जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-813/2008
फूल सिंह पुत्र मोतीलाल कुषवाहा निवासी पड़री लालपुर, थाना घाटमपुर कानपुर देहात।
................परिवादी
बनाम
1. नेषनल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 मण्डलीय कार्यालय सं0-1-16/96 महात्मा गांधी मार्ग, कानपुर द्वारा षाखा प्रबन्धक।
2. षाखा प्रबन्धक, बैंक आॅफ बड़ौदा, पड़री लालपुर कानपुर नगर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 11.09.2008
निर्णय की तिथिः 27.04.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से मिलने वाली संपूर्ण क्षतिपूर्ति की धनराषि रू0 15000.00 मय ब्याज के भैंस की मृत्यु की तिथि से व मानसिक, षारीरिक व आर्थिक उत्पीड़न के एवज में रू0 15000.00 कुल रू0 30000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने पषु बाजार सजेती घाटमपुर से एक भैंस दिनांक 14.03.04 को रू0 15000.00 की खरीदी थी तथा दिनांक 18.03.04 को परिवादी ने अपनी भैंस का डाक्टरी परीक्षण पषु चिकित्साधिकारी पतारा से कराने के पष्चात व स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पष्चात भैंस पहचान टैग नं0- न्11082500ध्26868द्ध का बीमा दिनंाक 16.04.04 को कराया था। उक्त भैंस दिनांक 26.03.05 को मर गयी थी, जिसकी सूचना विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी व विपक्षी सं0-2 बैंक को दी गयी थी। जिसकी जांच विपक्षी बीमा कंपनी के इनवेस्टीगेटर द्वारा की गयी और परिवादी को इनवेस्टीगेटर द्वारा यह आष्वासन दिया गया कि परिवादी की भैंस के सभी प्रपत्र कान सहित
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पहचान व टैग लगा छल्ला, वह कार्यालय में जमा कर देगा तथा आपकी चेक बनवाकर बैंक द्वारा परिवादी को उपलब्ध करा देगा, किन्तु परिवादी को उक्त क्षतिपूर्ति की धनराषि नहीं दी गयी। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने के सम्बन्ध में एक पत्र दिनांक 27.02.06 को षाखा प्रबन्धक बैंक आॅफ बड़ौदा षाखा पड़री लालपुर कानपुर को, जहां से परिवादी ने अपनी भैंस लेने के लिए लोन लिया था, को भेजा और उसमें लिखा गया कि आपको अब तक कई पत्र भेजे, परन्तु आपने कोई टैग नहीं भेजा है। अतः मैं आपकी दावा फाइल बन्द कर दी है। परिवादी को जब उक्त जानकारी हुई उक्त जानकारी हुई, तो परिवादी ने दिनांक 18.03.06 को इस संदर्भ में एक प्रार्थनापत्र षाखा प्रबन्धक बैंक आॅफ बड़ौदा षाखा पड़री लालपुर को दिया और बैंक को समस्त तथ्यों से अवगत कराया। परिवादी को बीमा क्लेम न मिलने से अत्यंत षारीरिक व मानसिक उत्पीड़न हुआ है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी का दावा कानूनन पोशणीय नहीं है। परिवादी का दावा कैटिल पाॅलिसी के अंतर्गत दिखाया गया है, जिसमें यह आवष्यक षर्त है कि दावा तभी देय है, जब बीमित पषु का कान सहित टैग दावे के साथ प्रस्तुत किया जाये। परिवादी द्वारा भैंस का कोई टैग प्रस्तुत नहीं किया गया है। अस्तु दावा ’’नो टैग’’ ’’नो-क्लेम’’ के आधार पर सक्षम अधिकारी द्वारा गुण-दोश के आधार पर निरस्त किया गया है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
4. विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके यह परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि उत्तरदाता विपक्षी द्वारा कागजात प्राप्त होने पर सभी कागजात आवष्यक कार्यवाही हेतु समय से विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी को भेज दिये गये थे। बीमा कंपनी के मण्डलीय प्रबन्धक द्वारा एक
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पत्र दिनांक 16.011.06 को भेजा गया कि बी-17 फार्म पर रसीदी टिकट पर बीमाधारी बैंक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित करके भेजा जाये, जिस पर बैंक के षाखा प्रबन्धक द्वारा बी-17 फार्म प्रतिहस्ताक्षरित करके विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी को भेजा गया। परिवादी को, उत्तरदाता विपक्षी कोई भी क्षतिपूर्ति अदा करने का उत्तरदायी नहीं है।
5. परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत विपक्षी सं0-1 द्वारा प्रस्तुत जवाब दावा का प्रस्तरवार खण्डन किया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवादी द्वारा भैंस मृत्यु की सूचना बैंक व बीमा कंपनी को समय से दी गयी थी और प्रार्थनपत्र बैंक को भी दिये गये थे, जिसमें से एक पत्र की रिसीविंग परिवादी के पास है। अतः न्यायहित में परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाये।
6. परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों सही बताते हुए कहा गया है कि परिवादी का परिवाद न्यायहित में स्वीकार किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 10.08.07 एवं 08.03.11 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में नोटिस की प्रति, भैंस क्रय करने से सम्बन्धित रसीद की प्रति, पषु स्वास्थ्य प्रमण पत्र की प्रति, बीमा पाॅलिसी की प्रति, विपक्षी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-2 को प्रेशित पत्र दिनांकित 27.02.06 की प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 को प्रेशित पत्र दिनांकित 18.03.06 की प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
8. विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में ए0के0 सिंह मण्डलीय प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 19.02.13 तथा इन्वेस्टीगेटर रिपोर्ट की प्रति व लिखित बहस दाखिल किया है।
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विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
9. विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन में रामसेवक त्रिपाठी षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 28.02.12 दाखिल किया है।
निष्कर्श
10. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षी सं0-1 द्वारा दाखिल लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उपरोक्तानुसार उपरोक्त बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि पषु बीमा पाॅलिसी के अंतर्गत बीमित पषु की पहचान के लिए टैग नम्बर देना आवष्यक है। विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी की ओर से अपने कथन में प्रमुखतः उपरोक्त बिन्दु पर ही विषेश बल दिया गया है। परिवादी की ओर से किसी सारवान साक्ष्य अथवा किसी सारवान तथ्य के द्वारा विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी की ओर से किये गये उपरोक्त तर्क/कथन का खण्डन नहीं किया गया है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये समस्त प्रलेखीय साक्ष्यों के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा एक भैंस दिनांक 14.03.04 को क्रय करने से सम्बन्धित अभिलेख तथा पषु स्वास्थ्य प्रमाण पत्र दिनांक 18.03.04 प्रस्तुत किये गये हैं। जिन पर विपक्षी को कोई आपत्ति नहीं है। किन्तु उपरोक्त साक्ष्यों से यह सिद्ध नहीं होता है कि अभिकथित भैंस जिसकी मृत्यु होना बताया गया है, उक्त भैंस ही बीमित भैंस थी। क्योंकि परिवादी की ओर से अभिकथित बीमित भैंस का कोई टैग नम्बर दाखिल नहीं किया गया है। इस सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी की ओर से उपस्थित मण्डलीय प्रबन्धक द्वारा जारी पत्र वहक षाखा प्रबन्धक बैंक आॅफ बड़ौदा दिनांकित 27.02.06 भी महत्वपूर्ण है। उक्त पत्र के माध्यम से विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी के मण्डलीय प्रबन्धक द्वारा षाखा प्रबन्धक बैंक आॅफ बड़ौदा को पषु का टैग न भेजने के कारण परिवादी के क्लेम की फाइल बन्द किया जाना बताया गया है। विपक्षी सं0-1 की ओर से सूची के साथ इनवेस्टिगेटर की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है। उक्त रिपोर्ट के पेज नं0-2 के प्रस्तर-3 में इनवेस्टिगेटर द्वारा यह उल्लिखित किया गया है
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कि, जब इनवेस्टिगेटर ने षाखा प्रबन्धक बैंक आॅफ बड़ौदा से मृत्य भैंस के सम्बन्ध में जानकारी मांगी तो षाखा प्रबन्धक बैंक आॅफ बड़ौदा ने इनवेस्टिगेटर को अवगत कराया कि, ’’भैंस मृत होने या न होने के सम्बन्ध में मुझे कोई जानकारी नहीं है।’’ यद्यपि उक्त रिपोर्ट के अनुसार कतिपय ग्रामवासियों के द्वारा परिवादी की उक्त भैंस की मृत्यु होना स्वीकार किया गया है। किन्तु पषु चिकित्साधिकारी पतारा कानपुर नगर के द्वारा षाखा प्रबन्धक नेषनल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 विपक्षी सं0-1 को प्रेशित पत्र दिनांक 05.05.05 द्वारा पषु चिकित्साधिकारी द्वारा स्पश्ट रूप से यह उल्लिखित किया गया कि, ’’खाताधारक उपरोक्त भैंस का छल्ला नं0-यू.आई.आई. 082500/26893 का षव विच्छेदन पषु चिकित्साधिकारी पतारा कानपुर द्वारा नहीं किया गया है। अतः उपरोक्त साक्ष्यों से अभिकथित भैं की पहचान स्पश्ट नहीं होती है। यद्यपि विपक्षी सं0-2 की ओर से यह कहा गया है कि समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करने के पष्चात परिवादी का क्लेम विपक्षी सं0-2 बैंक आॅफ बड़ौदा के द्वारा विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी को भेजा गया था, किन्तु समस्त औपचारिकतायें पूर्ण थी या नहीं यह सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। विपक्षी सं0-2 के द्वारा भी कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह स्पश्ट होता हो कि अभिकथित भैंस का टैग विपक्षी बीमा कंपनी को भेजा गया था। जिससे यह स्पश्ट होता है कि परिवादी अभिकथित मृतक भैंस की पहचान सिद्ध करने में असफल रहा है।
उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस निर्णय पर पहुॅचता है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
11. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।
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आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।