राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-1169/2019
(जिला फोरम, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-42/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08.7.2019 के विरूद्ध)
पंजाब नेशनल बैंक, शाखा प्रबन्धक श्री एस0के0 सिंह, शाखा सदावर्ती चौक, आजमगढ़ जनपद आजमगढ़ उ0प्र0
........... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
नियाज हैदर पुत्र स्व0 अली हैदर, निवासी ग्राम व पोस्ट देवइल, तहसील मेहनगर, थाना मेहनगर, जिला आजमगढ़ उ0प्र0।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री अशोक कुमार सिंह
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री एस0के0 श्रीवास्तव
दिनांक 21-01-2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-42/2011 नियाज हैदर बनाम शाखा प्रबन्धक, पंजाब नेशनल बैंक सदावर्ती चौक, आजमगढ़ में जिला फोरम, आजमगढ़ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 08.7.2019 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
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“परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाताहै कि वह परिवादी को 4,00,000.00 (चार लाख रूपया) रूपये मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अन्दर तीस दिन अदा करे। बैंक परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु 20,000.00 (बीस हजार रूपया) रूपये अगल से अदा करे।”
जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी पंजाब नेशनल बैंक ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक कुमार सिंह और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 श्रीवास्तव उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
उभय पक्ष की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्तुत किया गया है। मैंने उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी पंजाब नेशनल बैंक की सदावर्ती चौक शाखा से 4,00,000.00 रू0 का ऋण जनवरी, 2010 में प्राप्त कर आर0के0 एजेन्सी नरौली, आजमगढ से न्यू हालैण्ड ट्रैक्टर क्रय किया। ऋण स्वीकृत करते समय
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अपीलार्थी/बैंक के शाखा प्रबन्धक द्वारा उसे बताया गया कि बैंक की टर्म्स एण्ड कंडीशन के अनुसार ट्रैक्टर का पंजीयन और बीमा आवश्यक है क्योंकि ट्रैक्टर गायब होने या चोरी होने, लड़ने व जलने पर ट्रैक्टर का पूरा पैसा बीमा कम्पनी द्वारा दिया जायेगा और बैंक का ऋण भी सुरक्षित रहेगा। अपीलार्थी बैंक के शाखा प्रबन्धक द्वारा किये गये कथन से प्रत्यर्थी/परिवादी ने सहमति व रजामंदी व्यक्त की। परन्तु अपीलार्थी बैंक के शाखा प्रबन्धक ने ट्रैक्टर का बीमा कराकर अपने पास रख लिया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने शाखा प्रबन्धक के निर्देश पर अपने लोन एकाउण्ट में दिनांक 02.3.2010 को 49,000.00 रू0 और दिनांक 04.02.2010 को 2,500.00 रू0 जमा किया और उसने बैंक द्वारा दिये गये निर्देश का पालन अक्षरश: किया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके उपरोक्त ट्रैक्टर का पंजीयन नं0-यू0पी0 50/यू-3505 था। ट्रैक्टर दिनांक 18.02.2010 को समय करीब 8.00 बजे रात्रि बवाली मोड़, रोडवेज आजमगढ़ के पास खड़ा करके दुकान पर चाय पीने गया और जब चाय पीकर लौटा तो ट्रैक्टर वहॉ नहीं था। अगल-बगल उसने तलाश किया परन्तु ट्रैक्टर नहीं मिला। तब वह घटना की सूचना थाना कोतवाली आजमगढ़ उसी रात देने गया तो उससे कहा गया कि सुबह आना तब रिपोर्ट दर्ज की जायेगी। तब वह सुबह गया तो घटना की रिपोर्ट थाना कोतवाली में दिया और उसकी कार्बन कापी प्राप्त किया। उसी दिन उसने ट्रैक्टर गायब होने की सूचना अपीलार्थी बैंक की शाखा में दिया तो उससे कहा गया कि वह रजिस्टर्ड डाक से आर0सी0, डी0एल0 और
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एफ0आई0आर0 के साथ सूचना भेजे। तदोपरांत दिनांक 06.3.2010 को उसने रजिस्टर्ड डाक से अपीलार्थी बैक के शाखा प्रबन्धक को सूचना आर0सी0, डी0एल0 और एफ0आई0आर0 की कापी के साथ भेजा तो उसे गुमराह किया जाता रहा और उससे कहा गया कि उसके ट्रैक्टर का बीमा ओरियण्ट इं0कं0लि0 पाण्डेय बाजार, आजमगढ़ से है, वही से सम्पर्क करे। तब वह बीमा कम्पनी के यहॉ कागजात लेकर गया तो उसे बताया गया कि उसके ट्रैक्टर का बीमा केवल थर्ड पाटी का है, यदि ट्रैक्टर का कम्प्रेहेंसिव बीमा होता तो बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्तरदायी होती। बीमा कम्पनी से यह