Rajasthan

Churu

171/2013

PARTAP BHATIYA - Complainant(s)

Versus

NIC CHURU - Opp.Party(s)

MANOJ GAHLOT

27 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 171/2013
 
1. PARTAP BHATIYA
WARD NO 18 PANCHYAT SAMITI MAGGANESHCHI MATA KE MANDIR KE PAS SARDARSHAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 171/2013
प्रताप पुत्र श्री मंागीलाल जाति भाटिया निवासी वार्ड न0 18, पंचायत समिति, नागणेची माता के मन्दिर के पास, सरदारशहर जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
1. नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, शाखा कार्यालय आलोक सिनेमा के पास, स्टेशन रोड़, चूरू जरिये शाखा प्रबन्धक, बीमाकर्ता वाहन मोटरसाईकिल ज्ब्त् छवण् त्श्र 10 ज्ब् 0107 ईंजन न0 भ्।10म्श्रब्भ्8497 व चैसिस न0 डठस्भ्।10.।डब्भ्म्68021
......अप्रार्थीगण
दिनांक- 30.01.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री सीताराम स्वामी एडवोकेट व
श्री मनोज गहलोत एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2. श्री धीरेन्द्र सिंह एडवोकेट - अप्रार्थीगण की ओर से
1. प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थी का वाहन मोटरसाईकिल ज्ब्त् छवण् त्श्र 10 ज्ब् 0107 ईंजन न0 भ्।10म्श्रब्भ्8497 व चैसिस न0 डठस्भ्।10.।डब्भ्म्68021 जो नामदेव आॅटोमोबाईल्स सरदारशहर से दिनांक 20.07.2012 को खरीदी थी और अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बिमीत थी। जिसको लेकर प्रार्थी दिनांक 02.08.2012 को समय लगभग सांय 5 बजे ईंट लाने के लिए तारानगर चैराहा, गांधी विद्या मन्दिर सरदारशहर अपने साले सरदाराराम के साथ गया। मोटरसाईकिल को सड़क की पूर्वी दिशा में पंक्चर की दूकान के आगे खड़ी करके प्रार्थी वहां खड़े ट्रकों में ईंटे देखने लगा थोड़ी देर बाद प्रार्थी ने जब अपनी मोटर साईकिल देखी तो कोई उसे चुराकर ले गया। जो काफी तलाश करने के बावजूद भी नहीं मिली। जिसका मुकदमा प्रार्थी ने पुलिस थाना सरदारशहर में दर्ज करवाया। जिसकी एफ.आई.आर. संख्या 305/12 जुर्म धारा 379 भा0द0सं0 है जिसका अनुवान सरकार बनाम अज्ञात है। प्रार्थी ने मोटरसाईकिल चोरी के पश्चात अप्रार्थी के समक्ष काफी बार क्लेम देने का निवेदन किया लेकिन अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को क्षतिपूर्ति राशि प्रदान नहीं की गई। दिनांक 02.08.2012 को मोटरसाईकिल चोरी हो जाने की एफ.आई.आर. संख्या 305/12 जुर्म धारा 379 भा0द0सं0 में दर्ज करवाने के पश्चात उक्त मामले में अज्ञात के विरूद्ध न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग सरदारशहर में एफ.आर. चालान पेश किया जा चूका है। प्रार्थी ने दिनांक 02.01.2013 को
अप्रार्थी के शाखा कार्यालय में रजिस्टर्ड पत्र प्रेषित कर क्लेम हेतु निवेदन किया। जिसके जवाब में अप्रार्थी ने क्लेम नहीं देने के इरादे से दिनांक 12.02.2013 को पत्र प्रेषित कर विलम्ब के आधार पर प्रार्थी का क्लेम खारिज करने का नोटिस दिया।
2. आगे प्रार्थी ने बताया कि प्रार्थी ने मोटरसाईकिल चोरी होने के तुरन्त पश्चात समस्त कार्यवाहीयां सम्पन्न करने के बावजूद बीमा कम्पनी निराधार क्लेम नहीं देने की नियत से प्रार्थी को क्लेम देने में टालमटोल कर रही है। मोटरसाईकिल चोरी होने के कारण प्रार्थी को 45177 रूपये वाहन की मूल कीमत एवं 5000 रूपये मोटरसाईकिल की ऐसेसरिज एवं दस्तावेजों के खर्च सहित कुल 51,177 रूपये की क्षति उठानी पड़ी है। जिसका सर्वे भी बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि द्वारा किया जा चूका है एवं जिसके समस्त दस्तावेज मय क्लेम आवेदन बीमा कम्पनी को भिजवाये जा चुके है। प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी को चाहे गये समस्त दस्तावेज भिजवा दिये उसके बावजूद भी अप्रार्थी