Rajasthan

Churu

665/2011

MANGILAL - Complainant(s)

Versus

NIC CHURU - Opp.Party(s)

Shiv Singh

27 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 665/2011
 
1. MANGILAL
WARD NO 10 TARANAGAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
 
परिवाद संख्या- 665/2011
मांगीलाल पुत्र श्री सीताराम सैनी जाति माली उम्र 30 वर्ष निवासी वार्ड नं. 10 तारानगर जिला चूरू
......प्रार्थी
बनाम
 
1.    शाखा प्रबंधक, नेष्नल इंन्ष्योरेष कम्पनी लि. शाखा कार्यालय आलोक सिनेमा के पास चूरू
2.    प्रापराईटर, न्यु स्टार मोटर्स हीरो होन्डा मोटर्स लि. मैन रोड तारानगर  
 
                                                 ......अप्रार्थीगण
दिनांक-  03.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री षिवसिंह एडवोकेट           - प्रार्थी की ओर से
2.    श्री धीरेन्द्र सिंह राठौड़ एडवोकेट   - अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से
3.    अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से      - कोई उपस्थित नहीं
 
 

1.    प्रार्थी ने परिवाद पेश कर बताया कि प्रार्थी मांगीलाल पुत्र श्री सीताराम सैनी निवासी वार्ड नं. 10 ताानगर जिला चूरू का निवासी है जिसने अपने रोजमर्रा के कार्याे को पूरा करने के लिए एक मोटरसाईकिल रहज. नं. आर जे 10 एस सी 6608 जिसके इंजिन नं. एच ए 10 इ जी ए 9 जे 058167 खरीदी जिसका बीमा प्रार्थी ने अप्रार्थी सं. 1 के यहाॅ से दिनांक 30.10.2010 को करवाया। प्रार्थी ने अपने वाहन मोटरसाईकिल का बीमा अप्रार्थी सं. 1 के यहाॅ दिनांक 30.10.2010 को करवाया था जो कि 29.10.2011 तक के लिये वेद्य था जिसके पाॅलिसी नं. 35100731106201422293 जो कि प्रदर्ष-1 है जिसके प्रार्थी ने अप्रार्थी सं. 1 को प्रिमियम की राषि अदा कर दी थी। प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी सं. 1 से अपने वाहन मोटरसाईकिल का बीमा करवाने के दिन से उपभोक्ता एवं सेवादाता के सम्बंध चले आ रहे है। बीमा सेवा नियमो के मुताबिक प्रार्थी द्वारा जिस दिन अपनी मोटरसाईकिल का बीमा अप्रार्थी सं. 1 के यहाॅ करवाया था उस दिन सेे लेकर बीमा कवरनोट की वेद्यता तिथि तक के लिए मोटरसाईकिल के उपयोग एवं उपभोग के समान्य अनुक्रम मे होने वाले समस्त नुकसानी के लिए अप्रार्थी सं.1 उतरदायी है। अप्रार्थी सं.1 ने प्रार्थी से बीमा की वैद्यता तिथि मे होने वाली समस्त नुकसानी को वहन करने के लिए प्रार्थी से प्रीमियम राषि प्राप्त कर ली थी। प्रार्थी दिनांक 08.05.2011 को अपने वाहन मोटरसाईकिल को लेकर अपने काम से जा रहा था कि अचानक मोटरसाईकिल स्लीप हो जाने के कारण प्रार्थी अपनी मोटरसाईकिल के साथ नीचे गिर पडा जिससे मोटरसाईकिल में काफी नुकसान हो गया इसलिए प्रार्थी ने अप्रार्थी सं. 1 द्वारा अधिकृत सर्विस सेन्टर अप्रार्थी सं. 2 को इसकी सूचना तो अप्रार्थी सं. 2 ने मौके का निरक्षिण किया और निरीक्षण करने के बाद कहा कि आप तो अपनी  मोटरसाईकिल को लेकर हमारे सर्विस सेन्टर पहॅचे वहाॅ पर हम आपको मोटरसाईकिल की सर्विस करके देंगे और जो भी खर्चा आएगा आपको अप्रार्थी सं.1 से मिल जावेगा इस पर प्रार्थी द्वारा अपनी मोटरसाईकिल की मरम्मत का कार्य अप्रार्थी सं. 1 के यहाॅ से करवाया गया जिसका समस्त बिल प्रदर्ष 2 है जिसका भुगतान प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी सं. 2 को कर दिया गया। प्रार्थी द्वारा अपने वाहन की दुघर््ाटना मे हुए समस्त खर्चे की प्राप्ति हेतु अप्रार्थी सं. 1 को दावा फार्म मय अप्रार्थी सं. 2 के बिल प्रार्थी द्वारा स्वयं के ड्राईविंग लाईसंन्स की प्रतिलिपि संलग्न कर दावा फार्म सं. 35100731116290011165 भिजवाया गया जिसे अप्रार्थी सं. 1 ने यह कहते हुए नो क्लेम कर दिया कि आपके पास दुर्घटना के समय मोटरसाईकिल चलाने के कलए वेद्य एवं प्रभावी ड्राईविंग लाईसेन्स नहीं था। जबकि प्रार्थी के पास दुर्घटना के समय प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स मौजूद था। इसलिए प्रार्थी ने नुकसानी स्वरूप राशि 11,531 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय दिलाने की मांग की है।

