Parmanand Dhamadi filed a consumer case on 16 Apr 2015 against Nirmal Kumar jain, Chief, India infoline, securities ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/153/2008 and the judgment uploaded on 21 Apr 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः- अध्यक्ष, श्री नंदलाल शर्मा, मेम्बर श्री महावीर तंवर
परिवाद संख्या:- 153/08
परमानंद धामाणी पुत्र कल्याण मल निवासी 1-द-11 दादाबाडी कोटा राजस्थान। परिवादी
बनाम
01. श्री निर्मल कुमार जैन अध्यक्ष- इण्डिया इन्फोलाईन सिक्यूरिटीज प्रा0लि0, वेस्ट एक्सप्रेस हइवे, गोरेगाॅव (वेस्ट) मुम्बई।
02. श्री सुरेश खंडेलवाल पुत्र श्री एम एल खण्ष्डेलवाल निवासी 4 एम-13 तलवंडी, कोटा, राजस्थान। अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
02. श्री अतुल शर्मा, अधिवक्ता, अप्रार्थीगण की ओर से।
03. अप्रार्थी सं. 2 का नाम तर्क किया गया।
निर्णय दिनांक 16.04.2015
परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया कि उसने अप्रार्थी सं.1 के यहाॅ फ्रेन्चाईज अप्रार्थी सं. 2 के माध्यम से डिमेट खाता संख्या 11849541 खुलवाया। उक्त खाते के जर्ये शेयर्स की खरीद फरोख्त की जाती है। जिसमें खाता धारक कम्प्यूटर के जर्ये आॅन लाईन ट्रेडिंग शेयर की खरीद फरोख्त कर सकता है उक्त कार्य धोखाधडी, चिटिंग एवं अनुचित व्यापार व्यवहार की तारीफ में आता है। परिवादी, अप्रार्थी सं. 2 के कोटा स्थित आफिस में स्वयं समय-समय पर अप्रार्थी सं. 2 के कम्प्यूटर आपरेटर के द्वारा आन लाईन ट्रेडिंग शेयर खरीद बिक्री करता है एवं अन्य कोई उक्त खाते एवं आई डी के जरिये परिवादी के बिना ज्ञान में लाये एवं सहमति के बिना शेयर खरीद बेचने का अधिकार प्राप्त नहीं है। अप्रार्थीगण द्वारा आपसी मिली भगत से दिनांक 16.08.07 को परिवादी की आई डी से एवं उक्त डिमेट खाते से परिवादी के बिना जानकारी एवं में लाये तथा बिना सहमति से आईडिया सैल के 100 शेयर एवं नो सील के 500 शेयर नेशनल स्टाॅक एक्सचेन्ज ने बेच दिये जबकि परिवादी एन एस ई में शेयर नही थे, परिवादी सिर्फ बोम्बे स्टाॅक एक्सचेन्ज के द्वारा ही कार्य करता है इस तरह परिवादी के उक्त आई डी से अप्रार्थीगण द्वारा उक्त दो कंपनियों के शेयर बेच दिये गये वह शेयर एन ए सी द्वारा सेटलमेन्ट की दिनांक को ओक्शन कर दिये, जिससे परिवादी को अत्यधिक आर्थिक नुकसान हुआ है। अप्रार्थी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है। अप्रार्थीगण को डिमेंट एकाउन्ट एवं आई डी के जर्ये शेयर बेचने का अधिकार नही है। दिनांक 17.08.07 को अप्रार्थीगण ने परिवादी के डिमेट खाते से उसकी आई डी के जरिये डी एल एफ के 90 शेयर बेच दिये एवं उसी रोज बाद में उची रेट में 70 शेयर वापस खरीद लिये, नागार्जुन फर्टिलाइजर के 200 शेयर पहले बेच दिये एव उसी रोज बाद में उची रेट में 200 शेयर खरीद लिये, इसी प्रकार सुजाना के 200 शेयर बेच दिये बाद में उसी रोज 200 शेयर उसी रेट में खरीद लिये जबकि परिवादी के डिमेट खाते मे सुजाना के शेयर ही नही थे,बिनानी सीमेन्ट के 60, फोटीज के 10, आई एफ सी आई के 300 इनफोसिस के 5, लेनकोइनफ्रा के 50, सुजलोन एनर्जी 2, टी वी टू डे के 5, टाईटन इंडस्ट्री के 5, केरियन के 15 शेयर खरीद फरोख्त कर परिवादी को अप्रार्थीगण ने 9037/- रूपये का आर्थिक नुकसान पहंुचाया, दिनांक 18.08.07 को अप्रार्थीगण से उक्त शेयर के बारे में जानकारी चाही, जो नही दी गई, दिनांक 23.11.07 को अप्रार्थीगण ने परिवादी की बिना सहमति एवं जानकारी के 16 ब्रान्डेड कंपनियों के 4,770 शेयर बेचकर 36092/- रूपये का नुकसान पहुंचाया। दिनांक 21.01.08 को 9 ब्रान्डेड कंपनियों के 6200 शेयर्स अप्रार्थीगण ने बिना परिवादी की सहमति के बेचे, जिससे 4,17,779/- रूपये का नुकसान उठाना पडा, इस प्रकार अप्रार्थीगण ने शेयर का खरीद फरोख्त कर परिवादी को नुकसान पहुंचाया। अप्रार्थीगण परिवादी की बिना सहमति के शेयर्स बेचकर उसकी सेवा में कमी की है, इसलिये अप्रार्थीगण से परिवादी को 4,95,108/- रूपये दिलवाये जाने की प्रार्थना की है।
अप्रार्थी संख्या 1 का जवाब दिनांक 01.05.09 की आदेशिका के अनुसार बंद किया जा चुका है।
अप्रार्थी संख्या 2 को परिवादी ने दिनांक 04.02.13 को तर्क कर दिया ।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. क्या परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?
अप्रार्थी सं. 1 को सुनने, पत्रावली का अध्य्यन अवलोकन करने से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अपने परिवाद में कथन किया है कि उसने अप्रार्थी सं. 1 के यहाॅ फ्रेंन्चाईज अप्रार्थी के माध्यम से डिमेट खाता संख्या 11849541 खुलवाया। उक्त खाते के जर्ये शेयर्स की खरीद फरोख्त की जाती है। जिसमें खाता धारक कम्प्यूटर के जर्ये आॅन लाईन ट्रेडिंग शेयर की खरीद फरोख्त कर सकता है और उस खरीद फरोख्त से प्राप्त मुनाफा या नुकसान परिवादी को होगा, इस प्रकार उपरोक्त शेयर्स का खरीद फरोख्त किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय के तहत व्यवसायिक श्रेणी में आता है। उपरोक्त तथ्य के समर्थन में अप्रार्थी सं. 1 के विद्वान अधिवक्ता द्वारा पेश किये गये न्यायिक दृष्टान्त भाग 3 (2000) सी पी जे 291 से वर्तमान प्रकरण में प्रकाश प्राप्त होता है। उपरोक्त विवेचन को दृष्टिगत रखते हुये हमारे विचार से परिवादी का उक्त कृत्य उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय के तहत वयवसायिक श्रेणी में आता है, इसलिये परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता नहीं है।
02. क्या अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
परिवादी बिन्दु संख्या 1 अपने पक्ष में साबित नहीं कर पाया है। अतः बिन्दु संख्या 2 पर विेवेचन, विशलेषण करने की आवश्यकता नहीं है।
03. अनुतोष ?
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी परमानंद धामाणी का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वय वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 16.04.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
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