Uttar Pradesh

StateCommission

A/654/2021

Maruti Suzuki India Ltd. - Complainant(s)

Versus

Nimesh Rai - Opp.Party(s)

V.S. Bisaria

03 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/654/2021
( Date of Filing : 17 Dec 2021 )
(Arisen out of Order Dated 24/08/2021 in Case No. C/2015/279 of District Varanasi)
 
1. Maruti Suzuki India Ltd.
Old Palam Gurgaon Raod Gurgaon
...........Appellant(s)
Versus
1. Nimesh Rai
S/o Dr. K.V. Rai R/o Sudharma 13/1 Gurudham Colony Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Aug 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-654/2021

मारूति सुजुकी इण्डिया लिमिटेड

बनाम

निमेश राय पुत्र श्री डॉ0 के0वी0 राय व एक अन्‍य

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री वी0एस0 बिसारिया

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 03.8.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/मारूति सुजुकी इण्डिया द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-279/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.8.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी पत्रकार है और बायें पैर से विकलांग है तथा पत्रकारिता से संबंधित दौड़-भाग करने हेतु व अपने परिवार के उपयोग हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 से फोर व्‍हीलर मारूति वैगन आर माडॅल सं0-VXI है, जो दिनांक 01.08.2014 को मु0 3,94,330/-रूपये में बैंक आफ बड़ौदा सोनारपुरा शाखा से 3,00,000/- ऋण लेकर क्रय किया, जिसका चेचिस नं0 MA3EWDE1300750182 व इंजन नं0 K10BN1770144 है। उपरोक्‍त वाहन की वारण्‍टी वाहन खरीदने की तारीख से दो वर्ष की थी एवं प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 मा‍रूति गाडि़यों का विक्रेता है तथा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 कम्‍पनी, डीलर है। उक्‍त वाहन के बीमा का प्रीमियम 16,937/- रूपये भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से प्राप्‍त किया तथा

-2-

गाड़ी का रजिस्‍ट्रेशन प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा परिवहन विभाग से मु0 34,147/- रूपये धनराशि देकर स्‍वयं कराया है, जिसके आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को रजिस्‍ट्रेशन नं0 यू0पी0 65 बी.एस. 8283 आवंटित हुआ है। वाहन जब चलाया गया तो उक्‍त वाहन का स्‍टेयरिंग चलाने में भारी था, जिसकी सूचना प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उसी समय प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के सेल्‍स एक्‍जीक्‍यूटिव को दूरभाष द्वारा सूचित किया, तो उन्‍होंने यह अवगत कराया कि पहली फ्री सर्विसिंग होने के पश्‍चात आपकी हैन्डिल सुचारू रूप से घुमेगा। उसके आगे बने रेडियेटर अदर से डिफेक्टिव था, जिस कारण उक्‍त गाड़ी जगह-जगह बंद हो जाती थी। उक्‍त वाहन को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के सर्विस स्‍टेशन पर दिनांक 03.09.2014 को जब प्रथम फ्री सर्विस के लिए लाया गया तो उन्‍हें उक्‍त गाड़ी के स्‍टेयरिंग के जाम को ठीक करने तथा इंजन के जल्‍द ही गरम होकर बन्‍द हो जाने व टेल लाईट के नीचे जंग जैसा पीले निशान को ठीक कराने हेतु कर्मचारियों को बताया गया एवं उक्‍त त्रुटियों को ठीक करने के लिए कहा गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी फ्री सर्विस होने के बाद जब घर आ रहा था तब वही त्रुटियां प्रश्‍नगत वाहन में बनी रही, जिससे यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के सर्विस सेन्‍टर के कर्मचारियों द्वारा कमियॉ दूर नहीं की गयी, जिसकी शिकायत प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 से किया गया तो उन्‍होंने वही बात पुन: दोहराया कि आप निश्चिन्‍त रहे। द्वितीय फ्री सर्विस दिनांक 26.12.2014 को कराया, सर्विस के उपरान्‍त भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी के वाहन में प्रारंभ से आयी त्रुटियां दूर नहीं हुई और मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट होने के कारण प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के सर्विस सेन्‍टर द्वारा उक्‍त त्रुटियों को दूर नहीं किया जा सका। जिस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हुई है। दिनांक

-3-

22.05.2015 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उत्‍पादकर्ता दोष के संबंध में लिखित शिकायत की तो उन्‍होंने उपरोक्‍त वाहन को ठीक करने मे अपनी असमर्थता व्‍यक्‍त की अत्एव प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा क्रय किये गये वाहन में आयी त्रुटियों को दूर न किये जाने के कारण परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया अत्एव प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।

     अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख जवाबदावा प्रस्‍तुत परिवाद पत्र के कथनों को अस्‍वीकार करते हुए यह कथन किया गया कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 के द्वारा निनिर्मित वाहन केवल अपने अधिकृत डीलर को ही भारतीय विक्रय अधिनियम के अधीन स्‍वतंत्र संविदा के अनुसार विक्रय करता है। वारण्‍टी का अभिलेख प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दाखिल नहीं किया गया है। विनिर्माता होने के कारण अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 की जिम्‍मेदारी केवल वारण्‍टी तक होती है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जानबूझकर ओनर्स मैनुअल और सर्विस बुकलेट को परिवाद के साथ दाखिल नहीं किया है और वह किसी अनुतोष को पाने का अधिकारी नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के वाहन में कोई उत्‍पादकर्ता दोष कदापि नहीं था और न ही कोई दोष सिद्ध कर सका।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद अंशत: स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्‍तत: व पृथक्‍तत: आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को वाहन सं0-

-4-

यू0पी065 बी0एस0/8283 मारूति वगैन आर (VXI) के क्रय करने के पश्‍चात से उसमें आयी कमियों के कारण हुए शारीरिक व मानसिक ह्रास हेतु मु0-50,000.00 (पचास हजार रूपये) प्रतिकर व मु0 5,000.00 (पॉच हजार रूपये) वाद व्‍यय आज से आठ दिन के अन्‍दर भुगतान करें।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 मारूति सुजुकी इण्डिया लिमिटेड की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 बिसारिया को सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में जो अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्‍तत: व पृथक्‍तत: रूप से क्षतिपूर्ति के मद में रू0 50,000.00 (पचास हजार रू0) की देयता निर्धारित की गई है, उसे वाद के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए क्षतिपूर्ति की धनराशि रू0 50,000.00 (पचास हजार रू0) की देयता के स्‍थान पर रू0 20,000.00 (बीस हजार रू0) की देयता में परिवर्तित किया जाता है अत्एव प्रस्‍तुत

 

-5-

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि‍ में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                     

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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