Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/1113/08

SAMIM RJA - Complainant(s)

Versus

NIC - Opp.Party(s)

SAROJ DIXIT

02 Sep 2014

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
                    
    

उपभोक्ता वाद संख्या-1113/2008
षमीम रजा, 84/91 सकीरा इस्टेट, जी0टी0 रोड, कानपुर (यू0पी0) 
                                  ................परिवादी
बनाम
नेशनल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 डी0ओ0-2, 15/291, सिविल लाइन्स कानपुर।
                           ...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 18.12.2008
निर्णय तिथिः 19.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी बीमा कंपनी से रू0 81,785.00 परिवादी के अस्पताल में किये गये खर्च को 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दिनांक 04.07.08 से तायूम वसूली दिलाया जाये, रू0 10,000.00 मानसिक एवं षारीरिक परेषानी के लिए तथा रू0 10,000.00 परिवाद व्यय दिलाय जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि विपक्षी नेषनल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 के एजेंट श्री आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से विपक्षी बीमा कंपनी की मेडीक्लेम पॉलिसी नं0-450500/48/ 07/850000024, वैधता तिथि 11.05.07 से 10.05.08 ली गयी। पॉलिसी लेने के समय विपक्षी के डा0 प्रदीप नैथानी के द्वारा परिवादी का पूर्ण षरीरिक चेकअप किया गया और अच्छे स्वास्थ की रिपोर्ट मय प्रस्ताव फार्म दिनांक 11.05.07 को दी गयी। परिवादी द्वारा रू0 8008.00 पॉलिसी के प्रतिफल हेतु जमा किया गया। दुर्भाग्य से दिनांक 26.06.07 को परिवादी को क्प्र्रपदमे एवं ैलदबवचम उत्पन्न हुआ। जिसके लिए परिवादी को मेडिकल कॉलेज  कानपुर संदर्भित  किया गया।  विपक्षी  बीमा कंपनी को 
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परिवादी के अस्वस्थ होने की जानकारी दिनांक 27.06.07 को दी गयी। चिकित्सकों की राय के अनुसार दिनांक 28.06.07 को परिवादी का आपरेषन के माध्यम से पी0पी0आई0 लगाया गया। परिवादी को दिनांक 30.06.07 को अस्पताल से मुक्त कर दिया गया। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र के प्रस्तर-10 में उल्लिखित सूची के अनुसार दिनांक 06.07.07 को विपक्षी को आवष्यक प्रपत्र उसके बिल कैषमेमो भेजे गये। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी के उक्त प्रपत्र मेसर्स अलंकित हेल्थ केयर लि0 तृतीय पक्ष प्रषासक (टी0पी0ए0) विपक्षी बीमा कंपनी को भेजे गये। टी0पी0ए0 द्वारा अपने पत्र दिनांकित 27.07.07 के माध्यम से परिवादी से परिवादी के चिकित्सक द्वारा इस आषय का प्रमाण पत्र मांगा गया कि परिवादी को भ्पही हतंकम ।ट ठसवबा ूपजी ेलदबवचम ;त्मबनततमदजद्ध कब से था, तत्संबंधी चिकित्सीय नुष्खे एवं अन्वेशण रिपोर्ट भी मांगी गयी। परिवादी के चिकित्सक डा0 रमेष ठाकुर द्वारा निम्नवत रिपोर्ट दी गयीः-
श्ज्ीपे पे जव बमतजपतल जींज डतण् ैंउपउ त्ं्रं ंहमक 56 लमंते तमेपकमदज वि 84ध्91ए ैंमतं म्ेजंजमए ळण्ज्ण् त्वंकए ज्ञंदचनत ूं ीवेचपजंसप्रमक नदकमत उल बंतम ंज स्च्ै प्देजपजनजम वि ब्ंतकपवसवहलए ळैटडए ज्ञंदचनत वद 26ण्06ण्07 ंज 11ण्30 ।उ अपकम प्दकवतम त्महपेजतंजपवद छवण् 2246ध्07 ूपजी ं ीपेजवतल वि त्मबनततमदज ैलदबवचम मचपेवकम वित सेंज जूव कंलेण् व्द म्गंउपदंजपवद ीम ूं विनदक जव इम ींअपदह ीपही कमहतमम वि ।ट ठसवबा ूपबी तमुनपतमक चमतउंदमदज चंबम उांमत चसंदजंजपवद ूपबी ूं ेनबबमेनिससल चमतवितउमक वद 28ण्06ण्07ण् भ्म ूं पउचसंदजमक टटप्श् ठपचवसंत डमकजतवदपब उांम ेमदेपं उवकमसश् भ्म ूं कपेबींतहमक वद 30ण्06ण्07ण्श् ज्ीम तमचसल वि जीम जतमंजपदह क्वबजवत ूं वितूंतमकम जव जीम ज्च्। अपकम समजजमत कजण् 08ण्10ण्07
