Uttar Pradesh

Faizabad

CC/19/2012

Devideen Pandey - Complainant(s)

Versus

Nic - Opp.Party(s)

15 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/19/2012
 
1. Devideen Pandey
Bikapur Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Nic
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
    


    
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-19/2012

देवीदीन पाण्डेय पुत्र स्व0 राम बहादुर पाण्डेय निवासी ग्राम पलिया मलावन परगना पश्चिम राठ तहसील बीकापुर जिला फैजाबाद            .................... परिवादी

                    बनाम

1-    नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय 4101 वी स्क्वायर सिविल लाइन फैजाबाद द्वारा शाखा प्रबन्धक नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड फैजाबाद।
2-    नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड पंजीकृत कार्यालय 3 मिडलिटन स्टीट पोस्ट बाक्स संख्या 9229 कोलकता 70071                   .................... विपक्षीगण

निर्णय दि0 15.02.2016
                    निर्णय

उद्घोषित द्वारा-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
                                                    
    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध बीमित धनराशि एवं क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया  है। 

 

 

                          (  2  )
संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी वाहन संख्या यू.पी. 044एफ/0811 का पंजीकृत स्वामी है जो विपक्षीगण के कार्यालय से दि0 05.10.2004 को बीमित थी जो दि0 05.10.2004 से 04.10.2005 तक वैध था। दि0 16.4.2005 को रात्रि लगभग 11 बजे प्रश्नगत वाहन वाराणसी से चोरी हो गया जिसकी सूचना परिवादी ने दि0 17.4.2005 को थाना रामनगर वाराणसी में प्रथम सूचना दर्ज करने हेतु दिया परन्तु थाने द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी तो परिवादी को मजबूर होकर न्यायालय की शरण लेनी पड़ी जहाॅं से मुकदमा अपराध संख्या 133/06 सरकार बनाम अज्ञात धारा-379 भा0द0वि0 के तहत दि0 25.5.2005 को ए.सी.जे.एम. प्रथम वाराणसी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश पारित किया। विवेचक द्वारा अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित कर दिया गया जिस पर परिवादी के आपत्ति करने पर दि0 16.7.2009 को पुनः विवेचना करने का आदेश पारित किया गया जो विवेचक द्वारा अन्तिम रिपोर्ट संख्या 21ए/06 न्यायालय में प्रस्तुत की गयी जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए दि0 28.7.2011 को न्यायालय द्वारा पत्रावली दाखिल दफ्तर कर दिया गया। वाहन उपरोक्त के चोरी होने की सूचना परिवादी द्वारा मय समस्त कागजात विपक्षीगण को भी दी जा चुकी है परन्तु विपक्षीगण द्वारा काफी समय व्यतीत हो जाने के उपरान्त् भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी और न ही बीमित धनराशि ही परिवादी को प्रदान की गयी। दि0 09.3.2007 को परिवादी ने अधिवक्ता के जरिये विपक्षीगण को विधिक नोटिस भी दी गयी तत्पश्चात् दि0 17.8.2011 को कोई कार्यवाही न होने के कारण पुनः अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस प्रदान की गयी तब विपक्षी सं0-1 द्वारा समस्त कागजात माॅंगे जाने पर परिवादी ने उन्हें उपलब्ध कराया परन्तु पुनः कोई कार्यवाही विपक्षीगण द्वारा नहीं की गयी। इस प्रकार विवश होकर परिवादी को यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा।
विपक्षी ने परिवादी के परिवाद से इन्कार किया है और कहा है कि परिवादी का परिवाद भ्रामक है और सही तथ्यों को प्रेषित नहीं किया है। परिवादी का परिवाद संधारण योग्य नहीं है। परिवादी ने समय से सूचना विपक्षी को नहीं दिया है। परिवादी का परिवाद असत्य तथ्यों पर आधारित है जो खारिज किये जाने योग्य है। 

 


    (  3  )

मैं परिवाद में उपलब्ध साक्ष्य तथा परिवादी और विपक्षी के लिखित बहस का अवलोकन किया। इस परिवाद में निम्न बिन्दुओं पर विचार करना है किः-
1-    क्या परिवादी का ट्रक नं0-यू0पी0 044एफ/0811 वाणिज्यिक है?
परिवादी ने अपने परिवाद में वाहन चोरी की बात कही है लेकिन कौन सा वाहन चोरी हुआ कार चोरी कि ट्रक चोरी हुई इसका उल्लेख नहीं है। परिवादी की ओर से कागज सं0-4/10 अन्तिम रिपोर्ट स्वीकृत होने का आदेश दाखिल किया है। परिवादी के ट्रक चोरी के सम्बन्ध में विवेचना के उपरान्त् अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित की गयी। अन्तिम रिपोर्ट ए.सी.जे.एम. कोर्ट नं0-10 वाराणसी ने स्वीकृत किया जिसमें वाहन सं0-यू0पी0 44एफ/0811 ट्रक का पंजीकृत स्वामी था उल्लेख है। इस प्रकार ट्रक वाणिज्यिक श्रेणी का है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2(1)(डी) के स्पष्टीकरण के तहत यह वाणिज्यिक श्रेणी में आता है और वाणिज्यिक श्रेणी से सम्बन्धित किसी भी प्रकार के परिवाद की सुनवाई जिला उपभोक्ता फोरम को नहीं है। इस प्रकार इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार इस न्यायालय को नहीं है।
2-    क्या परिवादी का परिवाद समय विधान से बाधित है?
        परिवाद वाद कारण उत्पन्न होने के दो साल के अन्दर दायर होना चाहिए। परिवादी ने दि0 16.4.2005 को 11 बजे रात्रि में वाराणसी में चोरी हुआ। दि0 17.4.2005 को थाना रामनगर वाराणसी में एफ0आई0आर0 करने परिवादी गया। उसकी एफ0आई0आर0 नहीं लिखी गयी तब दि0 20.5.2005 को एस.एस.पी. को सूचना दिया। इसके बाद धारा-156 (3) दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने हेतु आवेदन किया। दि0 25.5.2005 को आदेश हुआ और दि0 04.7.2006 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई। विवेचना के उपरान्त् अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित हुई। परिवादी ने प्रोटेस्ट दाखिल किया। पुनः विवेचना का आदेश हुआ। दि0 28.7.2011 को अन्तिम रिपोर्ट स्वीकृत हुई। परिवादी ने परिवाद दि0 24.1.2012 को दायर किया। परिवादी ने बीमित ट्रक की धनराशि हेतु दि0 09.3.2007 को प्रथम नोटिस तथा दि0 17.8.2011 को दूसरी नोटिस विपक्षी को दिया लेकिन विपक्षी ने कोई भुगतान नहीं किया। जब किसी का  भुगतान  बीमा कम्पनी नहीं करता है वह विवाद बना रहता है तो विवाद बने रहने 

 


                        (  4  )

पर यह नहीं कहा जायेगा कि परिवादी ने दो साल के अन्दर परिवाद योजित नहीं किया है। इस प्रकार परिवादी को कोई बीमित धनराशि विपक्षी ने नहीं दी है। इस प्रकार परिवाद का परिवाद समय विधान से बाधित नहीं है।
3-    क्या परिवादी ने विपक्षी को ट्रक के चोरी हो जाने के क्लेम के सम्बन्ध में तुरन्त सूचना नहीं दिया है?
        परिवादी का ट्रक दि0 16.4.2005 को 11 बजे रात्रि में वाराणसी से चोरी हो गया। परिवादी द्वारा विपक्षी को ट्रक चोरी होने के सम्बन्ध में तुरन्त सूचना देनी चाहिए। विपक्षी की ओर से सम्माननीय राष्ट्रीय आयोग की नजीर न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम त्रिलोचन जने फस्र्ट अपील नं0-321/2005 निर्णय दि0 09.12.2009 को प्रेषित किया। इस नजीर में सूचना देने के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से विचार किया गया है। इस नजीर में 09 दिन बाद सूचना दी गयी थी तथा इस नजीर में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया कि चोरी की सूचना 24 घण्टे के अन्दर दे देनी चाहिए तथा ट्रक से सम्बन्धित कागजात भी उपलब्ध करा देना चाहिए। परिवादी ने विपक्षी को चोरी होने की सूचना तुरन्त देने के सम्बन्ध में कहा है लेकिन कोई लिखित कागजात दाखिल नहीं किया। परिवादी की प्रथम सूचना रिपोर्ट समय से नहीं लिखी गयी। न्यायालय के आदेश से दि0 04.7.2005 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई दि0 16.7.2005 को अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित हुई। दि0 28.7.2011 को अन्तिम रिपोर्ट स्वीकृत हुई। परिवादी ने समय से विपक्षी कम्पनी को सूचना नहीं दिया है। विपक्षी द्वारा क्लेम देने के सम्बन्ध में पालिसी की प्रति, ड्राईविंग लाइसेन्स, आर0सी0 की प्रति, एफ0आई0आर0 की प्रति, दावा फार्म तथा पुलिस फाइनल रिपोर्ट, गाड़ी की चाभियाॅं, आर0टी0ओ0 को सूचना देने की छायाप्रति, सरेन्डर स्लिप, शाखा कार्यालय को दिये गये कागजातों की प्राप्ति रसीद, परमिट की छायाप्रति, फिटनेस की छायाप्रति की माॅंग किया है जो कागज सं0-6/3 है। परिवादी ने यह कागजात भी विपक्षी को उपलब्ध नहीं कराये। इस प्रकार परिवादी को चोरी की सूचना, पालिसी की प्रति, ड्राईविंग लाइसेन्स, गाड़ी की चाभियाॅं विपक्षी के यहाॅं कम से कम उपलब्ध करा देनी चाहिए थी। शेष कागजात बाद में उपलब्ध करा देता लेकिन परिवादी ने इस कार्य में ढिलाई बरती है। इसमें विपक्षी की कोई कमी नहीं है। विपक्षी को सभी कागजात एवं सूचना समय से उपलब्ध नहीं कराया। पुलिस  विवेचना के आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुॅंचता हूॅं कि परिवादी का 

 


                        ( 5 )

परिवाद वाणिज्यिक श्रेणी ट्रक के क्लेम के सम्बन्ध में आता है जो उपभोक्ता न्यायालय द्वारा स्वीकृत नहीं किया जा सकता है। परिवादी ने विपक्षी को समय सूचना नहीं दिया है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।

             आदेश            
        परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।     

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष     

निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 15.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया  गया।

        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष    

 

 

 


    

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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