Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/383

Sudarshan Electronic - Complainant(s)

Versus

Nishat Rizvi - Opp.Party(s)

Arun Tandon

20 Mar 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/383
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sudarshan Electronic
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Nishat Rizvi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 20 Mar 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-३८३/२००५

 

(जिला मंच (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-१३२/२००३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २०-०१-२००५ के विरूद्ध)

 

मै0 सुदर्शन इलैक्‍ट्रॉनिक्‍स, निकट हिन्‍द टाकीज, सिविल लाइन्‍स, बरेली द्वारा प्रौपराइटर इन्‍दर राज सहगल।

                                           .............       अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम

श्रीमती निशात रिजवी पत्‍नी सैयद गजनफर हुसैन रिजवी, निवासी ग्राम टिसुआ, तह0 फरीदपुर, जिला बरेली।

                                            ............      प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

 

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्‍डन विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक :- ०४-०४-२०१८.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-१३२/२००३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २०-०१-२००५ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी ने अपीलार्थी से दिनांक ०९-०२-२००१ को एक रंगीन टी0वी0 अकाई कम्‍पनी का २९ इन्‍च २३,०००/- रू० भुगतान करके खरीदा था जिसकी वारण्‍टी अवधि ०३ वर्ष थी। यह टी0वी0 क्रय किए जाने के कुछ समय बाद ही खराब हो गया। इसमें अत्‍यधिक तकनीकी कमियॉं थीं। बार-बार शिकायत करने पर अपीलार्थी ने अकाई कम्‍पनी का टैक्‍नीशियन परिवादिनी के घर भेजा। उसने टेलीविजन में कुछ मरम्‍मत की परन्‍तु १५ दिन बाद फिर टी0वी0 खराब हो गया। मरम्‍मत होने के बाद ०२ महीने भी काम नहीं कर पाया। तदोपरान्‍त

 

 

 

-२-

अपीलार्थी से पुन: शिकायत की गई किन्‍तु अपीलार्थी की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस प्रकार अपीलार्थी द्वारा सेवा में त्रुटि की गई। परिवादिनी ने अपीलार्थी से टी0वी0 की कीमत मांगी किन्‍तु उसने टी0वी0 का मूल्‍य अदा करने से इन्‍कार कर दिया। परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी को इस सन्‍दर्भ में नोटिस भी दी गई किन्‍तु कोई लाभ नहीं हुआ। अत: टी0वी0 के मूल्‍य की मय ब्‍याज अदायगी तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।

अपीलार्थी की ओर से प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रश्‍नगत टी0वी0 में कोई निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि नहीं थी। इस टी0वी0 को ग्रामीण क्षेत्र में चलाया गया इसलिए सारे चेनल उपलब्‍ध होना सम्‍भव नहीं था। परिवादिनी की शिकायत पर उसके घर कम्‍पनी का टैक्‍नीशियन भेजा गया जिसने टी0वी0 की जांच की तथा उसे त्रुटि रहित पाया। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि यदि टी0वी0 में कोई कमी है तो अपीलार्थी उसे त्रुटि रहित करने के लिए सदैव तैयार है। अपीलार्थी के लिए यह सम्‍भव नहीं है कि प्रश्‍नगत टी0वी0 के बदले दूसरा नया टी0वी0 दिया जाये क्‍योंकि इस प्रकार बदले जाने में सरकारी विभागों की ओर से तकनीकी पेचेदगियॉं उत्‍पन्‍न हो जायेंगीं तथा टैक्‍स भुगतान से सम्‍बन्धित समस्‍यायें आयेंगीं।

विद्वान जिला मंच ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अपीलार्थी द्वारा त्रुटिपूर्ण टी0वी0 बिक्री किया जाना मानते हुए एवं अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाया जाना मानते हुए परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी को आदेशित किया कि प्रश्‍नगत टी0वी0 परिवादिनी से प्राप्‍त करके २३,०००/- रू० की धनराशि का भुगतान परिवादिनी को एक माह के अन्‍दर कर दे जिस पर परिवाद की तिथि दिनांक २२-१०-२००३ से भुगतान की तिथि तक ०९ प्रतिशत का वार्षिक ब्‍याज भी देय होगा। इसके अतिरिक्‍त परिवादिनी को अपीलार्थी द्वारा २,०००/- रू० वाद व्‍यय व क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाए जाने हेतु भी आदेशित किया गया।  

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी।

हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरूण टण्‍डन तथा प्रत्‍यर्थी/

 

 

-३-

परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत टी0वी0 निर्विवाद रूप से अकाई कम्‍पनी द्वारा निर्मित था। अपीलार्थी इस कम्‍पनी के टी0वी0 की बिक्री का अधिकृत डीलर था। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत टी0वी0 में निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष पाया जाना अभिकथित किया है एवं प्रश्‍नगत परिवाद द्वारा टी0वी0 के मूल्‍य २३,०००/- रू० की वापसी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी का अनुतोष चाहा है। कथित निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि के लिए डीलर उत्‍तरदायी नहीं माना जा सकता। ऐसी कथित त्रुटि के लिए निर्माता कम्‍पनी ही उत्‍तरदायी होगी किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत परिवाद में निर्माता कम्‍पनी को पक्षकार नहीं बनाया। परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार बनाए जाने का दोष है।

अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रश्‍नगत टी0वी0 में दोष की सूचना प्राप्‍त होने के उपरान्‍त अपीलार्थी ने टैक्‍नीशियन को परिवादिनी के घर भेजा। टैक्‍नीशियन द्वारा जांच के उपरान्‍त टी0वी0 में कोई दोष होना नहीं पाया गया। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि प्रश्‍नगत टी0वी0 में यदि कोई तकनीकी त्रुटि है तो उसका निराकरण करने को अपीलार्थी सदैव तैयार रहा है।

उल्‍लेखनीय है कि प्रश्‍नगत टी0वी0 त्रुटिपूर्ण होने के सन्‍दर्भ में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी तथा उसके पति द्वारा शपथ पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी का यह कथन है कि अपीलार्थी ने त्रुटि निवारण हेतु टैक्‍नीशियन परिवादिनी के घर भेजा। टैक्‍नीशियन द्वारा प्रत्‍येक अवसर पर जाने पर प्रश्‍नगत टी0वी0 को त्रुटि रहित होना पाया गया। उल्‍लेखनीय है कि अपीलार्थी ने जिला मंच के समक्ष सम्‍बन्धित टैक्‍नीशियन द्वारा प्रस्‍तुत की गई ऐसी कोई जांच आख्‍या प्रस्‍तुत नहीं की कि जांच के मध्‍य टी0वी0 में कोई खराबी नहीं पाई गई और न ही जांचकर्ता टैक्‍नीशियन का शपथ पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी स्‍वयं यह स्‍वीकार करता है कि प्रश्‍नगत टी0वी0 की जांच हेतु कई बार उसके टैक्‍नीशियन गये। यह नितान्‍त अस्‍वाभाविक है कि बिना

 

 

-४-

किसी त्रुटि के अकारण कोई उपभोक्‍ता त्रुटि सम्‍बन्‍धी शिकायत करे और अन्‍तत: परिवाद भी सम्‍बन्धित टी0वी0 को त्रुटिपूर्ण बताते हुए अकारण योजित करे। यदि अपीलार्थी के इस कथन में बल होता कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का टी0वी0 त्रुटि रहित होने के बाबजूद उसके द्वारा परिवाद योजित किया गया तब स्‍वाभाविक रूप से स्‍वयं अपीलार्थी जिला मंच के समक्ष इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत कर सकते थे कि मंच स्‍वयं इस सम्‍बन्‍ध में टी0वी0 का निरीक्षण करा सकती हैं, किन्‍तु ऐसा कोई प्रार्थना पत्र अपीलार्थी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी का यह कथन स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह कथन त्रुटिपूर्ण है कि प्रश्‍नगत टी0वी0 में कोई त्रुटि नहीं थी। बार-बार अपीलार्थी के टैक्‍नीशियन द्वारा त्रुटि निवारण हेतु परिवादिनी के घर जाना भी इस आशंका को बल प्रदान करता है कि प्रश्‍नगत टी0वी0 त्रुटि रहित नहीं था।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह कथन है कि अपीलार्थी ने दो बार टैक्‍नीशियन त्रुटि निवारण हेतु भेजा किन्‍तु वारण्‍टी अवधि के अन्‍तर्गत होने के बाबजूद अपीलार्थी ने परिवादिनी की प्रार्थना पर कोई ध्‍यान नहीं दिया और प्रश्‍नगत टी0वी0 का त्रुटि निवारण नहीं कराया। अपीलार्थी स्‍वयं यह स्‍वीकार करते हैं कि प्रश्‍नगत टी0वी0 का बिक्रेता होने के नाते यह उसका दायित्‍व है कि वारण्‍टी अवधि के मध्‍य प्रश्‍नगत टी0वी0 का त्रुटि निवारण कराया जाना सुनिश्चित करे और वह इस कार्य के लिए सदैव तैयार भी रहा किन्‍तु जहॉं तक प्रस्‍तुत मामले का प्रश्‍न है, प्रश्‍नगत टी0वी0 से सम्‍बन्धित त्रुटि निवारण अपीलार्थी द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया। अन्‍तत: परिवादिनी को परिवाद योजित करने के लिए विवश होना पड़ा। अत: निश्चित रूप से इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी द्वारा सेवा में त्रुटि की गई।