सुनकर वह अवाक रह गया और उसी दिन वह अपीलार्थी विपक्षी बैंक के शाखा प्रबन्धक से मिला और बताया कि बीमा कम्पनी ने क्लेम देने से इंकार कर दिया है और कह रहे है कि बैंक जिम्मेदार है। उसने जानना चाहा कि बैंक ने किन परिस्थितियों में नये ट्रैक्टर का थर्ड पार्टी बीमा कराया है। उसके बाद उसने पुन: दिनांक 28.4.2010 को क्लेम निस्तारण की बावत रजिस्टर्ड डाक से अपीलार्थी बैंक के शाखा प्रबंधक को लिखा। परन्तु उन्होंने क्लेम का भुगतान नहीं किया। तब क्षुब्ध होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर ट्रैक्टर का मूल्य 4,00,000.00 रू0 ब्याज सहित दिलाये जाने का निवेदन किया है और वाद व्यय भी मॉगा है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी बैंक की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और यह स्वीकार किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने उसके बैंक से जनवरी 2010 में 4,00,000.00 रू0
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का ऋण लेकर कथित ट्रैक्टर आर0के0 एजेंसी से खरीदा था। लिखित कथन में अपीलार्थी विपक्षी बैंक ने कहा है कि किसी वाहन या ट्रैक्टर का ऋण स्वीकृत करते समय बीमा के संदर्भ में वाहन स्वामी से स्वीकृत प्राप्त की जाती है तत्पश्चात स्वीकृत के अनुसार ही बैंक द्वारा बीमा कराया जाता है। यदि वाहन स्वामी बीमा कम्पनी से स्वयं बीमा कराने का इच्छुक होता है तो बैंक उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करता है। लिखित कथन में अपीलार्थी विपक्षी बैंक ने कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी को बताया गया कि ट्रैक्टर का फुल कम्प्रेहेंसिव बीमा कराकर उसकी प्रति बैंक को उपलब्ध कराये तो उसने कहा कि ट्रैक्टर का पंजीकरण जरूरी है। फुल बीमा हेतु धनराशि की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। अत: थर्ड पार्टी बीमा कराकर ट्रैक्टर का पंजीकरण हो जाये। उसके पश्चात धनराशि की व्यवस्था होने पर ट्रैक्टर का फुल बीमार कराकर बैंक को उसकी प्रति वह उपलब्ध करा देगा। इस पर बैंक तैयार हो गया। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने खाता सं0-05040001233352 पी0एन0बी0 आजमगढ से 1020.00 रू0 प्रीमियम का भुगतान कर ओरियण्टल इं0कं0लि0 से थर्ड पार्टी बीमा कराया और बैंक को आश्वासन दिया कि शीघ्र ही धनराशि की व्यवस्था करके ट्रैक्टर का फुल बीमा कराकर बैंक को सूचित किया जायेगा।
लिखित कथन में अपीलार्थी विपक्षी बैंक की ओर से कहा गया है कि ट्रैक्टर का फुल बीमा कराने हेतु कोई धनराशि बैंक ने वसूल नहीं किया है और न ही प्रत्यर्थी/परिवादी ने ट्रैक्टर का फुल बीमा कराने हेतु कोई धनराशि उसे अदा किया है। लिखित कथन में अपीलार्थी विपक्षी ने
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कहा है कि बैंक के ऋण की सुरक्षा व वसूली हेतु जमानत के रूप में जमानतदारों की जमीन बंधक रखी जाती है। जिससे बैंक अपने ऋण की वूसली कर सकता है। अपीलार्थी विपक्षी बैंक की ओर से लिखित कथन में कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने समस्त ऋण का भुगतान अब कर दिया है।
लिखित कथन में अपीलार्थी विपक्षी की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का ट्रैक्टर किन परिस्थितियों में किसने चोरी कराया या करवाया है यह विवेचना का विषय है। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी ने अनुचित लाभ लेने हेतु मनगढन्त तौर पर परिवाद दाखिल किया है क्योंकि परिवादी द्वारा थाने में केवल सूचना मात्र देना कहा गया है।
लिखित कथन में अपीलार्थी विपक्षी ने कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने ऋण धनराशि की किश्तों का भुगतान नहीं किया तब उसके विरूद्ध वसूली नोटिस दिनांक 23.4.2011 को भेजी गयी जिसके प्रतिशोध स्वरूप उसने यह परिवाद प्रस्तुत किया है। अपीलार्थी विपक्षी बैंक की सेवा में कोई कमी नहीं है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी विपक्षी से 4,00,000.00 रू0 ऋण ट्रैक्टर खरीदने हेतु लिया था। अत: बीमा कराने का दायित्व नियमत: बैंक के ऊपर होता है। ऋण लेने वाले की सहमति की आवश्यकता नहीं है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी के ट्रैक्टर का फुल बीमा बैंक द्वारा न कराये जाने के कारण जिला फोरम ने बैंक
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की सेवा में कमी माना है और तद्नुसार आक्षेपित आदेश अपीलार्थी विपक्षी बैंक के विरूद्ध पारित किया है जो ऊपर अंकित है।
अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्ता का तर्कहै कि जिला फोरम का निर्णय तथ्य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्यर्थी/परिवादी अपने ट्रैक्टर का थर्ड पाटी बीमा स्वंय से कराने को कथन बैंक से कहा है और स्वयं ही ट्रैक्टर का थर्ड पार्टी बीमा कराया है। अपीलार्थी बैंकके विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि ऋण करार के अनुसार ट्रैक्टर का बीमा कराने का दायित्व बैंक का नहीं है। इस संदर्भ में जो जिला फोरम ने निष्कर्ष अंकित किया है वह गलत है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि सर्वप्रथम बैंक द्वारा ऋणी के वाहन का बीमा केवल थर्ड पार्टी कराया जाता है। उसके बाद बैंक द्वारा किसान के हित को ध्यान में रखते हुए बैंक की योजना पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्ड स्कीम के तहत किसान को बहुत कम धनराशि मु0 800.00 रू0 वार्षिक पर कम्प्रेहेंसिव बीमा अर्थात फुल इंश्योरेंस दिया जाता है। यह प्रक्रिया बैंक द्वारा अपनाई गई थी और प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते के विवरण से स्पष्ट है कि दिनांक 29.11.2011 को ट्रैक्टर के फुल बीमा के एवज में मु0 800.00 रू0 बैंक द्वारा काटा गया है। परन्तु इस तथ्य पर जिला फोरम ने विचार नहीं किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने प्रश्नगत ट्रैक्टर चोरी होने की रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं करायी है न ही पुलिस ने कोई अपराध पंजीकृत किया है और न ही पुलिस
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द्वारा कोई विवेचना की गई है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा चोरी की कथित घटना संदिग्ध है।
अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश दोष पूर्ण है और निरस्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश उचित और विधि सम्मत है। ऋणी के वाहन के बामी का दायित्व अपीलार्थी बैंक पर है परन्तु अपीलार्थी बैंक ने मात्र ट्रैक्टर का थर्ड पार्टी बीमा कराया है। अत: अपीलार्थी बैंक की सेवा में कमी है और प्रत्यर्थी/परिवादी को ट्रैक्टर चोरी से हुई क्षति की पूर्ति हेतु अपीलार्थी बैंक उत्तरदायी है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
अपीलार्थी विपक्षी के लिखित कथन की धारा-19 के कथन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रश्नगत ट्रैक्टर का थर्ड पार्टी बीमा अपीलार्थी विपक्षी बैंक की शाखा से प्रत्यर्थी/परिवादी के खाता नं0-05040001233352 से 1020.00 रू0 का भुगतान कर ओरियण्टल इं0कं0लि0 की शाखा आजमगढ़ से कराया गया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि यह बीमा बैंक के माध्यम से कराया गया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा Punjab & Sind Bank Vs. Manoj Kumar Vijan (Deceased) & Ors. में पारित निर्णण जो I (2019) CPJ 424 (NC) में प्रकाशित है संदर्भित किया गया है जिसमें मा0 राष्ट्रीय आयोग ने State Bank
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of Bikaner and Jaipur and Anr. Vs. M/s. Jagdamba Eant Udyog & Anr. के वाद में दिये अपने पूर्व निर्णय पर विश्वास करते हुए यह माना है कि बीमा कराने का दायित्व बैंक पर है। अपीलार्थी बैक ने ऋण करार प्रस्तुत कर यह दर्शित नहीं किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रश्नगत ट्रैक्टर का बीमा कराने का दायित्व बैंक का ऋण करारपत्र के अनुसार नहीं था। इसके विपरीत उपरोक्त निष्कर्ष से यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी विपक्षी बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से 1020.00 रू0 का दि ओरियण्टल इं0कं0लि0 को भुगतान कर बीमा कराया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि बीमा कराने का दायित्व अपीलार्थी बैंक ने लिया था। परन्तु उसने मात्र ट्रैक्टर का थर्ड पार्टी बीमा ही कराया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपील में बहस के समय पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्ड स्कीम को संदर्भित किया गया है जिसका नियम-3 Eligibielty के सम्बन्ध में निम्न है:-
All the members to the fund who have opted for the Schem and eligible and are required to get their tractor and matching implements insured against third party under the Insurance Act to get insurance coverage. This Scheme is optional for the farmers. The Scheme applies to all categories of Tractor Accournts.
इस स्कीम के नियम-7 के अन्तर्गत ऋण देने वाले पंजाब नेशनल बैंक द्वारा 800.00 रू0 प्रतिवर्ष प्रति वाहन वाहन स्वामी से
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प्राप्त किया जायेगा और इस स्कीम के नियम-9 के अनुसार ट्रैक्टर को हुई क्षति की पूर्ति बैंक द्वारा ऋणी किसान को की जायेगी।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने बहस के समय Guidelines for Settling Financial Assistance Under PNB Farmers’ Welfare Fund Scheme भी दिखाई है जिसके अनुसार पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर ट्रस्ट योजना के सदस्य को ट्रैक्टर की चोरी होने पर भरपाई करने हेतु उत्तरदायी होगा। उपरोक्त पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्ड स्कीम के नियम 3, 7, 9, 10 11 व 12 को पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि ऋणी के ट्रैक्टर का मात्र थर्ड पार्टी बीमा कराया जायेगा और ऋर्णी द्वारा 800.00 रू0 योगदान फीस बैंक के उपरोक्त मद में जमा करने पर उसके ट्रैक्टर को हुई क्षति की पूर्ति बैंक द्वारा की जायेगी।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने बहस के समय प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते के विवरण की फोटोप्रति प्रस्तुत की है जिसके अनुसार दिनांक 29.01.2011 को उसके खाते से 800.00 रू0 पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्ड स्कीम में योगदान धनराशि बैंक द्वारा काटी गई है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी के ट्रैक्टरी का थर्ड पाटी बीमा कराकर बैंक को उसी समय इस पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्ड स्कीम में उसके खाते से 800.00 रू0 की धनराशि जमा करनी चाहिए थी। जनवारी, 2011 में अपीलार्थी बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से स्कीम की धनराशि 800.00 रू0 की कटौती की है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने इस स्कीम के तहत अपनी
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सहमति व्यक्त की है अत: अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के ट्रैक्टर का थर्ड पार्टी बीमा कराये जाने के बाद उसके खाते से पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्ड स्कीम में 800.00 रू0 योगदान धनराशि जमा न किया जाना बैंक की सेवा में कमी दिखती है। यदि अपीलार्थी विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किया जाये कि पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्ड स्कीम के अन्तर्गत अपीलार्थी बैंक का दायित्व मात्र थर्ड पार्टी बीमा कराने का था तो भी अपीलार्थी बैंक की सेवा में कमी मानने हेतु उचित आधार है।
जिला फोरम के निर्णय और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने ट्रैक्टर की चोरी की रिपोर्ट थाना कोतवाली आजमगढ़ में दर्ज कराने का कथन किया है। परन्तु न तो अपराध संख्या बताया है और न ही यह कथन किया है कि क्या पुलिस ने विवेचना की और विवेचना की तो क्या परिणाम रहा। पुलिस ने ट्रैक्टर बरामद किया या नहीं पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट प्रेषित किया या चार्ज शीट प्रेषित किया। प्रत्यर्थी/परिवादी के ट्रैक्टर की चोरी के सम्बन्ध में क्षतिपूर्ति देने हेतु उपरोक्त बिन्दुओं पर विचार किया जाना और कथित चोरी की घटना को सत्यापित किया जाना आवश्यक है। परन्तु जिला फोरम ने उपरोक्त बिन्दुओं पर विचार किये बिना आक्षेपित आदेश पारित किया है और अपीलार्थी बैंक को ट्रैक्टर का मूल्य प्रत्यर्थी/परिवादी को देने हेतु आदेशित किया है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम का निर्णय विधि सम्मत नहीं कहा जा सकता है।
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उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम उभय पक्ष को निम्न बिन्दुओं पर साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: निर्णय और आदेश विधि के अनुसार पारित करे:-
1- प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा पुलिस को दी गई रिपोर्ट पर क्या अपराध पंजीकृत किया गया है यदि हॉ तो उसका पूरा विवरण ?
2- क्या पुलिस ने विवेचना की है ?
3- क्या पुलिस ने दौरान विवेचना प्रत्यर्थी/परिवादी का ट्रैक्टर बरामद किया है ?
4- क्या पुलिस ने बाद विवेचना आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया है ?
5- क्या पुलिस ने बाद विवेचना अंतिम रिपोर्ट न्यायालय प्रेषित किया है, जो समक्ष मजिस्ट्रेट द्वारा अंतिम रूप से स्वीकृत की जा चुकी है?
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 25.02.2020 को उपस्थित होगें।
जिला फोरम उभय पक्ष को उपरोक्त बिन्दुओं पर साक्ष्य व सुनवाई का अवसर देकर स्थिति स्पष्ट करने के बाद पुन: विधि के अनुसार हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से दो माह के अन्दर निर्णय और आदेश पारित करेगा।
अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेगें।
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धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी बैंक को वापस की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1