ने दिनांक 12.02.2013 को प्रार्थी को एक पत्र भेजा जिसमें क्लेम हेतु आवेदन विलम्ब के आधार पर खारिज करने को कहा है जिस बाबत लिखित स्पष्टीकरण सूचना मय दस्तावेज दिनांक 08.03.2013 को प्रेषित की जा चुकी है। इस प्रकार अप्रार्थी द्वारा क्लेम देने में आना कानी की जा रही है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के वाहन को विस्तृत रूप से बिमित कर समस्त प्रकार की जोखित वहन करने का जिम्मा प्राप्त कर रखा है व उक्त वाहन वैध लाईसेन्स सहित चालक द्वारा चलाया जा रहा था परन्तु ऐसा होते हुए भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को उसके चोरी हो चुके वाहन की क्षतिपूर्ति राशि अदा नहीं कर रही है। जेा कृत्य अप्रार्थी की सेवा में कमी (निम्नता) का स्पष्ट प्रतीक है। जिसके लिए प्रार्थी के पास माननीय मंच के समक्ष यह कार्यवाही किये जाने के अलावा अन्य कोई विकल्प शेष नहीं रहा है। इसलिए प्रार्थी ने वाहन चोरी से हुई क्षति राशि 50,177 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय दिलाने की मांग की है।
3. अप्रार्थी ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि उतरदाता बीमा कम्पनी के यहां से सटिफिकेट संख्या 315007731126 201074677 प्रताप के नाम से दिनांक 20.07.2012 की अवधि से 19.07.2013 की अवधि के लिये मोटरसाईकिल जिसके इंजिन नम्बर भ्।10म्श्रब्भ्म्84973 चैसिस नम्बर डठस्भ्।10।डब्भ्म्68021 टू व्हीलर पालिसी एवं पैकेज के तहत बीमा कम्पनी मे अंकित शर्तो एवं नियमो के तहत बीमा किया गया था इस वाहन के दिनांक 02.08.2012 की तिथि को चोरी हो जाने की सूचना उतरदाता बीमा कम्पनी को दिनांक 11.01.2013 को लगभग 5 माह विलम्ब से दी गई जिस पर बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 15-01-2013 क® बीमा कम्पनी ने परविादी से 5 माह बाद दावा दर्ज करवाने बाबत स्पष्टीकरण देने हेतु एवं बीमा प®लिसी, एफ.आई.आर., आर.सी. की प्रतियां प्रेषित करने हेतु पत्र लिख कर निवेदन किया। परन्तु प्रार्थी ने उक्त पत्र का जवाब न देते हुए अपने दावे में क®ई रूचि नहीं
दिखाई जिस पर दिनांक 12-02-2013 क® बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी क® स्पष्टीकरण देने एवं दस्तावेजात देने हेतु पुनः पंजीकृत डाक से पत्र प्रेषित कर निवेदन किया गया जिस पर भी प्रार्थी ने बीमा कम्पनी कार्यालय में न त® दस्तावेजात प्रस्तुत किये न ही स्पष्टीकरण दिया बल्कि वास्तविक तथ्य छिपाते हुए माननीय मंच के समक्ष गलत आधार®ं का उक्त परिवाद प्रस्तुत कर दिया। बीमाधारी ने माननीय मंच से उक्त तथ्य छिपाये है। बीमाधारी उतरदाता बीमा कम्पनी से किसी प्रकार की राशि प्राप्त करने का अधिकारी नही है।
4. बीमाधारी ने अपने वाहन के चोरी हो जाने की सूचना लगभग 5 माह के विलम्ब से उतरदाता बीमा कम्पनी को दी जो सूचना तुरन्त दी जानी आवश्यक थी इस प्रकार बीमाधारी द्वारा बीमा पालिसी की शर्त संख्या 1 जो तुरन्त सूचना देने बाबत है का उल्लधन किया गया है इस बाबत माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित न्यायिक विनिश्चिय अपील संख्या 321/05 निर्णय तिथि 09.12.2009 अनवानी न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी बनाम तिलोकचन्द जैन मे उक्त शर्त संख्या 1 के उल्लधन बाबत जो सिद्वान्त प्रतिपादित किया है उसके प्रकाश मे बीमाधारी बीमा कम्पनी से किसी प्रकार की राशि प्राप्त करने का अधिकारी नही है एवं इस न्यायिक दृष्टांत के अनुशरण मे उक्त परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। प्रार्थी ने बीमा कम्पनी से निर्णय प्राप्त किये बिना ही मिथ्या एव आधारहीन तथ्य®ं का उक्त परिवाद प्रस्तुुत किया है बीमा प®लिसी एव म®टरवाहन कानून के तहत बीमा कम्पनी के यहा दावे के निस्तारण हेतु आवश्यक दस्तावेजात प्र्रस्तुत जाने आवश्यक है जिनके बिना बीमा कम्पनी दावे का निस्तारण नहीं कर सकती बीमा कम्पनी से निर्णय प्राप्त किये बिना माननीय मंच के समक्ष किसी भी प्रकार से कानूनन परिवाद प्रस्तुत नहीं किया जा सकता इसलिये प्रार्थी का उक्त परिवाद प्रीमेच्योर ह®ने से खारिज किये जाने योग्य है।
5. प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, प्रार्थना-पत्र दिनांक 12.02.2012, 02.01.2013, जवाब दिनांक 08.03.2013, 15.01.2013, बीमा कवरनोट प्रथम सूचना रिपोर्ट, वेट इन्वोयज, डी.एल. की प्रति, फर्दे-अहकाम, अन्तिम प्रतिवदेन दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी की ओर से अशोक खण्डेलवाल का शपथ-पत्र, बीमा पोलिसी, पत्र दिनांक 12.02.2013, 15.01.2013 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
6. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
7. प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी का वाहन मोटरसाईकिल ज्ब्त् छवण् त्श्र 10 ज्ब् 0107 ईंजन न0 भ्।10म्श्रब्भ्8497 व चैसिस न0 डठस्भ्।10.।डब्भ्म्68021 अप्रार्थी से बीमा करवाया हुआ है और बीमित अवधि में ही दिनांक 02.08.2012 को उक्त मोटरसाईकिल तारानगर चैराहा गांधी विद्या मन्दिर सरदारशहर में चोरी हो गया। जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट 305/2012 तुरन्त करवायी गयी। आगे तर्क
दिया कि चोरी की सूचना अप्रार्थी कम्पनी को भी दी गयी। परन्तु कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम का निस्तारण नहीं किया जिस पर प्रार्थी ने रजिस्टर्ड पत्र भी अप्रार्थी विभाग को दिये उसके बावजूद भी प्रार्थी के क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया। बीमित अवधि में मोटरसाईकिल चोरी होने पर अप्रार्थी द्वारा क्षतिपूर्ति अदा नहीं करना सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यह दिया कि वास्तव में प्रार्थी ने अपने वाहन के चोरी होने की सूचना दिनांक 15.01.2013 को घटना के लगभग 5 माह बाद दी थी। जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी का क्लेम दावा दर्ज कर उक्त देरी बाबत स्पष्टीकरण हेतु प्रार्थी को पत्र लिखे परन्तु प्रार्थी ने उक्त स्पष्टीकरण आज तक बीमा कम्पनी को नहीं दिया। आगे तर्क दिया कि प्रार्थी ने चोरी होने की सूचना लगभग 5 माह के विलम्ब से दी है जो कि पोलिसी की शर्त संख्या 1 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद पोलिसी की शर्त संख्या 1 के उल्लंघन के आधार पर खारिज किया जावे।
8. हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी के मोटरसाईकिल आर.जे. 10 टी.सी. 0107 का बीमा अप्रार्थी से किया जाना, चोरी के सम्बंध में दिनांक 12.08.2012 को पुलिस थाना सरदारशहर में प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 305/2012 दर्ज होना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु यह है कि प्रार्थी ने अपने वाहन के चोरी होने की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को 5 माह बाद दी जो पोलिसी की शर्त संख्या 1 का स्पष्ट उल्लंघन है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह तर्क दिया कि प्रार्थी ने अपने वाहन की चोरी होने की सूचना वाहन के चोरी होने की दिनांक 02.08.2012 के बाद 5 माह बाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी जो पोलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन है। प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त तथ्य का विरोध किया। बहस के दौरान अप्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान प्रार्थी स्वंय के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज पत्र दिनांक 08.03.2013 की ओर दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया। उक्त दस्तावेज में प्रार्थी ने अपने प्रार्थना-पत्र में अप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 12.02.2013 का जवाब दिया है। उक्त प्रार्थना-पत्र में प्रार्थी ने यह अंकित किया है कि ‘‘मेरे द्वारा अप्रार्थी कम्पनी को घटना की तत्काल जानकारी दुरभाष व मोबाईल से दे दी गयी थी।‘‘ उक्त जवाब पत्र में यह भ अंकित किया है कि देरी न्यायिक प्रक्रिया के कारण हुई है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपने पत्र दिनांक 15.01.2013, 12.02.2013 की ओर भी ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। पत्र दिनांक 15.01.2013 में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी को यह लिखा कि आपका पत्र दिनांक 02.01.2013 का रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित किया हुआ दिनांक 11.01.2013 को प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार पत्र दिनांक 12.02.2013 में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी को जो पत्र जारी किया उसमें भी प्रार्थी से पोलिसी की प्रति, आर.सी., एफ. आई.आर.
की काॅपी के साथ देरी के सम्बंध में स्पष्टीकरण मांगा है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त दस्तावेज के आधार पर तर्क दिया कि प्रार्थी ने बीमा कम्पनी को अपने वाहन की चोरी होने की सूचना चोरी की दिनांक के 5 माह बाद प्रस्तुत की थी जो बीमा पोलिसी की शर्त 1 का उल्लंघन है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस के दौरान इस मंच का ध्यान माननीय राष्ट्रीय आयोग के नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त रिविजन पेटिशन नम्बर 3320/2014 कुलवन्त सिंह बनाम मैनेजिंग डाईरेक्टर यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी आदि निर्णय दिनांक 15.09.2014, रिविजन पेटिशन 3047/2011 यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी बनाम जोगेन्द्र सिंह आदि निर्णय दिनांक 16.10.2014 तथा रिविजन पेटिशन 3049/2014 मैसर्स एच.डी.एफ.सी. एग्रो जनरल इंश्योरेन्स क.लि. बनाम श्री भागचन्द सैनी निर्णय दिनांक 04.12.2014 की ओर दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त न्यायिक दृष्टान्तों में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अपने पूर्वक के न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए यह अभिनिर्धारित किया कि ज्ीम प्देनतंदबम ब्वउचंदल ूंे ूमसस ूपजीपद पजे तपहीजे जप तमचनकपंजम जीम बसंपउ वद हतवनदके व िकमसंलमक पदजपउंजपवद इमबंनेम जीमतम ूंे अपवसंजपवद व िजीम चवसपबल बवदकपजपवदेए ंबवतकपदहसल जव ूीपबी जीम पदेनमक ूंे तमुनपतमक जव पदवितउ जीम पदेनतंदबम बवउचंदल पउउमकपंजमसल ंजिमत जीम पदबपकमदजण् माननीय राष्ट्रीय आयोग ने पोलिसी की शर्त संख्या 1 के सम्बंध में उच्चतम न्यायालय के न्यायिक दृष्टान्त न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम त्रिलोकचन्द जैन के हवाले से यह मत प्रकट किया कि छंजपवदंस ब्वउउपेेपवद मगजमदेपअमसल कूमसज नचवद जीम ूवतक पउउमकपंजमसल ंे ेजंजमक पद जीम बवदकपजपवदे व िजीम पदेनतंदबम चवसपबल इल तममिततपदह जव जीम उमंदपदह व िजीम ूवतक हपअमद पद व्गवितक ।कअंदबमक स्मंतदमते क्पबजपवदंतलए ैजतवनके श्रनकपबपंस क्पेजपवदंतलए थ्पजिी म्कपजपवद ए ठसंबा स्ंू क्पबजपवदंतलए ैपगजी म्कपजपवद ंदक डपजते स्महंस ंदक ब्वउउमतबपंस क्पबजपवदंतलए थ्पजिी म्कपजपवद ंदक बंउम जव जीम बवदबसनेपवद जींज जीम ूवतक पउउमकपंजमसल ींे जव इम बवदेजतनमकए ूपजीपद ं तमंेवदंइसम जपउम ींअपदह कनम तमहंतक जव जीम दंजनतम ंदक बपतबनउेजंदबमे व िजीम बंेमण् अप्रार्थी अधिवक्ता ने उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी के तहत प्रार्थी का परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
9. प्रार्थी अधिवक्ता ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रार्थी ने बीमा कम्पनी को अपने वाहन के चोरी होने की सूचना तुरन्त दे दी थी व प्रथम सूचना रिपोर्ट भी घटना के दिन ही दर्ज करवा दी थी। अपनी बहस के समर्थन में प्रार्थी अधिवक्ता ने प्रथम सूचना रिपोर्ट व पत्र दिनांक 02.01.2013 की ओर ध्यान दिलाया जिनका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। प्रथम सूचना रिपोर्ट जो कि पुलिस थाना सरदारशहर में दिनांक 12.08.2012 को दर्ज करवायी गयी है। उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में क्रम संख्या 8 पर सूचना की देरी का कारण में नो डिले अंकित किया हुआ है। इसी प्रकार पत्र दिनांक 02.01.2013 जो कि प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को घटना के बाद प्रथम बार लिखा में प्रार्थी ने घटना का विवरण देते हुए अंत में यह अंकित
किया है कि प्रार्थी ने श्रीमानजी के समक्ष काफी बार क्लेम देने का निवेदन किया लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। मुझे मेरी मोटरसाईकिल का क्लेम शीघ्र दिलवाने की कृपा करें। पोलिसी की शर्त संख्या 1 के खण्डन में प्रार्थी को यह साबित करना था कि उसने उक्त शर्त के अनुसार चोरी की घटना की सूचना तुरन्त पुलिस थाना व अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दे दी थी परन्तु प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज प्रथम सूचना रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि प्रार्थी ने अपने वाहन की चोरी की सूचना पुलिस थाना में दिनांक 12.08.2012 अर्थात् घटना के 10 दिन बाद दी है व प्रार्थी के स्वंय के पत्र दिनांक 02.01.2013 से स्पष्ट है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को प्रथम बार उक्त पत्र लिखा था जो कि घटना के करीब 5 माह बाद का है। प्रार्थी ने चोरी की घटना तुरन्त पोलिसी की शर्त के अनुसार अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी हो ऐसा कोई दस्तावेज या साक्ष्य पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया और ना ही चोरी की सूचना विलम्ब से देने के सम्बंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा दिये गये पत्रों के जवाब में कोई स्पष्टीकरण दिया। इससे यह अवधारणा की जाती है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को अपने मोटरसाईकिल के चोरी होने की सूचना दिनांक 02.01.2013 अर्थात् घटना के 5 माह बाद दी है। इसलिए मंच की राय में अप्रार्थी अधिवक्ता प्रस्तुत दस्तावेज व न्यायिक दृष्टान्तों की रोशनी से स्पष्ट है कि प्रार्थी ने अपने मोटरसाईकिल के चोरी होने की सूचना पोलिसी की शर्त संख्या 1 के अनुसार तुरन्त नहीं दी जो पोलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन है। मंच की राय में अप्रार्थी द्वारा मोटरसाईकिल के चोरी होने की सूचना विलम्ब से देने बाबत मांगे गये स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं करने पर प्रार्थी के क्लेम को निर्धारण नहीं करना अप्रार्थी का कोई सेवादोष नहीं है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी अधिवक्ता द्वारा दिये गये तर्कों, दस्तावेजों व नवीनतम न्यायिक दृष्टान्तों की रोशनी के दृष्टिगत पोलिसी की शर्त संख्या 1 के उल्लघ्ंान के आधार पर खारिज किये जाने योग्य है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध पोलिसी की शर्त संख्या 1 के उल्लघ्ंान के आधार पर अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे। सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर सदस्य सदस्या अध्यक्ष निर्णय आज दिनांक 30.01.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया। सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर सदस्य सदस्या अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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