जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 102/2013
भंवरलाल पुत्र श्री नानूराम जाति जाट निवासी ग्राम पोस्ट बालेरा तहसील सुजानगढ जिला चूरू
......परिवादी
बनाम
1. नेषनल इंष्योरेस कम्पनी लिमिटैड, जरिये शाखा प्रबंधक नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी आलोक सिनेमा के पास चूरू
......अप्रार्थी
दिनांक- 26.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री पंकज सिंह एडवोकेट - परिवादी की ओर से
2. श्री धीरेन्द्र सिंह राठौड़ एडवोकेट - अप्रार्थी की ओर से
1. परिवादी ने अपना परिवाद पेश कर बताया कि परिवादी ट्रक (ओपन बाॅडी) नं. आर जे 10 जी ए 1684 का रजिस्टर्ड स्वामी है। परिवादी ने उक्त हैवी गुडा व्हीकल का विस्तृत बीमा 10,80,000/-रू के लिए उतरवादी बीमा कम्पनी से दिनांक 08.04.2011 से 07.04.2012 तक की अवधी के लिए करवा रखा था। परिवादी द्वारा अपना उक्त वाहन स्वरोजगार के लिए लिया गया था एवं स्वरोजगार हेतु ही प्रयोग किया जा रहा था परिवादी को जारी की गई बीमा कम्पनी पाॅलिसी का नम्बंर 3711013111630000095 था। इस प्रकार से उतरवादी बीमा कम्पनी व परिवादी के मध्य सेवाप्रदाता एवं उपभोक्ता का सम्बंध रहा है। इस बीमा सविंदा के अनुसार दिनांक 08.04.2011 से 07.04.2012 तक की अवधी में परिवादी के वाहन मे दुर्घटना स्वरूप होने वाली क्षति की क्षतिपूर्ति करने का उतरदायित्व उतरदाता बीमा कम्पनी का था। दिनांक 16.03.2012 को परिवादी का वाहन उसका चालक भगवानाराम डुंगरास आथुणा से बालेरा लेकर जा रहा था तो रास्ते मे रूधिया घाट के पास डंपर को साईड देने के चक्कर मे उक्त वाहन पलटा खा गया जिससे परिवादी के उक्त वाहन सं. आर जे 10 जी ए 1684 दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादी ने दुर्घटना की सूचना तुरन्त बीमा क्मपनी को दी गयी जिस पर बीमा कम्पनी द्वारा पवनकुमार शर्मा को स्पाॅट सर्वेयर को सर्वे के लिए दिनांक 18.03.2012 को भेजा गया जिनके द्वारा वाहन का स्पोट सर्वे किया गया। स्पोट सर्वे के पष्चात उतरवादी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को निर्देषित किया गया कि वाहन का घटनास्थल से उठा कर उसकी रिपेयर करवायी जाकर उसके रिपेयर पर होने वाले समस्त खर्चे के बिल बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत कर दिये जावे जिनका भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा कर दिया जावेगा।
2. आगे परिवादी ने बताया कि परिवादी ने बीमा कम्पनी के निर्देषानुसार अपने क्षतिग्रस्त वाहन का रिपेयर करवा एवं उस पर लगे खर्चे का समस्त भुगतान स्वयं द्वारा किया गया एवं उसके बिल प्राप्त करके समस्त बिल बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किये एवं भुगतान करने हेतु निवेदन किया। परिवादी को अपने वाहन की रिपेयर पर कुल 2,52,500/- का खर्चा करना पडा जिसके बिल बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत कर दिये गये। बीमा कम्पनी द्वारा अपनी मनमर्जी से क्षति का अंकन किया गया एवं 2,52,500 रू के पेटे मात्र 27027 रू की क्षति होना माना एवं 27027 रू के लिए हानि वाउचर भिजवाया गया जिस पर परिवादी ने अपे हस्ताक्षर करके भिजवाने से इन्कार कर दिया। परिवादी ने बीमा कम्पनी के समक्ष अपना पक्ष रखा एवं निवेदन किया कि आप मुझे मेरे वाहन की दुर्घटना स्वरूप हुई क्षति को दुरूस्त करवाने में लगे समस्त खर्चो का भुगतान करें तो बीमा कम्पनी ने दो टुक शब्दो मे कह दिया कि हमारे अधिकृत इंजिनियर ने महज 27,027 रू का नुकसान होना अंाकलित किया है और हम सिर्फ 27027 रू का भुगतान ही आपको कर सकते है इस प्रकार से उतरवादी बीमा कम्पनी का कृत्य सेवा दोष की तारीफ मे आता है। बीमा कम्पनी ने इंजिनियर द्वारा एक तरफा बीमा कम्पनी के हित में सर्वे रिपोर्ट तैयार की गयी है बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर को प्रतिपल का भुगतान किया जाता है जिस कारण से सर्वेयर बीमा कम्पनी के हित मे ही अपनी सर्वे रिपोर्ट तैयार करता है। बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को पहले तो मुगलाते मे रख कर वाहन को रिपेयर करवा लिया तो उतरवादी बीमा कम्पनी अपने वायदे से मुकर गयी। इस प्रकार से बीमा कम्पनी का कृत्य अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि की श्रेणी में आता है।
3. आगे परिवादी ने बताया कि परिवादी के वाहहन की आई डी बी 10,8000रू थी एवं 10,800,000रू आई डी वी हा व्हीकल पलटा जाने एवं पलटा चाा जाने पर उसे महज 27,027 रू का ही नुकसान हो ऐसा कथन कतई विष्वास किये जाने योग्य नही हैं बीमा कम्पनी के स्पोट सर्वेयर पवन कुमार शर्मा ने अपनी सर्वे रिपोर्ट मे यह माना है कि वाहन का चेसिस ब्रैक्ड/ बैडली तोे ऐसी स्थिती मे चेसिस की रिपेयर ही 27027 रू मे होना सम्भव नही है इससे स्पष्ट है कि बीमा कम्पनी के हित मे सर्वे रिपोर्ट तैयार की गयी है। परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी के समक्ष उक्त सर्वे रिपोर्ट बाबत आपति की गई जिसे बीमा कम्पनी द्वारा खारिज कर दिया गया जिस कारण परिवादी द्वारा श्रीमानजी के समक्ष यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया जा रहा है। बीमा कम्पनी के इंजिनियर द्वारा तैयार सर्वे रिपोर्ट निरस्त की जाकर परिवादी को वास्तविक नुकसान की क्षतिपूर्ति हेतु 2,52,500 रू बीमा कम्पनी से दिलवायी जावें। परिवादी ने 2,52,500 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
4. अप्रार्थी ने परिवादी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि उतरदाता बीमा कम्पनी के यहां से पोलिसी संख्या 371101ध्31ध्11ध् 6300000095 त्ंउ ब्ींदकतं ैध्व क्ींदं त्ंउ के नाम से दिनांक 08-04-2011 की अवधि से 07-04-2012 की अवधि के लिये गुडस कैयरिगं कोमर्सियल व्हीकल पैकेज पोलिसी ट्रक जिसके इंजिन नम्बर 421025 चैसिस नम्बर 243708 एवं वाहन संख्या त्श्र10ब्।1684 है का गुडस कैयरिगं कोमर्सियल व्हीकल पैकेज पोलिसी के तहत बीमा पोलिसी मे अंकित शर्तो एवं नियमो के तहत बीमा किया गया था जो पोलिसी भवर लाल के नाम से दिनांक 07-06-2011 को ट्रंासफर कर दी गयी थी। इस वाहन के दिनांक 16-03-2012 की तिथि को दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना उतरदाता बीमा कम्पनी को प्राप्त होते ही बीमा कम्पनी द्वारा उक्त दावा दर्ज कर वाहन का स्पोट सर्वे श्री पवन कुमार शर्मा सर्वेयर से करवाया तथा वाहन मे हुई क्षति का आंकलन करवाने हेतु भारत सरकार के बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तथा अनुभवी हानि निर्धारक श्री हुसैन सहिद को सर्वेयर नियुक्त किया जिन्होने दिनांक 22-03-2012 को वर्कसोप बीदासर जहां परिवादी ने वाहन मरम्मत हेतु शिफ्ट किया था वहां पहुंच कर वाहन को खुलवाकर वाहन मे हुई क्षति का आंकलन किया वाहन का री-इन्शपेक्सन दिनांक 19-04-2012 को किया और उनके द्वारा बीमा कम्पनी को जो सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी उसके अनुसार कुल 30,317/- रू की क्षति होना पाया गया जो जांच रिपोर्ट जवाब के साथ प्रस्तुत की जा रही है । परिवादी के वाहन की सर्वेयर रिपोर्ट आने के बाद बीमा कम्पनी द्वारा दावे के निस्तारण हेतु परिवादी से अपने पत्र दिनांकित 30-07-2012 के जरिये बैंक खाते का विवरण एवं रशीदी टिकट लगाकर हानि बाऊचर हस्ताक्षर कर भिजवाने हेतु सूचित किया परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा मांगा गया हानि बाऊचर परिवादी द्वारा नही भिजवाया गया जिस पर बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 27-08-2012 और 18-09-2012 को पुनरू पत्र लिखकर दस्तावेज भिजवाने हेतु निवेदन किया गया परन्तु परिवादी ने अपने दावे मे कोई रूचि नही दिखाई चुकि बीमा कम्पनी लम्बे समय तक दावे को लम्बित नही रख सकती इसलिये आवश्यक दस्तावेजात के अभाव मे परिवादी की दावा पत्रावली बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 31-10-2012 को बन्द कर दी गयी जिसकी सूचना परिवादी को पंजीकृत डाक से प्रेषित कर दी गयी थी । जो कार्यवाही पोलिसी की शर्तो के अधीन की गयी कार्यवाही है । इसलिये बीमा कम्पनी द्वारा किसी भी प्रकार से सेवा मे कमी एवं अस्वच्छ व्यापार नही किया गया है परिवादी बीमा कम्पनी किसी भी प्रकार की कोई राशि प्राप्त करने का अधिकारी नही है।
5. आगे जवाब दिया कि परिवादी ने माननीय मंच के समक्ष जो परिवाद प्रस्तुत किया है उसमे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सर्वेयर को बीमा कम्पनी का हित व्यक्ति बताया है जबकि सर्वेयर बीमा कम्पनी से हितवद नही है बल्कि प्त्क्। से लाईसेंस होल्डर सर्वेयर है जिनकी रिपोर्ट पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण नही है। परिवादी ने गलत तथ्यो का परिवाद प्रस्तुत किया है सर्वेयर रिपोर्ट के खण्डन मे परिवादी द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नही की गयी है इसलिये सर्वेयर रिपोर्ट को नहीं माने जाने का कोई कारण नही है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।
6. परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 31.10.2012, 18.09.2012, 27.08.2012, 30.07.2012, 21.03.2012, क्लेम प्रपत्र, हानि वाउचर, मरम्मत के बिल कुल 7, स्पोट सर्वे रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है। अप्रार्थी की ओर से अशोक खण्डेलवाल का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 31.10.2012, 18.09.2012, 27.08.2012, 30.07.2012, क्लेम प्रपत्र, सर्वेयर रिपोर्ट, पोलिसी की प्रति दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है।
7. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
8. परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यही दिया कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी को उसके वाहन की क्षतिपूर्ति स्वरूप केवल 27,027 रूपये देना चाहती है। जबकि अप्रार्थी के सर्वे स्वंय ने परिवादी के वाहन की कुल क्षति 30,317 रूपये अंकित की है। परिवादी अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि अप्रार्थी के सर्वेयर ने दुर्घटना के दौरान हाइड्रोलिक जैक को क्षतिग्रस्त होना माना है जबकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा हाइड्रोलिक जैक के रूप में कोई भी राशि परिवादी को नहीं दी। इसलिए परिवादी सर्वेयर द्वारा आंकी गयी 30,317 रूपये के अतिरिक्त हाइड्रोलिक जैक की राशि 65,000 रूपये भी प्राप्त करने का अधिकारी है। अप्रार्थी ने परिवादी को उसके वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर मनमर्जी तरीके से परिवादी द्वारा नुकसानी के समस्त बिल देने के बावजूद हाइड्रोलिक जैक की राशि क्षति में शामिल न कर सेवादोष किया है। इसलिए परिवादी अधिवक्ता ने बहस के दौरान सर्वेयर के द्वारा आंकी गयी राशि 30,317 रूपये के साथ हाइड्रोलिक जैक की राशि 65,000 रूपये भी दिलाने का तर्क दिया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवादी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यह दिया कि वास्तव में परिवादी के वाहन संख्या आर.जे. 10 जी.ए. 1684 की दुर्घटना में कुल क्षति 30,317 रूपये ही अप्रार्थी के सर्वेयर द्वारा आंकी गयी थी। परिवादी को उक्त राशि देने हेतु अप्रार्थी ने बैंक खाते का विवरण व हानि वाउचर हस्ताक्षर कर भिजवाने हेतु अनेक पत्र दिये गये परन्तु परिवादी के द्वारा किसी भी पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया और ना ही हानि वाउचर हस्ताक्षरित कर भिजवाये गये। आखिरकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी के असहयोगात्मक रवैये के कारण परिवादी के बीमा क्लेम की पत्रावली बन्द कर दी। अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त आधारों पर तर्क दिया कि बीमा कम्पनी का कोई दोष नहीं है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी आज भी सर्वेयर द्वारा आंकी गयी राशि आज भी अदा करने को तैयार है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
9. हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के वाहन संख्या आर.जे. 10 जी.ए. 1684 का बीमा किया जाना, बीमित अवधि में ही परिवादी का वाहन दिनांक 16.03.2012 को दुर्घटनाग्रस्त होना व दिनांक 31.10.2012 को परिवादी के वाहन के बीमा क्लेम की पत्रावली बन्द किया जाना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु केवल यह है कि क्या परिवादी अपने वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सर्वेयर द्वारा आंकी गयी राशि के साथ हाइड्रोलिक जैक की राशि भी प्राप्त करने का अधिकारी है? अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि परिवादी के वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कम्पनी के निष्पक्ष सर्वेयर हुसैन सहिद को सर्वेयर नियुक्त किया गया जिसके द्वारा परिवादी के वाहन की कुल क्षति 30,317 रूपये होना पाया था। बहस के दौरान अप्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान सर्वेयर की रिपोर्ट दिनांक 01.06.2012 की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में परिवादी के वाहन की कुल क्षति 30317 रूपये आंकी है। सर्वेयर ने मुख्य रूप से अपनी रिपोर्ट में चैनल आयरन सीट, चैसिस चैनल, साईड बाॅडी बैंण्ड, आयरन एंगल एण्ड सीट मैटल, जैक फिटिंग लेबल, इलेक्ट्रीक बेल्डिंग को रिपेयर योग्य बताया है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त सर्वेयर रिपेार्ट के आधार पर तर्क दिया कि परिवादी ने सर्वेयर की उक्त रिपेार्ट के खण्डन में कोई ऐसा साक्ष्य पेश नहीं किया जिससे यह साबित हो कि परिवादी के वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर हाइड्रोलिक जैक की भी क्षति पहुंची हो। अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर तर्क दिया कि परिवादी सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार ही 30317 रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है जो स्वंय परिवादी प्राप्त नहीं करना चाहता। अप्रार्थी का कोई सेवादोष नहीं है इसलिए परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
10. परिवादी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया। अपनी बहस के समर्थन में परिवादी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर पवन कुमार शर्मा जिसके द्वारा स्पोट सर्वेयर किया गया था कि और ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। सर्वेयर पवन कुमार ने अपनी रिपोर्ट में परिवादी के वाहन में मुख्य क्षतिग्रस्त पार्टस के रूप में रियर साईड ग्लास केबिन, लोड बाॅडी, लीप स्प्रींग फर्टं एल.एच.एण्ड आर.एच., साफ्ट हाइड्रोलिक और चैसिस अंकित किये है। परिवादी अधिवक्ता ने उक्त रिपोर्ट के अतिरिक्त अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर हुसैन सहिद की रिपोर्ट की ओर ध्यान दिलाया उक्त सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में हाइड्रोलिक जैक को क्षतिग्रस्त दिखाते हुए नोट रिलेटेड, नोट अलाउड दिखाया है। हुसैन सहिद ने अपनी रिपोर्ट के अन्त में टिप्पणी के रूप में क्रम संख्या 4 पर परिवादी के वाहन का रिइन्स्पेक्शन दिनांक 19.04.2012 को करना बताया है। रिइन्स्पेक्शन में सर्वेयर ने यह स्पष्ट अंकित किया है कि परिवादी के वाहन में हाइड्रोलिक जैक बदला गया है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी के उक्त दोनों सर्वेयर रिपोर्ट से यह तथ्य तो साबित है कि परिवादी के वाहन के हाइड्रोलिक जैक को क्षति पहुंची थी। परन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने हाइड्रोलिक जैक की क्षति के रूप में कोई भी राशि परिवादी को अदा नहीं की। अप्रार्थी अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि परिवादी ने सर्वेयर की रिपोर्ट में खण्डन स्वरूप कोई ऐसी साक्ष्य पेश नहीं की इसलिए सर्वेयर की रिपोर्ट ही अन्तिम रिपोर्ट है जिसको नहीं मानने का कोई आधार नहीं है। परिवादी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि परिवादी ने अप्रार्थी सर्वेयर के रिपोर्ट के खण्डन स्वरूप जितेन्द्र कुमार एण्ड कम्पनी के इन्वोयस पेश की है। जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त जितेन्द्र कुमार एण्ड कम्पनी के द्वारा दिनांक 02.04.2012 को परिवादी को हाइड्रोलिक जैक 129 हाईवा के पेटे 65,000 रूपये वैट सहित 68,250 रूपये प्राप्त किया जाना अंकित किया है। विधि अनुसार सर्वेयर की रिपोर्ट अन्तिम रिपोर्ट होती है जबतक की उसके खण्डन में कोई साक्ष्य नहीं हो। परन्तु वर्तमान प्रकरण में परिवादी ने सर्वेयर रिपोर्ट के खण्डन स्वरूप जितेन्द्र कुमार एण्ड कम्पनी का बिल प्रस्तुत किया है और अप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा अपने सर्वेयर की रिपोर्ट के सम्बंध में सर्वेयर का कोई शपथ-पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया इसलिए सर्वेयर की रिपोर्ट अप्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों अनुसार अन्तिम नहीं हो सकती है। परिवादी व अप्रार्थी स्वंय के दस्तावेजों से स्पष्ट है कि परिवादी के वाहन में हाइड्रोलिक जैक क्षतिग्रस्त हुआ है जिसकी राशि सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में अंकित नहीं की।
11. परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि परिवादी हाइड्रोलिक जैक की राशि 65000 रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने परिवादी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया। हाइड्रोलिक जैक के सम्बंध में किसी भी पक्षकार द्वारा ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गयी कि हाइड्रोलिक जैक क्षतिग्रस्त कितनी प्रतिशत हुआ है व रिपेयर योग्य है या नहीं सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में यह अवश्य अंकित किया है कि हाइड्रोलिक जैक बदला गया है क्षतिग्रस्त हाइड्रोलिक जैक जो कि सोलवेज के रूप में परिवादी के पास है उसकी कीम्मत क्या है? ऐसा भी कोई दस्तावेज पत्रावली पर किसी भी पक्षकार द्वारा पेश नहीं किया गया और ना ही बहस के दौरान ऐसा कोई तर्क पक्षकारान द्वारा दिया गया इसलिए मंच की राय में परिवादी हाइड्रोलिक जैक की मूल राशि 65,000 रूपये में से 15 प्रतिशत डेप्रीसियेशन कम करने के बाद 55,250 रूपये प्राप्त करने का अधिकारी होगा क्योंकि परिवादी का प्रश्नगत वाहन मात्र एक वर्ष पुराना है जिस पर नियमानुसार 15 प्रतिशत डेप्रीसियेशन राशि कम किया जाना उचित है। इस प्रकार परिवादी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपने वाहन के दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने पर हाइड्रोलिक जैक के 55,250 रूपये व सर्वेयर के द्वारा आंकी गयी राशि 30,317 रूपये कुल क्षति 85,567 रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है। अप्रार्थी द्वारा परिवादी का वाहन बीमित अवधि में ही दुर्घटनाग्रस्त होने पर वास्तविक क्षति का निर्धारण सही रूप से न कर क्लेम अदा न करना अप्रार्थी का सेवादेाष है इसलिए परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
अतः परिवादी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर उसे मंच द्वारा निम्न अनुतोष दिया जा रहा है।
(क.) अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को उसके वाहन ट्रक सख्ंया संख्या आर.जे. 10 जी.ए. 1684 के दुर्घटनाग्रस्त होने पर राशि 85,567 रूपये अदा करेगा व उक्त राशि पर सर्वे रिपेार्ट दिनांक 01.06.2012 के ठीक 3 माह बाद दिनांक 31.08.2012 से 9 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय सी.पी.जे. 2008 (4) 87 एन0सी0 नेशनल इन्शोरेन्स कम्पनी बनाम गोविन्द चन्द नायक की रोशनी में ताअदायगी तक अदा करेगा।
(ख.) अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को 5,000 रूपये परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करेंगे। प्रश्नगत वाहन का क्षतिग्रस्त हाईड्रोलिक जैक परिवादी उक्त राशि प्राप्ति के समय अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सुपुर्द करेगा।
अप्रार्थी को आदेष दिया जाता है कि वह उक्त आदेष की पालना आदेष कि दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेंगे।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 26.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष