राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 224/2017
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-59/2015 में पारित आदेश दिनांक 21.06.2016 के विरूद्ध)
VOLKSWAGEN GROUP SALES INDIA PVT. LTD.,
SILVER UTOPIA, 4TH FLOOR,
CARDINAL GRACIOUS ROAD, CHAKALA,
ANDHERI EAST, MUMBAI,
MAHARASHTRA-400099
..............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
- NITIN GUPTA
3 EMAAR 18, NEHRU NAGAR,
BLOCK-L, GHAZIABAD,
UTTAR PRADESH-201001 ..............प्रत्यर्थी/परिवादी
- THE MANAGER,
TORQUE CARS PVT. LTD.,
G-7B, PATEL NAGAR-III,
GHAZIABAD, U.P.-201001
- THE MANAGER,
TORQUE CARS PVT. LTD.,
A-6, SECTOR-22,
MEERUT ROAD, INDUSTRIAL AREA,
GHAZIABAD, U.P.- 201001
- THE MANAGING DIRECTOR,
TORQUE CARS PVT. LTD.,
CHADHA GROUP, NEW VEER BHAN SHIVALA,
INSIDE GHEE MANDI,
AMRITSAR, PUNJAB-143001 ..........प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री रवि कुमार रावत।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी संख्या-01 की ओर से उपस्थित : श्री टी0एच0नकवी ।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी संख्या-02 ता 04 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या- 59/2015 नितिन गुप्ता बनाम मैनेजर टारक्यू कारस प्राईवेट लि0 व 3 अन्य में जिला फोरम गाजियाबाद कोर्ट नम्बर 02 द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21.06.2016 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी वॉक्सवैगन ग्रुप सेल्स इंडिया प्रा0लि0 ने धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत किया है।
अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0रावत और प्रत्यर्थी संख्या-01 की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0नकवी उपस्थित आए। प्रत्यर्थीगण संख्या-02 ता 04 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्यर्थी संख्या-04 की नोटिस इंकार की प्रविष्ट से वापिस आयी है। जबकि प्रत्यर्थी गण संख्या- 02 और 03 की नोटिस लेफ्ट की प्रविष्ट से अदम तामील वापिस आयी है और उनका वर्तमान पता अपीलार्थी ने ज्ञात न होने का कथन किया है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 21.06.2016 को पारित किया गया है और उसकी नि:शुल्क प्रति अपीलार्थी/विपक्षी को दिनांक 22.06.2106 को जारी की गयी है। अपील दिनांक 02.02.2017 को निर्धारित समयावधि समाप्त होने के 195 दिन बाद प्रस्तुत की गयी है।
मैंने विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र पर अपीलार्थी और प्रत्यर्थी संख्या-01 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है। अपीलार्थी की ओर से अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब का कारण यह बताया गया है कि अपीलार्थी को आक्षेपित निर्णय और आदेश की प्रति जुलाई 2016 में प्राप्त हुयी थी इस बीच अपीलार्थी अपना थर्ड फ्लोर का आफिस अंतरित करने में लगा था और कार्यालय अंतरण में आक्षेपित निर्णय की प्रति उसके थर्ड फ्लोर स्थित ईमेल रूम में मिसप्लेस हो गयी। उसके बाद दिनांक 10.01.2017 को जब निष्पादन वाद में नोटिस प्राप्त हुयी तो उसे आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 02.06.2016 की याद आयी और उसके बाद उसने अपील प्रस्तुत की है।
प्रत्यर्थी संख्या-01 के विद्वान अधिवक्ता ने विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र का विरोध किया है और कथन किया है कि अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब का अपीलार्थी द्वारा बाताया गया कारण उचित नहीं है। अत: विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विलम्ब माफी हेतु अपीलार्थी द्वारा बाताया गया कारण वास्तविक और उचित है। न्यायहित में अपील प्रस्तुत करने में हुआ विलम्ब क्षमा किया जाना आवश्यक है।
मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है। परिवाद संख्या– 59/15 नितिन गुप्ता बनाम मैनेजर टारक्यू कारस प्राईवेट लि0 व 3 अन्य जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा स्वीकार किया है और निम्न आदेश पारित किया है:-
" परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकांकी एवं संयुक्त रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि इस निर्णय की दिनांक से एक माह के अन्तर्गत परिवादी का पुराना वाहन पूरी तरह ठीक करके वाहन के सभी सिस्टम चालू हालत में करके प्राप्त कराये। यदि ऐसा सम्भव न हो तो उसी कीमत का नया वाहन प्राप्त कराये एवं मानसिक क्षति 10,000/-रू0 व 3,000/-रू0 वाद व्यय अदा करें।
चूक होने पर समस्त देय धनराशि पर 12 प्रतिशत दंडात्मक वार्षिक ब्याज निर्णय की तिथि से अदा करने की तिथि तक देय होगा। "
विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र में अपीलार्थी की ओर से किए गए कथन से यह स्पष्ट है कि जुलाई 2016 में आक्षेपित निर्णय और आदेश की प्रति उसके कार्यालय में प्राप्त हो गयी, परन्तु उस पर अपीलार्थी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया और पुन: अपीलार्थी तब जागा जब उसे निष्पादन वाद की नोटिस प्राप्त हुयी। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद उसे इस प्रकार नजरअंदाज किया जाना और उसकी अनदेखी किया जाना उचित नहीं है। निर्णय और आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद भी उसका सम्मान किए बिना अथवा उसके सम्बन्ध में विधि के अनुसार कार्यवाही किए बिना उसे रद्दी कागज के रूप में छोड़ दिया जाना अपीलार्थी का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार उजागर करता है।
सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थतियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूं कि अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को क्षमा करने हेतु उचित कारण नहीं है। अत: विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाता है और अपील मियाद बाहर होने के कारण अस्वीकार की जाती है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 224/2017
दिनांक:
आज निर्णय उद्घोषित किया गया, जिसके अंतर्गत अपील मियाद बाहर होने के कारण अस्वीकार की गयी। विस्तृत निर्णय हरे पन्नों पर टंकित/हस्ताक्षरित होकर पृथक से संलग्न पत्रावली है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1