2.    अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि उत्तरदाता बीमा कम्पनी द्वारा जो बीमा पाॅलिसी जारी की गई है उसमें ड्राईवर क्लाॅज इस प्रकार है।ष्।दल चमतेवद पदबसनकपदह जीम पदेनतमक चतवअपकमक जीज ं चमतेवद कतपअपदह ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम ंज जीम जपउम व िंबबपकमदज ंदक पे दवज कपेुनंसपपिमक तिवउ ीवसकपदह वत वइजंपदह ेनबी ं सपबमदेमण् च्तवअपकमक ंसेव जींज जीम चमतेवद ीवसकपदह ंद मििमबजपअम समंतदमते सपबमदेम उंल ंसेव कतपअम जीम अमीपबसम ंदक जींज ेपबी ं चमतेवद ेंजपेपिमे जीम तमुनपतउमदजे व ितनसम 3 व िब्मदजतंस डवजमत टमीपबसम त्नसमे 1989ण्ष् इसी प्रकार मोटर वाहन कानून की धारा 3 के अनुसार ष् छमबमेेपजल व िकतपअपदह सपबमदेम ;1द्ध छव चमतेवद ेीमसस कतपअम ं उवजमत अमीपबसम पदंदल चनइसपब चंसबम नदसमेे ीम ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम पेेनमक जव ीपउ ंनजीवतपेपदह ीपउ जव कतपअम जीम अमीपबसमय ंदक दव चमतेवद ेींसस ेव कतपअम ं जतंदेचवतज अमीपबसम वजीमत जींद ं उवजवत बंइ वत उवजवतबलबसम ीपतमक वित ीपे वूद नेम वत तमदजमक नदकमत ंदल ेबीमउम उंकम नदकमत ेनइेमबजपवद ;2द्ध व िैमबण् 75 नदसमेे ीपे कतपअपदह सपबमदेपदह ेचमबपपिबंससल मदजपजसमे ीपउ ेव जव कवण् ;2द्ध ज्ीम बवदकपजपवदे ेनइरमबज जव ूीपबी ेनइेमबजपवद ;1द्ध ेींसस दवज ंचचसल जव ं चमतेवद तमबमपअपदह पदेजतनबजपवदे पद कतपअपदह ं उवजवत अमीपबसम ेींसस इम ेनबी ंे उंल इम चतमेबतपइमक इल जीम ब्मदजतंस ळवअमतदउमदजण्श्श् आगे जवाब दिया कि बीमा कम्पनी द्वारा जो पाॅलिसी जारी की गई है उसमें पाॅलिसी की शर्त सं. 3 इ इस प्रकार है कि ष्थ्वत चंतजपंस सवेेमे पण्मण् स्वेेमे वजीमत जींद जवजंस सवेेध् बवदेजतनबजपअम जवजंस सवेे व िजीम अमीपबसम . ंबजनंस ंदक तमंेवदंइसम बवेज व ितमचंपत ंदक ध् वत तमचसंबमउमदज व िचंतजे सवेज वत कंउंहमक ेनइरमबज जव कमचतमबपंजपवद ंे चमत सपउपजे ेचमबपपिमकण्ष् बीमा कम्पनी द्वारा जो पाॅलिसी जारी की गई है उसमें पाॅलिसी की शर्त सं. 8 इस प्रकार है कि ष्ज्ीम कनम वइेमतअंदबम ंदक निसपिससउमदज व िजीम जमतउे बवदकपजपवदे ंदक मदकवतेमउमदज व िजीपे च्वसपबल पद ेव ंित ंे जीमल तमसंजम जव ंदलजीपदह जव इम कवदम वत बवउचसपमक ूपजी इल जीम प्देनतमक ंदक जीम जतनजी व िजीम ेजंजमउमदजे ंदक ंदेूमते पद जीम ेंपक चतवचवेंस ेींसस इम बवदकपजपवदे चतमबमकमदज जव ंदल सपंइपसपजल व िजीम ब्वउचंदल जव उंाम ंदल चंलउमदज नदकमत जीपे च्वसपबलण्ष् इस प्रकार बीमाधारी द्वारा बीमा पाॅलिसी के ड्राईवर क्लॅाज, मोटर वाहन कानून की धारा 3 एवं बीमा पाॅलिसी की शर्त सं. 3 इ और 8 का जानबुझकर स्वैच्छा से उल्लंघन किया है। प्रार्थी के पास दुर्घटना के समय जो अनुज्ञप्ति थी उसमें एम.सी.वाई. वीथ गीयर का पृष्ठांकन नहीं था अर्थात् प्रार्थी के पास एल.एम.वी. एवं परिवहन यान चलाने का डी.एल. था। इसलिए बीमा कम्पनी द्वारा बिना किसी पूर्वागृह के दावा निर्णित किया। उत्तरदाता बीमा कम्पनी प्रतिकर अदायगी हेतु उत्तरदायी नहीं है।

