Madhya Pradesh

Seoni

CC/08/2013

SMT. KUSAA PRATIMA - Complainant(s)

Versus

NIDHI SHUKLA - Opp.Party(s)

25 Mar 2013

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

प्रकरण क्रमांक -08-2013                                   प्रस्तुति दिनांक-02.01.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

श्रीमति कौषर फातिमा, पति मो. इस्मार्इल
मंसूरी, निवासी-नगर परिशद के पास, सभामंच
के पीछे, बरघाट, जिला सिवनी 
(म0प्र0)।...............................................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-:                  
नितिन षुक्ला, आत्मज जीवनलाल षुक्ला
स्थायी पता-रेल्वे स्टेषन वार्ड, सिवनी
तहसील व जिला सिवनी, वर्तमान पता-एम.पी.
आनलार्इन, तिवारी हार्डवेयर के उपर, नगर
परिशद के सामने, बरघाट, तहसील बरघाट,
जिला सिवनी (म0प्र0)।..........................................अनावेदकविपक्षी।  

                  
                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक-25/03/2013             को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1)        परिवादिया ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक द्वारा, परिवादी से 400-रूपये संविदा षाला षिक्षक वर्ग-2 की परीक्षा का षुल्क ले-लेना बताते हुये, अनावेदक द्वारा उसे व्यापम को भुगतान न करने को सेवा में कमी बताते हुये हर्जाना दिलाने व ली गर्इ राषि वापस दिलाने पेष किया है।  
(2)         यह स्वीकृत तथ्य है कि-अनावेदक द्वारा संचालित एम0पी0 आनलार्इन सेन्टर के माध्यम से परिवादिया ने संविदा षाला षिक्षक वर्ग- 2 का आनलार्इन आवेदन-पत्र भरा था। यह भी विवादित नहीं कि- व्यापम में उक्त प्रवेष परीक्षा का षुल्क जमा न होने के कारण, परिवादिया को उक्त प्रवेष-पत्र, परीक्षा में समिमलित होने बाबद जारी नहीं हुआ। 
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- परिवादिया ने अनावेदक के द्वारा संचालित एम0पी0 आनलार्इन सेन्टर से दिनांक-20.10.2011 को संविदा षाला षिक्षक वर्ग-2 के लिए आवेदन भरा था और अनावेदक ने, परिवादी से परीक्षा षुल्क 400-रूपये व पोर्टल चार्ज 50-रूपये, इस तरह कुल-450-रूपये प्राप्त किये थे, उक्त परीक्षा दिनांक-20.01.2012 को होनी थी, पर अनावेदक ने, परिवादिया से राषि प्राप्त करने के बावजूद भी व्यापम को परीक्षा फीस भुगतान नहीं किया, जिससे परिवादिया के नाम प्रवेष-पत्र जारी नहीं हुआ और वह परीक्षा से वंचित हो गर्इ और इस संबंध में अनावेदक से षिकायत करने पर, वह लगातार गुमराह करता रहा, जो कि-परिवादिया ने जरिये अधिवक्ता दिनांक-22.08.2012 को पंजीकृत-डाक से नोटिस भेजकर, अनावेदक से 2,00,000-रूपये क्षतिपूर्ति व परिवादिया से ली गर्इ राषि 450-रूपये अदा करने की मांग की गर्इ, जो उसके द्वारा अदा नहीं किया गया। इस तरह अनावेदक ने, परिवादिया के प्रति-सेवा में कमी किया है।
(4)        अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-परिवादिया दिनांक-22.10.2011 को संविदा षाला षिक्षक वर्ग-3 और वर्ग-2 परीक्षा का फार्म भरने आर्इ थी, जो कि-परिवादिया द्वारा दी गर्इ समस्त जानकारी के आधार पर, संविदा वर्ग-3 और वर्ग-2 में परिवादिया का पंजीयन किया गया था, उसके बाद संविदा वर्ग-2 के लिए परीक्षा षुल्क व पोर्टल चार्ज 450-रूपये और संविदा वर्ग-3 के लिए पोर्टल चार्ज सहित, परीक्षा षुल्क 350-रूपये, इस तरह कुल-800-रूपये की मांग की थी, लेकिन परिवादिया ने कहा कि-अभी उसके पास कुल- 350-रूपये हैं, इसलिए परीक्षा वर्ग-3 का परीक्षा षुल्क आनलार्इन भुगतान कर दें, तो संविदा वर्ग-3 के लिए आनलार्इन भुगतान कर, पंजीयन-प्रपत्र व भुगतान रसीद तथा संविदा वर्ग-2 का पंजीयन-प्रपत्र जिसमें भुगतान नहीं अंकित था, वह परिवादिया को दे-दिया था और यह बताया था कि-निर्धारित अवधि के अंदर जब वह वर्ग-2 की राषि लेकर आयगी, तो परीक्षा वर्ग-2 के लिए आनलार्इन भुगतान कर दिया जायेगा। परिवादिया ने, अनावेदक को परेषान करने व गलत ढंग से लाभ लेने के लिए झूठा परिवाद पेष किया है। 
(5)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
        (अ)    क्या अनावेदक ने, आनलार्इन संविदा षाला
            षिक्षक वर्ग-2 का परिवादिया का परीक्षा षुल्क
            व्यापम को भुगतान न कर, परिवादिया के प्रति-
            सेवा में कमी किया है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6)       अनावेदक-पक्ष की ओर से अपने जवाब के समर्थन में स्वयं अनावेदक का व एक अन्य साक्षी मनदीप दीक्षित का षपथ-पत्र पेष हुआ है, जिसमें भी यह दर्षाया गया है कि-परिवादिया ने उससे संविदा षाला षिक्षक वर्ग-2 और वर्ग-3 के फार्म भरने के लिए पंजीयन कराये थे, लेकिन मात्र संविदा वर्ग-3 की फीस ही दिया था, जिसका आनलार्इन भुगतान कर दिया गया था, संविदा वर्ग-2 का परीक्षा षुल्क परिवादिया ने उस दिन नहीं दिया, जो कि-अनावेदक-पक्ष का जवाब प्रस्तुत हो जाने के बाद भी परिवादिया की ओर से साक्ष्य में जो स्वयं परिवादिया और उसकी सहेली स्नेहलता वासनिक के षपथ-पत्र पेष किये गये, उनमें कहीं भी इस तथ्य से इंकार नहीं किया गया कि- दिनांक-20.10.2011 को ही परिवादिया के द्वारा, संविदा षाला षिक्षक वर्ग-3 की परीक्षा का भी फार्म भरकर, अनावेदक से उसकी आनलार्इन फीस जमा करार्इ गर्इ थी तथा तर्क के दौरान भी परिवादी-पक्ष की ओर से इसर् सिथति को स्वीकार किया गया कि-दिनांक-20.10.2011 के दिन भी परिवादिया ने संविदा षाला षिक्षक वर्ग-3 का फार्म अनावेदक के केन्द्र के माध्यम से भरा था, जिसका षुल्क भी व्यापम में अनावेदक द्वारा जमा किया गया है।  
(7)        परिवादिया की ओर से पेष प्रदर्ष सी-4 के आवेदन के पंजीयन में ही भुगतान न होने की सिथति का स्पश्ट उल्लेख रहा, जो कि-हिन्दी भाशा में लेख है और परिवादिया डबल एम0ए0 वी0एड0 तक उच्च षिक्षा प्राप्त व्यकित है, जो कि-फार्म पंजीयन के दिन, अर्थात परीक्षा से दो माह पूर्व से ही उक्त सिथति परिवादिया के ज्ञान में रही है, जो कि-उसी दिन संविदा षाला षिक्षक वर्ग-3 के परीक्षा के आवेदन का पंजीयन भी परिवादिया को प्राप्त रहा है, जिसमें षुल्क भुगतान हुआ था, जिसे परिवादिया-पक्ष की ओर से मामले में पेष नहीं किया गया। और संविदा षाला वर्ग-3 की परीक्षा के फार्म भरने के तथ्य को भी परिवादिया-पक्ष द्वारा छिपाया गया।
(8)        अनावेदक-पक्ष की ओर से यह दर्षाने के लिए कि-किसी भी परीक्षा के आनलार्इन आवेदन पंजीयन में षुल्क भुगतान की सिथति स्पश्ट लेख रहती है, इस संबंध में प्रदर्ष आर-1 से आर-6 तक के दस्तावेज अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष किये गये हैं। 
(9)        बहरहाल अनावेदक-पक्ष के जवाब व साक्ष्य से जो यह अखणिडत सिथति दर्षार्इ गर्इ है कि-परिवादिया ने उस दिन संविदा षाला वर्ग-3 की परीक्षा का ही परीक्षा षुल्क भुगतान किया था, उसे परिवादिया-पक्ष द्वारा कोर्इ चुनौती नहीं दी गर्इ और परिवादिया-पक्ष का ऐसा कथानक नहीं है कि-उसने उस दिन अनावेदक को संविदा षाला वर्ग-2 और संविदा षाला वर्ग-3 दोनों के ही परीक्षा के आवेदनों का कुल षुल्क-800-रूपये जमा किया, तो स्पश्ट है कि-परिवादिया ने जो परीक्षा षुल्क अनावेदक को अदा किया था, वह संविदा षाला वर्ग-3 की परीक्षा हेतु परिवादी के आवेदन का षुल्क था, जिसे अनावेदक के द्वारा, व्यापम को आनलार्इन भुगतान किया जाना अविवादित है और इसलिए संविदा षाला वर्ग-2 की परीक्षा के लिए देय पृथक से परीक्षा षुल्क परिवादिया द्वारा, अनावेदक को भुगतान किया जाना स्थापित नहीं पाया जाता है। तो अनावेदक के द्वारा, परिवादिया के प्रति कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(10)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, प्रस्तुत परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किया जाता है। पक्षकार अपना-अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।


            
        मैं सहमत हूँ।                                  मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
           सदस्य                                                 अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी      

          (म0प्र0)                                                 (म0प्र0)

 

 

 

 


        
            

 

 

 

 

 

 

 

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