SANDEEP CHURASIYA filed a consumer case on 03 May 2013 against NISHANT YAMAHA in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/20/2013 and the judgment uploaded on 20 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -20-2013 प्रस्तुति दिनांक-22.01.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
संदीप चौरसिया, आत्मज श्री मुरारीलाल
चौरसिया , निवासी-केवटी वार्ड, व्यायाम
षाला के पास, महावीर वार्ड, सिवनी, तहसील
व जिला सिवनी (म0प्र0)।..............................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
प्रोप्रार्इटरसंचालक,
निषांत यामहा अधिकृत डीलर इणिडया
यामहा मोटर्स प्रायवेट लिमिटेड, कम्बाइक
मोटर एजेन्सी के बाजू में, ज्यारतनाका
जबलपुर रोड, सिवनी (म0प्र0)
480661.................................................................अनावेदकविपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 03/05/2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक द्वारा, परिवादी को विक्रित वाहन के आर0टी0ओ0 से वाहन का रजिस्ट्रेषन एवं बीमा पालिसी बाबद, कोटेषन अनुसार राषि नगद प्राप्त कर लेने के बावजूद, रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र व बीमा पालिसी न दिलाये जाने को सेवा में कमी व अनुचित व्यापार प्रथा बताते हुये, हर्जाना दिलाने एवं बीमा पालिसी व वाहन का रजिस्ट्रेषन दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) मामले में अनावेदक उपसिथत नहीं हुआ, उसकी ओर से कोर्इ जवाब पेष नहीं। उसके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गर्इ है।
(3) संक्षेप में परिवाद का सार यह है कि-परिवादी ने, अनावेदक से दोपहिया वाहन-यामहा कम्पनी का माडल-एफ.जैट.एस. दिनांक-24.06.2012 के कोटेषन अनुसार, 73,120-रूपये मूल्य देकर खरीदा था, जिसमें 48,440-रूपये फायनेन्स कराया था तथा 35,000-रूपये डाउन पेमेन्ट अनावेदक को दिया था, जो कि-वाहन के मूल्य का अतिरिक्त 6050-रूपये आर0टी0ओ0 से रजिस्ट्रेषन कराने बाबद तथा 1770-रूपये बीमा कराने बाबद एवं उक्त संबंध में अन्य फीस जोड़कर, 83,440-रूपये अनावेदक ने, परिवादी से वसूल लिये, लेकिन प्रस्ताव व आष्वासन अनुरूप आर0टी0ओ0 से वाहन का पंजीयन प्रमाण- पत्र एवं बीमा पालिसी प्रदान नहीं की गर्इ और सिर्फ बीमा का कव्हर नोट देते हुये, यह आष्वासन दिया था कि-पन्द्रह-बीस दिन बाद पालिसी परिवादी के घर के पते पर आ जायेगी, जो कि-अनावेदक द्वारा बार-बार आष्वासन देते हुये, छै माह से अधिक अवधि गुजर गर्इ है, परिवादी ने कर्इ बार स्वयं जाकर निवेदन किया व मोबार्इल से भी निवेदन करने पर, अनावेदक निराधार आष्वासन देता रहा, तो दिसम्बर- 2012 में परिवादी ने पंजीकृत-डाक से जरिये अधिवक्ता नोटिस भी अनावेदक को दिया था, पर अनावेदक ने न तो कोर्इ जवाब दिया, न ही कोर्इ जानकारी उक्त बाबद दी।
(4) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या अनावेदक ने, परिवादी को बीमा पालिसी व
वाहन का आर0टी0ओ0 से रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र
उपलब्ध न कराकर, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी
किया है और अनुचित व्यापार-प्रथा को अपनाया है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(5) परिवादी की ओर से पेष किये गये साक्ष्य के षपथ-पत्र में भी परिवाद में उल्लेखित सभी कथनों का उल्लेख किया गया है, व अनावेदक द्वारा प्रदान किये गये प्रदर्ष सी-5 के कोटेषन दिनांक-24.06.2012 की प्रति से यह स्थापित है कि-83,440-रूपये वाहन के मूल्य के अलावा, 6,050-रूपये आर0टी0ओ0 चार्ज, 1770-रूपये इंष्योरेंस चार्ज और उक्त सेवायें देने बाबद 500-रूपये अलग से फीस भी उक्त में षामिल नहीं हैं और प्रदर्ष सी-4 से यह स्थापित है कि-दिनांक-24.06.2012 को ही परिवादी से 35,000-रूपये नगद डाउन पेमेन्ट के अनावेदक ने प्राप्त किये और प्रदर्ष सी-3 से ही यह स्पश्ट है कि- 48,440-रूपये अनावेदक ने, परिवादी को बजाज सर्विस से फायनेन्स कराकर, जरिये चेक प्राप्त किये। और अनावेदक द्वारा, परिवादी को प्रदर्ष सी-6 का कव्हरनोट की प्रति यूनीवर्सल सोमपो जनरल इंष्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड दी गर्इ, जिसमें प्रीमियम राषि 1780-रूपये रही होना और बीमा की अवधि 24.06.2012 से 23.06.2013 तक की होना उल्लेख है, तब प्रदर्ष सी-6 में भी कम्पनी की मुद्रा आदि उल्लेख नहीं और प्रदर्ष सी-6 कोर्इ कम्प्यूटर प्रति भी नहीं है।
(6) अनावेदक को परिवादी द्वारा, प्रदर्ष सी-2 का जो जरिये अधिवक्ता नोटिस भेजा गया था, उसके संबंध में रजिस्टर्ड-डाक की पोस्टल रसीद प्रदर्ष सी-1 जो पेष की गर्इ है, उससे दिनांक-24.12.2012 को उक्त नोटिस पंजीकृत-डाक से अनावेदक को भेजा जाना स्थापित पाया जाता है। और उक्त नोटिस पाने के बावजूद भी, अनावेदक द्वारा, परिवादी को न तो वाहन की बीमा पालिसी दी गर्इ और न ही उसका पंजीयन प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया गया, न ही उसके संबंध में कोर्इ विवरण दिया गया और इस मामले का नोटिस तामिल होने के बावजूद भी, अनावेदक मामले में यह बताने के लिए उपसिथत नहीं हुआ कि-उसने वास्तव में कोर्इ रजिस्ट्रेषन फीस आर0टी0ओ0 में जमा करार्इ है और वास्तव में परिवादी का बीमा प्रस्ताव भेजकर, प्रीमियम राषि का भुगतान बीमा कम्पनी को किया है।
(7) प्रदर्ष सी-6 के कव्हरनोट की कथित प्रति में उलिलखित बीमा आच्छादन की अवधि तक, जबकि-दो माह में समाप्त होने वाली है और अभी तक अनावेदक द्वारा, परिवादी को उक्त वाहन की बीमा पालिसी का कोर्इ क्रमांक या विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया, लेकिन प्रदर्ष सी-6 में बीमा कम्पनी का नाम, पता, टेलीफोन और फेक्स नंबर सब उल्लेख हैं, तो परिवादी उक्त बीमा कम्पनी से संपर्क कर, पालिसी के प्रति की मांग कर सकता था, परिवादी-पक्ष का ऐसा कथन नहीं है कि-उसने बीमा कम्पनी से संपर्क कर, विवरण मांगा हो और कव्हरनोट को झूठा पाया हो, तो ऐसे में अनावेदक द्वारा, बीमा कम्पनी से पालिसी दिलाने बाबद कार्यवाही संपादित कर देने का प्रदर्ष सी-6 स्वयं में प्रमाण है और इसलिए यह परिवादी को पालिसी दस्तावेज प्राप्त न होने बाबद, जो भी षिकायत है, वह कथित बीमा कम्पनी के अकृत्य बाबद है और मामले में परिवादी ने उक्त बीमा कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया है, पालिसी दस्तावेज प्राप्त न होने बाबद परिवादी ने बीमा कम्पनी से क्या पूछतांछ की और क्या कार्यवाही की, यह कुछ भी स्पश्ट नहीं किया गया है। इसलिए पालिसी दस्तावेज प्राप्त न होने बाबद, अनावेदक ने, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया हो, ऐसा स्थापित नहीं पाया जाता है।
(8) लेकिन वाहन का पंजीयन, आर0टी0ओ0 आफिस से कराकर परिवादी को प्रदान करने बाबद, अनावेदक ने, परिवादी से आर0टी0ओ0 षुल्क भी लिया है और ऐसा सेवा प्रदान करने बाबद फीस भी ली है, आर0टी0ओ0 रजिस्ट्रेषन प्रदान करने का प्रस्ताव और विज्ञापन कर ही परिवादी को वाहन विक्रय किया है, तो अनावेदक द्वारा, आर0टी0ओ0 कार्यालय में पंजीयन षुल्क जमा करने व वाहन की पंजीयन की कार्यवाही संपादित किये जाने बाबद कोर्इ जानकारी न दिया जाना, जबकि-उक्त हेतु परिवादी से पैसा प्राप्त कर लिया जाना, परिवादी के प्रति की गर्इ सेवा में कमी है तथा अनुचित व्यापार प्रथा है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(9) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, यह स्थापित पाया जाता है कि-परिवादी के वाहन विक्रय के बाद भी, लगभग नौ माह हो गये हैं, फिर भी अनावेदक ने, परिवादी को वाहन के पंजीयन व पंजीयन कराने बाबद कोर्इ जानकारी उपलब्ध नहीं करार्इ, जिससे परिवादी वाहन का उपयोग नहीं कर सका। और वह वाहन का उपयोग कर पाता, तो समुचित प्रकार से वाहन के समयबद्ध फ्री सर्विस संबंधी व वारंटी की षर्तों संबंधी षर्तों का लाभ उठा पाता, जो कि-वारंटी की अवधि विक्रय दिनांक से प्रारम्भ होती है, इसलिए वारंटी अवधि संबंधी हानि परिवादी को भविश्य में संभावित है, तब उक्त को देखते हुये मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक इस आदेष की प्रति प्राप्त होने के दिनांक
से पन्द्रह दिन के अंदर परिवादी को वाहन के
पंजीयन की कार्यवाही किये जाने के विवरण कि ऐसी
कार्यवाही की गर्इ है या नहीं और कब की गर्इ है
तथा रजिस्ट्रेषन षुल्क जमा किये जाने की पावती
की प्रति सहित, यदि पंजीयन दस्तावेज प्राप्त हुये
हैं, तो उसे परिवादी को प्रेशित करे और यदि वाहन
का पंजीयन षुल्क जमा नहीं किया गया है, तो उक्त
राषि परिवादी को वापस करे।
(ब) अनावेदक ने, परिवादी के प्रति जो सेवा में कमी की
है और अनुचित व्यापार-प्रथा अपनार्इ है, उक्त संबंध
में अनावेदक, परिवादी को 10,000-रूपये (दस
हजार रूपये) दण्डात्मक हर्जाना अदा करे।
(स) अनावेदक, परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में
2,000-रूपये (दो हजार रूपये) अदा करे।
(द) अनावेदक उक्त सब अदायगी आदेष की प्रति पाने
की दिनांक से एक माह की अवधि के अंदर परिवादी
को करेगा।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
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