3.    अप्रार्थी संख्या 2 का जवाब डाक से प्राप्त हुआ है जिसमें अंकित है कि उसके द्वारा प्रार्थी के मोटरसाईकिल की रिपेयर की गयी है। इसलिए अप्रार्थी संख्या 2 का कोई सेवादोष नहीं है।

4.    प्रार्थी की ओर परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, बीमा कवरनोट, डी.एल. की प्रति, बिल दिनांक 18.05.2011, पत्र दिनांक 18.07.2011, आर.सी. दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी की ओर से अशोक खण्डेलवाल का शपथ-पत्र, सर्वेयर पवन कुमार का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 18.07.2011, सर्वे रिपोर्ट, बीमा पोलिसी, डी.एल. मांगीलाल, मोटर क्लेम प्रपत्र दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से जाॅब कार्ड, बिल व एस्टीमेट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है।

5.    पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।

6.    प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अपना वाहन मोटरसाईकिल संख्या आर.जे. 10 एस.सी. 6608 का अप्रार्थी संख्या 1 से बीमा करवाया था और बीमित अवधि में ही दिनांक 08.05.2011 को अचानक मोटरसाईकिल स्लीप हो जाने के कारण नीचे गिर पड़ा जिससे मोटरसाईकिल में काफी नुकसान हुआ। उक्त घटना की सूचना प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी व अप्रार्थी बीमा कम्पनी के निर्देशानुसार ही मोटरसाईकिल की रिपेयर करवायी जिस पर प्रार्थी का 11,531 रूपये खर्च हुआ। प्रार्थी ने उक्त राशि हेतु अप्रार्थी संख्या 1 को मरम्मत के मूल बिल डी.एल. आदि दस्तावेज भेज कर क्लेम की मांग की। परन्तु अप्रार्थी संख्या 1 ने यह कहते हुए कि दुर्घटना के समय चालक के पास प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स नहीं था। प्रार्थी का क्लेम दावा अस्वीकार कर दिया। जबकि प्रार्थी के पास दुर्घटना के समय प्रभावी वैद्य लाईसेन्स मौजूद था फिर भी अप्रार्थी संख्या 1 ने गलत आधार पर प्रार्थी का क्लेम अस्वीकार कर दिया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष की श्रेणी में आता है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।

7.    अप्रार्थी अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि दुर्घटना के समय प्रार्थी के पास लाईट मोटर व्हीकल एवं परिवहन यान चलाने का लाईसेन्स था जबकि मोटर वाहन अधिनियम व पोलिसी की शर्तों के अनुसार प्रार्थी के पास मोटरसाईकिल चलाने के लिए एम.सी.वाई. वीथ गियर ड्राईविंग लाईसेन्स होना चाहिए था। परन्तु प्रार्थी के पास दुर्घटना के समय जो लाईसेन्स उपयोग किया गया उसमें एम.सी.वाई. वीथ गियर का पृष्ठांकन नहीं था जो कि स्पष्ट रूप से पोलिसी की धारा 3 बी0 व 8 व मोटर वाहन कानून का स्पष्ट उल्लंघन है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

8.    हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी के मोटरसाईकिल संख्या आर.जे. 10 एस.सी. 6608 अप्रार्थी संख्या 1 से बीमित होना, बीमित अवधि में ही दिनांक 08.05.2011 को दुर्घटनाग्रस्त होना। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी का दिनांक 18.07.2011 के पत्र द्वारा क्लेम खारिज करना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु यह है कि क्या दुर्घटना के समय चालक के पास प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स था। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि दुर्घटना के समय प्रार्थी के पास प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स था। बहस के दौरान प्रार्थी अधिक्ता ने इस मंच का ध्यान प्रार्थी के डी.एल. की ओर दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त डी.एल. जो कि दिनांक 29.05.2008 को परिवहन विभाग, चूरू के द्वारा जारी किया हुआ है जिसमें परिवहन विभाग द्वारा प्रार्थी को एल.एम.वी., ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने हेतु जारी किया हुआ है। प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि विधि अनुसार जिस चालक के पास एल.एम.वी. व ट्रांसपोर्ट व्हीकल का लाईसेन्स हो वह मोटरसाईकिल भी चलाने हेतु सक्षम है। बहस के दौरान प्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान 2008 डी.एन.जे. सुप्रीम कोर्ट पेज 199, 2012 सी.सी.आर. 1 पेज 346 राजस्थान न्यायिक दृष्टान्तों की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। न्यायिक दृष्टान्त 2012 सी.सी.आर. 1 पेज 346 राजस्थान नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम कुमारी कमलेश एण्ड अदर्स मंे माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि यदि एक व्यक्ति भारी वाहन चलाने का अनुज्ञप्ति रखता है तो वह हल्का मोटर वाहन भी चला सकता है।

9.    अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि दुर्घटना के समय प्रार्थी के पास जो अनुज्ञप्ति थी उसमें एम.सी.वाई. विथ गियर का पृष्ठांकन होना आवश्यक था परन्तु प्रार्थी के पास जो अनुज्ञप्ति थी उसमें उक्त पृष्ठांकन नहीं था। जबकि मोटर वाहन अधिनियम व पोलिसी की शर्तों के अनुसार उक्त पृष्ठांकन आवश्यक था। उक्त पृष्ठांकन के अभाव में प्रार्थी मोटरसाईकिल चलाने हेतु सक्षम नहीं था। अप्रार्थी अधिवक्ता ने बहस के दौरान पोलिसी की शर्त व मोटर वाहन कानून की धारा 3 का हवाला दिया। जो इस प्रकार है। ड्राईवर क्लाॅज ष्।दल चमतेवद पदबसनकपदह जीम पदेनतमक चतवअपकमक जीज ं चमतेवद कतपअपदह ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम ंज जीम जपउम व िंबबपकमदज ंदक पे दवज कपेुनंसपपिमक तिवउ ीवसकपदह वत वइजंपदह ेनबी ं सपबमदेमण् च्तवअपकमक ंसेव जींज जीम चमतेवद ीवसकपदह ंद मििमबजपअम समंतदमते सपबमदेम उंल ंसेव कतपअम जीम अमीपबसम ंदक जींज ेपबी ं चमतेवद ेंजपेपिमे जीम तमुनपतउमदजे व ितनसम 3 व िब्मदजतंस डवजमत टमीपबसम त्नसमे 1989ण्ष् इसी प्रकार मोटर वाहन कानून की धारा 3 के अनुसार ष् छमबमेेपजल व िकतपअपदह सपबमदेम ;1द्ध छव चमतेवद ेीमसस कतपअम ं उवजमत अमीपबसम पदंदल चनइसपब चंसबम नदसमेे ीम ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम पेेनमक जव ीपउ ंनजीवतपेपदह ीपउ जव कतपअम जीम अमीपबसमय ंदक दव चमतेवद ेींसस ेव कतपअम ं जतंदेचवतज अमीपबसम वजीमत जींद ं उवजवत बंइ वत उवजवतबलबसम ीपतमक वित ीपे वूद नेम वत तमदजमक नदकमत ंदल ेबीमउम उंकम नदकमत ेनइेमबजपवद ;2द्ध व िैमबण् 75 नदसमेे ीपे कतपअपदह सपबमदेपदह ेचमबपपिबंससल मदजपजसमे ीपउ ेव जव कवण् ;2द्ध ज्ीम बवदकपजपवदे ेनइरमबज जव ूीपबी ेनइेमबजपवद ;1द्ध ेींसस दवज ंचचसल जव ं चमतेवद तमबमपअपदह पदेजतनबजपवदे पद कतपअपदह ं उवजवत अमीपबसम ेींसस इम ेनबी ंे उंल इम चतमेबतपइमक इल जीम ब्मदजतंस ळवअमतदउमदजण्श्श् अप्रार्थी अधिवक्ता ने बहस के दौरान इस मंच का ध्यान 2 सी.पी.जे. 2014 पेज 5 एन.सी. सीमा गर्ग बनाम ओरियन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लि. की ओर ध्यान दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने उच्चतम न्यायालय के न्यायिक दृष्टान्त इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम प्रभूलाल सी.पी.जे. 1 सुप्रीम कोर्ट 2008 का हवाला देते हुए पैरा संख्या 5 में यह अभिनिर्धारित किया कि यदि ड्राईवर के पास दुर्घटना के समय प्रभावी एवं वैद्य लाईसेन्स नहीं है तो वह क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अर्थात् प्रार्थी जो वाहन चला रहा है ऐसे वाहन को चलाने हेतु उसके पास अनुज्ञप्ति होना आवश्यक है। माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार करने के निर्णय को उचित ठहराया। उक्त नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में प्रार्थी अपने द्वारा प्रस्तुत पूर्वोक्त न्यायिक दृष्टान्तों से कोई लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। माननीय राष्ट्रीय आयोग के उक्त नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी के दृष्टिगत स्पष्ट है कि दुर्घटना के समय प्रार्थी के पास जो अनुज्ञप्ति थी उसमें एम.सी.वाई. वीथ गियर का पृष्ठांकन नहीं था। अर्थात् प्रार्थी के पास प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स नहीं था। इसी प्रकार माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त रिलायन्स जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम शिवकुमार एस. 2014 (2) सी.पी.जे. 57 एन.सी. में मोटर व्हीकल अधिनियम 1988 की धारा 2/21, 2/35, 2/47 व 75/2 का विस्तार से विवेचन करते हुए यह निर्धारित किया कि यदि ड्राईवर के पास प्रभावी वैद्य लाईसेन्स ट्रान्सपोर्ट व्हीकल चलाने का नहीं है तो यह पोलिसी की ट्रम एण्ड कन्डीशन के मूलभूत आधारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। इसलिए बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम खारिज करने के आधार को उचित ठहराया है। इसलिए मंच की राय में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को पोलिसी की शर्तों व मोटरवाहन अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के तहत अस्वीकार करना कोई सेवादोष नहीं है। प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।               

             अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे।

 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                    अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक  03.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                    अध्यक्ष     

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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