जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री रोहित जैन पुत्र श्री सुरेष जैन, निवासी- 18, जीवन विहार काॅलोनी, आंतेड रोड, अजमेर (राजस्थान)
- प्रार्थी
बनाम
1. नोकिया इण्डिया प्राईवेट लिमिटेड, रजिस्टर्ड आॅफिस,फ्लैट नं. 1204, 12 कैलाष बिल्डिंग, कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली ।
2. नोकिया प्रायोरिटी डीलर, षिव रेडियों एण्ड मोबाईल, 20-21, ईलाईट रेस्टोरेन्ट के सामने, स्टेषन रोड, अजमेर ।
3. नोकिया केयर मोबाईल क्लीनिक, एफ-9, प्रथम फ्लोर, अमर प्लाजा , दौलत बाग के सामने, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 12/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्रीमति षांति जैन , अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री ओम नारायण पालडिया, अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 3
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 02.06.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अप्रार्थी संख्या-2 से नोकिया 720 ब्लैक जरिए बिल संख्या 9400 दिनंाक 14.9.2013 को रू. 17428. 57 पै. में क्रय किया । दिसम्बर, 2013 में उसके हैण्ड सेट में परिवाद की चरण संख्या 4 में वर्णित अनुसार समस्याएं उत्पन्न हुई, तो उसने अप्रार्थी संख्या 2 को षिकायत की । अप्रार्थी की सलाह पर उसने दिनंाक 20.1.2012 को अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेन्टर के यहां उक्त सैट दिखाया और उन्होने जांच करने की कहते हुए सैट अपने पास रख लिया और उसे दिनांक 10.2.104 को सैट यह कहते हुए लौटा दिया कि उसकी समस्या का निदान हो गया है । किन्तु समस्या यथावत रहने पर उसने दोबारा अप्रार्थी संख्या 3 को पुनः इसकी षिकायत की तो अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा कहा गया कि उसका मोबाईल ठीक नहीं हो सकता और इसके स्थान पर लूमिया कम्पनी का दूसरा हैण्ड सैट 27.4.2014 को अप्रार्थी संख्या 2 के मार्फत उपलब्ध कराया। किन्तु दूसरा दिया गया सैट भी त्रुटिपूर्ण था और उसमें भी वहीं समस्याएं उत्पन्न होने लगी तो उसने फिर अप्रार्थी संख्या 3 केे पास इसकी षिकायत दिनंाक 22.5.2014 को करते हुए उसके द्वारा क्रय किए गए सैट की कीमत लौटाने का निवेदन किया । किन्तु उसके निवेदन पर कोई ध्यान नहीं दिए जाने पर उसने दिनंाक 22.7.2014 को नोटिस भिजवाया । जिसके प्रतिउत्तर में अप्रार्थी संख्या 3 ने दिनंाक 16.8.2014 के द्वारा सैट उसके पास भिजवाने को कहा । उसने उक्त सैट भी अप्रार्थी संख्या 3 के पास दुरूस्ती हेतु जमा करा दिया । किन्तु कई चक्कर लगाने के बाद भी उसे सैट दुरूस्त कर नहीं लौटाया । अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 व 2 बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुए और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी संख्या 1व 2 के विरूद्व दिनांक 25.02.2015 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
3. अप्रार्थी संख्या 3 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि प्रार्थी हैण्ड सैट रिपेयर करने का कोई ष्षुल्क नहीं लेता है, इसलिए प्रार्थी उत्तरदाता का उपभोक्ता नहीं है । उत्तरदाता ने आगे कथन किया है कि प्रार्थी ने सैट क्रय किए जाने के बाद प्रथम बार दिनंाक 20.1.2012 को सर्विस के लिए दिया और प्रार्थी को बता दिया गया था कि सैट ठीक होने के लिए कम्पनी को भेजा जाएगा और वहां से आने पर उसे सूचित कर दिया जावेगा । साथ ही प्रार्थी को उपयोग करने के लिए दूसरा मोबाईल उपलब्ध कराया गया । कम्पनी से सैट दुरूस्त होकर आने पर प्रार्थी ने सन्तुष्ट होकर दिनंाक 10.2.2014 को सैट प्राप्त कर लिया । इसी प्रकार दिनंाक 17.4.2014 को प्रार्थी द्वारा पुनः सैट लाने पर उसे भी दुरूस्त करवा कर दिनंाक 27.4.2014 को दे दिया गया। किन्तु प्रार्थी द्वारा सैट बदलवाने की मांग करने पर अप्रार्थी संख्या 2 ने उसे दूसरा सैट बदल कर दे दिया । पुनः दिनंाक 22.5.2014 को प्रार्थी द्वारा सैट लाए जाने पर उसे दुरूस्त कर दिनांक 26.5.2014 को दे दिया गया । तत्पष्चात् प्रार्थी दिनंाक 22.8.2014 को पुनः सैट दुरूस्त हेतु लाया । जिसे उत्तरदाता ने जाॅबषीट बना कर कम्पनी को भिजवा दिया । कम्पनी से उक्त सैट के स्थान पर दूसरा सैट आ जाने पर प्रार्थी को सूचित किया गया किन्तु प्रार्थी ने सैट लेने से इन्कार कर दिया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
4. प्रार्थी की बहस रही है कि मोबाईल क्रय किए जाने के बाद बार बार खराबी आने पर अप्रार्थी कम्पनी में सम्पर्क किए जाने के बाद एक बार फोन बदले जाने के पष्चात् भी आई खराबी को दुरूस्त नही ंकर उनके द्वारा सेवा दोष का परिचय दिया गया है । अतः परिवाद स्वीकार कर वांछित अनुतोष दिलाया जाना चाहिए ।
5. अप्रार्थी ने इन तर्कांे का खण्डन कर प्रष्नगत मोबाईल में आई खराबी को समय समय पर दुरूस्त कर प्रार्थी को सांैपा जाना व बाद में स्वयं प्रार्थी द्वारा उपयोग किए गए मोबाईल को नहीं ले जाना बताते हुए परिवाद को सारहीन होना बताते हुए खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । उनकी प्रारम्भिक आपत्ति यह भी रही है कि प्रार्थी ने मोाबईल अप्रार्थी संख्या- 3 से क्रय नहीं किया है । अतः वह उनका उपभोक्ता नहीं है ।
6. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं और पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन भी कर लिया है ।
7. स्वीकृत रूप से प्रार्थी द्वारा खरीद किया गया मोबाईल अप्रार्थी संख्या 1 कम्पनी का है व अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेन्टर कम्पनी की ओर से उनके उत्पाद की सेवाओं में कमी आने पर इसको ठीक कर उपभोक्ताओं को देने के लिए अधिकृत है । इस प्रकार वह सेवा प्रदाता है तथा इसके बदले उपभोक्ता उत्पाद की कीमत अदा करता है एवं वारण्टी अवधि में इसको सही करने के लिए स्वयं को हकदार मानता है । इस विधिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अप्रार्थी की इस आपत्ति में कोई सार नही है व एतद ्द्वारा खारिज किया जाता है ।
8. स्वीकृत तथ्योंनुसार प्रार्थी ने सर्वप्रथम दिनंाक 20.1.2014 को मोबाईल के खराब होने पर इस हेतु अप्रार्थी संख्या-3 से सम्पर्क किया व मोबाईल में आई खराबी के प्रकाष में अप्रार्थी संख्या-3 द्वारा सर्विस जाॅबषीट बनाई गई । इसके अनुसार मोबाईल में आई खराबी को ध्यान में रखते हुए अप्रार्थी संख्या -3 ने उक्त मोबाईल अपने पास रखते हुए इसका उल्लेख सर्विस जाॅबषीट में कर प्रार्थी को उक्त मोबाईल ठीक करके दिनंाक 10.2.2014 को सौंपा है। जिसकी पुष्टि प्रार्थी व अप्रार्थी संख्या -3 के अभिवचनों से होती है । प्रष्नगत मोबाईल प्रार्थी के अनुसार दिनंाक 17.4.2014 को पुनः खराब हुआ है व इस हेतु प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या -2 व उसके कहने पर अप्रार्थी संख्या 3 से सम्पर्क किया है । इस स्थिति को अप्रार्थी संख्या- 3 ने स्वीकार भी किया है तथा मोबाईल में आई खराबी का अंकन सर्विस जाॅबषीट में कर प्रार्थी को नया मोाबाईल सौपा है , इसकी पुष्टि जाॅबषीट के साथ साथ मोबाईल के खरीदषुदा बिल से भी होती है । प्रार्थी को दिनंाक 27.4.2014 को उसका मोबाईल दुरूस्त करने हेतु लिए जाने के समय अप्रार्थी संख्या- 3 द्वारा नया सैट दिए जाने की भी पुष्टि होती है । मोबाईल में पुनः खराबी आने पर प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 3 से सम्पर्क किया है व उनके द्वारा तैयार की गई जाॅबषीट दिनंाक 22.5.2014 के अनुसार उक्त नए मोबाईल में भी खराबी आई है । यह मोबाईल प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या 3 को उलाहना दिए जाने के बाद प्राप्त किया गया है व इसके बाद भी मोबाईल में आई खराबियों को देखते हुए इस बाबत् प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या -2 व 3 के समक्ष सम्पर्क किया गया है , इन तथ्यों की पुष्टि प्रार्थी द्वारा वकील के माध्यम से दिए गए नोटिस दिनांक 22.7.2014 व 16.8.2014 केे अप्रार्थी कम्पनी के पत्र से भी भली भंति होती है। जिसमें उन्होने प्रार्थी को हुई बार बार कठिनाईयों का उल्लेख करते हुए उसे प्रष्नगत मोबाईल के रिपेयर हेतु सम्पर्क करने के लिए लिखा है । इस पर प्रार्थी द्वारा पुनः अप्रार्थी कम्पनी के समक्ष मोबाईल में आई खराबी बाबत् सम्पर्क किया गया है व इस संदर्भ में जाॅबषीट दिनांक 22.8.2014 से स्थिति स्पष्ट होती है । इस प्रकार स्पष्ट है कि मोबाईल बार बार खराब हुआ है ।
9. अब प्रष्न यह रहा है कि क्या प्रार्थी ने अंतिम बार अप्रार्थी के समक्ष मोबाईल में आई खराबी के कारण सौंपा गया मोबाईल उनकी कम्पनी में आकर प्राप्त किया अथवा नहीं ? अप्रार्थी का तर्क रहा है कि प्रार्थी मोबाईल लेने ही नहीं आया । जबकि प्रार्थी का कथन है कि बार बार सम्पर्क किए जाने के बावजूद भी समस्या का निदान नहीं किया गया है, हालांकि यह बिन्दु साक्ष्य का विषय है किन्तु जिस प्रकार प्रार्थी ने बार बार सम्पर्क कर अपने मोबाईल को दुरूस्त करवाने हेतु वारण्टी अवधि में अप्रार्थी से सम्पर्क किया है व अप्रार्थी द्वारा मोबाईल में आई खराबी को स्वीकार करते हुए इसको सुधारने हेतु अपने पास रखते हुए प्रार्थी को नया हैण्ड सैट दिया है । इसके बावजूद भी मोबाईल में आई खराबी को ध्यान में रखते हुए मंच की राय में यह माना जा सकता है कि ऐसा कर अप्रार्थी ने अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं होकर सेवा में कमी का परिचय दिया है । जिसके फलस्वरूप प्रार्थी ने मोबाईल में आई खराबी बाबत् अप्रार्थी कम्पनी में बार बार सम्पर्क किया है ।
10. सार यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
11. (1) प्रार्थी अप्रार्थीगण से संयुक्त व पृथक पृथक रूप से जरिए बिल संख्या 9400 दिनंाक 14.09.2013 के द्वारा क्रय किए गए मोबाईल नोकिया 720 ब्लैक की राषि रू. 17428/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थीगण से संयुक्त व पृथक पृथक रूप से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 5000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थीगण संयुक्त व पृथक पृथक रूप से प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 02.06.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष