( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :848/2023
यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैनेजर, ईस्ट सेन्ट्रल, रेलवे हाजीपुर, वैशाली बिहार।
निशांत कुमार, क्वाटर नम्बर-125 एच. BHEL TOWENSHIP सेक्टर-17, नोएडा, उ0प्र0 ।
दिनांक : 29-05-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-179/2021 निशांत कुमार बनाम यूनियन आफ इण्डिया में जिला उपभोक्ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 07-01-2023 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ परिवादी का परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को नगदी, महत्वपूर्ण अभिलेखों, सामान की क्षति, वाद व्यय मानसिक संताप को मिलाकर कुल धनराशि अंकन 1,00,000/-रू0 30 दिन के अंदर अदा करें।‘’
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जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री गणेश चन्द्र राय उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 14-09-2020 को आई0आर0सी0टी0 पोर्टल से सम्पूर्ण क्रांती स्पेशल ट्रेन में ए0सी0 द्धितीय श्रेणी का टिकट अपनी पत्नी दिव्या रानी व स्वयं के नाम बुक किया। उक्त श्रेणी में दिनांक 11-11-2020 के लिए नई दिल्ली स्टेशन से पटना के लिए यात्रा हेतु टिकट बुक किया गया था। यात्रीगण में परिवादी स्वयं एवं उसकी पत्नी दिव्या रानी तथा उसका ढाई वर्ष का बेटा था। परिवादी का बुकिंग स्टेटस W/L 23 व 24 था जो यात्रा के दिनांक 11-11-20 को कन्फर्म हो गया था। परिवादी व उसकी पत्नी को यात्रा के लिए कोट नं0—2 बर्थ संख्या-35 व 36 आवंटित की गयी जिसकी सूचना परिवादी को मैसेज के माध्यम से प्राप्त हुई थी। यात्रा की तिथि 11/12 नवम्बर, 2020 की रात्रि में लगभग प्रात: चार बजे परिवादी की पत्नी का हैण्ड बैग जो लाल रंग का था चोरी हो गया, जिसकी सूचना परिवादी ने तत्काल कोच अटैण्डेंड को दी और यह भी अनुरोध किया गया कि चोरी की सूचना ड्यूटी पर तैनात टी0सी0 व सुरक्षा कर्मियों को दे दी जाए। परिवादी टी0सी0 से स्वयं मिला और सहायता की याचना की जिस पर टी0सी0 द्वारा परिवादी को यह सलाह दी गयी कि अगले स्टापेज पर जी0आर0पी0 थाने में शिकायत परिवादी दर्ज करा सकता है। परिवादी ने ड्यूटी पर तैनात कर्मियों से शिकायती फार्मेट की मांग की, परन्तु उनके द्वारा कोई फार्मेट नहीं दिया गया और कहा गया कि रेलवे में ऐसा कोई प्रावीजन नहीं है। ड्यूटी पर तैनात कर्मियों द्वारा
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सहायता न करने पर परिवादी ने व्हाट्सप एप पर डिवीजनल रेलवे मैनेजर पं0 दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन को शिकायत की तब उनके द्वारा सी0 डिवीजनल कमांडेड का मो0 नम्बर उपलब्ध कराया गया और कमाण्डेंड के हस्तक्षेप के पश्चात परिवादी को शिकायती फार्मेंट उपलब्ध कराया गया। परिवादी यही पर नहीं रूका बल्कि पटना पहुँचने पर पटना जी0आर0पी0 थाने पर पुन: नए सिरे से शिकायत दर्ज करायी। परिवादी द्वारा अत्यधिक पैरवी करने के 35 दिन के बाद इलाहाबाद में एफ0आई0आर0 संख्या-175/20 दिनांक 16-12-20 अन्तर्गत धारा-379 आई0पी0सी0 दर्ज हुई और उसकी सूचना परिवादी के मोबाइल नम्बर पर प्राप्त हुई। एफ0आई0आर0 में 1500/-रू0 नगदी अंकित किया गया था परन्तु उसे जो अभिलेख उपलब्ध कराये गये उसमें मात्र 500/-रू0 नगदी ही अंकित थी। रेलवे का यह नियम है कि प्रतीक्षारत यात्रियों को रेलवे परिसर/कोच में धुसने की अनुमति तब तक प्रदान नहीं की जावेगी जब तक कि उनका टिकट कन्फर्म नहीं हो जाता है और रेलवे के कमियों की लापरवाही के कारण कोच में असामाजिक तत्व घुस जाते हैं और चोरी जैसी जघन्य वारदातें करते है, जो कि रेलवे की सेवा में कमी है। विपक्षी की सेवा में कमी के कारण उक्त घटना घटित हुई है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षी पर नोटिस की तामीला दिनांक 21-06-2021 को हो चुकी थी परन्तु विपक्षी द्वारा दिनांक 08-10-2021 तक अपना लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया जिस कारण विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी। विपक्षी द्वारा एक पक्षीय कार्यावाही के आदेश के विरूद्ध पुर्न अवलोकन प्रार्थना पत्र दिया गया जिसमें पक्षों को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देने के पश्चात दिनांक 22-08-2022 को
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निरस्त कर दिया गया। परिवादी द्वारा एकपक्षीय साक्ष्य व लिखित कथन दाखिल किया गया। विपक्षी के विरूद्ध वाद की कार्यवाही एकपक्षीय की गयी।
विद्धान जिला आयोग द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण करने के पश्चात विपक्षी के स्तर पर सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया गया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण करने के पश्चात यह पीठ इस मत की है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, किन्तु विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवादी को नगदी, महत्वपूर्ण अभिलेखों, सामान की क्षति, वाद व्यय, मानसिक संताप को मिलाकर कुल धनराशि अंकन 1,00,000/-रू0 अदा करने का जो आदेश पारित किया गया है उसे वाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए संशोधित करते हुए रू0 1,00,000/- के स्थान पर रू0 50,000/- किया जाता है। निर्णय का शेष भाग यथावत कायम रहेगा। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1