    टी0पी0ए0 द्वारा उपरोक्त रिपोर्ट को असंतोशजनक बताया गया और अपने पत्र दिनांकित 25.10.07 के माध्यम से यह जानकारी मांगी गयी कि परिवादी अपने उपरोक्त चिकित्सक से ए0बी0 ब्लाक और तत्संबंधी पूर्व चिकित्सीय इतिहास का प्रमाण पत्र लेने के लिए कहा गया और ई0सी0जी0 मय नुष्खे मंगाये गये।  परिवादी द्वारा टी0पी0ए0 को  अवगत कराया गया 
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कि दिनांक 06.07.07 को विपक्षी बीमा कंपनी को ई0सी0जी0 रिपोर्ट व नुष्खे सौंप दिये गये थे। परिवादी के चिकित्सक डा0 रमेष ठाकुर के द्वारा परिवादी को यह बताया गया कि टी0पी0ए0 के द्वारा वांछित सूचना सीधे टी0पी0ए0 को दे दी जायेगी। किन्तु टी0पी0ए0 द्वारा परिवादी के चिकित्सक डा0 रमेष ठाकुर को सीधे कोई पत्र न लिखकर परिवादी का क्लेम बन्द करने की धमकी दी गयी। परिवादी द्वारा डा0 नैथानी के द्वारा दी गयी ई0सी0जी0 दिनांक 10.05.07 भी अपने पत्र दिनांकित 19.05.07 के द्वारा सौंप दी गयी। उक्त रिपोर्ट में यह रिपोर्ट दी गयी कि ई0सी0जी0 की रिपोर्ट सामान्य है और यह भी रिपोर्ट दी गयी थी कि परीक्षण में एच.टी.एम. का कोई लक्षण परिवादी में दिनांक 10.05.07 को नहीं पाया गया। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा टी0पी0ए0 के साथ मिलीभगत से दुर्भावनाग्रस्त मंषा से परिवादी को क्षतिपूर्ति करने की जिम्मेदारी से बचा गया है। इस प्रकार विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार किया गया है। परिवादी अपना प्रस्तावित क्लेम मय 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से समस्त बिल एवं कैषमेमो प्रस्तुत करने की तिथि से तायूम वसूली प्राप्त करने का, मानसिक व षारीरिक परेषानी के लिए रू0 10000.00 तथा परिवाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी है। अतः विवष होकर परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि बीमित व्यक्ति का चिकित्सीय परीक्षण बीमा प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव फार्म प्रस्तुत करने के दौरान मात्र सरसरी तौर पर पायी जाने वाली बीमारियों के लिए किया जाता है। गंभीर बीमारियों के लिए चिकित्सीय परीक्षण नहीं किया जाता है। विपक्षी के डा0 प्रदीप नैथानी जो कि एम.बी.बी.एस. डी.1 है, वह किसी भी विशय के अति-विषिश्ट चिकित्सक नहीं है। इसलिए डा0 प्रदीप नैथानी द्वारा बीमा का सामान्य पैथोलॉजिकल सामान्य स्वास्थ्य की रिपोर्ट दी गयी है, जिसके आधार पर बीमा पॉलिसी जारी की गयी है।  यह बीमित व्यक्ति  का उत्तरदायित्व था 
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कि वह स्वयं अपनी उन बीमारियों के बारे में प्रस्ताव फार्म में उल्लिखित करता, जिनको प्रथम दृश्टया कराये गये पैथोलॉजिकल जांच द्वारा पकड़ा जाना संभव नहीं हैं परिवादी को प्रष्नगत बीमारी बीमा कराने के मात्र डेढ़ माह के अंदर दिनांक 26.06.07 को उत्पन्न हो गयी। जिसके लिए उसे एल0पी0एस0 इंस्टीट्यूट के कार्डीलॉजी विभाग में भेजा गया। परिवादी के डा0 का नाम नहीं स्पश्ट किया गया है, जिसके द्वारा परिवादी को कार्डियोलॉजी विभाग में भेजा गया था, जो कि अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उक्त डाक्टर की रिपोर्ट से यह स्पश्ट हो सकता है कि परिवादी को मेडीक्लेम पॉलिसी लेने से कितने दिन पहले से हृदयरोग की समस्या थी। टी0पी0ए0 द्वारा सद्भावनाग्रस्त मंषा से परिवादी/बीमित के ए0बी0 ब्लाक बीमारी के कारण पता लगाने के लिए परिवादी से जानकारियां मांगी गयी। चिकित्सीय