेल्वे, जयपुर ।
- अप्रार्थी
अवमानना परिवाद संख्या 32/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री उम्मेदमल जैन, प्रार्थी स्वयं
2.श्री विभौर गौड़ एवं श्री षोभित पंत, अधिवक्तागण अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-21.09.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत अवमानना परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत अवमानना परिवाद संख्या 31/2014 में मंच द्वारा दिनंाक 8.4.2015 को निम्न आदेष पारित किया गया था -
(1) प्रार्थी अप्रार्थी सेे रू. 500/- बतौर हर्जे के प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) क्र.सं.1 में वर्णित राषि का भुगतान अप्रार्थी प्रार्थी को इस निर्णय के एक माह में करे अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
प्रार्थी का कथन है कि अप्रार्थी को उक्त आदेष की पालना दिनंाक 7.5.2015 तक करनी थी किन्तु अप्रार्थी ने अकारण मंच के आदेष की पालना नहीं कर अवमानना की है । अप्रार्थी की हमेषा यही दुर्भावना रही है कि वह प्रार्थी को हर तरह से परेषान करें । प्रार्थी ने अवमानना परिवाद प्रस्तुत कर अप्रार्थी को अवमानना का दोषी करार देकर दण्डित किए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी रेल्वे ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्ति में दर्षाया है कि अप्रार्थी का मानस कभी भी मंच के आदेष की अवमानना का नही ंरहा है । मंच के आदेष दिनंाक 8.4.2015 की जानकारी उनके अधिवक्ता के माध्यम से दिनंाक 10.6.2015 को होने पर तत्परता से कार्यवाही कर दिनांक 15.6.2015 को डीडी के माध्यम से प्रार्थी को भुगतान कर दिया गया है । आदेष की प्रति समय पर प्राप्त करने की भूल उनके अधिवक्ता की रही है इन तथ्यों के समर्थन में उनका षपथपत्र भी पेष किया है । आगे मदवार जवाब में इन्हीं तथ्यों को दोहराते हुए कथन किया है कि प्रार्थी को मंच के आदेष दिनांक 8.4.2015 की पालना में ब्याज सहित रू. 510/- के डिमाण्ड ड्राफट से राषि का भुगतान कर दिया गया है । अन्त में उत्तर परिवाद में वर्णित परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए आदेष की अनुपालना में हुई देरी को क्षमा कर प्रकरण का निस्तारण किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में सुश्री अंजलि गोयल, मण्डल रेल प्रबन्धक, उत्तर पष्चिम रेल्वे, जयपुर का षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी का प्रमुख तर्क रहा है कि इस मंच के आदेष दिनांक 8.4.2015 की अनुपालना जो एक माह में करनी थी, परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि तक जानबूझकर दुर्भावनावष एवं प्रार्थी को परेषान करने की नियत से नहीं की गई है । मंच की अवमानना जानबूझकर नहीं किए जाने के कारण अप्रार्थी को दण्डित किया जाना चाहिए ।
4. खण्डन में अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि वे स्वयं विभाग को उक्त आदेष की समय पर सूचना नहीं कर पाए थे । उन्हें जब इस आदेष की जानकारी प्रार्थी के अन्य प्रकरण में दिनांक 28.5.2015 को सुनवाई के दौरान हुई इस पर उन्होने प्रमाणित प्रतिलिपि प्रस्तुत करने हेतु उसी दिन आवेदन प्रस्तुत कर दिया । इसकी प्रति दिनांक 2.6.2015 को प्राप्त हुई और दिनांक 9.6.2015 को उनकी विधिक राय सहित उनके द्वारा इस आदेष की प्रति अप्रार्थी विभाग को भिजवा दी गई थी । विभागीय कार्यवाही में लगे समय के पष्चात प्रार्थी को डिमाण्ड ड्राफ्ट दिनंाक 10.6.2015 को भुगतान कर दिया गया है । प्रार्थी को ड्राफट प्राप्त भी हो गया है । देरी वास्तव मे उनकी वजह से हुई है । जिसके लिए वह क्षमा प्रार्थी है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. बहस के दौरान प्रार्थी ने स्वीकार किया कि उक्त डिमाण्ड ड्राफट के जरिए उन्हें भुगतान प्राप्त हो चुका है परन्तु अप्रार्थी ने देरी की जाकर अवमानना की है ।
7. यहां यह उल्लेखनीय है कि विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी ने सदाषय का परिचय देते हुए षपथपत्र के अलावा मंच के समक्ष बिना षर्त स्पष्ट रूप से देरी का कारण स्वयं द्वारा इस आषय की सूचना अप्रार्थी विभाग को नहीं दिया जाना स्वीकार किया है । स्पष्ट है कि अप्रार्थी विभाग को इस मामले में दिनंाक 8.4.2015 को पारित आदेष की सूचना दिनांक 9.6.2015 से पूर्व नहीं की । विभाग की ओर से दिनांक 10.6.2015 को उनके विधिक सलाहकार की राय के साथ आदेष की प्रति प्राप्त होने पर विभागीय स्तर पर कार्यवाही कर दिनांक 10.6.2015 को वांछित राषि मय ब्याज के रू. 510/- डिमाण्ड ड्राफ्ट के जरिए प्रार्थी को भिजवा दी गई थी । ये देरी इन उल्लेखित कारणों से तात्विक देरी नहीं है जिसके कारण अप्रार्थी को अवमानना का दोषी मानते हुए दण्डित किया जाए । मंच की राय में इस विवेचन को सामने रखते हुए अप्रार्थी को दण्डित नहीं किया जा सकता व प्रकरण को एतद्द्वारा निस्तारित कर समाप्त किया जाता है ।
अतः तदनुसार आदेष दिया जाता है । आदेष दिनांक
21.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष