Rajasthan

Churu

149/2013

SAMUDAYIK SAVASTHYA KENDRA - Complainant(s)

Versus

NIC CHURU - Opp.Party(s)

Dhanna Ram saini

22 Dec 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
 
परिवाद संख्या-   149/2013
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तारानगर जिला चूरू जरिये प्रभारी अधिकारी डाॅक्टर महेश कुमार पुत्र श्री भागीरथ बलाई जाति बलाई निवासी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तारानगर जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
 
1.    नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, आलोक सिनेमा के पास चूरू जरिए शाखा प्रबन्धक                                                 
......अप्रार्थी
दिनांक-   06.04.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री धन्नाराम सैनी एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2.    श्री धीरेन्द्र सिंह एडवोकेट   - अप्रार्थी की ओर से
 
 
1.    प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि एम्बुलेन्स नम्बर आर.जे.10 पी. ए. 2734 का प्रार्थी रजिस्टर्ड मालिक है जिसके इंजन नंम्बर 241531 है। चैचिस नंम्बर एम. ए. 3 ई. वी. वी. 11 एस. 01198625 है। उक्त वाहन अप्रार्थी के यहां से दिनांक 26.04.2010 से बिमीत है तथा बीमा अवधी दिनांक 26.04.2010 से 25.04.2011 मध्य रात्रि तक है। उक्त वाहन बीमा पाॅलीसी संख्या 011112110080731 है तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी से उक्त बीमा पाॅलीसी के 3894 रूपये प्रीमियम के जमा लिये थे और प्रार्थी को बीमा पाॅलीसी जारी की थी। बिमित अवधी में ही दिनंाक 10.10.2011 उक्त वाहन दुर्घटना प्रार्थी की उक्त एम्बुलेन्स नम्बर आर.जे.10 पी. ए. 2734 बीमित अवधि में ही दिनांक 10.10.2010 को दुर्घटनाग्रस्त हो गई दुर्घटना के समय एम्बुलेन्स का ड्राईवर नरेश कुमार था जो उक्त वाहन को चला रहा था। दिनंाक 11.10.2010 को उक्त दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाना सरदारशहर में दर्ज करवाई गई थी। किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी उतरदायी रही है। प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी उक्त दुर्घटना की सूचना अविलम्ब दे दी गई थी तथा अप्रार्थी द्वारा उक्त वाहन के सर्वे हेतु सर्वेयर नियुक्त किया गया था तथा अप्रार्थी के सर्वेयर द्वारा ए. बी. एस. मोटर चूरू के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत हेतु सर्वे किया गया था। सर्वेयर को वाहन की मरम्मत हेतु 1,64,972 रूपये का एस्टीमेन्ट प्रस्तुत किया गया था प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन से सम्बन्धित सभी दस्तावेजात रजिस्ट्रेशन इन्श्योरेन्स ड्राईविंग लाईसेन्स आदि जमा करवा दिये गये थे तथा सर्वेयर को सम्बन्धित कागजात प्रस्तुत कर दिये गये थें। उक्त वाहन का मरम्मत कार्य जारी था। इसी दौरान दिनांक 24.08.2011 को जारी किया हुआ एक पत्र प्रार्थी को मिला जिसमें अंकित किया गया है कि गांड़ी को री-इन्श्योरेन्स हेतु प्रस्तुत नहीं किया, उपरोक्त वाहन वाणिज्यक श्रेणी में आता है। जबकि चालक नरेश कुमार का ड़ी. एल. एल. एल. एम. वी. (एन. टी.) का बना हुआ है। जो कि उपरोक्त वाहन को चलाने के लिये वैध नहीं है। दावा भुगतान योग्य नहीं है। जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि चालक नरेश कुमार के पास वरवक्त दुर्घटना वैध लाईसेेंस रहा है। चालक नरेश कुमार को दिनांक 05.08.1998 से 17.12.2017 तक हल्का मोटर वाहन चलाने का लाईसेंस जिला परिवहन अधिकारी चूरू द्वारा जारी किया हुआ है। जिसकी लाईसेंस संख्या 25540 है। वाहन संख्या आर. जे. 10 पी. ए. 2734 बी. हल्के वाहन की श्रेणी मे ही आता है। इस कारण चालक नरेश कुमार के पास अधिकृत वैध ड्राईविंग लाईसेंस है। प्रश्नगत वाहन संख्या आर. जे. 10 पी. ए. 2734 का वजन 1285 के. जी. है। जबकि 6,000 के. जी. तक के सभी वाहन एल. एल. एम. वी. की ही श्रेणी में आते है तथा हल्का मोटर वाहन चलाने के लिए किसी प्रकार के विशिष्ट आथोराईजेशन की भी आवश्यकता नहीं है।
2.    आगे प्रार्थी ने बताया कि उक्त वाहन की रिपेयर दिनांक 28.08.12 को सम्पन हो चुकी है तथा प्रार्थी द्वारा 97645 रूपये ए. बी. एस. मोटर्स चूरू को अदा कर दिये गये है तथा उक्त वाहन रि-इन्स्पेक्शन हेतु भी तैयार है। कभी उसकी जांच की जा सकती है तथा वास्तविक स्थिति की जांच किये बगैर ही उक्त बीमा क्लेम खारिज कर दिया गया है। अप्रार्थी द्वारा मेकेनिकल वे में जाकर उक्त बीमा क्लेम खारिज किया गया है। जबकि गुणदोष पर उक्त प्रकरण का निस्तारण नहीं किया गया है। अप्रार्थी का दायित्व था कि वो प्रार्थी को उक्त बीमा क्लेम का भुगतान करते। आज तक उक्त बीमा क्लेम का भुगतान नही किया जाना अप्रार्थी द्वारा दी जा रही सेवा में गम्भीर त्रुटि है तथा अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। प्रार्थी द्वारा बार बार निवेदन करने पर भी कोई सुनवाई नहीं करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों के विरूद्ध है। इसलिए प्रार्थी ने एम्बुलेन्स की मरम्मत की राशि 97,645 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
3.    अप्रार्थी ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश कर बताया कि उतरदाता बीमा कम्पनी के यहां से पोलिसी संख्या ड111112110080731 श्री प्रभारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तारानगर के नाम से दिनांक 26.04.2010 की अवधि से 25.04.2011 की अवधि के लिये एम्बुलेंश जिसके इंजिन नम्बर थ्8ठप्छ4241531 चैसिस नम्बर ड।3म्टठ 11ै01198625 एवं वाहन संख्या त्श्र 10 च्। 2734 है का एम्बुलेंश कोमर्शियल व्हीकल पालिसी एवं पैकेज के तहत बीमा कम्पनी मे अंकित शर्तो एवं नियमो के तहत बीमा किया गया था इस वाहन के दिनांक 10-10-2010 की तिथि को दुर्घटना ग्रस्त हो जाने की सूचना उतरदाता बीमा कम्पनी को दी गई। बीमा कम्पनी को प्रार्थी के वाहन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की सूचना प्राप्त होते ही बीमा कम्पनी द्वारा उक्त वाहन का दावा दर्ज कर वाहन मे हुई क्षति का आंकलन करने हेतु भारत सरकार के बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त अनुभवी एवं निष्पक्ष हानि निर्धारक सर्वेयर श्री प्रेमरतन अग्रवाल को सर्वेयर नियुक्त किया जिन्होने दिनांक 12.11.2010 को जहां प्रार्थी ने वाहन मरम्मत हेतु शिफ्ट किया था उस स्थान पर पहुंच कर वाहन को खुलवाकर वाहन मे हुई क्षति का वास्तविक आंकलन किया और दिनाक 25.01.2011 को बीमा कम्पनी के कार्यालय मे अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे उन्होने इस वाहन मे कुल क्षति 96959ण्15 रू की होनी मानी जो जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है।
4.    आगे अप्रार्थी ने जवाब दिया कि आवेदक ने माननीय मंच से वास्तविक तथ्य छिपाये है दावे के निस्तारण हेतु बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी को वाहन की मरम्मत होने के बाद त्म.पदेचमबजपवद करवाने, गाडी रिपेयरिंग के बील एवं रशीदे प्रस्तुत करने हेतु दिनांक 23.02.2011 एवं 16.03.2011 को पत्र लिखे परन्तु प्रार्थी ने बीमा कम्पनी के यहां मांगे गये दस्तावेजात प्रस्तुत नही किये और न ही गाडी को त्म.पदेचमबजपवद हेतु प्रस्तुत किया जिस पर बीमा कम्पनी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत दावे का निस्तारण करने हेतु दुर्घटना के समय वाहन पर नियुक्त चालक नरेश कुमार के डी एल का अवलोकन किया तो उसके पास केवल मात्र स्डट;छज्द्ध(हल्का मोटरयान गैर वाणिज्यिक श्रेणी अथार्त नीजि वाहन चलाने का) डी एल होना पाया गया जबकि उक्त एम्बुलेंश एक कोमर्शियल व्हीकल है जिसका परिवहन विभाग से भी यात्री कोमर्शियल वाहन के रूप मे पंजीयन है तथा इसी अनुरूप बीमा कम्पनी द्वारा कोमर्शियल व्हीकल के रूप मे इसका बीमा किया गया है जिसको चलाने के लिये “परिवहनयान” की श्रेणी का डी एल होना आवश्यक होता है जो नरेशकुमार के पास नही था इसलिये बीमा पोलिसी के ड्राईवर क्लोज का विलफुल उल्लंघन होने से दिनांक 24.08.2011 को उत्त्तरदाता द्वारा बीमा पोलिसी मे अंकित शर्तो एवं नियमो के तहत तथा मोटरवाहन कानून के प्रावधानो के अनुसार प्रार्थी का दावा भुगतान योग्य नही होने से खारिज कर दिया गया जिसकी सूचना प्रार्थी को पंजीक्रत डाक से प्रेषित कर दी गयी थी। इस परिवाद मे प्रार्थी ने जो तथ्य दर्ज करवाये है वो माने जाने योग्य नही है परिवहनयान को चलाने के लिये ट्रांसपोर्ट व्हीकल का डी एल होना आवश्यक होता है। इसलिये प्रार्थी बीमा कम्पनी से किसी प्रकार की राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। पोलिसी के ड्राईवर क्लाॅज इस प्रकार है-ष्।दल चमतेवद पदबसनकपदह जीम पदेनतमक चतवअपकमक जीज ं चमतेवद कतपअपदह ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम ंज जीम जपउम व िंबबपकमदज ंदक पे दवज कपेुनंसपपिमक तिवउ ीवसकपदह वत वइजंपदह ेनबी ं सपबमदेमण् च्तवअपकमक ंसेव जींज जीम चमतेवद ीवसकपदह ंद मििमबजपअम समंतदमते सपबमदेम उंल ंसेव कतपअम जीम अमीपबसम ंदक जींज ेपबी ं चमतेवद ेंजपेपिमे जीम तमुनपतउमदजे व ितनसम 3 व िब्मदजतंस डवजमत टमीपबसम त्नसमे 1989ण्ष् इसी प्रकार मोटर वाहन कानून की धारा 3 के अनुसार ष् छमबमेेपजल व िकतपअपदह सपबमदेम ;1द्ध छव चमतेवद ेीमसस कतपअम ं उवजमत अमीपबसम पदंदल चनइसपब चंसबम नदसमेे ीम ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम पेेनमक जव ीपउ ंनजीवतपेपदह ीपउ जव कतपअम जीम अमीपबसमय ंदक दव चमतेवद ेींसस ेव कतपअम ं जतंदेचवतज अमीपबसम वजीमत जींद ं उवजवत बंइ वत उवजवतबलबसम ीपतमक वित ीपे वूद नेम वत तमदजमक नदकमत ंदल ेबीमउम उंकम नदकमत ेनइेमबजपवद ;2द्ध व िैमबण् 75 नदसमेे ीपे कतपअपदह सपबमदेपदह ेचमबपपिबंससल मदजपजसमे ीपउ ेव जव कवण् ;2द्ध ज्ीम बवदकपजपवदे ेनइरमबज जव ूीपबी ेनइेमबजपवद ;1द्ध ेींसस दवज ंचचसल जव ं चमतेवद तमबमपअपदह पदेजतनबजपवदे पद कतपअपदह ं उवजवत अमीपबसम ेींसस इम ेनबी ंे उंल इम चतमेबतपइमक इल जीम ब्मदजतंस ळवअमतदउमदजण्श्श् अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।
5.    प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, खण्डन शपथ-पत्र, प्रदर्स सी 1 से सी 10 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी की ओर से के.के. पुरोहित का शपथ-पत्र, सर्वेयर प्रेम रतन का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 24.08.2011, मोटरदावा की सूचना, सर्वेयर की रिपोर्ट, डी.एल. की प्रति दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
6.    पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
7.    प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी के द्वारा अपनी एम्बुलेन्स संख्या आर.जे. 10 पी.ए. 2734 का बीमा अप्रार्थी से करवाया था। बीमित अवधि में ही उक्त एम्बुलेन्स दिनांक 10.10.2010 को दुर्घटनाग्रस्त हो गयी जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाना सरदारशहर में दर्ज करवायी गयी। दुर्घटना की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी उसी समय दी गयी। अप्रार्थी को दुर्घटना की सूचना मिलने पर अप्रार्थी द्वारा अपना सर्वेयर नियुक्त किया गया व सर्वेयर के निर्देशानुसार ही प्रार्थी ने अपने वाहन की मरम्मत करवायी। जिस पर 97,645 रूपये खर्च हुआ जिसका भुगतान प्रार्थी द्वारा ए.बी.एस. मोटर्स चूरू को कर दिया गया। प्रार्थी ने अपने वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को समस्त दस्तावेज प्रस्तुत कर क्लेम की मांग की। परन्तु अप्रार्थी ने अपने पत्र दिनांक 24.08.2011 को प्रार्थी का क्लेम इस आधार पर खारिज कर दिया कि बरवक्त दुर्घटना प्रार्थी के वाहन पर नियुक्त ड्राईवर के पास प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स नहीं था। प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अप्रार्थी ने प्रार्थी के क्लेम प्रकरण का निस्तारण मैकेनिकल-वे में जाकर खारिज किया है क्योंकि दुर्घटना के समय वाहन पर चालक नरेश कुमार के पास एल.एम.वी. श्रेणी का लाईसेन्स था और प्रार्थी का वाहन भी हल्का मोटरवाहन की श्रेणी में आता है जिसके लिए कोई विशिष्ट आॅथोराईजेशन की भी आवश्यकता नहीं है। प्रार्थी के वाहन का वजन 1285 किलो था जबकि 6000 किलो तक के सभी वाहन एल.एम.वी. की श्रेणी में आते है फिर भी अप्रार्थी ने गलत आधार पर प्रार्थी का क्लेम खारिज कर दिया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष व अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।

8.    अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि प्रार्थी का प्रश्नगत वाहन अप्रार्थी के यहां कर्मशीयल व्हीकल के रूप में बीमित था। इसलिए प्रश्नगत वाहन को चलाने हेतु ट्रांसपोर्ट डी.एल. होना आवश्क था जबकि दुर्घटना के समय वाहन के चालक नरेश कुमार के पास केवल एल.एम.वी.एन.टी. श्रेणी का डी.एल. था। प्रार्थी का वाहन जिला परिवहन विभाग से भी यात्री कर्मशीयल वाहन के रूप में पंजियन था। जिसे चलाने हेतु परिवहनयान की श्रेणी का डी.एल. होना आवश्यक होता है। जो कि दुर्घटना के समय चालक नरेश कुमार के पास नहीं था। इसलिए बीमा पोलिसी में अंकित शर्तों व नियमों के तहत तथा मोटरवाहन कानून के प्रावधानों के अनुसार प्रार्थी का दावा भुगतान योग्य नहीं होने के कारण अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा खारिज कर सूचना प्रार्थी को भिजवा दी थी। उक्त आधार पर अप्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

9.    हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी की एम्बुलेन्स संख्या आर.जे. 10 पी.ए. 2734 का बीमा अप्रार्थी बीमा विभाग से किया जाना, बीमित अवधि में ही दिनांक 10.10.2011 को प्रश्नगत वाहन का दुर्घटना ग्रस्त होना जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट 375/2010 पुलिस थाना सरदारशहर में दर्ज होना स्वीकृत तथ्य है। प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अप्रार्थी ने प्रार्थी के क्लेम प्रकरण का निस्तारण मैकेनिकल-वे में जाकर खारिज किया है क्योंकि दुर्घटना के समय वाहन पर चालक नरेश कुमार के पास एल.एम.वी. श्रेणी का लाईसेन्स था और प्रार्थी का वाहन भी हल्का मोटरवाहन की श्रेणी में आता है जिसके लिए कोई विशिष्ट आॅथोराईजेशन की भी आवश्यकता नहीं है। प्रार्थी के वाहन का वजन 1285 किलो था जबकि 6000 किलो तक के सभी वाहन एल.एम.वी. की श्रेणी में आते है फिर भी अप्रार्थी ने गलत आधार पर प्रार्थी का क्लेम खारिज कर दिया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष व अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।

10. अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रश्नगत वाहन के चालक के पास दुर्घटना के समय प्रभावी व वैद्य डी.ए. नहीं था अर्थात् प्रश्नगत वाहन एक व्यवसायिक वाहन था। जबकि चालक के पास हल्का मोटर वाहन चलाने डी.ए. था जो पोलिसी की शर्तों व मोटर वाहन अधिनियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। बहस के दौरान अप्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान चालक नरेश कुमार के डी.एल. की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। डी.एल. के अवलोकन से स्पष्ट है कि चालक नरेश कुमार के पास दुर्घटना के समय हल्का मोटरयान चलाने हेतु डी.एल. था। जबकि प्रश्नगत वाहन व्यवसायिक वाहन है जिसे चलाने हेतु परिवहन यान की श्रेणी का डी.एल. होना आवश्यक है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त आधार पर तक दिया कि प्रार्थी ने जानबूझकर पोलिसी की शर्तों व मोटरवाहन अधिनियम की धारा 3 का स्पष्ट उल्लंघन किया है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

11. अप्रार्थी अधिवक्ता ने बहस के दौरान इस मंच का ध्यान 2 सी.पी.जे. 2014 पेज 5 एन.सी. सीमा गर्ग बनाम ओरियन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लि. की ओर ध्यान दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने उच्चतम न्यायालय के न्यायिक दृष्टान्त इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम प्रभूलाल सी.पी.जे. 1 सुप्रीम कोर्ट 2008 का हवाला देते हुए पैरा संख्या 5 में यह अभिनिर्धारित किया कि यदि ड्राईवर के पास दुर्घटना के समय प्रभावी एवं वैद्य लाईसेन्स नहीं है तो वह क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अर्थात् प्रार्थी जो वाहन चला रहा है ऐसे वाहन को चलाने हेतु उसके पास अनुज्ञप्ति होना आवश्यक है। माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार करने के निर्णय को उचित ठहराया। इसी प्रकार माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त रिलायन्स जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम शिवकुमार एस. 2014 (2) सी.पी.जे. 57 एन.सी. में मोटर व्हीकल अधिनियम 1988 की धारा 2/21, 2/35, 2/47 व 75/2 का विस्तार से विवेचन करते हुए यह निर्धारित किया कि यदि ड्राईवर के पास प्रभावी वैद्य लाईसेन्स ट्रान्सपोर्ट व्हीकल चलाने का नहीं है तो यह पोलिसी की ट्रम एण्ड कन्डीशन के मूलभूत आधारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त 4 सी.पी.जे. 2014 पेज 652 एन.सी. न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम बिरेन्द्र मिश्रा पैरा संख्या 7 में यह निर्धारित किया कि । च्मतेवद ूीव कवमे दवज ीवसक सपबमदबम जव कतपअम जतंदेचवतज अमीपबसम बंददवज कतपअमजतंदेचवतज अमीपबसम ंदक प िीम कतपअमे जतंदेचवतज अमीपबसमए प्देनतंदबम ब्वउचंदल बंददवज इम ंिेजमदमक ूपजी ंदल सपंइपसपजलण् इसलिए बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम खारिज करने के आधार को उचित ठहराया है। अप्रार्थी द्वारा दिये गये तर्कों, आधारों व दस्तावेजों से स्पष्ट है कि प्रार्थी के प्रश्नगत वाहन पर दुर्घटना के समय चालक नरेश कुमार के पास हल्का मोटरवाहन चलाने का डी.एल. था जबकि प्रश्नगत वाहन व्यवसायिक श्रेणी का वाहन था जिससे चलाने हेतु विधि अनुसार परिवहन यान का डी.एल. होना आवश्यक है। इसलिए मंच की राय में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को पोलिसी की शर्तों व मोटरवाहन अधिनियम कानून के उल्लंघन के तहत अस्वीकार करना सेवादोष नहीं है। प्रार्थी का परिवाद माननीय राष्ट्रीय आयेाग के नवीनत न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी के दृष्टिगत खारिज किये जाने योग्य है।    

             अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे।

 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                    अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक 06.04.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                    अध्यक्ष     
 
 

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