सिद्धांत के अनुसार हाई डिग्री ए0बी0 ब्लाक कभी भी अचानक उत्पन्न नहीं होता। जिससे स्पश्ट होता है कि परिवादी को प्रष्नगत हृदयाघात बीमारी बीमा पॉलिसी लेने से पूर्व से थी। चूॅकि टी0पी0ए0 को सीधे रमेष ठाकुर से सूचना प्राप्त करने की ड्यूटी नहीं थी। इसलिए टी0पी0ए0 द्वारा लिखित रूप से कोई सूचना डा0 रमेष ठाकुर से नहीं ली गयी। बीमा पॉलिसी कराने के दौरान किये गये चिकित्सीय परीक्षण का कोई सम्बन्ध बीमा क्लेम अदा करने से जो कि संदेहास्पद परिस्थितियों में और संदेहास्पद साक्ष्यों के अंतर्गत पूर्व की बीमारी को छिपाकर किया गया, के मामलों में प्रभावकारी नहीं माना जाता है। विपक्षी उत्तरदाता द्वारा परिवादी का क्लेम उपलब्ध तथ्यों एवं अभिलेखों के आधार पर निर्णीत किया गया है। विपक्षी उत्तरदाता द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। चूॅकि विपक्षी के द्वारा परिवादी का क्लेम अंतिम रूप से निर्णीत किया जा चुका है, इसलिए इस फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। अतः प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 18.12.08, 21.12.09 एवं 01.11.14 व डाक्टर  प्रदीप  नैथानी का 
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षपथपत्र दिनांकित 01.11.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् 1/41 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में वी0के0 कटियार, प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 12.07.10 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-2/1 लगायत् 2/7 दाखिल किया है।
निष्कर्श
6.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
    उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-4 व 5 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत  किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादी द्वारा अपनी बीमारी को छिपाकर मेडीक्लेम बीमा पॉलिसी प्राप्त की गयी है, यदि हां तो प्रभाव?
    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से यह कहा गया कि परिवादी द्वारा उसके षरीर में पूर्व से ही चली आ रही उपरोक्त गंभीर बीमारी को छिपाकर नाजायज मेडीक्लेम पॉलिसी प्राप्त करने की मंषा से बीमा पॉलिसी के लिये प्रस्ताव फार्म भरा गया था। अपने उपरोक्त कथन को समर्थित करने के लिए विपक्षी द्वारा आगे यह कहा गया है कि विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा बीमित व्यक्ति का चिकित्सीय परीक्षण बीमा प्रस्ताव फार्म प्रस्तुत करने के दौरान मात्र सरसरी तौर पर पायी जाने वाली बीमारियों के लिए किया जाता है। विपक्षी बीमा कंपनी के डा0 प्रदीप नैथानी एम.बी.बी.एस. डी.1 है, किन्तु अति विषिश्ट चिकित्सक नहीं है। यह 
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बीमित व्यक्ति का उत्तरदायित्व था कि वह स्वयं उन बीमारियों को प्रस्ताव फार्म में अंकित करे, जिनका पैथोलॉजिकल जांच द्वारा पकड़ा जाना संभव नहीं है। परिवादी को प्रष्नगत बीमारी बीमा कराने के मात्र डेढ़ माह के अंदर दिनांक 26.06.07 को उत्पन्न हो गयी। चिकित्सीय सिद्धांत के अनुसार भ्पही कमहतमम ।ण्ठण् ठसवबा कभी भी अचानक उत्पन्न नहीं होता है। परिवादी प्रष्नगत हृदयाघात बीमारी बीमा पॉलिसी लेने से पूर्व से ही थी। चूॅकि टी0पी0ए0 को सीधे रमेष ठाकुर से सूचना प्राप्त करने का अधिकार नहीं थी। इसलिए टी0पी0ए0 द्वारा लिखित रूप से कोई सूचना डा0 रमेष ठाकुर से नहीं ली गयी। परिवादी कोई क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद खारिज किया जाये।
    परिवादी द्वारा विपक्षी के उपरोक्त तर्कों का खण्डन करते हुए यह कहा गया है कि पॉलिसी लेने से पूर्व विपक्षी के डा0 प्रदीप नैथानी द्वारा परिवादी का पूर्ण षारीरिक परीक्षण किया गया और दिनांक 11.05.07 को रिपोर्ट दी गयी। दुर्भाग्य से दिनांक 26.06.07 को परिवादी को क्प्र्रपदमे एवं ैलदबवचम उत्पन्न हुआ। परिवादी को प्रष्नगत बीमारी की कोई जानकारी बीमा प्रस्ताव फार्म भरने से पूर्व नहीं थी। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी के प्रपत्र मेसर्स अलंकित हेल्थ केयर लि0 तृतीय पक्ष प्रषासक (टी0पी0ए0) विपक्षी बीमा कंपनी को भेजे गये। टी0पी0ए0 द्वारा अपने पत्र दिनांकित 27.07.07 के माध्यम से परिवादी से इस आषय का प्रमाण पत्र मांगा गया कि परिवादी को भ्पही हतंकम ।ण्टण् ठसवबा ूपजी ेलदबवचम ;त्मबनततमदजद्ध कब से था, तत्संबंधी चिकित्सीय नुष्खे एवं अन्वेशण रिपोर्ट भी मांगी गयी। परिवादी के डा0 रमेष ठाकुर के द्वारा परिवादी को दी गयी रिपोर्ट को टी0पी0ए0 द्वारा असंतोशजनक माना गया और कतिपय अन्य जानकारियां मांगी गयी। इस पर परिवादी द्वारा टी0पी0ए0 को लिखा गया कि टी0पी0ए0 सीधे उनके चिकित्सक डा0 रमेष ठाकुर को पत्र लिखकर जो जानकारी चाहते हैं, ले सकते हैं। किन्तु टी0पी0ए0 द्वारा     आगे कोई जानकारी परिवादी के चिकित्सक से नहीं ली गयी। परिवादी के 
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चिकित्सक डा0 रमेष ठाकुर की रिपोर्ट के अनुसार प्रष्नगत बीमारी दिनांक 26.06.07 से मात्र दो दिन पूर्व उत्पन्न हुई है। 
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी के  चिकित्सक डा0 रमेष ठाकुर द्वारा दी गयी रिपोर्ट कागज सं0-1/35 के अनुसार परिवादी को प्रष्नगत बीमारी जी.एस.वी.एम. कानपुर के कार्डियोलॉजी में दिनांक 26.06.07 को भर्ती हुआ-के दो दिन पूर्व उत्पन्न हुई। फोरम विपक्षी के इस तर्क से सहमत नहीं है कि विपक्षी के यहां अति विषिश्ट चिकित्सक न होने के कारण परिवादी का यह उत्तरदायित्व था कि वह उस बीमारी के बारे में किसी अति विषिश्ट चिकित्सक से बीमा पॉलिसी लेने से पूर्व जांच कराता और प्रस्ताव फार्म में अंकित करता, जिसे अपने स्तर से नहीं करा सकता था। अतः फोरम इस मत का है कि विपक्षी का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि परिवादी को प्रष्नगत बीमारी बीमा पॉलिसी प्राप्त करने के दौरान थी। विपक्षी द्वारा अपने इस कथन के समर्थन में कि परिवादी को प्रष्नगत बीमारी बीमा प्रस्ताव फार्म भरने से पहले थी-कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः विपक्षी का कथन स्वीकार योग्य नहीं है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादी को उसके द्वारा प्रस्तुत किये गये बिल बावत रू0 81,785.00 तथा परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप        से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 
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30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को रू0 81,785.00 (इक्यासी हजार सात सौ पचासी रूपये) तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करे।

      (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
         वरि0सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
     फोरम-कानपुर नगर                  फोरम-कानपुर नगर


    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।

      (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
         वरि0सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
     फोरम-कानपुर नगर                  फोरम-कानपुर नगर

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