Satnarayan filed a consumer case on 26 Feb 2015 against NIC in the Churu Consumer Court. The case no is 126/2014 and the judgment uploaded on 18 May 2015.
प्रार्थी की ओर से श्री सांवरमल स्वामी अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से श्री धीरेन्द्र सिंह राठौड़ अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से श्री सुरेश शर्मा व श्रुति कोशिक अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 2 बैंक से 1,00,000 रूपये का ऋण प्राप्त कर दो भैंसे दिनांक 20.01.2013 को खरीद की थी। प्रत्येक भैंस की कीम्मत 50,000 रूपये थी। अप्रार्थी संख्या 2 ने अपने द्वारा दिये गये ऋण की सुरक्षा हेतु प्रार्थी द्वारा किये गये भैंसो का बीमा अप्रार्थी संख्या 1 से करवाया था। बीमा करते समय अप्रार्थी संख्या 1 ने पशु चिकित्सक सातड़ा से दिनांक 30.01.2013 को स्वास्थ्य जांच कर भैंस के टेग संख्या 9593 बांया कान में लगाया गया। प्रार्थी ने टेग संख्या 9593 वाली भैंस को अपने बड़ी बहन के ग्राम मैलूसर तहसील सरदारशहर को दिनांक 08.01.2014 से लगभग 28 माह पूर्व वाहन के जरिये भिजवा दी थी। प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उक्त भैंस दिनांक 08.01.2014 को ग्राम मैलूसर में ही रात्रि 8.00 बजे मर गयी जिसकी सूचना प्रार्थी ने अप्रार्थीगण को भिजवायी व समस्त दस्तावेज सौंप कर क्लेम की मांग की। परन्तु अप्रार्थी संख्या 1 ने भैंस को सातड़ा से मैलूसर बीकान स्थानान्तरित करने के गलत व विधि विरूद्ध आधार पर प्रार्थी का क्लेम खारिज कर दिया। जबकि अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा जारी पोलिसी में भैंस को स्थानान्तरित करने के सम्बंध में कोई शर्त अंकित नहीं थी। अप्रार्थीगण द्वारा बिना आधार पर प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार करना अप्रार्थीगण का सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी संख्या 2 अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का जवाब देते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि प्रार्थी ने बीमित भैंस को अप्रार्थी बीमा कम्पनी को बिना सूचना दिये। करीब 65 किलोमीटर दूर भेज दिया जो बीमा पोलिसी में अंकित शर्तों का उल्लंघन है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया। अप्रार्थी संख्या 2 अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह तर्क दिया कि अप्रार्थी संख्या 2 ने प्रार्थी द्वारा भैंस की मृत्यु बाबत सूचना देने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को यथाशीघ्र भिजवा दी गयी और जो दस्तावेज प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 को उपलब्ध करवाये गये वो भी एजेन्ट की हैसियत रखते हुए अप्रार्थी संख्या 2 ने बीमा कम्पनी को भिजवा दिया। क्लेम देने का दायित्व अप्रार्थी संख्या 1 का अप्रार्थी संख्या 2 का कोई सेवादोष नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद अप्रार्थी संख्या 2 की हद तक खारिज करने का तर्क दिया।
प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, दस्तावेज कुल 7 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी संख्या 1 ने पंकज माथूर का शपथ-पत्र, सर्वेयर रिपोर्ट, पशु स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र, बीमा पोलिसी दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी संख्या 2 ने दस्तावेज कुल 9 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। पक्षकारान की बहस सुनी गयी। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।
वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी की भैंस का बीमा अप्रार्थी संख्या 1 के द्वारा किया जाना, बीमा के समय टैग संख्या 9593 मृतक भैंस के बांये कान में लगाना दिनांक 08.01.2014 को भैंस की मृत्यु होना, भैंस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट होना स्वीकृत तथ्य है। वर्तमान प्रकरण में विवादक बिन्दु केवल यह है कि प्रार्थी ने अपनी भैंस को गांव सातड़ा से मैलूसर में बिना अप्रार्थी बीमा कम्पनी की सहमति से स्थानान्तरित कर दी जो कि पोलिसी शर्तों का उल्लंघन है। इस सम्बंध में हमने अप्रार्थी अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत बीमा पोलिसी का अवलोकन किया। बीमा पोलिसी के अवलोकन करने पर पाया कि बीमा पोलिसी में ऐसी कोई शर्त अंकित नहीं है कि यदि बीमित भैंस को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित किया जाता है तो स्थानान्तरण से पूर्व बीमा कम्पनी को सूचना देना आवश्यक हो। इस सम्बंध में हम अप्रार्थीगण के सर्वेयर पंकज माथूर की रिपोर्ट दिनांक 18.03.2014 को अवलोकन किया। सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि प्रार्थी व श्रीमति रूकमणी देवी आपस में सगे भाई बहन है। प्रार्थी ने मृतक भैंस को अपनी बहन के पास गांव मैलूसर में भिजवा दिया था। सर्वेयर ने यह भी अंकित किया है कि मरने वाली भैंस बीमित भैंस थी जिसके बांये कान में टैग संख्या 9593 लगी हुई थी। अप्रार्थी के सर्वेयर ने प्रार्थी के अभिवचनों व साक्ष्य की पुष्टि की है उसके बावजूद भी अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के जायज क्लेम को अस्वीकार कर सेवादेाष किया है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी संख्या 1 को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को बीमित भैंस की राशि 50,000 रूपये व उक्त राशि पर सर्वेयर रिपोर्ट दिनांक 18.03.2014 से ठीक तीन माह बाद दिनांक 17.06.2014 से 9 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज भी ताअदायगी अदा करेगा। अप्रार्थी संख्या 1 को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को 4,000 रूपये परिवाद व्यय भी अदा करेगा। अप्रार्थी संख्या 1 उक्त आदेश की पालना आदेश की दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेगा। अप्रार्थी संख्या 2 की हद तक परिवाद अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।
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