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Abdul Gani filed a consumer case on 04 Jun 2015 against North-West Railway in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/1940/2012 and the judgment uploaded on 06 Jul 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-1940/2012(पुराना परिवाद संख्या 591/2010)
श्री अब्दुल गनी पुत्र स्वर्गीय श्री रसूल बख्श, उम्र 45 वर्ष, जाति मुसलमान, निवासी- प्लाॅट संख्या 70, मेहनत नगर, खातीपुरा रोड, हटवाड़ा, जयपुर ।
परिवादी
बनाम
उत्तर-पष्चिम रेल्वे जरिये महाप्रबन्धक, मुख्यालय उत्तर-पष्चिम रेल्वे नाॅर्थ वेस्टर्न रेल्वे डिवीजन, जयपुर । विपक्षी
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री जुल्फिकार अली, एडवोकेट
विपक्षी की ओर से श्री ब्रजराज गौतम, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः- 04.06.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दिनंाक 17.05.2010 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी के हसनपुरा स्थित आरक्षण कार्यालय से अपना, अपनी पत्नी एवं अपनी दो पुत्रियों को जयपुर से तप्री ;उत्तर प्रदेषद्ध जाने का दिनंाक 08.12.2009 एवं दिनंाक 09.12.2009 को परिवादी एवं अपनी पत्नी का तप्री से जयपुर वापस आने का गाडी संख्या 9106 हरिद्वार-अहमदाबाद मेल से स्लीपर कोच का आरक्षण करवाया । जयपुर से तप्री जाने का टिकिट संख्या 31605118 राषि 836/-रूपये एवं तप्री से जयपुर आने का टिकिट संख्या 31605119 राषि 438/-रूपये हैं । लेकिन परिवादी एवं उसकी पत्नी निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अपनी पुत्रियों को दिनांक 08.12.2009 को तप्री छोड़कर जब दिनांक 09.12.2009 को गाड़ी संख्या 9106 हरिद्वार-अहमदाबाद मेल में तप्री से जयपुर आने के लिए निर्धारित कोच संख्या 56 में बर्थ संख्या 23 एवं 24 पर बैठकर आ रहे थे तो रास्ते में कोच कण्डेक्टर ने परिवादी की टिकिट चैक की तो उसने बताया कि ’आप तो इस टिकिट के अनुसार दिनांक 08.12.2009 को ही यात्रा कर चुके हैं एवं अब आप अवैध रूप से बिना टिकिट यात्रा कर रहे हैं ।’ इसलिए टी.टी. ने परिवादी से 704/-रूपये लेकर रसीद काटी । जो विपक्षीगण का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 15 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि रिफण्ड आदि के प्रकरण सुनने का क्षेत्राधिकार रेल्वे क्लेम्स ट्रिब्यूनल को है और इस मंच को यह अधिकार नहीं हैं । वैसे भी परिवादी ने जो टिकिट तप्री से जयपुर का लिया है वह दिनांक 08.12.2009 का हैं । परिवादी को उक्त टिकिट स्वयं परिवादी की डिमाण्ड पर आरक्षण कार्यालय से आरक्षण स्लिप की सभी प्रविष्टियों की जांच के बाद नियमानुसार जारी किया गया हैं । इसमें विपक्षीगण का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री अब्दुल गनी ने स्वयं का शपथ पत्र प्रस्तुत करने के साथ दो टिकिट एवं एक रसीद की प्रति प्रस्तुत की हैं । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री रत्नेष कुमार झा एवं श्री मालसिंह के शपथ पत्र प्रस्तुत किये गये हैं ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी एवं विपक्षीगण दोनों की ओर से लिखित तर्क प्रस्तुत किये गये ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी की ओर से जो टिकिट तप्री से जयपुर का पी.एन.आर. नम्बर 230-0110508, ट्रेन संख्या 9106 हरिद्वार-अहमदाबाद मेल प्रस्तुत किया गया है वह दिनांक 08.12.2009 की यात्रा से संबंधित हैं । जबकि परिवादी द्वाराा इस टिकिट के आधार पर दिनांक 09.12.2009 को तप्री से जयपुर के लिए बैठना बताता हैं । इसलिए परिवादी का ट्रेन संख्या 9106 हरिद्वार अहमदाबाद मेल में दिनांक 09.12.2009 को 08.12.2009 के टिकिट के आधार पर बैठना सही नहीं हैं । परिवादी ने यह टिकिट विपक्षीगण की आरक्षण खिड़की से प्राप्त करते समय रेल्वे कर्मचारी को कोई आक्षेप नहीं किया और बाद में इस गलत टिकिट के आधार पर यह यात्रा की हैं । इसलिए विपक्षी के टी.टी. ने परिवादी से रसीद संख्या 720031 के आधार पर 704/-रूपये की वसूली करके कोई त्रुटि नहीं की हैं । परिवादी ने स्वयं ने त्रुटिपूर्ण टिकिट क्रय किया है इसके लिए विपक्षी उत्तरदायी नहीं हैं । आरक्षण टिकिट क्रय करने से पहले जो स्लिप भरी जाती हैं वह स्वयं टिकिट प्राप्तकर्ता अर्थात् परिवादी ने भरकर प्रस्तुत की थी । इस स्लिप का अब उपलब्ध होना सम्भव नहीं हैं क्योंकि यह स्लिप 6 माह बाद नष्ट कर दी जाती हैं । ऐसा कथन विपक्षी के गवाह श्री पालसिंह ने अपने शपथ पत्र में किया हैं क्योंकि परिवादी द्वारा टिकिट क्रय करते समय दिनांक 26.11.2009 को उसकी ड्यूटी विपक्षी के क्लर्क के रूप में आरक्षण कार्यालय हसनपुरा की विन्डो नम्बर 1227 पर थी, जिससे उसने यह टिकिट जारी किया । विपक्षी के गवाह श्रीे पाल सिंह ने यह भी कथन किया है कि उसने परिवादी द्वारा किये गये कथन के आधार पर उसे तप्री से जयपुर का टिकिट दिनांक 08.12.2009 के लिए जारी किया था ।
अतः उपरोक्त तथ्यों के प्रकाष में विपक्षी का कोई सेवादोष परिवादी को कोई त्रुटिपूर्ण टिकिट तप्री से जयपुर का जारी करने के संदर्भ में प्रमाणित नहीं हैं । इसलिए परिवादी विपक्षी से कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है और परिवाद, परिवादी विपक्षी के विरूद्ध अस्वीकार किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षी के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 04.06.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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