जहॉं तक प्रश्‍नगत टी0वी0 में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि का प्रश्‍न है प्रश्‍नगत टी0वी0 में प्रत्‍येक त्रुटि निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि स्‍वत: नहीं मानी जा सकती। इस सन्‍दर्भ में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा कोई विशेषज्ञ आख्‍या जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में भी बल है कि कथित निर्माण सम्‍बन्‍धी

 

 

-५-

त्रुटि के लिए निर्माता कम्‍पनी को ही उत्‍तरदायी माना जा सकता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत परिवाद में सम्‍बन्धित निर्माता कम्‍पनी को पक्षकार नहीं बनाया है।

जहॉं तक अपीलार्थी द्वारा की गई सेवा में त्रुटि के सन्‍दर्भ में क्षतिपूर्ति की अदायगी का प्रश्‍न है निर्विवाद रूप से प्रश्‍नगत टी0वी0 वर्ष २००१ में क्रय किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा नोटिस दिए जाने के बाबजूद अपीलार्थी द्वारा प्रश्‍नगत टी0वी0 का त्रुटि निवारण सुनिश्चित नहीं किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा परिवाद योजित किए जाने के उपरान्‍त भी जिला मंच के समक्ष भी अपीलार्थी द्वारा सार्थक प्रयास नहीं किया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह कथन है कि वह एक गृहणी है और उसके पति कैमिस्‍ट की दुकान करते हैं। गॉंव में मनोरंजन का कोई साधन उपलब्‍ध न होने के कारण टी0वी0 के निरन्‍तर खराब रहने से न केवल परिवादिनी को टी0वी0 के उपयोग एवं मनोरंजन से वंचित रहना पड़ा वरन् उसके पति को भी टी0वी0 की त्रुटि निवारण हेतु बार-बार शिकायत हेतु बरेली जाने के कारण शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति उठानी पड़ी।

मामले की तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को १०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना तथा १,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में दिलाया जाना न्‍यायसंगत होगा तथा अपीलार्थी को यह भी निर्देशित किया जाना न्‍यायासंगत होगा कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का टी0वी0 अपने खर्चे पर प्राप्‍त करके बिना किसी शुल्‍क के उसका त्रुटि निवारण कराया जाना सुनिश्चित करे। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

    अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-१३२/२००३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २०-०१-२००५ अपास्‍त किया जाता है। परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। अपीलार्थी को निर्देशित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर

 

 

-६-

१०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करे। निर्धारित अवधि में भुगतान न किए जाने की स्थिति में इस धनराशि पर अपीलार्थी परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०६ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज अदा करने के लिए भी उत्‍तरदायी होगा। इसके अतिरिक्‍त अपीलार्थी प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को १,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में भी निर्धारित अवधि में अदा करे।

      अपीलार्थी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का प्रश्‍नगत टी0वी0 अपने खर्चे पर प्राप्‍त करके नि:शुल्‍क त्रुटि निवारण के पश्‍चात् १५ दिन में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को वापस किया जाना सुनिश्चित करे। यदि प्रश्‍नगत टी0वी0 में कोई निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि हो तो इस सन्‍दर्भ में भी प्रमाण पत्र परिवादिनी को प्राप्‍त कराया जाना सुनिश्चित करे।

      इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                    

                                    (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

 

                                                  (गोवर्द्धन यादव)

                                                      सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-३.  

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.